(Hindi) Made to Stick: Why Some Ideas Survive and Others Die
पहली बात तो ये कि इसे क्यों पढना चाहिए?
इस समरी को फिनिश करने के बाद आपको इन सारे सवालों का ज़वाब मिल जाएगा:
1) आप ऐसा क्या करे कि आपके कस्टमर को आपका मैसेज या आपका प्रोडक्ट याद रहे ?
2) आप क्या करे कि आपका कस्टमर आपके मैसेज पर एक्ट करे ?
3) अपने कस्टमर का ध्यान खीचने के लिए आप क्या करे ?
तो चलो मानते है कि मेरा एक दोस्त है डेव. तो एक बार मेरा दोस्त डेव बिजनेस ट्रिप के लिए न्यू यॉर्क जा रहा था. उसकी फ्लाईट में अभी टाइम था तो ऐसे ही वक्त काटने के लिए वो एक बार में पहुंचा |तभी एक खूबसूरत लड़की वहां आई और उसने डेव को एक ड्रिंक ऑफर की. एक खूबसूरत लड़की की इस पेशकश को डेव भला कैसे ठुकराता. उसने ख़ुशी ख़ुशी ऑफर एक्स्पेट कर लिया. उस लड़की ने दो ड्रिंक्स आर्डर किये, एक अपने लिए और एक डेव के लिए.उसके बाद क्या हुआ डेव को कुछ भी याद नहीं था. जब उसे होश आया तो उसने देखा कि वो एक बाथटब में लेटा हुआ था जिसमे बर्फ भरी हुई थी. पास में ही एक पर्ची पड़ी थी जिसमे लिखा था” हिलना मत, 100 पर पुलिस को कॉल करे. जब उसने पास ही रखे एक फ़ोन से 100 नंबर डायल किया तब उसे मालूम पड़ा कि उसकी किडनी निकाल ली गयी है.
अब मान लो कि आप जिसकी जगह एक न्यूज़ पेपर में एक खबर पड़ते है जो कुछ इस तरह है” “व्यापक अर्थ में, मुद्रा प्रगति को कुछ इस तरह देखा जा सकता है कि “किसी भी माध्यम से प्राप्त पर केपिटा उचित तनख्वाह में होने वाली प्रगति” कुल प्राप्त वस्तु और आर्थिक क्षेत्र में व्यापार की बढोत्तरी”. अब आपने दोनों स्टोरीज को सुना और अपने एक दोस्त को फ़ोन करके बताया कि आपने क्या पढ़ा. तो क्या आप बता सकते है कि आपको कौन सी स्टोरी ज्यादा याद रहेगी ? ज़ाहिर है आप कहेंगे कि पहली वाली क्योंकि वो ज्यादा इंट्रेस्टिंग है जो हमेशा याद रहेगी.एक स्टोरी को यादगार बनाने के 6 प्रिंसिपल है जिसे सक्सेस वर्ड से याद किया जा सकता है। यानि आप ‘S’ से अपने मैसेज से अपने मैसेज को सिंपल बनाये, ‘U’ से अपने मैसेज को अनएक्सपेकटड रखे, ‘C’ से अपने मैसेज को कोंक्रीट, अगले ‘C’ से क्रेडीबल, ‘E’ से मैसेज को इमोशनल रखे और ‘S’ से अपने मैसेज मे स्टोरी डाले. SUCCESS WORD ME में वैसे तो एक और ‘s’ आता है लेकिन लास्ट वाला ‘S’ से कोई प्रीसीपल नही है।
चैप्टर 1: सिंपल
एक आर्मी के पास लड़ाई के मैदान में जीतने के लिए एक शानदार प्लान हो सकता है फिर भी वो हार सकती है लेकिन ऐसा क्यों होता है? वो इसलिए क्योंकि ये प्लान काम नहीं करते है. प्लानिंग से सोल्ज़ेर्स को एक फील मिलती है कि कुछ तो प्लान किया गया है मगर सिर्फ इसके सहारे वो लड़ाई नहीं जीत सकते है. इसके पीछे वजह ये है कि बेशक उनके पास कोई परफेक्ट प्लान होगा मगर असली मायने में जब लड़ाई होती है तो उस वक्त कभी भी कुछ ऐसा हो सकता है जो उनके प्लान की धज्ज़िया उड़ा सकता है. जैसे कि उनका कोई बड़ा ज़रूरी एस्सेट डिस्ट्रॉय हो गया या फिर दुश्मन ने कोई सरप्राइज़ चाल चल दी.
तब सोल्जेर्स प्लान इग्नोर करके अपने इंस्टिंक्ट के हिसाब से एक्ट करेंगे. वैसे किसी भी अनप्रेडिक्टेबल खतरनाक हालात में कोई प्लान मुश्किल से ही काम करता है. कहने का मतलब है कि आपको अपने मैसेज को सिम्पल रखना पड़ेगा दुसरे शब्दों में कहे तो आपको आईडिया का मैन मैसेज, कोर मैसेज मालूम होना चाहिए ताकि जैसे भी वो कोर मैसेज पता हो वो उस कोर मैसेज के एकार्डिंग अपने प्लानस चेंज करता रहे।अब आईडिया का कोर पता करने के लिए आपको फ़ालतू के आईडियाज़ हटाने पड़ेंगे, जो कि आसान है……. मुश्किल है तो उन इम्पोर्टेंट आईडियाज़ को रिमूव करना जो मोस्ट इम्पोर्टेंट नहीं है. मगर आपको केयरफुल रहना पड़ेगा कि आप मोस्ट इम्पोर्टेंट आईडिया को ना हटा दे. अब कोर message tayaar karne के लिए दो स्टेप्स ये है :
पहला स्टेप: कोर मालूम करे
स्टेप दूसरा: सक्सेस SUCCESS चेकलिस्ट (यानी simple, unexpected, concrete, credible, emotional, और stories) को यूज़ करके कोर को ट्रांसलेट करे इसका एक उदाहरण लेते है :-साउथ वेस्ट एयरलाइन एक सक्सेसफुल कम्पनी है, कैसे वे इतने सक्सेस फुल बने? वे अपने आईडिया के कोर तक पहुंचे जो था “द लो फेयर एयरलाइन यानी सबसे सस्ती एयरलाईन, 1996 में उनको 5,444 ओपनिंग्स के लिए 124,000 अप्लिकेशन्स मिली, अब सवाल ये है कि कोई भी ऐसे कंपनी में क्यों काम करना चाहेगा जिसका मेन आईडिया ही कोस्ट रीड्युस करना हो? इसका ज़वाब ये है कि उनका मेन आईडिया कोस्ट रीड्युस करना है मगर उनका सेकंड आईडिया है कि उनके एम्प्लोयीज़ हंसी-ख़ुशी काम करे,
एम्प्लोयीज़ को पूरी छूट है कि वे अपने इंस्टिंक्ट के हिसाब से चले जैसे कि अगर किसी फ्लाईट अटेंडेंट के बर्थ डे वाले दिन उसके साथ थोडा सा हंसी मज़ाक कर लेना. क्योंकि इस सबसे कम्पनी की लो फेयर वाली एयरलाइन की इमेज को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. तो क्या उस पर थोडा colored paperz वगैरह फेंकना ठीक है? बिलकुल नहीं, क्योंकि इससे क्लीनिंग में एक्स्ट्रा टाइम बर्बाद होगा जिसका मतलब होगा हायर फेयर और ये उनके कोर मैसेज से मेल नही खाता क्योकि उनका कोर मैसेज है “ सबसे सस्ती एयरलाईन. तो मेरे दोस्त ऐसे साउथ वेस्ट को अपना कोर आईडिया मिला.
ज्यादा कोम्प्लेक्सिटी से लोग बेकार की चीज़े चुन लेते है और क्रिटिकल चीजों को छोड़कर उन्हें अपनी प्रायोरिटी बना लेते है दूसरा स्टेप होगा कि सक्सेस की चेकलिस्ट को यूज़ करके कोर को ट्रांसलेट किया जाए. किसी पैराग्राफ को चेक करे जो आपने लिखा हो और 6 प्रिंसिपल को लेकर एक चेकलिस्ट बनाये जिसके बारे में हमने पहले बात की.पैराग्रफ को फिर से पढ़े, उसे इवेल्युवेट करे और अगर आपको लगता है कि अगर आपने कोई प्रीसिंपल छोर दिया है तो पैराग्राफ फिर से लिखे.
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चैप्टर 2: अनएक्सपेक्टेड
“डैनियल मेरी तरफ देखो”! फादर ने अपने बच्चे से कहा, बच्चो की अटेंशन पाने के लिए परेंट्स ऐसा ही करते है. हालांकि अटेंशन कभी मांगी नहीं जाती. अटेंशन ऐसी कीमती चीज़ होती है जिसे आप मांग नहीं सकते, ये आपको खुद ही मिलती है. और इसे पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. मगर सिर्फ हमेशा अटेंशन पाने की कोशिश में ना लगे रहे, इसमें कुछ फन भी होना चाहिए, इसे एंटरटेनिंग और अटेंशन ग्रेबिंग दोनो होना चाहिए.मान लो जैसे कि आप अपनी क्लास में प्रेजेंटेशन देने की कोशिश कर रहे है, आप खड़े होते है एक बैकफ्लिप करते है और अपना प्रेजेंटेशन देना शुरू करते है. बेशक सब आपको अटेंशन दे रहे है मगर कितनी देर तक ? अगर आपकी प्रेजेंटेशन अटेंशन ग्रेब नहीं करेगी तो ? या फिर आपकी प्रेजेंटेशन इतनी इंट्रेस्टिंग नहीं हुई तो ? लोग बोर होके अपने-अपने फोन निकाल लेंगे और आपकी प्रेजेंटेशन भूल जायेंगे.
यहाँ हम दो सिंपल सवालों पर फोकस करेंगे , पहला ये कि कैसे मुझे लोगो का अटेंशन लेना है और दूसरा कि कैसे वो अटेंशन बनाये रखना है. सरप्राइज़ और इंटरेस्ट ये दो इमोशन हमारे सवाल का ज़वाब है. सरप्राइज़ से हमें अटेंशन मिलती है जबकि इंटरेस्ट से इसे बनाए रखा जा सकता है. अब सरप्राइज़ का एक्जाम्पल लेते है. क्या आपको कार की सीट बेल्ट की ये एड याद है वैसे याद नही होगी क्योकि ये अमेरिकनस की एड थी एनीवेय? सीट बेल्ट को पहन ने के लिये एड तैयार की थी जिसमे एक फेमिली को कार में बैठकर घुमते हुए दिखाया जाता है……….., कि तभी अचानक कहीं से एक ट्रक आता है और उनकी कार से टकराता है.ये एड इस लाइन से खत्म होता था” क्या आपको मालूम था कि ये होगा ? नहीं, कभी नहीं? इस एड को देखकर पहले लगा कि ये किसी कार का एड है. मगर इस एड का असली मकसद था लोगो को ये रीमाइंड कराना कि हर बार जब आप कार में बैठे तो अपनी सीट बेल्ट पहनना ना भूले. ये एड सबकी इसलिये याद है क्योंकि इसमें सरप्राइज़ और इंटरेस्ट दोनों ही है. अगर सरप्राइज़ में कोई काम की बात ना हो तो ये बेकार है.
2000 में एक एड आता था जिसमे सुपर बाउल की टीम को एक फील्ड में दिखाया जाता था बहुत बढ़िया तरीके से खेलते हुए कि तभी कैमरा ज़ूम्स आउट करता है और भेड़ियों का एक बड़ा सा झुण्ड नज़र आता है जो अचानक से आकर टीम पर अटैक करता है और पूरी टीम के टुकड़े-टुकड़े कर देता है. बेशक ये एड बड़ा सरप्राइज़इंग था मगर इसका कोई मतलब नहीं बनता था. लोगो को ये एड आज तक याद है मगर इस एड का मतलब क्या था ये किसी को समझ नहीं आया क्योंकि इसमें कोई कोर मैसेज नहीं था. एक behaviour इकोनोमिस्ट जोर्ज लोविन्स्टन ने कहा था कि किसी चीज़ को किसी के लिए इंट्रेस्टिंग बनाना बहुत सिंपल है, आपको बस उस इंसान को क्यूरियस करना है यानी एक मिस्टरी create करनी है और वो इंसान तभी क्यूरियस होगा जब उसे फील होगा कि उसकी नॉलेज में कोई गेप है और इसी को उन्होंने गेप थ्य्रोरी ऑफ़ क्यूरियोसिटी का नाम दिया है.
इसी गेप थ्योरी ऑफ़ क्यूरियोसिटी की वजह से हमें मूवीज इंट्रेस्टिंग लगती है क्योंकि लोग यही सोचते rehte है कि “ अब क्या होगा’? इसी वजह से ही लोगो को मिस्ट्री नॉवेल्स अच्छे लगते है क्योंकि नॉवेल उनसे पूछता है कि “ये किसने किया” ? Mystery ek खुजली की तरह है जिसे खुजाए बिना आपको चैन नहीं पड़ता है. एक्जाम्पल के लिए किसी बुक को समराइज़ करने में अगर आप अपने audience को सब कुछ बिना mystery के बता देंगे तो आपका मैसेज उन्हे नही याद रहने वाला। अब अगर आप चाहते है कि ये उनके दिमाग में चिपक जाये तो आपको उनकी नॉलेज में ये गैप उन्हें फील कराना पड़ेगा ताकि वो और ज्यादा जानने के लिए क्यूरियस हो जाए.