(hindi) Ligeia

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अपने ज़ेहन पर ज़ोर देने के बावजूद मुझे ठीक ठीक याद नहीं कि कब, कैसे और कहाँ पहली बार लेडी लाइजिया से मेरी मुलाक़ात हुई थी. बहुत लंबा समय बीत चुका है और गहरे दुःख की वजह से मेरी याददाश्त कमज़ोर हो गई है या शायद मुझे ध्यान ही नहीं है क्योंकि हकीकत में मेरी प्यारी पत्नी का character, उसकी बुद्धिमानी, मंत्रमुग्ध कर देने वाली अद्भुत सुंदरता, बेचैन और मोहित कर देने वाली मधुर आवाज़, अलग अंदाज़ में बात करने की कला जो दिल जीतने की ताकत रखता था इन सभी चीज़ों ने ना जाने किस अनजान रास्ते से मेरे दिल में जगह बना ली थी कि मुझे पता ही नहीं चला. फिर भी मेरा मानना है कि मैं राइन के पास एक बड़े, पुराने, खस्ताहाल शहर में उससे पहली बार मिला था.

लाइजिया!लाइजिया प्रकृति में दफ़न, सिर्फ़ इस मीठे शब्द लाइजिया के लिए मैं अपनी कल्पना से अपनी आखों के सामने उसकी वो मनोरम छवि रखने जा रहा हूँ जो अब इस दुनिया में नहीं है और अब जब मैं लिख रहा हूँ तो मुझे याद आ रहा है कि मुझे उसके पिता या परिवार के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है. वो जो मेरी दोस्त, मेरी मंगेतर बनी, मेरी साथी और पत्नी बनी मुझे उसके बारे में ज़्यादा मालूम ही नहीं है.

क्या ये मेरी लाइजिया की कोई चंचलता थी या ये मेरे प्यार के ताकत की परीक्षा कि मैंने उसके बारे में उससे कभी कुछ नहीं पूछा? या ये मेरी कोई सनक थी – एक भावुक और बेतहाशा मोहब्बत का तोहफ़ा जो मैंने उसकी मूरत के सामने ख़ुद को समर्पित कर दिया था? लेकिन मैं असल में इस बात को याद करने की कोशिश कर रहा हूँ – कितने आश्चर्य की बात है कि मैं उन परिस्थितियों को पूरी तरह से भूल गया हूँ जो उस वक़्त पैदा हुई थी और सच में अगर वो भावना जिसे इश्क़ और मोहब्बत कहा जाता है – और जैसा कि लोग कहते हैं- धुंधले मुरझाए पंख वाली egypt की वो देवी जो किसी भी शादी की बुरी किस्मत में एक अपशगुन की तरह आती है- वो अगर सच में मौजूद है तो वो ज़रूर मेरी शादी में आई होगी.

हालांकि, एक बड़ा ही प्यारा किस्सा है जो कभी मेरी यादों में धुंधला नहीं होता. वो ख़ुद लाइजिया है. वो कद काठी में लंबी और दुबली पतली थी लेकिन अपने आखरी दिनों में कुछ ज़्यादा की कमज़ोर हो गई थी. मैं बेकार ही उसकी शानदार पर्सनालिटी, उसके चाल चलन और व्यवहार की सरलता, उसके हल्के मगर तेज़ क़दमों की आहट के बारे में बताने की कोशिश कर रहा हूँ क्योंकि वो एक साए की तरह आई थी और एक साए की तरह ही चली गई.

मुझे अपने बंद स्टडी रूम में उसके आने का एहसास तक नहीं होता था, एहसास तब होता था जब वो अपने गाने की धुन जैसी मीठी आवाज़ में बोलती थी और अपने संगमरमर जैसे हाथ मेरे कंधे पर रखती थी. उसकी सुंदरता की बराबरी इस दुनिया की कोई औरत नहीं कर सकती. उसकी ख़ूबसूरती किसी अलग ही सांचे में ढली हुई थी जैसे भगवान् में बड़ी फ़ुर्सत में उसे बनाया हो.

बेकन, लॉर्ड वेरुलम कहते हैं, “कोई भी शख्स अति सुंदर नहीं होता, उसके चेहरे में कहीं ना कहीं कुछ कमी ज़रूर होती है.” हालांकि, मेरा मानना था कि उसकी सुंदरता सच में अद्भुत थी और मैंने महसूस भी किया कि उसमें कुछ अजीब और अनोखा भी मिला हुआ था फ़िर भी मुझे उसमें कोई कमी दिखाई नहीं दी. मैंने उसके ऊँचे और खूबसूरत माथे को गौर से देखा– उसमें कोई कमी नहीं है. “कमी”, ये शब्द एक अप्सरा की सुंदरता में इस्तेमाल करने से जैसे उसमें दाग लगा देता है.

उसकी चमड़ी की चमक के आगे सबसे कीमती हाथी दांत की चमक भी फ़ीकी लगती थी, उसके काले घने बालों की घुंघराली लटें, उसके नाक की रूपरेखा, उसके होंठ गुलाब की तरह कोमल, उसके दांतों की चमक, चौंका देने वाली उसकी शानदार मुस्कराहट जो लगता था किसी पवित्र रौशनी के पड़ने से और भी हसीन हो गई हो, उसके गालों पर पड़ने वाले गड्ढे, उसके चेहरे की कोमलता और फ़िर मेरी नज़र उसकी बड़ी-बड़ी आँखों पर पड़ी. शायद मेरी प्रेमिका के इन आँखों में वो राज़ छुपा था जिसका लार्ड वेरुलम ज़िक्र कर रहे थे.

उसकी आँखें आम लोगों से ज़्यादा बड़ी थीं. कभी-कभी excitement के पलों में उसकी आँखों की सुंदरता और बेहतर तरह से दिखाई देती थी. ऐसे पलों में उसकी सुंदरता इस धरती और दुनिया से परे लगने लगती थी मानो वो यहाँ की थी ही नहीं. आह! लाइजिया की आँखों के हावभाव, वो जिस तरह उसे एक्सप्रेस करती थी, ना जाने मैंने इस पर कितने लंबे समय तक विचार किया है, उसकी गहराई को नापने की, उसे समझने की कोशिश की है. वो क्या था जो मेरी प्रेमिका की आँखों की गहराई में छुपा हुआ था? मुझ पर वो राज़ जानने का जुनून सवार हो गया था. वो आँखें, बड़ी चमकती हुई! मैं जैसे एक भक्त की तरह उनमें समर्पित हो गया था.

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लंबे समय से भूली किसी बात को याद करने की हमारी कोशिश में, हम अक्सर उस किनारे तक पहुँच जाते हैं जब हमें सब दोबारा याद आ सकता है, लेकिन अंत में हमें कुछ याद नहीं आता. और इस तरह कई बार लाइजिया की आँखों को समझने की कोशिश में, मैंने महसूस किया कि मैं कई बार उसे समझने के बहुत क़रीब पहुँच गया हूँ और फ़िर अंत में सब मुझसे दूर हो जाता था, मैं कुछ समझ ही नहीं पाता था.

मेरे कहने का मतलब है कि उस समय के बाद जब लाइजिया की सुंदरता मेरी आत्मा में किसी मंदिर में मूरत की तरह बसने लगी तो जब वो मेरे आस पास होती थी तब मैंने एक भावना को महसूस किया जब. फ़िर भी मैं उस भावना को समझा नहीं सकता. मैंने सिर्फ़ उसे महसूस किया है, टूटते तारों में, समंदर की गहराई में, बुजुर्गों की झलकियों में. दूरबीन से देखने पर आसमान में उन दो तारों को देखने से भी मुझे ये महसूस हुआ है.

लंबे समय के साथ ने मुझे ये एहसास दिलाया कि जितनी भी औरतों को कभी मैंने जाना है, उनमें से किसी भी तुलना लाजिया से नहीं की जा सकती. वो सबसे अलग थी. लाइजिया बाहर से शांत दिखती थी लेकिन उसके अंदर जुनून का एक ज्वालामुखी भरा था और इस तरह के जुनून का मैं कोई अंदाज़ा ही नहीं लगा सकता था. उन आँखों का एक चमत्कार की तरह बड़ा हो जाना, जो मुझे एक ही वक़्त में बहुत ख़ुश और चकित दोनों कर देते थे, – उसकी आवाज़ की जादुई मिठास, उसमें उतार चढ़ाव और हाई एनर्जी थी, जिसे वह आदतन बोलती थी.

मैं लाइजिया के नॉलेज के बारे में बताना चाहूंगा – उसे बहुत गहरा ज्ञान था. वो ख़ूबसूरती और बुद्धिमानी की अद्भुत मिसाल थी. क्लासिकल जुबान में उसे महारथ हासिल थी और जहां तक मेरे जान पहचान के लोगों ने यूरोप की भाषाओं के बारे में बताया है, मैंने लाइजिया को कभी गलती करते नहीं देखा. किसी भी टॉपिक पर उसकी नॉलेज किसी को भी हैरान कर सकती थी. कितनी अजीब बात है कि मेरी पत्नी की ये सबसे दिलचस्प ख़ूबी पर आज इतने लंबे समय बाद मेरा ध्यान जा रहा है.

मैं तब ये सब नहीं देख पाया था जो आज मैं साफ़-साफ़ देख पा रहा हूँ कि लाइजिया की अचीवमेंट कितनी बड़ी थी, आश्चर्यचकित करने वाली थी; उसने मुझे अपने साइंस, लिटरेचर और फिलोसोफी के नॉलेज से चकित कर दिया था. मुझे एक बच्चे की तरह उस पर पूरा कॉन्फिडेंस हो गया था, वो मुझे मेरे काम में गाइड करती थी. मैं अपने काम में अपनी शादी के शुरूआती सालों में बहुत मसरूफ़ था.

लाइजिया के बिना मैं एक अनाड़ी बच्चे की तरह था जो अँधेरे से घिरा हुआ था. उसकी मौजूदगी, उसके पढ़ने के तरीके ने , सुपरनैचुरल दुनिया के कई रहस्यों को जिंदा रूप से पेश कर दिया था, जिसमें हम डूबे हुए थे. जिंदा होने का क्या मतलब होता है, हमने इस टॉपिक पर भी बहुत बातचीत की. जो हमें दिखता है क्या वो हकीकत है या सिर्फ़ सपना, हम इस तरह की बातों पर चर्चा करते थे.

समय के साथ लाइजिया बीमार पड़ने लगी. उसकी आँखों की चमक, सुरीली और सुनहरी आवाज़ जैसे बेजान और नीरस होने लगी थी. उसकी आँखों की पुतलियाँ तेज़ चमक के साथ धधक रही थीं; पीली उंगलियां कब्र के आर पार दिखने वाले मोम के रंग की हो गईं थीं; और उसके चौड़े माथे पर नीली नसें दिखने लगीं थीं. मैंने देखा कि वो मर रही थी.

मुझे सबसे ज़्यादा आश्चर्य तो ये देख कर हुआ कि मेरी पत्नी जिसमें जुनून कूट-कूट कर भरा था उसके संघर्ष में मुझ से भी ज़्यादा जोश और हिम्मत थी. उसके कठोर स्वभाव ने मुझे ये विश्वास दिलाया था कि जब उसे मौत आएगी तो लाइजिया को डरा नहीं पाएगी लेकिन मैं गलत था. शायद किसी शब्द में उतनी ताकत नहीं जो ये बता सके कि वो कितनी बहादुरी से मौत के साए से लड़ रही थी. मैं उसकी ये दयनीय हालत देखकर दर्द से कराह रहा था.

शायद मैं उसे हकीकत बताता, कारण देता लेकिन उसके जीने की गहरी इच्छा को देखकर कोई भी कारण या तसल्ली देना बेवकूफ़ी लग रही थी. उसकी आवाज़ और ज़्यादा कोमल और धीमी हो गई थी.

मुझे शक नहीं करना चाहिए था कि वो मुझसे प्यार करती थी और मुझे आसानी से पता चल जाता कि, उसके प्यार में, कोई आम जुनून नहीं था. लेकिन सिर्फ़ मौत के समय मैं उसके प्यार की ताकत से पूरी तरह इम्प्रेस हुआ था. वो मेरे सामने अपने दिल में भरे ज़ज्बातों को कह पाएगी, ये मैंने सोचा नहीं था. उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं उससे जितना प्यार करता था वो भी मुझसे उतना ही प्यार करती थी. क्या मैं इसे दुआ कहूं कि मैं अपने लिए प्यार भरे ज़ज्बात सुन रहा था या बद्दुआ कहूं क्योंकि मेरी प्रेमिका मुझसे दूर जाने वाली थी. मुझे सिर्फ़ इतना कहना है कि उसके जीने की गहरी इच्छा को मैं अब समझ पा रहा था जो उससे धीरे-धीरे दूर जा रही थी.

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