(hindi) JUST LISTEN : Discover The Secret To Getting Through To Absolutely Anyone
इंट्रोडक्शन ( Introduction)
क्या आप लोगो से बात करने में डरते है? किसी बात को कहने से पहले उसे सौ बार अपने दिमाग में रटना क्या आपकी आदत है? ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोग इतनी आसानी से किसी के सामने खुलते नहीं, उनके बात करना दुनिया का सबसे मुश्किल काम लगता है ? ये लोग हमारे आस-पास ही होते है, जैसे कोई प्रोब्ल्मेटिक पेरेंट जो आपको सिर्फ एक नजर डालकर चुप करा सकते है, या कोई कलीग जो आपकी हर बात तुरंत काट देता है. सच तो ये है कि इस टाइप के लोगो से हमारा सामना आये दिन होता है. और इनसे बात करना काफी फ्रस्टरेटिंग लग सकता है लेकिन इस प्रोब्लम का सोल्यूशन है जो आपको इस बुक में मिलेगा. असल में ऐसे लोग जिनसे बात करना मुश्किल होता है, इन्हें बस कोई सुनने वाला चाहिए, एक ऐसा लिस्नर जो इन्हें बड़े सब्र के साथ सुन सके.
इस बुक में आप सीखोगे कि दूसरों की बात सुनना भी उतना ही इम्पोर्टेंट है जितना कि अपने दिल की कहना. आप किसी की बाते सुनकर ही उसके दिल से कनेक्ट कर सकते हो. इस बुक में आप थोडा बहुत ब्रेन के बारे में भी सीखोगे और ये भी पढोगे कि क्यों कुछ लोगो से कम्यूनिकेट करना एक डिफिकल्ट टास्क लगता है. और आप ये भी सीखोगे कि स्ट्रेसफुल सिचुएशन में खुद पर कण्ट्रोल कैसे रखना है ताकि आप लोगो की हेल्प कर सके. ये थोडा क्रूशियल है क्योंकि ऐसे लोगो से बात करते वक्त खुद पे कण्ट्रोल करना मुश्किल होता है. क्योंकि जो लोग आसानी से किसी से खुलते नहीं उनके सोच समझ कर सब्र के साथ बात करनी पड़ती है वरना सारी कम्यूनिकेशन इनइफेक्टिव रहेगी. तो क्या आप भी अपनी कम्यूनिकेशन स्किल इम्प्रूव करने के लिए रेडी है ?
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व्हू इज़ होल्डिंग यू होस्टेज (Who’s Holding You Hostage?
जिस वक्त आप ये समरी पढ़ रहे होंगे उस वक्त भी दुनिया में कोई न कोई इन्सान किसी न किसी प्रोब्लम से जूझ रहा होगा. यहाँ तक कि आप भी जो अभी किसी मुश्किल में फंसे होंगे, ऑफिस का कोई इश्यू, घर की प्रोब्लम या फिर आपकी सोशल लाइफ, हर जगह कुछ न कुछ प्रोब्लम चलती रहती है. आपने पहले भी कई सारे कोनफ्लिक्ट सोल्व किये होंगे लेकिन कुछ ऐसी प्रोब्लम्स भी होती है जो हमसे सोल्व नही होती. और फिर हमे बेहद गुस्सा आता है, फ्रस्ट्रेशन होती है, हम होपलेस फील करते है क्योंकि कई बारे सामने वाला इंसान इतना रेजिस्टेंट और जिद्दी होता है कि उसे समझना हमारे बस से बाहर हो जाता है. लेकिन बात अगर प्रोब्लम सोल्व करने की हो तो इस बुक के ऑथर मार्क गौल्सटोन के पास एक स्पेशल टेलेंट है. मार्क के मेथड्स काफी इफेक्टिव भी है. चाहे लोग उनसे दूर जाने की कितनी भी कोशिश करे पर मार्क उन्हें अपनी तरफ खींच ही लेते है.
इसे अच्छे से एक्सप्लेन करते है. मान लो आप एक ऐसी रोड पर ड्राइव कर रहे हो जो अपहिल यानी ऊपर की तरफ जा रही है. अब आप जानते हो अपहिल में ड्राइव करना मुश्किल होता है, गाडी बार-बार स्लिप होती है. हालाँकि जब आप एकदम चोटी पर पहुँच कर डाउनहिल आने लगते हो तो ड्राइव करना ईजी हो जाता है. तो लोगो को अप्रोच करना भी कुछ-कुछ अपहिल में ड्राइव करने जैसा है. आप उन्हें कन्विंस करने की कोशिश करते हो, उन्हें एंकरेज करते हो पर आप उन्हें जितना ही पुश करते हो वो आपसे उतना ही दूर जाते है. तो मार्क का मेथड यहाँ एकदम अपोजिट है. उन्हें कुछ बोलने के बजाए उनकी बाते सुनो, रिफ्क्लेट करो और फिर सवाल पूछो. यही एक मेथड है जो उन्हें फील कराएगा कि उनकी बात सुनी और समझी जा रही है. और फिर वो लोग आपके पास खुद चले आयेंगे.
हम यहाँ फ्रेंक का एक्जाम्पल ले सकते है जिससे कम्यूनिकेट करना एक डिफिकल्ट टास्क है. फ्रैंक एक मॉल के पार्किंग लोट में अपनी कार में बैठा था. उसके हाथ में एक शॉटगन थी जो उसने अपने गले पर लगा रखी थी. स्वाट (The SWAT) टीम उससे बात करने की कोशिश कर रही थी कि कहीं वो ट्रिगर ना दबा दे पर फ्रैंक उनकी कोई बात सुनने को तैयार ही नही था. वो चीख रहा था और सबको अब्यूज़िंग वर्ड्स बोल रहा था. स्वाट टीम ने जब फ्रैंक का बैकग्राउंड चेक किया तो उन्हें पता चला कि वो क्यों सुसाइड करना चाहता था. करीब 6 महीने पहले अपने को-वर्कर्स और कस्टमर्स के साथ रूड बिहेव करने की वजह से जॉब से निकाल दिया गया था.
फ्रैंक ने दूसरी जॉब ढूँढने की कोशिश की थी पर उसे जॉब नही मिली. यही नहीं वो बात-बात पर अपनी फेमिली पर भी गुस्सा करता था, उसके इसी गुस्सैल बिहेवियर के चलते उसकी वाइफ दोनों बच्चो को लेकर अपने पेरेंट्स के घर चली गयी. फ्रैंक अपने फ्लैट का रेंट नहीं दे पाया तो फ्लैट ओनर ने उसे धक्के मारकर निकाल दिया. मजबूरी में उसे एक छोटे से गंदे रूम में रहना पड़ रहा था. अब वो एकदम अकेला रहता था. उसे अपनी साफ़-सफाई और खाने-पीने का भी होश नहीं था. इन सब वजहों से फ्रैंक की हालत और भी बदतर होती चली गयी थी. वो आज इस कंडिशन में पहुँच गया था कि कार में बैठकर शॉटगन से अपनी जान लेने जा रहा था.
जब स्वाट टीम के लेफ्टिनेंट ने फ्रैंक से बात करने की कोशिश की तो फैंक ने उन्हें गालियाँ देनी शुरू कर दी. उसने कहा कि तुम्हे मेरी हालत के बारे में कुछ नही जानते हो इसलिए मुझे अकेला छोड़ दो. तो जब भी लेफ्टिनेंट फ्रैंक से कम्यूनिकेट करने की कोशिश करता, फ्रैंक उसे चुप करा देता और उसे और भी गुस्सा आ जाता था. ये सिलसिला करीब 1 घंटा 30 मिनट चला. फिर नेगोशिएटर क्रमेर को बुलाया गया जो एक होस्टेज नेगोशिएशन ट्रेनिंग से ग्रेजुएट था जिसे ऑथर ने कन्डक्ट किया था. उसने फ्रैंक से बात की.
नेगोशिएटर क्रेमर को फ्रैंक से हमदर्दी थी. उसने फ्रैंक से पुछा “ क्या तुम वाकई में मरना चाहते हो?’ तो फ्रैंक बोला” किसी को क्या फर्क पड़ता है?’ क्रेमर फ्रैंक से बातचीत करते रहे, वो उससे उसकी लाइफ की प्रोब्लम्स पूछ रहे थे. कुछ ही टाइम बाद फ्रैंक शांति से क्रेमर की बाते सुनने लगा. क्रेमर ने फ्रैंक को कन्विंस किया कि वो उसकी सारी प्रोब्लम्स समझते है. जो वो सोच रहा है उस पर यकीन करते है. इस तरह फ्रेंक के थोट्स और क्रेमर के वर्ड्स मैच कर गए जिससे फ्रेंक क्रेमर की बातों पर ध्यान देने लगा था.
सच तो ये है कि आप लगातार किसी को पर्सुएड करने की कोशिश कर रहे हो. शायद आप काफी टाइम से किसी फ्रेंड को स्मोकिंग छोड़ने के लिए बोल रहे हो या किसी को अपने लिए कुछ लेने के लिए कन्विंस कर रहे होगे या फिर किसी को डेट पे ले जाने या ऑफिस में बॉस को इम्प्रेस करने में लगे होंगे. पर किसी को पर्सुएड करना इतना ईज़ी नही होता क्योंकि हम सबका एक अलग एजेंडा होता है, अपनी नीड्स और डिजायर्स होती है.
यहाँ तक कि किसी को पूरी तरह कन्विंस करना इम्पॉसिबल है फिर भी थोड़ी बहुत होप बचती है लेकिन आपको ऑथर के हिसाब से अपनी अप्रोच में चेंज लाना पड़ेगा. किसी से हाँ बुलवाने के लिए आपको पर्सुएशन साइकिल के इन स्टेप्स से होकर गुजरना होगा.
• फ्रॉम रेजिस्टिंग टू लिस्निंग (From RESISTING to LISTENING
• फ्रॉम लिस्निंग टू कंसीडरिंग (From LISTENING to CONSIDERING
• फ्रॉम कंसीडरिंग टू विलिंग टू डू (From CONSIDERING to WILLING TO DO
• फ्रॉम विलिंग टू डू टू डूइंग (From WILLING TO DO to DOING
• फ्रॉम डूइंग टू बीईंग From DOING to BEING GLAD THEY DID and CONTINUING TO DO.