(Hindi) India 2020

(Hindi) India 2020

परिचय (Introduction)

ये बुक सबसे पहले 1998 में पब्लिश हुई थी. डॉक्टर कलाम को उम्मीद थी कि 2020 तक इण्डिया एक डेवलप कंट्री बन जाएगा. इसका मतलब है हमे देश से गरीबी को पूरी तरह से हटाना होगा और हर सेक्टर में सेल्फ स्फिशियेंट बनना होगा. एग्रीकल्चर की फील्ड में इण्डिया के हर आदमी को भरपेट खाना मिले और साथ ही हम अनाज एक्सपोर्ट भी कर सके. मेन्यूफेक्चरिंग के फील्ड में भी हम मशीनरी और टूल्स प्रोड्यूस कर सके. डॉक्टर कलाम और टीआईऍफ़एसी यानी टेक्नोलीजी इन्फोर्मेशन, फोरकास्टिंग एंड एस्सेसमेंट काउंसिल ने हर तरह की टेक्नोलोजी को स्टडी किया था जो हमारे देश को एक डेवलप नेशन की कैटेगरी में रख सके.

इस बारे में उन्होंने कई सारी रिपोर्ट्स और सजेशन्स भी पब्लिश किये थे कि हम अपना ये गोल कैसे अचीव कर पायेंगे. तब से 20 साल गुज़र चुके है. लेकिन क्या हम बोल सकते है कि आज हमारा देश एक डेवलप नेशन है? क्या देश के हर नागरिक को हेल्थ केयर, एजुकेशन, और एम्प्लोयमेंट जैसी बेसिक फेसिलिटीज प्रोवाइड कर पाए है ? क्या कंट्री के हर सेक्टर में इन्डियन मेड टेक्नोलोजी यूज़ की जा रही है? आज हमारे देश में इकोनोमी की हालत क्या है? क्या हम हर गरीब और लाचार आदमी के आंसू पोछने का महात्मा गांधी का सपना पूरा कर पाए है?

अगर आज भी हमारे गोल्स अचीव नहीं हो पाए है तो कहीं ना कहीं कुछ कमी है जो हम प्रोग्रेस नहीं कर पा रहे. 1998 से देश में काफी डेवलपमेंट हुई है. हम बोल सकते है कि आईटी के सेक्टर में बूम आया, मार्किट में ई-कोमर्स कंपनीज का बोलबाला रहा और गोल्डन क्वाड्रीलेटरल के आने से ट्रेडिंग और बिजनेस के फील्ड में फेनोमोनेल चेंजेस आये है और इसके अलावा भी काफी कुछ बदला है. लेकिन ये तो सिर्फ शुरुवात है, अभी काफी काम बाकि है. हम सबको मिलजुलकर देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाना है. जब हम खुद पर पूरी तरह से डिपेंडेंट होंगे, तब तक जाकर देश के हर नागरिक को एक हेप्पी, सेफ और हेल्थी लाइफस्टाइल प्रोवाइड करा पाएंगे.

क्या इण्डिया एक डेवलप कंट्री बन पायेगा? Can India Become a Developed Country?

केन इण्डिया बिकम अ डेवलप्ड कंट्री?

किसी कंट्री को डेवलप कैसे मान लिया जाता है? हाई ग्रोस नेशनल प्रोडक्ट यानी जीएनपी से या हाई ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी जीडीपी के बेस पर? क्या इंटरनेशनल वोल्यूम ऑफ़ ट्रेड से या फिर फॉरेन एक्सचेंज रीज़ेर्व्स के बिहाफ पे? या फिर देश में पर कैपिटा इनकम के बेस पर? वैसे ये इकोनोमिक इंडीकेटर्स सिग्नीफिकेंट रोल प्ले करते है, लेकिन इससे पूरी पिक्चर क्लियर नहीं होती.जीडीपी या जीएनपी में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है लेकिन आम आदमी भी ऐसा ही सोचता है? क्या उसकी लाइफ स्टाइल में कोई इम्प्रूवमेंट आया है?

एपीजे अब्दुल कलाम जब डिफेंस रीसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेट्री, हैदराबाद में काम कर रहे थे तो उनकी मुलाकत तीन फादर्स से हुई जिनसे उन्होंने काफी कुछ सीखा. उनमे से एक दो बेटों और एक बेटी के फादर वेंकट थे. वेंकट के तीनो बच्चे ग्रेजुएशन कर चुके थे और जॉब कर रहे थे. इसी तरह एक और फादर थे कप्पू जिनके तीन बेटे थे. वो एक रेंटेड अपार्टमेंट में रहते थे और अभी उनका एक ही बेटा ग्रेजुएट हुआ था. और तीसरे थे करुप्प्न जिनके एक बेटा और दो बेटियां थी. करुप्प्न पार्ट टाइम जॉब कर रहे थे.

उनका कोई भी बच्चा स्कूल नहीं जाता था. तो सिर्फ वेंकट के पास ही क्यों एक रिलाएबल जॉब थी जिससे उनके तीनो बच्चो की पढ़ाई का खर्चा चल रहा था? क्या गुड एजुकेशन और हेल्थकेयर पर सबका हक नहीं है? क्या रोटी, कपड़ा और मकान आम आदमी के बेसिक राइट नहीं है? चलिए एक इकोनोमिक इंडिकेटर पर नज़र डालते है. पर कैपिटा इनकम का मतलब है कि एक सिटीजन के पास कितना रुपया पैसा है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि सबके पास इक्वल अमाउंट ऑफ़ मनी हो. पर कैपिटा इनकम आलरेडी पूअर और रिच का एवरेज है.

इसलिए स्टेटिसस्टिक कितने भी इम्प्रेसिव लग रहे हो, इससे हम ये नहीं बोल सकते कि लोगो की क्वालिटी ऑफ़ लाइफ में कुछ बदलाव आया है. तो हम ये कैसे श्योर कर सकते है कि देश डेवलप हो रहा है? ये बात कैसे श्योर होगी कि हर एक इंसान को गुड इकोनोमी का फायदा हो रहा है? गांधी जी के पास इसका एक सिंपल और सटीक जवाब था. जब एक भी आदमी को भूख पेट ना सोना पड़े तो समझ जाओ कि देश में लॉन्ग टर्म गुड क्वालिटी ऑफ़ लाइफ है.

जब हर एक इन्डियन की बेसिक नीड्स पूरी होंगी, जब हर बच्चे को स्कूल जाने का मौका मिलेगा और उसका आज और आने वाला कल सिक्योर होगातब हम बोल सकते है कि हम एक एक डेवलप नेशन है. इण्डिया के इंडिपेंडेंस के वक्त एपीजे अब्दुल कलाम एक टीनएजर थे. वो अपने भाई को सुबह न्यूज़पेपर बांटने में हेल्प करते थे. एपीजे ने न्यूज पेपर में पढ़ा कि दिल्ली में आजादी का जश्न मनाया जा रहा है. सारे पोलिटिकल लीडर्स इन्डियन गवर्नमेंट की जीत की ख़ुशी मना रहे थे..

लेकिन इस सारे शोरशराबे से दूर फादर ऑफ़ द नेशन गांधीजी नथाली में थे. वो दंगे में घायल लोगो की हेल्प कर रहे थे, उनके घावो में मरहम लगा रहे थे. आज इण्डिया को गांधी जी जैसे लोगो की बड़ी ज़रुरत है जिनमे इतनी हिम्मत और डेडीकेशन हो. ग्लोबलाइजेशन के चलते हमारा रास्ता और भी चेलेंजिंग हो गया है. सिंपल तरीके से बोले तो ग्लोबलाइजेशन का मतलब है कि हमे वर्ल्ड इकोनोमी के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना होगा. सच तो ये है कि आज भी कुछ डेवलप कंट्रीज अपने से कम डेवलप देशो को अपने कण्ट्रोल में रखना चाहती है.

इसलिए इण्डिया जैसे देश को आज अपनी नेशल सिक्योरिटी स्ट्रोंग बनानी होगी. ये सिर्फ मिलिट्री डिफेंस का इश्यू नहीं है. नेशनल सिक्योरिटी में इकोनोमिक सिक्योरिटी, फ़ूड सिक्योरिटी और हेल्थ और बाकी चीज़े भी शामिल है. देश को सही मायनों में डेवलप बनने के लिए सेल्फ डिपेंडेसी ज़रुरी है जिससे कि उसमें रहने वाले हर इंसान की ज़रूरते पूरी हो सके.

इण्डिया 20-20 हमे एक ऐसे इण्डिया की पिक्चर दिखाता है जो मॉडर्न टेक्नोलोजी के साथ डेवलप बनेगा. इसके लिए हमे सर्विस, हेल्थ, एग्रीकल्चर और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे हर सेक्टर में इम्प्रूव करना होगा. हमे सेल्फ रिलाएंट बनना होगा. हमारा गोल है कि हम अपनी ज़रूरत की हर मशीन और टूल्स अपने ही देश में बनाये. डॉक्टर एपीजे कलाम के हिसाब से हमें अपने देश से गरीबी को पूरी तरह हटाने में अभी टू डिकेड्स और लग सकते है. लेकिन अब जब 2020 आने ही वाला है तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हम सही राह पर चल रहे है. इस बुक समरी में हम आपको बताएँगे कि इंडिपेंडेस से लेकर अब तक इण्डिया ने कितना कुछ हासिल किया है.

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एवोल्यूशन ऑफ़ टेक्नोलोजी विजन 2020 (Evolution of Technology Vision 2020)

गाँधी जी के टाइम पर इण्डिया के सामने अपनी फ्रीडम अचीव करने का बहुत बड़ा चेलेंज था जो उसने किया. 50 साल बाद अब हमारे सामने ये एक चेलेंज है कि हम अपनी कंट्री को एक डेवलप्ड नेशन बनाये. हमने शुरू से ही प्रोग्रेस के लिए दुसरे देशो का फ्रेमवर्क कॉपी किया है. बात चाहे इकोनोमी की हो या पॉलिसीस, ट्रेड आईडियाज, इंडस्ट्री और टेक्नोलोंजी की, हम आज तक वेस्टर्न कंट्रीज की नकल ही करते आये है. डिफरेंट कल्चर की चीज़े सीखना कोई गलत बात नहीं है बल्कि ब्लाइंडली दूसरो को फोलो करना गलत है.

एक टाइम था जब इण्डिया में फॉरेन की हर चीज़ कॉपी की जाती थी. हम फॉरेन फ्रेमवर्क को अपनी लाइफ में अप्लाई करने के लिए स्ट्रगल किया करते थे क्योंकि हमे लगता था कि बाहर की हर चीज़ अच्छी है. क्योंकि हमे खुद अपनी काबिलियत पर डाउट था. डॉक्टर कलाम के पास योरोप के कई सारे हाई क्वालिटी वाले मैप्स थे. ये मैप्स काफी सोफेस्टीकेटेड थे जिनमे सेटेलाईट से ली गयी इमेजेस थी. जब वो अपने फ्रेंड्स को बताते कि ये इमेजेस दरअसल इन्डियन रिमोट सेंसिंग सेटेलाईट से ली गयी है तो उनके दोस्तों को यकीन नहीं होता था.

और जब डॉक्टर कलाम उन्हें प्रूव करने के लिए नीचे लिखी क्रेडिट लाइन दिखाते थे तब जाके उनको यकीन होता था. एक और एक्जाम्प्ल है राकेट का इन्वेंशन. ये सच है कि कई सेंचुरीज पहले चाइना में गनपाउडर इन्वेंट हुआ था. 13 वी सेंचुरी में चाइना के लोग इसे फायर एरोज बनाने के लिए यूज़ करते थे. लेकिन ये किसी को नहीं पता था कि वर्ल्ड का सबसे पहला पाउडरड राकेट इण्डिया में बना था. टीपू सुलतान, जिसे टाइगर ऑफ़ मैसूर भी कहा जाता है, ने इन रॉकेट्स को ब्रिटिश इण्डिया कंपनी के खिलाफ लड़ाई में यूज़ किया था.

ये इतने स्ट्रोंग और इफेक्टिव थे कि ब्रिटिश लोगो ने बैटेल्स में इस टेक्नोलोजी को खुद यूज़ करना शुरू कर दिया था. रिमोट सेंसिंग मैप्स और पाउडर रॉकेट्स तो बस एक झलक है कि हम इंडियंस क्या कुछ अचीव नहीं कर सकते. लेकिन उससे पहले हमे इस मेंटेलिटी से छुटकारा पाना होगा जो हमे अपनी कंट्री के इनोवेशंस पर डाउट कराती है. 1988 में टीआईऍफ़एसी यानी टेक्नोलोजी इन्फोर्मेशन, फॉरकास्टिंग एंड एस्सेस्स्मेंट कौंसिल का क्रिएशन हुआ ताकि देश को डेवलप बनाने के लिए जिन टेक्नोलोजी इनोवेशंस की ज़रूरत है, उन्हें डिस्कवर किया जा सके.

लेकिन हमे टेक्नोलोजी में इन्वेस्ट क्यों करना चाहिए? टीआईऍफ़सी कौंसिल इस बात पर एग्री हुई कि प्रोग्रेस का सबसे छोटा लेकिन मोस्ट इफेक्टिव तरीका यही है कि हम टेक्नोलोजी पर इन्वेस्टमेंट करे. क्योंकि मॉडर्न टूल्स का इकोनोमी, पॉलिटिक्स, सिक्योरिटी, कलचर और इन्डियन सोसाइटी पर एक लॉन्ग लास्टिंग इम्पेक्ट होगा.

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फ़ूड, एग्रीकल्चर एंड प्रोसेसिंग (Food, Agriculture and Processing)

आज की यंग जेनेरेशन ये सुनकर हैरान हो सकती है कि 1960 में हमारा देश भूखमरी के दौर से गुज़रा था. 1965 से लेकर 1967 तक देश का सबसे बुरा टाइम था. इण्डिया को अमेरिका से 10 मिलियन टन अनाज इम्पोर्ट करना पड़ा था. ऐसा भी वक्त आया कि जब पूरे देश का पेट भरने के लिए हमारे पास सिर्फ 2 हफ्ते का स्टॉक बचा था. और इसीलिए गवर्नमेंट ऑफ़ इण्डिया ने उसी वक्त से एक टारगेट सेट कर लिया था कि हम अपने देश को एग्रीकल्चर के फील्ड में सेल्फ डिपेंडेट बनायेंगे ताकि हमे किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े.

हमारी खुशकिस्मती रही कि बाकि देशो में राईस टेक्नोलोजी में एक ब्रेकथ्रू हुआ. इण्डिया ने इस रीसर्च के एडवांटेज लिए और उसे अपने यहाँ एग्रीकल्चर के लिए एडाप्ट किया. 1970 में फ़ूड सिक्योरिटी काफी लार्ज स्केल तक इम्प्रूव हो चुकी थी. अब हम राइस और व्हीट की पैदावार में पूरी तरह सेल्फ स्फिशियेंट थे. हमारी ग्रेन प्रोडक्शन डबल हो चुकी थी. फिर 1979 और 1987 में देश में जब सूखा पड़ा तो हमे किसीसे कुछ भी नहीं मांगना पड़ा था, देश के अंदर भरपूर अनाज था.  इण्डिया ने 35 मिलियन टन का अनाज रीजेर्व रखा हुआ था जो सूखे के वक्त काम आया.

ये सब हमारी ग्रेट इम्प्रूव्मेंट्स है लेकिन इतना काफी नहीं है. इण्डिया में पोपुलेशन हर साल काफी तेज़ी से बड रही है. 2017 में हम 1.3 बिलियन तक पहुँच चुके है. इसके साथ ही इकोनोमी भी इम्प्रूव हो रही है, यही वजह है कि हम इंडियंस ज्यादा से ज्यादा फ़ूड कंज्यूमशंन अफोर्ड कर पा रहे है. आज हमारे देश में ना सिर्फ राइस और वहीट बल्कि फ्रूट्स, मीट, मिल्क और बाकि चीजों की भी भारी डिमांड है.

जो फर्स्ट टेक्नोलोजी हमने अपने एग्रीकल्चर के फील्ड में यूज़ की वो है इरीगेशन यानी सिंचाई के एडवांस्ड मोर्डन तरीके जिसने ड्राई लैंड्स और रेन फेड एरियाज की प्रोब्लम सोल्व कर दी. इसका एक बेस्ट एक्जाम्पल है इंदिरा गाँधी कैनाल. इस स्कीम से राजस्थान के ड्राई लैंड्स को काफी फायदा हुआ है. वही महारष्ट्रा के रेड फेड स्टेट में कम्यूनिटीज ने मिलजुलकर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने और वाटर कंज़र्व करने की पहल की है..
नेक्स्ट मेजर इनोवेशन हमने बायोटेक्नोलोजी के फील्ड में की जहाँ हमने ट्रांसजेनिक प्लांट्स डेवलप किये. हार्वेस्टिंग के फील्ड में ये काफी इम्पोर्टेंट डेवलपमेंट है क्योंकि ट्रांसजेनिक प्लांट्स को कीड़े-मकोड़े और खराब मौसम नुक्सान नहीं पहुंचाते और साथ ही ये प्लांट्स हाई यील्डिंग क्रॉप्स भी देते है. हमारे देश में आलू, टमाटर, गाजर, पत्तागोभी और सेलरी वगैरह ट्रांसजेनिक प्लांट्स से ही ग्रो किये जाते है. इसके अलावा नाशपाती, सेब, और अखरोट भी इसी तरह उगाये जाते है. राइस,व्हीट, सोयाबीन और कॉटन उगाने के लिए भी ट्रांसजेनिक मेथड यूज़ होता है.

क्या आपको पता है स्पेस में जो हमने सेटेलाइट्स भेजी है उनसे एग्रीकल्चर में काफी हेल्प मिलती है ? इण्डिया के पास ऐसी रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट्स है जो फार्मिंग लैंड से इलेक्ट्रोनिक इमेजेस ले सकती है. और हमे क्रॉप्स यील्डिंग, वाटर रीसोर्से, लैंड डीग्रेडेशंन जैसी इम्पोर्टेंट इन्फोर्मेशन प्रोवाइड करती है. डॉक्टर कलाम का विजन था कि हमारी प्रोग्रेस सिर्फ फ़ूड सिक्योरिटी तक लिमिट ना रहे. देश के अंदर इतना अनाज पैदा हो कि हम इन एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स को बाहर भी एक्सपोर्ट कर सके जिससे कि हमारी इकोनोमी बूस्ट होगी.

क्योंकि वो जानते थे कि इण्डिया के ईस्टर्न पार्टमें व्हीट प्रोडक्शंन के लिए काफी पोटेंशियल है. और हमारे देश का सेंट्रल पार्ट फ्रूट्स और वेजिटेबल्स का बड़ा प्रोड्यूसर बन सकता है. डॉक्टर कलाम कहते थे कि वाटर एक इम्पोर्टेंट एसेट है इसलिए इसे प्रीजेर्व करना आज की ज़रूरत है. और साथ ही हमे हाइब्रिड राइस में भी इन्वेस्ट करना चाहिए.

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