(hindi) How to Think Like Leonardo da Vinci..

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इंट्रोडक्शन

क्या आपने लियोनार्डो डा विंची का नाम सुना है? कौन थे वो? वो एक जीनियस और महान कलाकार थे. उन्होंने कई बेहतरीन पेंटिंग्स बनाई थीं जिनमें से मोना लिसा और द लास्ट सपर को मास्टरपीस कहा जाने लगा. वो एक उम्दा कलाकार तो थे ही, इसके साथ-साथ उन्हें कई अलग-अलग फ़ील्ड के बारे में अच्छी खासी नॉलेज थी जैसे बॉटनी, एनाटोमी, मिलिट्री इंजीनियरिंग वगैरह. उनकी इस गहरी नॉलेज के लिए उन्हें renaissance पॉलीमैथ कहा जाता है यानी एक ऐसा आदमी जिसकी एक फील्ड में मास्टरी और expertise तो है ही लेकिन इसके साथ-साथ उसे लगभग हर फील्ड के बारे में बहुत डीप नॉलेज भी होती है.

लियोनार्डो की कई पेंटिंग को मास्टरपीस का टाइटल दिया गया जिनमें St. John the Baptist, Madonna of the Rocks, और Salvator Mundi शामिल हैं. डा विंची के काम को बहुत वाहवाही और तारीफ़ मिली लेकिन वो हमेशा विवादों में घिरकर चर्चा का कारण भी बने रहे. उनकी नोटबुक में बनाए उनके स्केच को उनकी पेंटिंग जितना ही कीमती माना जाता है.

उन्होंने घोड़ों, चेहरे, फूल यहाँ तक कि माँ के गर्भ में पल रहे बच्चे तक की इतनी सटीक और जीवंत तस्वीर बनाई है जिसे देखो तो लगता है कि मानो अभी ये तस्वीर बोल पड़ेगी. लियोनार्डो इतने जीनियस थे कि वो जिस समय में रह रहे थे उससे कहीं आगे की सोच रखते थे और उन्होंने अपने समय से आगे निकलकर कई चीज़ें इंवेंट की जैसे पैराशूट, हेलीकॉप्टर, मशीन गन और उन्होंने अपने इन उम्दा आविष्कारों के स्केच भी बनाए.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि लियोनार्डो एक नाजायज़ संतान थे? उनके पिता एक उभरते हुए वकील थे और माँ एक छोटे से गाँव में खेतों में काम करने वाली साधारण लड़की. डा विंची अपने पिता के नक्शेकदम पर नहीं चले क्योंकि जिन बच्चों का जन्म बिना शादी के होता था उन्हें एक प्रोफेशनल करियर बनाने की इजाज़त नहीं थी. इस तरह, डा विंची ने ख़ुद अपना रास्ता बनाया और दुनिया के महान कलाकार और थिन्कर्स में से एक बने.

इस बुक में आप ऐसे 6 प्रिंसिपल्स के बारे में जानेंगे जो आपको लियोनार्डो की तरह मल्टीप्ल  स्किल्स डेवलप करने में मदद करेंगे. आप एक ऐसा इंसान बनना सीखेंगे जो अपनी नॉलेज को एक ही फील्ड तक सीमित नहीं रखता और हमेशा ज़्यादा जानने और सीखने की इच्छा रखता है.

लियोनार्डो italian थे इसलिए इस बुक के ऑथर माइकल ने इन प्रिंसिपल्स को उन्हीं की भाषा में एक्सप्लेन किया है. लियोनार्डो के 6 प्रिंसिप्ल हैं – Curiosita (क्युरियोसिटा) यानी जानने की इच्छा रखना, Dimostrazione (डिमोस्ट्राजिओने)  यानी एक्सपीरियंस से सीखना, sensazione (सेनसाज़िओने)  यानी अपने five senses का मैक्सिमम इस्तेमाल करना, Sfumato (स्फूमाटो)  यानी तुरंत किसी चीज़ को जज नहीं करना, arte/scienza (आर्ट एंड सिंजा)  यानी आर्ट और लॉजिक के बीच balance बनाना और Corporalita (कोर्पोरलिता)  यानी physical fitness. तो आइए एक एक कर इन्हें डिटेल में समझते हैं.

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Sfumato (स्फूमाटो)

Sfumato शब्द का मतलब है धुंए की तरह ऊपर जाना या धुंधला हो जाना जहां कुछ भी साफ़-साफ़ दिखाई नहीं देता. इसकी झलक हमें लियोनार्डो के यूनिक पेंटिंग स्टाइल में देखने को मिलती है. अगर आप मोना लिसा की पेंटिंग गूगल करेंगे तो आप देखेंगे कि वो पेंटिंग बड़ी ही रहस्यमयी है. मोना लिसा की मुस्कान का राज़ आज तक कोई नहीं जान पाया. उसमें इतने इमोशन छुपे हुए हैं कि आप चाह कर भी नहीं जान पाएँगे कि उसकी मुस्कान के पीछे की असली भावना क्या है. उसे इस तरह बनाया गया है कि आप एक ही बार में उसमें छुपे मैसेज को समझ नहीं पाएँगे. उस हलकी सी मुस्कान में अच्छाई और बुराई, सिडक्शन  और मासूमियत, दया और क्रूरता सबकी झलक दिखाई देती है. आपको क्या लगता है कि लियोनार्डो इससे क्या मैसेज देना चाहते थे?

इस पेंटिंग की बड़ी ही दिलचस्प बात ये है कि अगर आप करीब से देखेंगे तो आप देख सकते हैं कि मोना लिसा के मुंह और आँखों का कोना हलकी सी परछाई में ढका हुआ है. यही बात उस मुस्कान को रहस्यमयी बनाती है. उसकी आँखों की शिकन और होटों के किनारे हमें बता सकते थे कि वो उस पेंटिंग में असल में क्या महसूस कर रही थी लेकिन लियोनार्डो का यही तो इरादा था कि उन्होंने इसे एक पहेली की तरह पेंटिंग देखने वालों पर छोड़ दिया.

यही पहला प्रिंसिप्ल है कि हमें तुरंत किसी चीज़ को जज नहीं करना चाहिए या किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए. एक ही चीज़ के कई अलग अलग पहलू हो सकते हैं इसलिए उसके पीछे के कारण को समझने की सोच अपनानी चाहिए तब जाकर आप उसे सही तरीके से जज कर पाएँगे. थोडा अलग एंगल से सिचुएशन को देखने की कोशिश करें. किसी नई चीज़ को देखकर उसके बारे में सवाल करना और उसका जवाब ढूँढने की इच्छा बनाए रखनी चाहिए. ये आपको सच और झूठ के बीच के फ़र्क को समझने में मदद करता है. ये आपके सोचने की पॉवर और इंटेलिजेंस को बढ़ाता है.
शायद यही वो ख़ासियत है जिसने लियोनार्डो को इतने सारे इन्वेंशन करने में मदद की थी. इस बात को याद रखें कि जीनियस कभी तुरंत किसी नतीजे पर नहीं पहुँचते, वो उसे अलग अलग एंगल से समझने की कोशिश करते हैं उसके बाद नतीजे पर पहुँचते हैं.

सालों से आर्ट एक्सपर्ट्स और साइकोलोजिस्ट ने ये सवाल किया है कि “आख़िर इस पेंटिंग की मॉडल थी कौन? क्या वो सच में कोई लड़की थी या सिर्फ़ एक इमेजिनेशन थी ?” लेकिन आज तक इसका कोई सटीक जवाब नहीं दे पाया. किसी ने कहा कि वो Lisa del Giocondo थी जो Francesco del Giocondo नाम के सिल्क के व्यापारी की पत्नी थी. किसी ने कहा कि मोना लिसा में उन सभी औरतों की झलक थी जिन्हें लियोनार्डो ने अपनी जिंदगी में देखा था जैसे उनकी माँ, रईसों की प्रेमिका या राह चलती आम औरतें.

लेकिन Bell Labs  के Dr. Lillian Schwartz का एक अलग और बड़ा ही दिलचस्प नज़रिया था. उनका मानना था कि मोना लिसा लियोनार्डो की ख़ुद की तस्वीर हो सकती थी, इसे सेल्फ़ पोर्ट्रेट कहते हैं.

लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि लियोनार्डो के पास सिर्फ़ एक सेल्फ़-पोर्ट्रेट थी जिसे उन्होंने लाल रंग के chalk से बनाया था. उस पेंटिंग में उनके लंबे लहराते बाल, घनी भौहें और उम्र के साथ आने वाली आँखों के आस पास की झुर्रियां साफ़ दिखाई दे रही थीं.

Dr. Schwartz ने मोना लिसा की पेंटिंग और उस सेल्फ़ पोर्ट्रेट को साथ साथ देखने के लिए सटीक माप के साथ कंप्यूटर मॉडलिंग का इस्तेमाल किया. गौर से देखने पर आप देखे पाएँगे  कि मोना लिसा और लियोनार्डो का माथा, आँख, नाक, होंठ बिलकुल समान रूप से एक लाइन में थे. ऐसा लग रहा था मानों वो एक ही तस्वीर के दो साइड की तरह थे.

कैथोलिक चर्च Michelangelo और Bernini की तरह लियोनार्डो को ज़्यादा पसंद नहीं करते थे क्योंकि लियोनार्डो बाइबिल में दिखाए गए scene का मीनिंग अपने नज़रिए से निकालते थे.

कहते हैं कि Madonna of the Rocks और Virgin and Child with St. Anne पेंटिंग के दो अलग अलग version हैं. एक बहुत चौकाने वाला और दूसरा बहुत कोमल है. लियोनार्डो जैसे मास्टर पेंटर कोई भी चीज़ अनजाने में या इत्तेफ़ाक से नहीं करते. हर चीज़ के पीछे एक ठोस कारण होता था जो अक्सर आम लोगों की नज़रें देख नहीं पातीं थी. उनकी पेंटिंग में लोगों के चेहरों के हावभाव, बॉडी की पोजीशन, हाथ का इशारा सब बिलकुल वैसा ही होता था जैसा वो उन्हें दिखाना चाहते हैं और आप माने या ना माने उनकी छोटी से छोटी बात में भी कोई ना कोई मैसेज ज़रूर छुपा हुआ होता था.

शायद हम कभी नहीं जान पाएँगे कि लियोनार्डो Last Supper या St. John the Baptist में असल में हमें क्या बताना चाहते थे. ये हमारे ऊपर है कि हम उनकी कला की सुंदरता और रहस्य को किस तरह समझते हैं.

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