(hindi) How to Talk to Anyone
इंट्रोडक्शन (Introduction)
क्या आप किसी को जानते हो जिसके आते ही सबकी निगाहें उसकी तरफ उठ जाए? जो एक शब्द बोले या घूर कर देखे तो सब चुप हो जाए? क्या ऐसे इंसान को देखकर आपका मन नहीं करता कि काश! आपमें भी वो पॉवर होती. शायद आप भी इस तरह की कमांडिंग पर्सनेलिटी चाहते हो? वैसे भी कौन नहीं चाहेगा कि लोग उसे हाई रिस्पेक्ट दे. लेकिन आप शायद ये नही जानते कि आपके अंदर भी वो क्वालिटी है बस आपको इसका अंदाजा नहीं है.
अब आप शायद बोलोगे” नहीं, मुझमे वो बात कहाँ?’ या” ऐसे लोग अलग होते है” पर यकीन मानो आपके जैसे और भी लोग है जिन्होंने ये आर्ट सीखा है. हालाँकि ये बात सच है कि कुछ लोग बचपन से ही चार्मिंग पर्सनेलिटी के होते है, उन्हें ये आर्ट पैदाएशी मिलता है जबकि कुछ लोगो को कॉर्पोरेट और सोशल लैडर के टॉप पर पहुँचने के लिए ये आर्ट सीखना पड़ता है. अगर इन लोगो के पास्ट देखे तो पता चलेगा कि पहले ये किसी से बात तक नहीं कर पाते थे. और आज यही लोग पब्लिक के सामने स्टेज पर खड़े होकर कॉन्फिडेंस से स्पीच दे सकते है.
इस बुक में आप डिफरेंट इफेक्टिव कम्यूनिकेशन स्किल्स, केमिस्ट्री और बाकि फैक्टर्स के बारे में सीखोगे जो आपको अपने रिलेशनशिप बिल्ड करने में काफी हेल्प करेंगे. और लाइफ में प्रोग्रेस के लिए ये एक इम्पोर्टेंट फाउंडेशन है. हमेशा याद रखो कि लोगो तक सिर्फ आपके वर्ड्स ही नहीं पहुँचते बल्कि आपकी बॉडी लेंगुएज भी काफी कुछ बयान करती है.
हाउ टू मेक योर स्माइल मैजिकली डिफरेंट (अपनी स्माइल को मैजिकल कैसे बनाये )How to Make Your Smile Magically Different
लोग कहते है कि नॉन वर्बल हिंट्स भी उतने ही इम्पोर्टेंट होते है जितने कि वर्बल हिंट्स. शायद इसी वजह से कहा जाता है कि” फर्स्ट इम्प्रेशंस लास्ट” यानी किसी से पहली मुलाक़ात में जो इम्प्रेशन पड़ता है वो हमेशा याद रहता है. और ये बात काफी हद तक सच भी है. आप खुद को जैसे भी कैरी करते है, सामने वाले की नज़र में आपकी वही पर्सनेलिटी बन जाती है. रोबर्ट ग्रॉसमेन एक फेमस कैरीकेचर आर्टिस्ट है और इस बात को उनसे बैटर भला कौन समझ सकता है. वो अपने ड्राइंग्स के थ्रू लोगो की पर्सनेलिटी एकदम सही-सही कैप्चर कर लेते है. हालाँकि वो जिन लोगो के कैरीकेचर्स बनाते है, उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में उन्हें कुछ भी मालूम नहीं होता.
रोबर्ट इसे कुछ इस तरह देखते है कि पर्सनेलिटी सिर्फ बातो से ही नहीं झलकती बल्कि किसी के हाव-भाव से, पोस्चर से, उसकी मूवमेंट्स से भी उस इंसान के बारे में काफी कुछ पता चलता है. कैरीकेचर बनाते वक्त रोबर्ट इसी इम्पोर्टेंट फैक्टर को लेकर चलते है शायद इसीलिए बर्ट का आर्ट इतना रियल और पर्सनल लगता है. किसी से कोई डील करते वक्त उसके मूवमेंट्स पर गौर करना बहुत जरूरी है तभी आपको पता चलेगा कि आपका काम बनेगा या नही. हर कम्यूनिकेशन की शुरुवात स्माइल के साथ करे. ये हमारी गलतफहमी है कि स्माइल करना जरूरी नहीं है खासकर बात जब लीडरशिप, इन्फ्लुएंस या करिज्मा की हो पर यकीन मानो आपकी एक स्माइल से काफी कुछ चेंज कर सकती है. लोगो को मुस्कुराते हुए चेहरे पसंद होते है. हालाँकि ऑथर ने गौर किया कि जो बड़े लोग होते है जैसे कि सीईओ और लीडर्स, ये लोग बहुत कम स्माइल करते है पर जब स्माइल करते है तो बाकि भी इनके साथ मुस्कुराते है.
इन रिस्पेक्टेड लोगो के ऊपर इतनी रीस्पोंसेबिलिटीज़ होती है कि ये मुस्कुराना ही भूल जाते है. बात जब आपकी स्माइल की हो तो इसे फेस पर ईजिली ज़ाहिर मत होने दो. यहाँ आपको “फ्लूडिंग स्माइल” टेक्नीक सीखनी पड़ेगी. इस टेक्नीक में किसी से बात करते वक्त उसे देखकर धीरे से एक हल्की स्माइल दो. फिर कुछ सेकंड सामने वाले के फेस को गौर से देखते रहो और फिर उसे एक अच्छी सी स्माइल दो. इससे सामने वाले की नजरो में आप और भी सिंसियर लगोगे.
लील लोव्न्देस (Leil Lowndes) ने एक बार अपनी फ्रेंड मिस्सी को ज्वाइन किया जो अपने तीन पोटेंशियल क्लाइंट्स से डिनर पर मिल रही थी. अपने फादर की डेथ के बाद मिस्सी ने अभी-अभी अपना फेमिली बिजनेस संभाला था. लील मिस्सी से मिलने के लिए काफी एक्साईटेड थी. मिस्सी की बड़ी सी स्माइल और दिल खोलकर हंसने की आदत लील को अभी तक याद थी. जब मिस्सी अपने पोटेंशियल क्लाइंट्स से बात कर रही थी तो लील को मिस्सी में कुछ चेंज लगा. हाँ वो पहले वाली उनकी फ्रेंड मिस्सी ही थी पर वो अब पहले से ज्यादा सिंसियर लग रही थी.
डिनर खत्म हुआ और मिस्सी को अपने क्लाइंट्स की डील भी मिल गयी. लील ने मिस्सी को बोला कि तुम अभी भी वही मिस्सी हो पर तुम थोड़ी सी बदल गई हो. तो मिस्सी ने कहा कि हाँ अब तो पहले से कम मुस्कुराती है. मरने से पहले उसके डैड ने उसे बोला था कि कॉर्पोरेट वर्ल्ड में जो लेडी कम स्माइल करे उसे ज्यादा प्रोफेशनल समझा जाता है. बेशक स्माइल एक एस्सेट होती है पर मिस्सी को उसकी स्लो स्माइल ने ज्यादा क्रेडिबल बनाया है. और ये बात लील को काफी इफेक्टिव भी लगी क्योंकि मिस्सी अब ज्यादा सिंसियर और स्पेशल लग रही थी.
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हालंकि आई कांटेक्ट यानी आँखों में आँखे डालकर बात करना एक अच्छी बात मानी जाती है पर काफी लोग इसके अलग-अलग मतलब निकालते है. कुछ कल्चर्स में इसे जादू-टोना समझा जाता है तो कुछ कल्चर्स में आई कांटेक्ट का मतलब है कि हम सामने वाले को डरा रहे है या फिर उसकी इंसल्ट कर रहे है. इसलिए आप जहाँ भी जाये वहां के कल्चर के हिसाब से बिहेव करे तो बैटर होगा. घूमने फिरने की बात अलग है, इसके अलावा कॉर्पोरेट वर्ल्ड में स्ट्रोंग आई कांटेक्ट काफी इम्पोर्टेंट माना जाता है. और बात अगर रोमांस की हो तो आई कांटेक्ट के बिना बात बन ही नही सकती.
जब आपकी आँखे किसी से मिलती है तो आपस में एक रिस्पेक्ट और अटेंशन की फीलिंग आती है. लेकिन जब आप किसी को घूरते हो तो ये बायोलोजिकल बेस ट्रिगर कर सकता है यानी उस इन्सान की हार्ट बीट तेज़ हो जाएगी और वो थोडा टेंशन में आ जायेगा. ये बिलकुल ऐसे ही फील होता है जब किसी को किसी से प्यार होता है. आप जब आई कांटेक्ट बनाते हो तो लोग भी आपकी तरफ अट्रेक्ट होते है. लील लोव्न्देस ने भी एक्सपीरियंस किया कि आई कांटेक्ट क्रूशियल होता है लेकिन उस तरह से नहीं जैसा उन्होंने एक्स्पेक्ट किया था.
एक बार वो सेमिनार कर रही थी जहाँ बहुत से लोग थे. तभी लील की आँखे एक लेडी से टकराई. वो लेडी उन्हें काफी देर से घूर रही थी. एक मिनट के लिए भी उसकी नजर लील से नहीं हटी थी. लील को उस औरत की अटेंशन अच्छी लगी इसलिए सेमिनार खत्म होने के बाद वो उस लेडी के पास गयी. लील ने उससे पुछा” अपने सेमीनार से कुछ सीखा क्या”? तो उस लेडी ने कहा कि उसे ज्यादा कुछ समझ नहीं आया क्योंकि उसे ठीक से सुनाई नही देता इसलिए वो लील के लिप्स रीड कर रही थी. लेकिन इसमें भी उसे मुश्किल आ रही थी क्योंकि लील स्टेज पर चलते हुए लेक्चर दे रही थी और बार-बार डायरेक्शन चेंज कर रही थी. उस लेडी की बातो से लील इतनी इम्प्रेस हुई कि उस लेडी को अपने पास बिठाकर पूरा लेक्चर दुबारा समझाया. और वो लेडी अच्छे से समझ गयी.
आई कांटेक्ट की एक और टेक्नीक है जिसे”स्टिकी आईज़” बोलते है. आपको इमेजिन करना है कि आपकी आँखों आपके पार्टनर की आँखों से चिपकी है जैसे कोई चीज़ ग्लू से चिपक जाती है. जब उनकी बात खत्म हो तो तुरंत आई कांटेक्ट मत तोड़ो, बल्कि धीरे से अपनी आँखे हटाओ जैसे आप कोई ग्लू का धागा धीरे-धीरे खींच रहे है. वैसे “स्टिकी आईज़” टेक्नीक आदमी और औरत दोनों डिफरेंट वे में अप्लाई करते है.
जब औरते आपस में बाते करती है कि दोनों उस एक्सपीरिएंस को पोजिटिव रेट करती है, यानि नॉर्मली दो औरते आपस में बाते करते वक्त फीलिंग ऑफ़ इंटिमेसी यानी एक क्लोजनेस फील करती है. जबकि दो आदमी बाते करते वक्त एक दुसरे के उतने क्लोज नही फील करते. जितना लंबा उनका आई कांटेक्ट रहेगा उतना ही ज्यादा दोनों एक दुसरे से एक थ्रेट या अलर्ट सिचुएशन में रहते है. तो आदमियों के लिए “स्टिकी आईज़” टेक्नीक में थोड़ा चेंज लाने के लिए हम सैमी की स्टोरी पढेंगे.
औरतों के मुकाबले आदमियों की थोड़ी सी डिफरेंट “स्टिकी आईज़” टेक्नीक होती है. इसके बारे में और पता लगाने के लिए लील ने डिसाइड किया कि वो एक सेल्समेन सैमी को ये टेक्नीक करने को बोलेगी. सैमी की आदत थी कि वो अनइंटेंशनली लोगो को हर्ट करता था. उसका औरा कोल्ड था तो लील ने उसे ये टेक्नीक अप्लाई करने का सजेशन दिया.
लील और सैमी साथ में एक रेस्टोरेंट में गए. वहां सैमी ने वेटर पर टेक्नीक यूज़ की. मेन्यू पर नज़र गढ़ाए सिर्फ ऑर्डर देने के बजाए इस बार उसने वेटर से आई कांटेक्ट किया. वो वेटर को स्माइल देते हुए गौर से उसकी आँखों में देखता रहा. उस वक्त सैमी एक केयरिंग और सेंसटिव पर्सन लग रहा था. लील सैमी से काफी इम्प्रेस हुई. इस टेक्नीक ने सैमी का पूरा औरा ही चेंज कर दिया. तो अगर किसी आदमी को क्लाइंट से मिलना है, या किसी बॉस या कलीग से डिस्कस करना है तो एक बड़ी सी स्माइल के साथ स्टिकी आइज़ टेक्नीक यूज़ करो. इससे सामने वाले को बुरा भी नहीं लगेगा और आपको सिंसियर भी समझेगा और आप भी उसे ईज़िली कन्विंस कर पाओगे.