(Hindi) Good to Great: Why Some Companies Make the Leap…and Others Don’t
क्विक समरी (Quick Summary):
अगर आप सिर्फ अच्छा बनकर खुश है तो आप कभी भी ग्रेट नही बन पायेंगे. तो फिर क्यों एक एवरेज इंसान बनके रहा जाए जब आप ग्रेट बन सकते है?
गुड इज द एनिमी ऑफ़ ग्रेट (गुड ग्रेट का दुश्मन है)
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Good is the enemy of great
जिम कोलिन्स आर्ग्यू करते है कि हमे जो चीज़ ग्रेट बनने से रोकती है, वो है हमारी अच्छाई. और ये बात उन्हें अपनी एक बिजनेस मीटिंग के दौरान समझ आई जब म्च्किन्स्की कंपनी (Mckinskey company ) के सैन फ्रांसिस्को ऑफिस के मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि कुछ प्रोपोज्ड कंपनी उन्हें यूजलेस लगी क्योंकि वो उतनी भी ग्रेट नहीं थी. जिम कॉलिंस ने ये बात सुनी और इसके बारे में रीसर्च करने में जुट गए. उन्होंने अपनी रीसर्च में बहुत सी कंपनीज के बारे में इन्फोर्मेशन हासिल की और उन्हें दो ग्रुप्स में डिवाइड किया.
एक गुड और दूसरा ग्रेट. ये रिसर्च कई फेसेस पर किया गया. इसका फर्स्ट फेस था “द सर्च” और जैसा कि एक्सपेक्टेड था, इसमें दो चीजों को शामिल किया गया था; स्टडी के लिए कंपनीज सर्च करना और एक टीम सर्च करना जो स्टडी करे. इस टीम में 21 रीसर्चर्स रखे गए थे. और हर कंपनी के सामने एक ग्रेट कंपनी बनने की एक ही शर्त थी: कि उनके रिटर्न्स जेर्नल स्टॉक मार्किट से कम से कम तीन गुना होने चाहिए और वो भी लगातार 15 सालो के लिए. नेक्स्ट फेस था” इनसाइड द ब्लैक बॉक्स” इस फेस में स्पेशली एक एनालिसिस किया गया था उन 28 सेलेक्टेड कंपनीज का. उन पर आर्टिकल्स पढने से लेकर रिलेटेड मैटर को सब ग्रुप्स में डिवाइड करने तक और एक्जीक्यूटिव्स का इंटरव्यू लेने तक.
हालाँकि ये काम इतनी ईजी नहीं था. रिसर्च का काम काफी बड़ा था जिसे पूरा करने में 10 एंड हाफ इयर लगे. और इस रीसर्च से जो रिजल्ट्स निकल कर आये उसने रीसर्चेर्स को हैरान कर दिया था. उन्हें ये देखके हैरानी थी कि एक्चुअल में ग्रेटनेस की कोई स्ट्रेटेजी है ही नहीं. क्योंकि ग्रेट कंपनीज की कोई काम्प्लेक्स स्ट्रेटेजीज़ नहीं होती. और ना तो टेक्नोलोजी और ना ही उनकी अचीवमेंट का कंपनीज़ की ग्रेटनेस से कोई लेना-देना था. किसी भी कंपनी को एक ग्रेट कंपनी बनने के लिए ना सिर्फ ये फोकस करना होता है कि “क्या करना है” बल्कि इस चीज़ पर भी फोकस करना है कि”क्या नही करना है”.
किसी ग्रेट इंडस्ट्री में रहने का मतलब ये नहीं कि कंपनी भी ग्रेट हो जायेगी. और फाइनली चेंजेस मैनेज करना और लोगो के इन्फ्लुएंश को अटेंशन देना खास बात है. इसे की टू सक्सेस भी कह सकते है. फिर आता है इसका लास्ट फेस “द चाओस”. जिम कॉलिंस बताते है कि इस फेस में उन्होंने मीनिंगलेस डेटा से एक पूरा का पूरा फ्रेमवर्क क्रियेट कर लिया था. इस रीसर्च के रिजल्ट्स को सिर्फ एक वर्ड में डिसक्राइब कर सकते है और वो है डिसप्लीन. इन चुनी हुई कंपनीयों के लीडर्स शर्मीले तो थे, लेकिन सेल्फ अफेक्टिंग और शांत थे. उन्होंने कंपनी के लिए कोई स्ट्रेटीज़ी नहीं बनाई थी और ना ही उसे फुलफिल करने की कोशिश की थी बल्कि उन्होंने राईट लोगो को चूज़ किया और मिसफिट लोगो को रिमूव करके आगे की प्लानिंग की.
इससे रीसर्चर्स एक हैरतअंगेज रिजल्ट पर पहुंचे कि कंपनी को ग्रेट बनने के लिए इसे खुद पर यकीन रखना होगा कि चाहे जितनी भी मुश्किलें आये, वो एक दिन एक ग्रेट कंपनी बन के रहेगी. लेकिन इसके साथ ही कंपनी को अपनी करंट प्रोब्लम्स को भी हैंडल करना पड़ेगा. कोई भी काम अगर लम्बे टाइम तक किया जाए तो इसका ये मतलब नहीं कि आप उसमे बेस्ट है. और अगर आप बेस्ट नहीं है तो आप ग्रेट कभी नहीं बन सकते.
इसके लिए तो आपको कल्चर और डिसप्लीन अप्लाई करना होगा और लास्ट में टेक्नोलोजी कभी भी ग्रेटनेस नहीं दिला सकती. ये सिर्फ एक टूल है नाकि खुद एक ग्रेटनेस. सक्सेस के लिए कोई वन टाइम इवेंट नहीं होता. ये एक लॉन्ग टाइम प्रोसेस है जिसमे टाइम और एफोर्ट दोनों लगता है. तब जाकर पूरी पिक्चर कंप्लीट होती है. तो क्या ये आईडिया न्यू कंपनीज पर भी अप्लाई होगा? जी हाँ, ये बुक एक रास्ता बताती है आपकी कंपनी को गुड तो ग्रेट की तरफ लें जाने का.
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लेवल 5 लीडरशिप (Level 5 leadership)
मान लोग दो रेसर मैराथन में है. उनमे से एक की जीत पक्की लग रही है और दूसरा इस रेस का डार्क हॉर्स है. वो जीतने के लिए अपना बेस्ट एफर्ट लगाता है और फाइनली ये रेस जीत जाता है. इसी तरह सीईओ का बेस्ट एक्जाम्पल है डार्विन स्मिथ, एक ऐसा सीईओ जो अपनी कंपनी को गुड तो ग्रेट की तरफ लेकर गए. 20वी सेंचुरी में, किम्बर्ली-क्लार्क एक लीडिंग पेपर बेस्ड कन्यूमर प्रोडक्ट्स की एक जानी-मानी कंपनी थी जो उस टाइम मार्किट में छाई हुई थी. स्मिथ ने वर्कशॉप बेचने का डिसीजन लिया ताकि बिजनेस को मेनस्ट्रीम और वीक होने से बचाया जा सके.
उस वक्त मिडिया में उनका काफी मज़ाक भी उड़ाया गया था. लेकिन हैरत की बात थी कि कंपनी के पास स्कॉट पेपर की ओनरशिप आई और प्रोक्टर एंड गैम्बल को उन्होंने 6 कैटेगरीज में हराया. ये ज़रूरी नहीं है कि कंपनी की हर अचीवमेंट के लिए लीडर्स को ही रिस्पोंसिबल माना जाए, कभी-कभी एक डीप साइंटिफिक अप्रोच लेकर भी चलना चाहिए. लेवल 5 का लीडर बनने के लिए आपको हम्बल और फियरलेस बनना होगा. कोलमन मोक्लेर (Colman Mockler) फेमस जिलेट (Gillette) कंपनी के सीईओ ने कभी हार नही मानी और लास्ट तक लड़ते रहे फिर भी
उन्होंने कंपनी में अपने शेयर नहीं बिकने दिए. क्योंकि उन्हें टेम्परेरी प्राइज नहीं बल्कि एक लॉन्ग टर्म सक्सेस चाहिए थी. डेविड मैक्सवेल (David Maxwell ), फन्नी एंड मे (Fannie and Mae) के सीईओ ने कंपनी को जैसे जादू से एक मिलियन डॉलर कंपनी बना दिया था जो हर रोज़ 4 मिलियन डॉलर का प्रॉफिट कमाके जेर्नल स्टॉक मार्किट से 3.8 से 1 पर पहुँच गयी थी. लेकिन वो नहीं चाहते थे कि उनकी रिटायरमेंट के बाद भी कंपनी लोस में जाये इसलिए उन्होंने अपने 5.5 मिलियंस की रिटायरमेंट मनी कंपनी के लो-इनकम हाउसिंग के फंड में जमा करा दिए.
यही चीज़ एक गुड टू ग्रेट कंपनी के लीडर्स में कॉमन में होती है कि वो कंपनी को हर हाल में आगे ले जाना चाहते है. वो अपने पर्सनल लोस या फायदे के बदले कंपनी का बेनिफिट देखते है. एक और की सीक्रेट है जो कंपनी की सक्सेस में इम्पोर्टेंट होता है और वो है कि अपने पीछे एक ऐसी कंपनी छोड़ जाओ जो आपके जाने के बाद भी एक्सलीलेंट पोजीशन में बनी रहे. और सबसे ज़रूरी बात ये है कि लीडर्स को हमेशा मॉडेस्ट रहना चाहिए जो खुद से ज्यादा कंपनी के बारे में सोचे, अपने बोर्ड मेंबर की फ़िक्र करे.
ऐसे लीडर्स हेमशा शांत रहते है, उनमें कोई शो ऑफ नहीं होता और ना ही ये अपने बारे में बढ़चढकर बोलते है. बल्कि ये चुपचाप अपना काम करते रहते है और अपने टारगेट पूरे करते है. जो लीडर्स अपने काम का शो ऑफ़ करते है उनकी सक्सेस लॉन्ग टाइम तक नहीं टिकती. ली लाकोच्चा (Lee Iacocca) क्र्यस्लेर (Crysler) के सीईओ ने कंपनी को डूबने से बचाया और उनका एक बड़ा हाथ रहा अपनी कंपनी को अमेरिकन बिजनेस हिस्ट्री की मोस्ट सेलीब्रेटेड कम्पनी बनाने में. लेकिन शो ऑफ़ ने क्र्यस्लेर (Crysler ) को एक दूसरी जेर्मन कार मेकिंग कंपनी के हाथो बिकने को मजबूर कर दिया था.
एक 5 लेवल का लीडर होने का मतलब है कि आप ना सिर्फ मॉडेस्ट रहे बल्कि आपके अंदर एक स्ट्रोंग डिसीजन मेकिंग पॉवर भी हो. अगर कंपनी की भलाई के लिए आपको खुद अपने किसी फेमिली मेंबर को फायर करना पड़े तो आप करेंगे जैसा कि ज्योर्ज कैन (George Caine ) ने किया. जोसेफ ऍफ़. कुलमेन और एलन वुर्त्ज़ेल, एक न्यूकोर एक्जीक्यूटिव मानते है कि किसी कंपनी को ग्रेट बनाने में लक भी एक इम्पोर्टेंट रोल प्ले करता है.
इन फैक्ट, किसी भी ग्रेट कंपनी की सक्सेस में लक कोई मायने ही नहीं रखता. अपने खराब रिजल्ट्स को बेड लक बोलना सिर्फ एक बहाना है. क्या हर कोई लेवल 5 लीडर बनना सीख सकता है? नॉन इगोइस्टिक लोग सीख सकते है. स्टडी में जितने भी सीईओ को स्टडी किया गया था, उन सबकी लाइफ में ऐसे चेलेंजेस आये जिसने उनकी पर्सनेलिटी को एक मैच्योर अप्रोच दी. तो ऐसे कोई भी फिक्स स्टेप्स नहीं है जिन पर चलकर आप लेवल 5 लीडर बन जाए, ये तभी होगा जब आप एक लीडर की ट्रू क्वालिटी रियेल में अप्लाई करेंगे.