(hindi) Girl, Wash Your Face

(hindi) Girl, Wash Your Face

इंट्रोडक्शन (Introduction )

लड़की! Girl! तुमने कब लास्ट बार अपनी लाइफ को एक क्लियर और ऑब्जेक्टिव नजर से देखा था? क्या तुम खुद को जानती भी हो, या फिर अपने जन्म से आज तक तुम दूसरो के नजरिये से खुद को देखती आई हो??

तुम्हे सबसे पहले अपने फेस पे जमी इस झूठ की धुल को साफ़ करना है और अपना असली चेहरा देखना है. ये बुक सिर्फ एक बुक नहीं है. ये एक वेकअप कॉल है, उन सभी औरतो के लिए जो अपनी लाइफ में स्ट्रगल कर रही है. ये बुक आपको खुशियों का असली मतलब बताएगी और सिखाएगी कि आपको अपनी लाइफ में कैसे खुश रहना है और जो आपके पास है उसकी वैल्यू को समझना है. अपनी जिंदगी जीने और एन्जॉय करने के लिए आपको जिंदगी भर वेट करने की जरूरत नहीं है.

ये बुक आपको बताएगी कि अपने आज को कल पर मत छोड़ो और लाइफ में जो चेंज लाना है, आज ही लाओ. सक्सेस का एक ही मंत्र है, और वो है हार्ड वर्क. लेकिन इसके लिए खुद को एग्जॉस्ट करने की बिलकुल जरूरत नहीं है. खुद का ख्याल रखना आपकी लाइफ की टॉप प्रायोरिटी है. इस बुक से आप ये भी सीखेंगे कि आपको दूसरो से कम्प्येर या कॉम्पटीशंन नही करना है.

सेल्फ रिस्पेक्ट कैसे बिल्ड की जाती है और एक नॉन-ज़जमेंटल एटीट्यूड कैसे रखना है, ये भी आप इस बुक से सीखेंगे. इसके अलावा, ये बुक एक गाइड है जो आपको सिखाएगी कि अपने सेल्फ रिस्पेक्ट और डिग्निटी से कोम्प्रोमाइज़ ना करते हुए किसी से प्यार कैसे किया जाए. क्योंकि ये तो सब जानते है कि प्यार अँधा होता है मगर अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट मेंटेन करना भी उतना इम्पोर्टेंट है.

इस बुक से शायद आप एक मोस्ट इम्पोर्टेंट लेसन मिलेगा, कि रिजेक्शन को कैसे फेस किया जाए. और आपको किसी भी हाल में गिव-अप नहीं करना है चाहे कोई कितना भी रोके. अपने गोल्स अचीव करने की राह में अगर एक दरवाजा बंद होता है तो आप दूसरा दरवाजा खोल लो. ये बुक बाकि बुक्स से थोड़ी डिफरेंट है क्योंकि इस बुक के थ्रू ऑथर ने दूसरी औरतो के साथ एक हार्ट टू हार्ट कंवरसेशंन किया है.

ऑथर ने जिस स्टाइल में ये बुक लिखी गयी है और इसमें अपनी लाइफ की जो फनी स्टोरीज़ शेयर की है, वो आपको जरूर पसंद आएँगी और आपको पढने में काफी मज़ा भी आएगा. अगर आप भी अपनी लाइफ को बदलने के लिए स्ट्रगल के दौर से गुजर रही है तो ये बुक आपको काफी हेल्प करने वाली है. तो देर किस बात की है! तैयार हो जाओ, और इस यूनिक जर्नी को एन्जॉय करो.

द लाइ: समथिंग एल्स विल मेक में हैप्पी)
एक झूठ: मुझे कोई और खुश रखेगा (The Lie: Something Else Will Make Me Happy)

हैप्पीनेस हर इन्सान की जरूरत है. कुछ लोग मानते है कि खुशियाँ पैसे से मिलती है तो कुछ को लगता है कि अगर वो किसी अनजान जगह पे चले जाए तो खुश रहेंगे. ये सच है कि लाइफ काफी हार्ड है और कई बार हम अपनी परेशानियों से जूझने में नाकाम रहते है लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं कि हम खुशियों की उम्मीद ही छोड़ दे.

असल में हमारी हैप्पीनेस ना तो हमारे सोशल स्टेट्स पे डिपेंड करती है और ना ही हमारे लोकेशन पर. हम कौन है, कहाँ रहते है, क्या करते है, इन सब बातो का हमारी खुशियों से कोई लेना-देना नहीं होता. क्योंकि ये हमारे ऊपर है कि हम खुश रहना चाहते है या नहीं.

अगर हम ये सोचना छोड़ दे कि दुसरे लोग हमसे ज्यादा अच्छे है, तो भी हम खुश रह सकते है. बस हमे अपने अंदर वो पोजिटिवनेस और कांफिडेंस लाना है. और जो चीज़े हमे सच्ची ख़ुशी देती है, उसे कभी नहीं छोड़ना है, फिर चाहे कितनी ही प्रोब्लम्स क्यों ना आये. इस बुक की ऑथर रेचल भी किसी खुशहाल फेमिली में पैदा नहीं हुई थी. अगर आप उनसे उनके बचपन के बारे में पूछोगे तो वो ये नही कहेगी कि” मेरा बचपन बड़ा दुखी या डिप्रेस्ड था”.

बल्कि बोलेगी कि उनका बचपन एक बेहद बुरे दौर से गुज़रा है. उनके फादर काफी गुस्से वाले थे. और मदर उन लोगो में से थी जो अपनी प्रोब्लम्स से बचने के लिए हर वक्त सोते रहते है. उनके घर में खूब सारी पार्टीज़ होती थी और लड़ाई-झगड़े भी जमकर होते थे. रेचल जब फोर्टीन की हुई तो उसके भाई ने सुसाइड कर लिया था. यही से रेचल की लाइफ में एक टर्निंग पॉइंट आया, जिसने उसकी जिंदगी को बद से बदतर बना दिया था. और उस दिन रेचल को एक कड़वी सच्चाई पता चली” उसे हर हाल में अपने लिए एक बैटर लाइफ क्रिएट करनी है.

अगर उसे खुश रहना है तो उस घर को छोड़ना ही पड़ेगा. और रेचल ने खूब मेहनत से पढाई करनी शुरू कर दी और जल्दी ही ग्रेजुएशन पूरी कर ली. फिर वो कॉलेज की पढाई के लिए कैलीफोर्निया चली गयी. रेचल लोस एंजेल्स (In LA, ) की चमक-दमक में खो गयी. ये जगह ऐसी थी कि जहाँ कुछ भी हो सकता था. रेचल को इस शहर से प्यार हो गया था. उसे यहाँ घूमना-फिरना बड़ा अच्छा लगता था. सबसे ज्यादा अट्रेक्ट तो वो यहाँ के पेड़ो को देखकर थी जो एकदम सिमिट्रिकल दिखते थे.

रेचल अपना घर छोड़ कर यहाँ रहने आई थी और काफी खुश थी. टाइम गुजरता गया, मौसमे बदले, रेचल इस शहर के रंग में ढलती चली गयी, ये उतना भी ग्लैमरस नहीं था जैसा उसे लगता था और ना ही वो अब पहले जैसी इप्रेस्ड थी इस शहर से. इस शहर ने उसे एक ऐसा लेसन दिया था जो वो कभी नहीं भूल सकती थी.

अपने हालात से भागना या शहर बदल देने से प्रोब्लम्स सोल्व नहीं होती. खुश रहने का मतलब है कि आप जहाँ रहो, जिस हाल में रहो, आपके अंदर एक सेटिसफेक्शन और फुलफिलमेंट की फीलिंग होनी चाहिए. आप खुश तब होते हो जब आप होना चाहते हो. और आप खुश तब होते हो जब आप पोजिटिव सोचते हो, और आप खुश तब रहते हो जब आप खुद को दूसरो से कम्प्येर करना छोड़ देते हो.

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द लाइ: आई विल स्टार्ट टूमोरो
एक सबसे बड़ा झूठ: मै कल से स्टार्ट करुँगी (The Lie: I’ll Start Tomorrow)

पिछली रात मैंने फैसला लिया था कि कल से मै रोज़ सुबह अर्ली मोर्निंग 30 मिनट की जोगिंग करुँगी. क्या लगता है आपको मैंने सुबह क्या किया होगा? कुछ नही. ये कहानी हम सब की है. हम लोग खुद से कई सारे प्रोमिस करते है, कई सारे ऐसे डिसीजंस लेते है जो हम पूरे नहीं कर पाते. और प्रोब्लम ये है कि हमे आदत सी हो गयी है कि जो हमे करना है, हम वो नहीं करते. मगर ये हैबिट अब हमे चेंज करनी होगी.

अगर हमे अपनी लाइफ में बदलाव चाहिए तो हमे आज का काम कल पे टालने की आदत छोड़नी होगी. आपको अपने ओल्ड पैटर्न्स चेंज करने होंगे, हालाँकि ये काम धीरे-धीरे होगा. क्योंकि रातो-रात कुछ भी बदलना पॉसिबल नहीं है. स्टार्टिंग में एक छोटा सा गोल सेट करो जिसे आप एक महीने में पूरा कर सको.

ये आपको और ज्यादा ऑनेस्ट और डिसप्लीन रखने में हेल्प करेगा. आपको अपनी बात पर पूरा उतरने की कोशिश करनी है. रेचल ने अपनी लाइफस्टाइल में चेंज लाने के लिए सबसे पहले डाईट कोक छोड़ी. डाईट कोक उसकी फेवरेट ड्रिंक थी, और वो इसे छोड़ने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकती थी.

डाईट कोक कितनी हार्मफुल है, ये तो सबको पता है. रेचल को जब पता चला कि डाईट कोक की वजह से उसकी हेल्थ खराब हो रही है तो उसने डिसाइड किया कि अब से वो दिन में सिर्फ एक बार पीयेगी. हालाँकि ये उसके लिए थोडा मुश्किल था, क्योंकि उसे इसकी आदत पड़ चुकी थी. फिर जब वो बीमार पड़ी तो उसे जंक फ़ूड और कोक सब छोड़ने पड़े. रेचल को हेल्दी डाईट लेनी थी इसलिए उसे डाईट कोक छोडनी पड़ रही थी. पहले तो उसे ये आईडिया ही पंसद नहीं आया.

उसने सोचा” ये तो गलत बात है कि किसी को उसकी फेवरेट चीज़ छोड़नी पड़े”. रचेल को लगता था कि कोक छोड़ना ऐसा ही है जैसे कि इलेक्ट्रीसिटी को छोड़ना. और ये एकदम इम्पॉसिबल है. तो रचेल ने शुरुवात में एक महीने का टारगेट रखा. एक महीना काफी शोर्ट पीरियड था लेकिन उसने सोचा कि वो मैनेज कर लेगी. स्टार्टिंग में उसे थोडा अजीब लगा क्योंकि इससे पहले उसने ऐसा कोई गोल नहीं सेट किया था.

लेकिन फाइनली रेचल पूरे एक मन्थ के लिए कोक छोड़ने में कामयाब रही. फर्स्ट वीक तो काफी मुश्किल गया लेकिन उसने हार नहीं मानी. जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, वो खुद को पहले से हेल्थी फील कर रही थी और यही चीज़ उसे मोटिवेट करने के लिए काफी थी. रचेल जब पूरे एक मन्थ तक अपने डिसीजन पर कामयाब रही तो उसे यकीन हो गया कि अगर वो पक्का इरादा कर ले तो कुछ भी कर सकती है. उसे अब तक सिर्फ एक ही चीज़ रोकती आ रही थी और वो थी उसकी ओल्ड हैबिट्स.
द लाइ: आई ऍम नोट गुड इनफ
एक और झूठ: मै उतनी भी अच्छी कहाँ हूँ (The Lie: I’m Not Good Enough)

क्या कभी आपको किसी ने बोला है कि आप बहुत हार्ड वर्क करते हो? अगर ऐसा है तो शायद आप इस बात पे यकीन करते होंगे कि बिजी लाइफ होना ख़ुशी की बात है. आपको लगता है कि आप प्रोडक्टिव हो, और अपने सारे सपने पूरे कर सकते हो. लेकिन क्या आपको कभी ये नहीं फील हुआ कि आप काम के गुलाम होते जा रहे है? कई बार थेरेपी लेना अच्छा होता है. ये आपको समझने में हेल्प करेगी कि आप इतना काम क्यों करते है. आप जानते हो कि डेली इतना स्ट्रेस लेने से आपकी हेल्थ अफेक्ट हो सकती है फिर भी आप खुद को रोक नहीं पाते.

लेकिन आपको अपना ध्यान रखना है. सबसे पहले खुद को इम्पोर्टेंस दो, अपनी हेल्थ का ख्याल रखो, हो सके तो एक वेकेशन ले लो. रचेल के केस में, पहले वो एक वर्कोहोलिक थी और उसे इस बात का प्राउड भी था. उसे अपनी जॉब से प्यार था और वो कई घंटे लगातार काम कर सकती थी. वो काम में इतनी डूब जाती थी कि उसे कुछ होश नहीं रहता था. मगर फिर रचेल को हेल्थ रिलेटेड काफी प्रोब्लम्स होने लगी. एक टाइम उसने नोटिस किया कि फेशियल फीचर्स मूव नहीं कर रहे है.

पहले उसकी आँखे और फिर उसके मुंह ने रिस्पोंड करना बंद कर दिया. रचेल को लगा शायद उसे स्ट्रोक आने वाला है. वो बेहद डर गयी थी. वो डॉक्टर के पास गयी तो उसने बताया कि ये स्ट्रेस की वजह से हो रहा है. रचेल जो मेडिसिन ले रही थी उससे वो काफी स्लो और थकी-थकी रहती थी. और फिर उसे वर्टिगो की प्रोब्लम हो गयी. अब रचेल ने और भी ज्यादा हार्ड वर्क करना शुरू कर दिया था क्योंकि वो हेल्थी नहीं थी. इससे उसके स्ट्रेस का लेवल और भी बढ़ गया.

अब उसने सोचा कि उसे होमियोपेथिक डॉक्टर के पास जाना चाहिए. डॉक्टर ने उसकी सारे बाते सुनी, फिर उसने रचेल को स्ट्रेस से होने वाली प्रोब्लम्स के बारे में बताया. रचेल को डॉक्टर की बाते बोर लग रही थी, उसे लगा ये डॉक्टर सिर्फ बाते करता है. वो सोच रही थी कि डॉक्टर उसे जल्दी से मेडिसिन लिख कर दे दे तो वो चली जाए.

हालाँकि डॉक्टर ने उसे कोई मेडिसिन नहीं दी बस एक सिंपल एडवाइस दी. घर जाओ और रेस्ट करो. रचेल को खाली बैठने का आईडिया ही नर्वस कर देता था. क्योंकि वो एक वर्कोहोलिक थी. वो ज्यादातर टाइम अपने जॉब में बिजी रहती थी. अपने फ्री टाइम में भी या तो वो क्लीनिंग करती थी या अपने बच्चो के साथ कोई एक्टिविटी करती रहती थी.

मगर अब उसे घर जाकर बस आराम करना था और टीवी देखना था. तो रचेल जब अपने घर आई तो उसने एक स्ट्रेंज कांसेप्ट के बारे में सोचा. उसे रिएलाइज हुआ कि उसे अपनी हेल्थ का ख्याल रखने का पूरा राईट है. इसलिए अब से वो कम काम करेगी और भरपूर रेस्ट करेगी. तो इस तरह रचेल ने अपनी लाइफस्टाइल चेंज की. उसने काम के घंटे कम कर दिए और चाय-कॉफ़ी भी कम कर दी. उसके बाद रचेल ने कुछ और थेरेपी सेशंस लिए.

उसने अब थोडा स्प्रिचुएलिटी की तरफ भी ध्यान देना शुरू कर दिया था. ये एक लॉन्ग प्रोसेस है जैसे कि कोई रातो-रात वर्कोहोलिक नहीं बनता वैसे ही आपको भी ये सीखना पड़ता है कि काम का प्रेशर कैसे कम किया जाये. शायद आप ये सोच सकते है कि अगर लाइफ में ज्यादा काम नहीं होगा, तो आप ज्यादा खुश रहेंगे. लेकिन रचेल की तरह आप भी वर्क लोड का प्रेशर कम कर सकते हो. और सीख सकते हो कि हमे लाइफ में खुश कैसे रहना है. आप चाहे तो फ्रेंड्स के साथ घूम सकते हो, शोपिंग जा सकते हो, सोफे में बैठकर टीवी देख सकते हो.

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