(Hindi) Freedom in Exile

(Hindi) Freedom in Exile

इंट्रोडक्शन (introduction)

एक टाइम था जब तिब्बत चाइना का सिर्फ एक फ्री इलाका नहीं था, और दलाई लामा सिर्फ एक स्प्रीचुअल लीडर ही नहीं बल्कि एक पोलिटिकल लीडर भी थे. तो फिर ऐसा क्या हुआ कि इतने शांत देश के अंदर खून खराबे होने शुरू हो गए, मार-काट होने लगी.? कैसे एक आदमी इस खून खराबे और वायोलेंस के बीच लोगो को बुदधा की टीचिंग सिखाने लगा जिसे लोग भूल चुके थे. फ्रीडम इन एक्ज़ाइल दलाई लामा की सिर्फ एक ऑटोबायोग्राफी नहीं है बल्कि ये सच्ची स्टोरी है तिब्बत के लोगो के सरवाईवाल की. जो हमे बताती है कि जब सारी उम्मीदे खो जाती है तो आप खुद को कैसे जिंदा रखोगे? आप अपने वैल्यूज को कैसे प्रोटेक्ट करोगे और कैसे चाइना जैसे जाएंट का मुकाबला करोगे? 

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होल्डर ऑफ़ द व्हाईट लोटस (Holder of the White Lotus )

बहुत से लोग मुझे यानी दलाई लामा को लिविंग बुद्धा मानते है. और कुछ मुझे एक गॉड किंग समझते है लेकिन मै तो बस एक इंसान हूँ, तिब्बत का रहने वाला एक सिंपल आदमी जिसने एक बुद्धिस्ट मोंक की लाइफ चूज़ की. एक दलाई लामा होने के नाते मेरी कुछ रिसपोंसीबिलिटीज है जो मुझे हर हाल में निभानी पड़ती है. दलाई लामा का मतलब होता है “ओसीन ऑफ़ विजडम यानी ” ज्ञान का समुंद्र” और मै तिब्बत का 14वाँ दलाई लामा हूँ.

मै अपनी ये स्टोरी दो मेन रीजन्स से लिख रहा हूँ. पहला तो ये कि ज्यादा से ज्यादा लोग दलाई लामा की लाइफ के बारे में जान सके, और दूसरा मै अपनी इस स्टोरी के ज़रिये हिस्ट्री की कुछ बातो पर लाईट डालना चाहता हूँ. मेरे पेरेंट्स सिम्पल फार्मर्स थे, लेकिन हमारी किस्मत अच्छी थी कि हमारे पास एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा था. मेरे फादर बड़े काइंड नेचर के थे लेकिन कभी-कभी वो शोर्ट टेम्पर हो जाते थे. क्योंकि जब भी मै जोर से उनकी मूंछे खींचता तो वो मेरी पिटाई कर देते थे. लेकिन ऐसा मै बचपन में करता था. मेरी मदर बड़ी सब्र वाली लेडी थी.

एक बार चाइना में भुखमरी फैली तो वहां के कुछ लोग खाने की तलाश में बॉर्डर क्रोस करके तिब्बत में घुस गए थे. एक कपल ने हमारा दरवाजा नॉक किया. उन्होंने मेरी मदर से खाने के लिए मांगा. मेरी मदर ने उन्हें ना सिर्फ भरपेट खाना खिलाया बल्कि साथ ले जाने के लिए कुछ एक्स्ट्रा खाना भी दिया. हम 7 भाई-बहन है, मेरे दो और भाई भी मेरी तरह मोंक है और दोनों मेरे सबसे ज्यादा क्लोज भी है. पहले तिब्बत के लोग बहुत एग्रेसिव और लड़ाकू हुआ करते थे लेकिन बुदधा की टीचिंग ने उन्हें पूरी तरह बदल दिया है. आज तिब्बत के लोगो की वॉर पॉवर उनकी स्ट्रेंग्थ ऑफ़ स्पिरिट में बदल चुकी है. आज की डेट में बूदधीज़्म तिब्बतेन सोसाइटी का एक वाइटल पार्ट बन चूका है.

तिब्बत में ऐसा माना जाता है कि हर नया दलाई लामा अपने से पहले वाले दलाई लामाओं का दूसरा जन्म है. और वो भगवान बुद्ध का ही दूसरा रूप है जिनके हाथ में व्हाईट लोटस है. मुझे जब 13वा दलाई लामा बनाया गया तो मै सिर्फ 3 साल का था. दलाई लामा के रीकारनेशन को ढूढने के लिए एक सर्च पार्टी भेजी जाती है. एक दिन सीनियर लामा को एक सपना आया कि वो पवित्र लेक को देख रहे थे कि अचानक हवा में तीन शब्द उभरे. ये वर्ड्स थे, आह, का और मा. उसके बाद सीनियर लामा ने पहाड़ी पर एक छोटा सा घर भी देखा. उस ड्रीम के बेस पर तिब्बत के नार्थ ईस्ट पार्ट में एक सर्च पार्टी भेजी गयी.

सर्च पार्टी अमदो प्रोविंस (Amdo province) पहुंची. फिर वो लोग कुम्बुम मोनेस्ट्री गए. वहां से उन्हें पहाड़ी पर बना वही घर नज़र आया जो सीनियर लामा को सपने में दिखा था. सर्च पार्टी ने उस घर में जाकर घर के मालिक से वहां रात गुज़ारने की परमिशन मांगी. उन्होंने अज्यूम किया कि आ से आमदो हो सकता है और का का मतलब होगा कुम्बुम और मा का मतलब सेरा लामा.

सर्च पार्टी के लीडर ने एक सर्वेंट होने का नाटक किया. लेकिन घर के सबसे छोटे 3 साल के बेटे ने उसे पहचान लिया” सेरा लामा, सेरा लामा”, छोटा लड़का चिल्लाया. सर्च पार्टी का लीडर एक्चुअल में सेरा मोनेस्ट्री का सीनियर मोंक क्यूसेंग रिनपोंचे (Kewtsang Rinpoche ) था. उसके बाद सर्च पार्टी ने उस बच्चे बहुत सी चीज़े गिफ्ट की. जिनमे से कुछ 13वे दलाई लामा की थी. हैरत की बात थी कि उस छोटे से बच्चे ने दलाई लामा की सारी चीज़े उठा ली और कहा” ये मेरी है, ये मेरी है. और उसी मोमेंट से मेरी लाइफ चेंज हो गयी.

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द लायन थ्रोन ( The Lion Throne)

जब मुझे अपने पेरेंट्स से दूर जाना पड़ा तो मै बड़ा दुखी था. लेकिन वो लोग बीच-बीच में मुझसे मिलने आ सकते थे. मोंक्स मुझे पोटाला पैलेस लेकर गए. मुझे तिब्बत का स्प्रिचुअल लीडर अनाउंस करने के लिए एक सेरेमनी रखी गयी. मै छोटा सा बच्चा था फिर भी मुझे लायन थ्रोन में बैठाया गया था. ये थ्रोन बड़ा सुंदर था जिसमे खूबसूरत नक्काशी की गयी थी और इसमें खूब सारे जवाहरात जड़े हुए थे. सेरेमनी के बाद एक मोंक की तरह मेरी ट्रेनिंग शुरू हो गयी. मै एक ख़ास मोंक था. रिनपोंचे और स्प्रिचुअल मास्टर्स मेरा ध्यान रखते थे. वहां पर रेतिंग रिनपोंचे भी थे जो रेजेंट या टेम्परेरी पोलिटिकल लीडर थे. और वही मेरे सीनियर ट्यूटर भी थे. वहां तथाग रिनपोंचे भी थे जो मेरे जूनियर ट्यूटर थे.

ये लोग मेरे साथ बड़े ही काइंड और वार्म वे में बिहेव करते थे. अक्सर हमारे टीचिंग लेसंस खत्म होने के बाद तथाग रिनपोंचे मुझे स्टोरीज़ और चुटकुले सुनाया करते थे.सर्च पार्टी के लीडर थे केवसांग रिनपोंचे (KewtsangRinponche, ), वो मेरे थर्ड ट्यूटर थे. क्योंकि वो भी आमदो से थे तो मै उनके ज्यादा क्लोज फील करता था. कभी-कभी जब केवसांग रिनपोंचे (Kewtsang Rinpoche ) मुझे कितबा से कुछ पढकर सुनाने के लिए बोलते थे तो मै उनकी गर्दन में झूलकर हंसने लगता था.” तुम पढो, तुम पढो” मै मस्ती में उनसे बोलता था. 8 साल का होने तक मेरे ब्रदर लोबसान्ग सामतेन और मेरी पढ़ाई एक साथ हुई थी, उसे भी मोंक बनने की ट्रेनिंग दी जा रही थी. हमारी मोनेस्ट्री में एक जगह थी जो स्कूलरूम की तरह यूज़ होती है.

वहां के स्वीपर्स हमारे फ्रेंड्स और प्लेमेट थे. मै सुबह छेह बजे उठता था और अपना रोजना के कपड़े पहनता था. सुबह उठके मेरा सबसे पहला काम था प्रेयर और मेडीटेशन करना. 7 बजे मुझे ब्रेकफ़ास्ट में चाय के साथ तिब्बतेन स्टेपल फ़ूड सम्पा (tsampa) सर्व किया जाता था. फिर उसके बाद मै अपने लेसंस करता था. पहले रीडिंग और राइटिंग की प्रेक्टिस और फिर लेसंस मेमोराइज़ करना. 10 बजे मुझे गवर्नमेंट मीटिंग अटेंड करनी होती थी जिसमे मेरे साथ रिजेंट और काशेगऔर हाई काउंसिल के चार आदमी रहते थे. दोपहर में लंच की बेल बजती. लंच खत्म करने के बाद मुझे कुछ देर खेलने की परमिशन थी.

मेरे पास बहुत सारे टॉयज थे जिनसे मै खेलता था. ये सारे टॉयज उन फॉरेन डेलिगेट्स ने मुझे गिफ्ट किये थे जो मुझसे मिलने आया करते थे. ब्रिटिश डेलिगेट्स ने मुझे कई सारे कन्स्ट्रक्शन सेट्स दिए थे. और अमेरिकन्स डेलिगेट ने मुझे दो खूबसूरत सिंगिंग बर्ड्स प्रजेंट की थी. मुझे 5 मेजर सब्जेक्ट्स पढाए जाते थे, मेडीसीन, संस्कृत, तिब्बतेन कल्चर और आर्ट्स. इसके अलावा मुझे म्यूजिक, पोएट्री, ड्रामा और एस्ट्रोलोजी भी सिखाई गयी. सबसे इम्पोर्टेंट चीज़ मुझे जो सिखने को मिली वो थी डिबेट और पब्लिक स्पीकिंग. 

शाम के 4 बजे टी ब्रेक होता था. वर्ल्ड में ब्रिटिश लोगो के बाद अगर कोई सबसे ज्यादा चाय पीते है तो वो है हम तिब्बती लोग. 5 बजे जैसे ही मेरे लेसंस खत्म होते, मै भागकर छत पर जाता और अपने टेलीस्कोप से पूरे शहर को एक्सप्लोर करता था. 7 बजे मेरा डिनर टाइम था. खाने में अक्सर वेजीटेबल सूप, योगर्ट, ब्रेड और चाय होती था. मै अपने तीन मोंक अटेंडेंटस के साथ खाना खाता था. कभी-कभी स्वीपर्स भी हामें ज्वाइन करते.

सोने से पहले मै कोर्टयार्ड में जाकर स्क्रिप्टचर पढता और प्रेयर करता था. मेरा कई सालो तक यही हैप्पी और कोम्फर्टबल रूटीन रहा. मेरे ट्यूटर्स, मेरे अटेंडेंटस और मेरे स्वीपर्स सबने मुझे खूब प्यार दिया. उनकी देख-रेख ने मुझे एक शरारती बच्चे से एक रिस्पोंसीबल टीनएजर बनाया था. तब तक तिब्बत एक सेफ और पीसफुल एरिया था. और फिर 1950 की ट्रेजडी हुई.

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