(hindi) Feel The Fear And Do It Anyway

(hindi) Feel The Fear And Do It Anyway

इंट्रोडक्शन

आपको किस चीज़ से सबसे ज़्यादा डर लगता है? ऐसी कौन सी चीज़ है जो आपको अपने सपनों को पूरा करने से और उन चीज़ों को हासिल करने से दूर कर रही है जो आप करना चाहते हैं ? क्या आपको लगता है कि आप एक जगह अटक गए हैं जहां से आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते?

अगर हाँ, तो मैं आपको बता दूं कि बस एक शब्द है जो आप पर इतना बोझ डालता जा रहा है.ये हमारे साथ हर जगह मौजूद होताहै, जब तक हम उसे गहराई से महसूस नहीं करते  तब तक इसबात को एक्सेप्ट नहीं करना चाहते कि वो मौजूद है. और वो खतरनाक शब्द है FEAR यानी “डर” .

इस बुक में आप सीखेंगे कि डर की पहचान कैसे करें और ये हमारी जिंदगी पर क्या क्या असर डालता है. आप डर का सामना करना और उसे कंट्रोल करना भी सीखेंगे.डर के कारण जो चीज़ें आपसे छूट रही हैं आप उसे भी एक्सपीरियंस करना सीख जाएँगे.

इस बुक के अंत तक आप ख़ुद को पर्पस, मीनिंग और प्यार के साथ एक अलग अंदाज़ में देखने लगेंगे. अगर आप अपनी जिंदगी बदलने के लिए तैयार हैं तो हमारे साथ अंत तक जुड़े रहें और आप देखेंगे कि जिन चीज़ों से आपको सबसे ज़्यादा डर लगता है उन्हें एक्सेप्ट करने से कितना फ़र्क पड़ता है.

What Are You Afraid Of And Why?

डर ही वो कारण है जिसकी वजह से हम उस ख़ुशी को एक्सपीरियंस नहीं कर पाते जिसकी तलाश में हम लगे रहते हैं. जिंदगी अपनी प्लेट में हमें क्या कुछ सर्व करती है उस पर हमारा कोई कंट्रोल नहीं है लेकिन अगर वो कोई दर्दनाक एक्सपीरियंस भी हुआ तो हम उसे सहने लायक तो बना ही सकते हैं.तो आइए पहले डर को समझते हैं.

डर के तीन लेवल होते हैं – लेवल 1 वो चीज़ें हैं जो सच में होती हैं और जिसके लिए एक्शन लेने की ज़रुरत है. लेवल 2 में ईगो जैसे इमोशन शामिल होते हैं जैसे रिजेक्शन, फेलियर, इमेज खराब होने का डर और असहाय महसूस करना. लेवल 3 है सबसे बड़ा डर जिसमें ये सोच आ जाती है कि “मैंइसे हैंडल नहीं कर सकता”.

आप फ्यूचर के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते इसलिए आपको कभी भी बिना कोशिश किए नहीं कहना चाहिए कि “मैं इस प्रॉब्लम को हैंडल नहीं कर सकता”. ख़ुद पर विश्वास करने से और अपने डर से भागने के बजाय उसका सामना करने से आप किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं.आइए एक कहानी से इसे समझते हैं.

एक आदमी अपने बचपन के दिनों को याद कर रहा था.रह रह कर उसे बस अपनी माँ का ख़याल आने लगा.जब भी वो घर से कहीं बाहर जाता तो उसकी माँ कहती, “बेटा, अपना ध्यान रखना”. वो आदमी सोचने लगा, इन सिंपल से शब्दों में दो message छुपे हैं, पहला कि “ये दुनिया सेफ़ नहीं, डेंजरस है” और दूसरा, “तुम इसे हैंडल नहीं कर पाओगे”. लेकिन उस वक़्त वो आदमी एक नादान बच्चा होने के कारण कभी इसका सही मीनिंग समझ ही नहीं पाया. उसकी माँ सिर्फ़ इस बात से चिंतित थी कि अगर उसके बेटे को कुछ हो जाता है तो वो उसकी रक्षा करने के लिए वहाँ मौजूद नहीं होगी.

इसी तरह सालों बीत गए,बच्चा अब बड़ा हो गया था लेकिन अब भी बाहर जाते समय उसकी माँ उसे कहती “बेटा, सावधान रहना, अपना ध्यान रखना”. बड़े और mature होने के बाद जाकर वो अपनी माँ की बातों की गहराई को समझ पाया. असल में वो ये कहना चाहती थी कि अगर उसके साथ कुछ बुरा हो जाएगा तो वो ख़ुद को संभाल नहीं पाएगी और टूट जाएगी.

एक दिन, उसकी माँ बहुत बीमर हो गई. उन्हें तुरंत ICU में एडमिट करवाया गया. एक मेजर ऑपरेशन के बाद जब वो आदमी अपनी माँ से मिलने गया तो उनके नाक और गले में पाइप लगी हुई थी. बिना ये जाने कि वो सच में उसे सुन पा रही है या नहीं, वो झुका और अपनी माँ के कान में धीरे से कहा “ मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ माँ. मुझे छोटा सा काम है और मैं अभी वापस आता हूँ”.

दरवाज़े के पास पहुँचने पर उसे एक धीमी आवाज़ सुनाई दी “अपना ध्यान रखना बेटा”. ये सुनकर उसका दिल भर आया और उसकी आँखों से आखों छलकने लगे. वो सोचने लगा “मैं तो शायद गिन भी नहीं सकता किइतने सालों में माँ ने ये बात कितनी बार कही है.

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Can’t You Make It Go Away?

एक सच जो कभी बदलने वाला नहीं वो ये है कि ये जो हमारा डर है ना वो कभी भी पूरा ख़त्म होने वाला नहीं है लेकिन वो आपकी जिंदगी पर कितना असर डालता है आप उसे ज़रूर कंट्रोल कर सकते हैं.डर को शांत और काबू में किया जा सकता है लेकिन किसी भी नई सिचुएशन में वो दोबारा लौटकर आ जाता है.ये एक साईकल की तरह है जो फ़िर से शुरू हो जाएगा जब तक आपको इसकी आदत नहीं हो जाती.

जो लोग एंटरटेनमेंट और पब्लिक सेक्टर में काम करते हैं वो भी इस डर को एक्सपीरियंस करते हैं.चाहे आप कोई भी हों, हम सभी इस डर को महसूस करते हैं. इसलिए वो चीज़ें करना जो आपके कम्फर्ट ज़ोन से बाहर हों, कुछ हद तक आपके डर को कम कर सकते हैं.

एक औरत थी जिसका हाल ही में तलाक हुआ था. तलाक होने से पहले, वो हर चीज़ के लिए अपने पति पर डिपेंडेंट थी. तलाक के बाद, उस औरत के पास नई चीज़ों को सीखने के अलावा कोई चारा नहीं था.उसे काम करने का कोई एक्सपीरियंस नहीं था और ना ही उसे बाहर निकलकर कभी दुनिया का सामना करने की ज़रुरत पड़ी थी.वो बहुत डरी हुई थी लेकिन उसने चीज़ों को बीच में छोड़ा नहीं.वो नई चीज़ें सीखने लगी.इस वजह से धीरे-धीरे उसमें सेल्फ़-कांफिडेंस डेवलप होने लगा.

हर दिन, उसने कुछ नया सीखा. अपने दम पर प्रॉब्लम को हैंडल करने की एबिलिटी ने उसके डर को कम करना शुरू कर दिया था. लेकिन जब भी वो कुछ नया एक्सपीरियंस करती तो वो डर लौट आता था.लेकिन उसकी खासियत यही थी कि वो अपने डर से डरकर पीछे नहीं हटी क्योंकि वो जानती थी किजब तक वो भागना बंद नहीं करेगी तब तक ये डर उसे भगाना बंद नहीं करेगा. तो उसने सोचा कि अगर किसी को भागना ही है तो क्यों ना डर को भगाया जाए.

इसी तरह एक बार एक मेयर थे जो tap डांस सीखना चाहते थे. ये एक पब्लिक इवेंट के लिए था जिसमें उन्हें एक ब्रॉडवे कास्ट के साथ परफॉर्म करना था. यूं तो मेयर को हज़ारों लोगों के सामने स्पीच देने की आदत थी और उन्हें ऐसे डिसिशन भी लेने पड़ते थे जिसका असर हज़ारों लोगों पर पड़ता है. लेकिन डांस के मामले में वो ज़रा अनाड़ी थे और उन्हें tap डांस सीखने में डर लग रहा था. ये उनके लिए एक बिलकुल नया एक्सपीरियंस था लेकिन उन्होंने इसे ट्राय करने का फ़ैसला किया.

उन्होंने ख़ुद को याद दिलाया कि नई चीज़ें सीखते वक़्त डर लगना बिलकुल नेचुरल है. हिम्मत कर उन्होंने डांस सीखना शुरू किया. कई दिनों तक प्रैक्टिस करने के बाद, मेयर का डर धीरे-धीरे कम होने लगा और उनमें कांफिडेंस आने गया. उन्होंने सोचा “ये थोड़ा मुश्किल ज़रूर है लेकिन मैं इसे संभाल लूँगा.”

एक एक कर दिन बीत रहे थे और आखिर इवेंट का दिन आया.मेयर ने परफेक्ट डांस करने के बारे में नहीं सोचा ,उन्होंने बस दिल खोलकर डांस किया.लोगों को उनका परफॉरमेंस बेहद पसंद आया और सभी ने उनके लिए ख़ूब तालियाँ बजाई.

सच तो ये है कि हम सभी लाइफ के किसी ना किसी मोड़ पर डर को ज़रूर महसूस करते हैं.चाहे आप कोई भी हों, अपने डर को एक्सेप्ट कर आप उसे हरा सकते हैं.

From Pain to Power

लाइफ में रिस्क लेना आपको और भी ज़्यादा पावरफुल बना देता है.हर स्टेप के साथ कांफिडेंस हासिल करना आपको डर के मौजूद होने के बावजूद दुनिया को एक्सपीरियंस करने का मौका देता है.

हम सब के अंदर पॉवर होती है और किसी भी सिचुएशन में जब हम डरे हुए हों तो हम ख़ुद को कांफिडेंस दिलाने के लिए उस पॉवर को यूज़ कर सकते हैं.

पॉवर का मतलब लोगों पर रौब जमाना या उन्हें कंट्रोल करना नहीं होता. हम जिस पॉवर की बात कर रहे हैं वो आपकी ख़ुशी को कंट्रोल करने की एबिलिटी और आप जिस तरह अपनी लाइफ जीते हैं उस बारे में है.आइए एक कहानी से इसे समझते हैं.

एक औरत को पता चला कि उसके पति को कैंसर हो गया था. इस खबर ने उन दोनों की जिंदगी बदलकर रख दी. वो औरत इतना डर गई थी कि उसने सिचुएशन को संभालने की अपनी पॉवर ही खो दी. लेकिन जैसे –जैसे दिन बीतते गए उसने नई चीज़ें सीखीं. अब वो इस सिचुएशन को एक नए नज़रिए से देखने लगी.

उसने महसूस किया कि ऐसे कई लोग हैं जो उसकी और उसके पति की परवाह करते हैं. हर दिन लड़ने झगड़ने के बावजूद उनका एक दूसरे के लिए प्यार बढ़ने लगा था. उस औरत ने गुस्से और कड़वाहट की भावना को ख़ुद से दूर कर दिया. वो अब स्ट्रेस महसूस नहीं करती थी. किसी भी चैलेंज का सामना करने के लिए उसमें कांफिडेंस भरने लगा था.

एक-एक करके दोनों पति पत्नी ने अपने अंदर की हर नेगेटिव फीलिंग से छुटकारा पाया और अपने अंदर की पॉवर को खोजा.

समय के साथ, उस आदमी की सेहत बेहतर होने लगी. इतना ही नहीं, अब वो दोनों साथ मिलकर दूसरे कैंसर पेशेंट्स की मदद करने में लग गए.

अंत में, आपका विलपॉवर आपकी कमज़ोरी को हरा देता है. आप जितना ज़्यादा प्रॉब्लम का सामना करेंगे, आप उतने ज़्यादा पावरफुल हो जाते हैं.

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