(hindi) Failing Forward: Turning Mistakes Into Stepping Stones for Success
इंट्रोडक्शन
जब चीज़ें आपके हिसाब से नहीं होती तो आप क्या करते हैं? आप फेलियर का सामना कैसे करते हैं? अगर आपको एक option दिया जाए कि आप जो भी करेंगे उसमें सक्सेसफुल होंगे तो क्या आप उसे चुनेंगे?
हम में से कोई कभी फेल नहीं होना चाहता लेकिन कई बार हमें फेलियर का सामना करना ही पड़ता है. ये एक ऐसी चीज़ है जिससे बचना नामुमकिन जैसा ही होता है. फ़िर भी हम अपने फेलियर के लिए हमेशा शर्मिंदा महसूस करते हैं. लेकिन क्या असल में फेल होना इतना बुरा होता है?
इस बुक में आप सीखेंगे कि कई बार फेल होना सक्सेस तक पहुँचने का रास्ता कैसे बनाता है. ये बुक आपको फेलियर का एक नया डेफिनिशन समझाएगी और फेलियर कैसे आपकी जिंदगी बदलता है आप वो समझने लगेंगे. सक्सेसफुल लोगों की कहानियों में स्ट्रगल का कितना अहम् रोल रहा है आप वो भी जानेंगे. इस बुक को ख़त्म करने तक आप समझ जाएंगे कि अगर गलति हो जाए तो घबराना नहीं चाहिए क्योंकि वो गलती आपको कुछ ना कुछ सिखाती ज़रूर है.
What's the Main Difference Between People Who Achieve and People Who Are Average?
एचीवर्स को एचीवर इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो हासिल करने का ज़ज्बा रखते हैं. यहाँ तक कि हर चीज़ उनके ख़िलाफ़ हो या अनगिनत लोग ट्राय कर के हार चुके हों, तब भी वो कोशिश करने से डरते नहीं हैं. लेकिन एचीवर्स असल में ऐसा क्या करते हैं जो ज़्यादातर लोग नहीं करते? वो कौन सी ख़ास बात है कि जिसके कारण वो एक के बाद एक सक्सेस हासिल करते चले जाते हैं?
पहली बात, इसका उनके बेकग्राउंड या फॅमिली से कोई लेना देना नहीं होता. बहुत से लोग जो लो इनकम बेकग्राउंड से थे उन्होंने एक्स्ट्राआर्डिनरी सक्सेस हासिल कर इसे साबित किया है. टॉप पर पहुँचने से पहले उन्हें अनगिनत बार पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा था.
दूसरा, किसी के पास कितनी दौलत है ये कभी सक्सेस की guarantee नहीं देता. तीसरा, opportunity एक reasonable फैक्टर है यानी कि हो सकता है कि दो लोग हर पहलू में बिलकुल सेम हों जैसे एजुकेशन, टैलेंट वगैरह खासकर उनके पास जो opportunity है उस मामले में भी वो सेम हों , फ़िर भी उनमें से एक हमेशा ज़्यादा सक्सेसफुल होगा.
इस बुक के ऑथर जॉन के अनुसार सिर्फ़ एक ही फैक्टर है जो एचीवर्स को दूसरों से अलग बनाती है. वो है कि वो फेलियर को किस नज़रिए से देखते हैं और उसकी तरफ़ कैसे respond करते हैं. चाहे आप मानें या ना मानें, लेकिन आप फेलियर को कैसे देखते हैं वो आपकी जिंदगी के हर पहलू को बदल सकता है.
हम इसी सोच के साथ बड़े हुए हैं कि किसी भी चीज़ में फेल होना इतनी बुरी चीज़ है कि मानो हमारी दुनिया ही ख़त्म हो गई है. स्कूल में अगर रेड मार्क्स आते थे जो इसका मतलब होता था कि या तो हमने पढ़ाई नहीं की या फ़िर हमें वो सब्जेक्ट समझ ही नहीं आया. लेकिन सिर्फ़ मार्क्स कम आने का मतलब फेलियर होना नहीं होता. फेलियर एक प्रोसेस है. आपको फेलियर को कॉन्फिडेंस के साथ एक्सेप्ट करने के लिए ख़ुद को ट्रेन करना होगा. तभी आप अपने मनचाहे गोल्स को अचीव कर पाएंगे.
आपको प्रोब्लम्स को देखने का अपना नज़रिया भी बदलना होगा. जब तक जिंदगी है तब तक प्रोब्लम्स भी साथ-साथ चलेंगीं. इस बात पर ध्यान ना दें कि प्रॉब्लम बड़ी है या छोटी बल्कि इस बात पर फोकस करें कि आप उससे डील कैसे करेंगे और आप उससे क्या सीख सकते हैं. इसी का मतलब होता है फ़ेलिंग फॉरवर्ड.
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Get a New Definition of Failure and Success
फेलियर एक ऐसी चीज़ है जिसे टाला नहीं जा सकता. कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं है और चाहे आप फेलियर से बचने की लाख़ कोशिश करें फ़िर भी कभी ना कभी तो गलतियां हो ही जाएंगीं. बस ये समझ लीजिए कि ये एक ऐसा फ्री गिफ्ट है जो हर इंसान को मिला है.
जैसा कि हमने पहले कहा, फेलियर एक प्रोसेस है. ठीक वैसे ही सक्सेस भी एक प्रोसेस है. जॉन कहते हैं कि सक्सेस कोई मंज़िल नहीं है जहां आप एक दिन पहुंचेंगे. जो काम आप हर रोज़ करते हैं उससे आप सक्सेस हासिल करते हैं. यही बात फेलियर पर भी लागू होती है. एक छोटी सी गलती का मतलब ये नहीं है कि आप फेल हो गए हैं.
फेलियर के बारे में एक ग़लतफ़हमी ये है कि इसे फिगर या नंबर के रूप में देखा जाता है यानी कि आप फेलियर को कैसे डिफाइन करते हैं, ये देखकर कि आपने कितने पैसे खोए हैं या आपने कितनी बार डेडलाइन मिस की है? खैर, फेलियर को मापने के लिए ये सभी गलत स्टैण्डर्ड हैं.
फेलियर का मतलब हर एक के लिए अलग-अलग होता है यानी कि असल मायनों में सिर्फ़ आप ही बता सकते हैं कि आप फेल हुए या नहीं. फेलिंग फॉरवर्ड की सोच के हिसाब से फेलियर तब माना जाएगा जब आप अपनी गलतियों को एक पॉजिटिव नज़रिए से देखकर उससे कुछ सीखेंगे नहीं.
ज़्यादातर बिजनेसमैन को अपने पहले बिज़नेस में कामयाबी नहीं मिलती. कईयों को तो दूसरी या तीसरी कोशिश में भी हार का ही सामना करना पड़ता है. इस फेलियर के बाद भी वो चौथी या पांचवी बार कोशिश करने से पीछे नहीं हटते क्योंकि वो फेलियर को एक सेटबेक या हार के रूप में नहीं देखते. उनकी यही लगन उन्हें कामयाब बनाती है बस आप में डटे रहने का ज़ज्बा होना चाहिए. उनके लिए सक्सेस का मतलब होता है कभी हार ना मानना.
चार कदम आगे रखना और दो कदम पीछे आ जाने का मतलब यही होगा कि आपने दो कदम प्रोग्रेस किया है. फेलियर आपका दुश्मन नहीं है. वो आपको ज़्यादा एक्सपीरियंस्ड बनाता है, आपको ग्रो करने में मदद करता है.
NBA कोच, रिक पिटिनो के अनुसार फेलियर एक पॉजिटिव चीज़ है. रिक ने कोचिंग के बारे में जितना कुछ सीखा, सब अपनी पिछली गलतियों को देखकर सीखा.
जॉन को एक बार Chick-fil-A जो एक फ़ास्ट फ़ूड chain है, उनके फाउंडर Truett Cathy, के साथ डिनर करने का मौका मिला. ये डिनर बड़ी ही ख़ास मुलाक़ात साबित हुई, जॉन को इससे बहुत कुछ सीखने को मिला. Chick-fil-A बनाने का Truett का सफ़र बहुत ही दिलचस्प और इंस्पायरिंग था. ये इसका बहुत ही शानदार example है कि Truett किस तरह फेलियर को अलग तरह से देखते थे.
Truett जब बच्चे थे तब भी उनका माइंड एक बिजनेसमैन की तरह ही सोचता था. वो अक्सर कोक के कैन को ज़्यादा दाम पर बेचते जिससे उन्हें 20% प्रॉफिट होता था. मौसम के हिसाब से अगर कोक की डिमांड नहीं होती तो वो मैगज़ीन बेचने लगते.
कुछ सालों बाद Truett अपना ख़ुद का रेस्टोरेंट खोलने का सपना पूरा करना चाहते थे. अपने भाई बेन के साथ उन्होंने रेस्टोरेंट खोलने के लिए अच्छे ख़ास पैसे जमा कर लिए. पहले उनके रेस्टोरेंट का नाम Dwarf Grill था जिसे बाद में बदलकर Dwarf House कर दिया गया. हालांकि वो इसे सिर्फ़ एक हफ्ते के लिए खोल पाए, लेकिन ये एक सक्सेस थी मगर Truett को बिलकुल अंदाजा नहीं था कि उन्हें कितने झटके लगने वाले थे.
अपना बिज़नेस शुरू करने के तीन साल बाद, Truett ने अपने भाई और बिज़नेस पार्टनर बेन को एक प्लेन दुर्घटना में खो दिया. उन्हें इस दुःख से उभरने में एक साल लग गए. उसके बाद, Truett धीरे-धीरे अपने बिज़नेस पर फोकस करने लगे. अपने भाई को खोने के दो साल बाद, Truett ने एक और रेस्टोरेंट खोला. उनका बिज़नेस अच्छा चल रहा था जब एक दिन आधी रात उनके पास एक कॉल आया. ख़बर अच्छी नहीं थी. उनके दूसरे रेस्टोरेंट में आग लग गई थी जिससे सब कुछ बर्बाद हो गया. इसके ऊपर से उनके पास insurance भी नहीं था.
आग लगने के कुछ हफ़्तों बाद, Truett को पता चला कि उन्हें लार्ज intestine की सर्जरी करवानी पड़ेगी. इस वजह से उन्होंने जो पैसे दूसरे रेस्टोरेंट को दोबारा बनाने के लिए रखे थे, अपनी सर्जरी के लिए खर्च करने पड़े.
अपनी सर्जरी से रिकवर करने के दौरान Truett ऐसे आईडिया के बारे में सोचने लगे जो उनके रेस्टोरेंट को दूसरों से बिलकुल अलग और हटके बना सके. उन्हें हमेशा से चिकन बेहद पसंद था. तो उन्होंने सोचा कि अगर वो seasoning के साथ उसे मसालेदार सैंडविच में बदल दें तो कैसा रहेगा? इस आईडिया से Chick-fil-A की शुरुआत हुई. अब अमेरिका में Chick-fil-A के कई रेस्टोरेंट खुल चुके हैं. 2000 में इस कंपनी की वैल्यू बिलियन में थी. ये chain आज तक सक्सेसफुल बनी हुई है.
Truett ने जिंदगी में कई सेटबेक झेले. उन पलों से गुज़रना आसान नहीं था. लेकिन सिर्फ़ फेलियर की ओर अपने नज़रिए के कारण उन्होंने वो मुकाम पाया जो उनका सपना था.