(Hindi) Extreme Ownership: How U.S. Navy SEALs Lead and Win
परिचय
क्या आप जानना चाहते है कि अमेरिका के टाँप सोल्जर और वहाँ के नेवी सेल्स किस तरीके से सोचती है? वो अपनी रेशिप्नोशिबल्टीज को कैसे लेते है और एक छोटी सी गलती से क्या हो सकता है। अगर इसका जबाब हाँ है तो ये समरी आपको लिये ही है।
पार्ट 1: विनिंग द वार विदीन (Part I: Winning the War Within)
चैप्टर 1: एक्सट्रीम ओनरशिप (Chapter 1: Extreme Ownership)
द मालाब डिस्ट्रिक्ट, रमादी, इराक: फोग ऑफ़ वॉर (The Ma'laab District, Ramadi, Irag: Fog of War
वन अर्ली मोर्निंग (One early morning,) एक दिन बहुत सुबह: घने कोहरे की वजह से कुछ नज़र नहीं आ रहा था. रमादी में आज हमारा फर्स्ट मेजर ऑपरेशन है, और हर तरह अफरा-तफरी मची हुई है. इस ऑपरेशन के लिए मुज जिसे अमेरिकन मूज बोलते है, नाम की जगह चूज़ की गयी थी. दुश्मन फ़ोर्स खुद को मुजाहीदीन बोलता है, अरबी में मुजाहिदीन का मतलब है जिहादी”.ये ऑपरेशन सूरज निकलने से पहले ही शुरू हो गया था, और अब सूरज हमारे सर के ऊपर था. चारो तरफ लोग शूटिंग कर रहे थे. लड़ाई के दौरान जो बुरी से बुरी चीज़ हो सकती है, वो अभी हो रही थी. ब्लू ओन ब्लू. ब्लू ओन ब्लू फ्रेंडली फायर है.
हमारी टीम की एक आदमी के साथ फायर फाईट चल रही थी जिसके पास ए.के. -47 थी, बाद में पता चला वो हमारा ही आदमी था. hamaare soldiers ek gun fight me involve ho gaye hame laga vo dushman hai lekin jin se ham lad rhe the vo hamaare hi side the.और जब हमने बैक अप और रीएंफोर्समेंट के लिए कॉल किया तो जैसे तबाही मच गयी. इंसान लड़ाई में अगर जख्मी हो जाए या मारा जाए तो अफ़सोस होता है लेंकिन एक्सीडेंटली मरना तो बहुत अनफॉरच्यूनेट होगा. ये हमारे लिए एक सबक था- वैसे बाकि ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा. मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था. मेरा एक आदमी बुरी तरह घायल था, एक ईराकी सोल्ज़र भी मारा गया था, बाकि कुछ और भी घायल हुए थे. ये लड़ाई मेरी कमांड में चल रही थी.
मै ऑपरेशन सेंटर पहुंचा, जहाँ हायर हेडक्वार्टर्स से इमेल्स रिसीव करने के लिए मेरा लैपटॉप रखा हुआ था. ढेर सारी ई-मेल्स आई हुई थी. मैंने जल्दी जल्दी मेल पढनी शूरू की. मेरे कमांडिंग ऑफिसर की मेल थी लिखा था” शट डाउन, ऑपरेशन बंद कर दो. इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर, कमांड मास्टर चीफ और मै पहुँच रहे है”. मेरी सारी मेहनत और सॉलिड रेपूटेशन जो मैंने अब तक अर्न की थी, सब चली गयी. उन लोगो के आने से पहले मै सारी चीज़े अलग-अलग एंगल से रीव्यू कर चूका था. मै ये पता करने की कोशिश कर रहा था कि आखिर इस सबका जिम्मेदार कौन है. मै बहुत देर तक सोचता रहा कि तभी मुझे अचानक एक ख्याल आया. उन सारी मिस्टेक्स के बावजूद जो इंडीविजुअल्स लेवल पर या यूनिट्स और लीडर्स ने की थी, सिर्फ एक ही इंसान रीस्पोंसिब्ल था,
और वो हूँ मै. और मुझे अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेनी ही पड़ेगी. और मै लूँगा चाहे इसके लिए मेरी जॉब ही क्यों ना चली जाए. मैंने डिसीजन ले लिया था. मै प्लाटून स्पेस में गया, सबको इकठ्ठा होने को बोला और सबके सामने अपनी मिस्टेक एक्सेप्ट की. मैंने घायल सील से माफ़ी मांगी. और फिर पूरे ऑपरेशन को एक्सप्लेन करके बताया कि हमसे कहाँ पर गलती हुई थी और कैसे उन गलतियों को अवॉयड किया जा सकता था. लेसन सिम्पल है, किसी भी ऑर्गेनाइजेशन या टीम में फेलर या सक्सेस की जिम्मेदारी सिर्फ लीडर की होती है. ये लीडर इ ड्यूटी है कि वो अपनी गलती माने और उसे ठीक करने का कोई और प्लान बनाये.
चैप्टर 2: नो बेड टीम्स, ओनली लीडर्स (Chapter 2: No Bad Teams, Only Bad Leaders
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कोरोनोड़ो, कैलीफोर्निया: बेसिक अंडरवाटर डेमोलिशन/ सील ट्रेनिंग (Coronado, California: Basic Underwater Demolition/Seal Training
सील ट्रेनिंग के बदनाम हेल वीक की ये तीसरी रात थी. हेल वीक मुश्किल से एक फिटनेस टेस्ट था. बेशक इसमें एथलेटिक थोड़ी बहुत फ्लेक्सीबिलिटी की भी ज़रूरत होती है, लेकिन हेल वीक से पहले जितने भी स्टूडेंट्स बेसिक अंडरवाटर डेमोलिशन/सील ट्रेनिंग सर्वाइव कर लेते है, वो ग्रेजुएट होने के लिए आलरेडी काफी फिट हो चुके होते है. वैसे ये फिजिकल से ज्यादा मेंटल टेस्ट है, कई बार तो बेस्ट एथलीट स्टूडेंट्स भी हेल वीक में फेल हो जाते है. सक्सेस के लिए डीटरमिनेशन और मोटीवेशन चाहिए, लेकिन टीम के साथ कम्यूनिकेशन और इनोवेशन भी ज़रूरी है. मुझे अब जूनियर ट्रेनिंग कोर्स को इंस्ट्रक्ट करने असाईंन किया गया है –जो हमारा ऑफिशियल लीडरशिप प्रोग्राम है. और साथ ही मै हेल वीक का इंस्ट्रक्टर भी था.
इस हफ्ते मुझे क्रू इंस्ट्रक्टर्स को भी देखना था जो ट्रेनिंग दे रहे थे. ये मेरे लिए एक नया एक्स्पिरियेंश था. मैंने जो कुछ भी इस वीक में सीखा, उसमे एक बात ये भी थी कि किस भी टीम की परफोर्मेंस में लीडरशिप का बड़ा रोल होता है. आज जब मैं अपने हेल वीक के दिनों के बारे में सोचता हूँ, जहाँ मै क्रू इंस्ट्रक्टर्स का लीडर था, तो याद आता है कि कहाँ मुझसे मिस्टेक हुई थी और कहाँ मै बैटर कर सकता था. उस टाइम मेरे क्रू इंस्ट्रक्टर को परफॉर्म करने के लिए काफी स्ट्रगल भी करना पड़ रहा था फिर मुझे रिएलाइज हुआ कि मुझे बोट के फ्रंट में आना है और सबको लीड करना है. मैंने ये बात सीखी कि सारी रिसपोंसेबीलीटीज सिर्फ लीडर्स लेता है और उसे ही हर प्रोब्लम का सोल्यूशन ढूंढना होता है.
एक टीम हाई लेवल परफोर्मेंस तभी दे पाएगी जब उसका लीडर टीम के लिए एक गोल और हाई स्टैंडर्ड ऑफ़ परफॉरमेंस सेट करेगा. और लीडर को इतना ईजिली सेटिसफाई भी नहीं होना चाहिए. क्योंकि इम्प्रूवमेंट के चांस हमेशा होते है, और यही माइंड से उसे अपनी टीम में भी बिल्ड करनी है. लीडर्स को ये चीज़ भी ध्यान रखनी होगी कि वो अपने और अपनी टीम के लिए जो भी एस्सेस्स्मेंट रखे, वो रियेलिस्टिक और ऑनेस्ट हो.
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चैप्टर 3: बिलीव (Chapter 3: Believe)
शार्कबेस, कैंप रमादी, ईराक: क्वेशचनिंग द मिशन (Sharkbase, Camp Ramadi, Iraq: Questioning the Mission
हायर कमांड का मिशन स्टेटमेंट पढने के बाद मै हैरान था. मुझे इन्फॉर्म किया गया कि टास्क यूनिट ब्रुइसेर को –जोकि बड़े ट्रेंड और मोटीवेटेड सोल्जेर्स है –उन्हें वर्ल्ड के सबसे वर्स्ट माने जाने वाले कॉम्बैट ट्रूप यानी ईराकी सोल्जेर्स के साथ मिलकर फाईट करननी होगी. ज़्याये ईराकी सोल्जेर्स ज्यदातर गरीब, अनएजुकेटेड होते है जो ज्यादा ट्रेंड नहीं होते और इनके अन्दर मोटिवेशन तो बिलकुल नहीं होती. कई बार तो ये लोग हार्ड सिचुएशन में मिशन भी अबो्र्ट कर देते है. बाकि के मिलिट्री फ़ोर्सेस के मुकाबले इनका स्टैण्डर्ड काफी लो होता है. यही रीजन है कि ईराकी मिलिट्री किसी भी तरह के रेबेलेशन के आगे एकदम पॉवरलेस साबित होते है. और ऊपर से इन लोगो के पास ना तो कैम्पिंग ट्रिप्स के लिए सफीशीएंट इक्विपमेंट्स होते है
और ना ही कॉम्बैट ऑपरेशन के लिए. इसलिए मिशन और ज्यादा मुश्किल हो जाता है. इन लोगो को ट्रेन करना भी एक तरह से इम्पॉसिबल है. इन लोगो के लिए रिस्क लेना एकदम वर्थलेस है. मुझे नहीं पता कि ये मिशन कामयाब होगा भी या नहीं. मै पूरी तरह श्योर नहीं था. मुझे मालूम है कि मै टास्क यूनिट ब्रुइसेर का कमांडर हूँ इसलिए मेरे थौट्स और एक्शन मेरे ट्रूप्स को भी इफेक्ट कर सकते है. मुझे ऑर्डर्स मिले थे और मुझे इन्हें फोलो करना था. इसलिए मुझे यकीन करना ही होगा. और इसके लिए ये एनालाइज करना होगा कि ईराकी सोल्जेर्स शायद हमारे कुछ काम आ सके, और हमे टीम में उनकी ज़रूरत है तो क्यों है? और फाइनली मुझे समझ आ गया कि ये लोग हमारे लिए एक टिकेट की तरह है
जो हमे बेस छोड़कर दुश्मन की टेरीटरी में घुसकर उन्हें खत्म करने में हेल्प कर सकते है. और यही चीज़ मैंने अपने ट्रूप्स को एक्सप्लेन की ताकि वो लोग भी मेरे पॉइंट ऑफ़ व्यू से इस मिशन को देख सके और समझ सके. अगर मिशन पूरा करना है और आप चाहते है कि आपकी टीम आपको फोलो करे तो लीडर को भी मिशन की कामयाबी पर पूरा यकीन होना चाहिए. हर लीडर को इमिडीएट टैक्टिकल मिशन से अलग ये सोचना है कि ये कैसे स्ट्रेटेजिक गोल्स को सूट करेगी. और जब लीडर्स को ऐसे ऑर्डर्स मिलते है जो उन्हें क्लियर नही होते तो उन्हें बैठ कर ऐनालाइज करना होगा कि हमे ये क्यों करना है. एक क्वालीफाईड लीडर के पास मिशन की पूरी जानकारी होती है जो वो अपनी टीम को देता है ताकि हर कोई उसके लिए मेंटली प्रीपेयर रहे..
चैप्टर 4: चेक द इगो (Chapter 4: Check the Ego
कैंप कोर्रेगिडर, रमादी, ईराक: वेलकम टू रमादी (Camp Corregidor, Ramadi, Iraq: Welcome to Ramadi
हमारे कैंप पर अटैक हो गया था. ये इतना अचानक हुआ कि मुझे अपना बॉडी अर्मोर पहनने का भी टाइम नहीं मिला पाया. मैंने जल्दी से अपना हेलमेट और राइफल उठाई, अपना लोड बियरिंग इक्विपमेंट कंधे पर डाला और वहां से भागा. चारो तरफ शूटिंग चल रही थी, अफरा-तफरी मची हुई थी. ऐसा लगा रहा था कि शायद दुश्मन को उम्मीद नहीं थी कि हम लोग जवाबी फायर करेंगे. और फिर जल्दी ही दुश्मन के सिपाही एक-एक कर या तो मर रहे थे या घायल हो रहे थे. retreating. हम सब जान चुके थे कि ये जगह खतरे से खाली नहीं है. ये अलग टेरेटेरी थी. रमादी के मिलिटेंट्स उन लोगो से ज्यादा डेंजरस थे जिनके साथ हमारी पहले फाईट हुई थी. ये लोग यू.एस. आर्मी के उपर एक ही हफ्ते में कई बार टेरिबल अटैक कर चुके थे.
हैरानी की बात तो ये थी कि ये सारे अटैक वेल प्लांड थे और पूरी तैयारी के साथ किये गए थे. हम लोग टास्क यूनिट ब्रुइसेर होने के नाते शायद थोड़े ओवर कॉंफिडेंट थे. cocky, लेकिन मैंने टीम को पूरे कांफिडेंस में बनाये रखा ताकि हम लोगो की परफोर्मेंस इम्प्रूव होती रहे. लेकिन इस मिशन में मैंने एक सबक सीख लिया था कि ईगो सब कुछ खत्म कर देता है: आपका प्लान, एडवाइस सुनने की हैबिट, क्रिटिसिज्म को एक्सेप्ट करने की क्वालिटी. थोडा बहुत ईगो सबके अंदर होता है, ये हमें मोटिवेट रखता है लेकिन जब यही ईगो हमारे सर चढ़ जाता है तो हमारी जजमेंट की पॉवर, सही-गलत को समझने की परख को खत्म कर देता है. ईगो हमारी आँखों पर एक पट्टी की तरह है जो हमे रियेल पिक्चर देखने से रोकता है.
और यही चीज़ हम सील टीम्स में इम्प्लीमेंट करने की कोशिश करते है. यहाँ हम कॉंफिडेंट बनने की ट्रेनिंग लेते है, ईगोइस्टिक बनने की नहीं. बेशक हमारे पास बेस्ट स्किल्स होंगी लेकिन हमे कभी भी दुशमन को इस पॉइंट तक कमज़ोर नहीं समझना चाहिए कि वो हमे कभी हरा नहीं पाएंगे. और यही वो पॉइंट है जब आपके लिए टीम के ईगो को कण्ट्रोल करना मोस्ट इम्पोर्टेंट होता है.