(hindi) EMOTIONAL INTELLIGENCE 2.0

(hindi) EMOTIONAL INTELLIGENCE 2.0

इंट्रोडक्शन

आपको क्या लगता है Success का क्या फार्मूला है? क्या आपको लगता है कि इसके पीछे सिर्फ़ एक कारण है? क्या आप success की खातिर रिलेशनशिप बना सकते है? क्या आपके करियर में आपके feelings  के लिए  कोई जगह है?

इस बुक में आप ये जानेंगे कि क्यों average IQ (intelligence quotient) वालों का परफॉरमेंस  high IQ वालों से 70 % बार बेहतर निकलता है. ये बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि high IQ वाले सिर्फ 20 % बार ही average IQ वालो को हरा पाए है.

इसके पीछे ये कारण है कि लोगो के पास ज्यादा इंटेलिजेंस हो तो सकता है पर जरुरी नहीं है कि उनके पास इमोशनल इंटेलिजेंस भी हो. EQ (emotional intelligence) के चार डायमेंशन हैं. ये है self -awareness, self-management, social awareness, और relationship management.

Self -awareness में, आप ये समझेंगे कि क्यों अपने इमोशंस से जुड़ना आपके लिए इम्पोर्टेन्ट है. Self-management से आप सीखेंगे कि self -aware रहना कितना ज़रूरी है.

Social -awareness में, आप ये रियलाइज़ करेंगे कि कैसे आप लोगो को जिस तरीके से पहले सुन और समझ रहे थे , वो तरीका कितना गलत था. आखिर में, relationship management से आप ये देखेंगे कि इन चारों dimensions को एकसाथ जोड़ने से आपको कितने फायदे मिलते हैं.

खुद पर काम करना बहुत confusing हो सकता है. आपको ये नहीं पता होता कि आपकी कौन सी ऐसी बात है जिसमें इम्प्रूवमेंट की ज़रूरत है. इसमें अपने इमोशनल इंटेलिजेंस को समझना आपकी मदद करेगा. ये बुक, आपको अपने EQ से पहचान करवाएगा और आप एक बेहतर इंसान बन सकेंगे.

इमोशनल इंटेलिजेंस क्या है?
What’s Emotional Intelligence?

बहुत पहले , लोगो की सोच थी कि सक्सेस के लिए अकेले high IQ लेवल का होना ही काफी है. अगर आप बेहद स्मार्ट हैं तो कम्पनियाँ आपको ज़रूर जॉब पर रख लेंगी . हालांकि, बहुत सारे स्टडी के रिजल्ट कंफ्यूसिंग निकले. ये बात जाहिर हुई कि high IQ वाले लोगो ने average IQ वालो से सिर्फ 20 % बार ही ज़्यादा बेहतर परफॉर्म किया था.

रिसर्च करने वाले इस बात पर बहुत हैरान हुए कि average IQ वाले लोगों ने high IQ वालो को 70 % बार मात दी थी. बहुत सालों के रिसर्च के बाद ये बात पता चली कि किसी भी इंसान के success में Emotional intelligence ( EQ ) का बहुत बड़ा हाथ होता है.

Emotional intelligence, का मतलब है खुद की और दूसरों की भावनाओं को पहचानने और स्वीकारने की काबिलियत. EQ , इस awareness का इस्तेमाल करके , आपके रिलेशनशिप और बिहैवियर को इम्प्रूव करने में मदद करता है. अब जबकि आपको पता चल चुका है कि Emotional intelligence भी कोई चीज़ होती है , अब आप सोचेंगे कि इसकी ज़रूरत ही क्यों है?

अगर आप जॉब करना चाहते हैं, तो आपको अपने EQ  पर काम करने की ज़रूरत पड़ेगी और , जब आपके रिलेशनशिप् को संभालने की  बात आती है तो उसमे भी EQ ज़रूरी है. कुछ ऑथर्स की स्टडी में पाया गया कि emotional intelligence बहुत सारे इम्पोर्टेन्ट स्किल्स का ” फाउंडेशन ” है. आप EQ को एक पेड़ मान सकते है जिसमें उसके पत्ते है – communication, empathy, time management वगैरह.

EQ इतना ज़रूरी है क्योंकि जब किसी आदमी के जॉब परफॉरमेंस की बात आती है तो 58 % बार success इसके कारण ही मिलती है. आपका emotional intelligence आपको बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है. आप अगर successful और संतुष्ट होना चाहते है, तो  सबसे पहले आपको अपने emotional intelligence Skills पर काम करना होगा. आगे के chapters में हम EQ के चार dimensions के बारे में डिसकस करेंगे.

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द इमोशनल इंटेलिजेंस का पहला डायमेंशन: सेल्फ-अवेयरनेस
The First Dimension of Emotional Intelligence: Self-Awareness.

जब आप self -aware  होते हैं, तो आप यह समझ पाते हैं कि आप हर सिचुएशन में क्या महसूस कर रहे हैं. अपने इमोशंस के बारे में सोचते हुए टाइम बिताने को  ही self -awareness पर काम करना कहते है. आपको किस बात पर गुस्सा आता है? आपको क्या चीज़ ख़ुशी देती है? आपको ये समझने की ज़रूरत है कि क्यों कुछ बातें हमें रिएक्ट करने पर मज़बूर करती हैं. अगर आप खुद को समझने के लिए कुछ टाइम निकालेंगे तो आप सरप्राइज होंगे कि आप कितना कुछ जान सकते है.

आप एक केस इमेजिन कीजिये , मान लीजिये ऑफिस में आपका दिन बहुत ही ख्रराब था क्योकि आपके बॉस ने आपको एक डेडलाइन मिस करने का दोषी ठहराया था. आप अपने गुस्से को काबू  करने कि कोशिश करते है. अपने बॉस पर चिल्लाना चाहते है क्योकि वो आपकी गलती नहीं थी , आपके साथ काम करने वाली की गलती थी. इससे पहले कि आप कुछ कह पाते, बॉस ने आपको निकाल दिया और, जब तक आप अपने घर पहुंचते है तब तक आपका मुँह गुस्से से लाल हो चुका है.

फिर, आप अपने बच्चे को कीचड़ में खेलते हुए देखते है. उस पर चिल्लाते हैं और कहते हैं कि वो खुद को ही गन्दा कर रहा है.  बच्चा रोता है क्योंकि वो आपके गुस्से को देखकर डरा हुआ है.  एक आम दिन में आपको इस बात पर बिलकुल गुस्सा नहीं आता. जैसे ही आपको इस बात का एहसास होता है, आप गिलटी महसूस करने लगते है कि जब भी आपके ऑफिस में कोई बात बिगड़ती है , आप अपने बच्चे पर गुस्सा निकाल देते हैं.

अगर आपको इस सिचुएशन में self – awareness की प्रैक्टिस करनी है तो ये चेक करना होगा कि आप जो कर रहे वो सही है या नहीं. आपको ये पता है कि आपके बच्चे की इसमें कोई गलती नहीं थी.  आप self -aware होकर ही समझेंगे कि आपको इस सिचुएशन में सही में क्या करना चाहिए.

अगर आपके पास self – awareness है, तो आप खुद पर हैल्थी तरीके से काम कर पाएंगे. आप अपने  इमोशंस को समझने से डरेंगे नहीं , और आपको पता होगा कि ज़रूरत पड़ने पर इनसे  कैसे डील कर सकते है. Emotions को आप जहां तक रोक सकते है, वहां तक वो रुके रहते है. अगर आपको हमेशा डर लगा रहता है पर आप इसका कारण नहीं जानते तो इस तरीके से तो आप बहुत सारे opportunities खो देंगे. ऐसा ही कुछ होता है जब गुस्सा आप पर हावी हो जाता है. अगर आपको आपकी फीलिंग्स के बुरे हिस्सों के बारे में पता होगा तभी तो आप उसके बारे में कुछ कर पाएंगे  और आप अपना फुल पोटेंशियल पा सकेंगे.

इस बुक के ऑथर्स ने दूसरे रिसर्च करने वालो  के साथ मिलकर एक Emotional Intelligence Appraisal Test बनाया. ये आपको अपने EQ को बेहतर जानने में मदद करता है और उन areas पर स्कोर देता है, जिनमें आप अच्छे हैं और उनमें भी जिनमे आपको काम करने की ज़रूरत है.
डेव, एक रीजनल सर्विस मैनेजर है और Emotional Intelligence Appraisal Test में उनका स्कोर 95 आया . इसका मतलब है कि वो अपने EQ के टच में है . लेकिन शुरू-शुरू  में,  डेव के स्कोर इतने ज़्यादा नहीं थे पर स्कोर को बढ़ाने के लिए जो भी ज़रूरी स्टेप्स लेना पड़ा, डेव ने लिया और उन्हें उसका फायदा भी मिला.

जैसे-जैसे डेव ने इम्प्रूवमेंट दिखाई वैसे-वैसे उनके ऑफिस में काम करने वालो ने उनमें फ़र्क देखा. उनके साथ काम करने वालों ने कहा कि डेव पहले से ज़्यादा determined और hardworking हो गए है. जब भी डेव कि टीम में कोई बड़ी गड़बड़ी होती तो डेव को गुस्सा आ जाता, फिर वे इसका solution निकालने में लग जाते.

टीना एक मार्केटिंग मैनेजर है और इनका Self-awareness score  69 है. उनके साथ काम करने वाले लोगो ने ये देखा कि टीना प्रेशर में बिलकुल काम नहीं कर सकती थी और बहुत परेशान हो जाती थी . टीना अपने इमोशंस को खुद पर हावी होने देती थी और अपने चिडचिडाहट को दूसरों पर निकालती थी. उनके लिए बेहतर होता अगर वो अपनी आदतों को बेहतर जानती और उस पर काम करती.

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