(Hindi) Einstein: His Life and Universe

(Hindi) Einstein: His Life and Universe

परिचय: द लाईट बीम राइडर

“कैसा होता अगर मै एक लाईट बीम के साथ-साथ अपनी साइकल चला सकता? लाईट की स्पीड से ट्रेवल करना कैसा लगता होगा? कुछ इसी तरह के थोट्स आइंस्टाइन के दिमाग में आते थे जब वो 16 साल का था. उसकी इमेजिनेशन पॉवर बहुत स्ट्रोंग थी इसीलिए शायद उसके ऐसे आईडियाज आते थे जो बाकि लोगो को इम्पॉसिबल लगते थे. चाहे कर्विंग ऑफ़ लाईट का आईडिया हो या कर्विंग ऑफ़ रिएलिटी , ऐसे आईडियाज सिर्फ अल्बर्ट आइंस्टाइन को ही आ सकते थे. अपने बेतरतीब घुंघराले बालो और इंटेलीजेंट आँखों के कारण उन्हें लाखो की भीड़ में पहचाना जा सकता है. वैसे तो आइंस्टाइन अकेले काम करना पसंद करते थे लेकिन उन्होंने अपनी हर नयी डिस्कवरी को दुनिया के साथ शेयर किया.

उन्हें अकेला रहना पसंद था, अपने अपार्टमेन्ट में दिन-रात स्टडी करते हुए. फिर भी वो एक इंटरनेशनल सेलिब्रेटी थे जिसने पूरी दुनिया को इंस्पायर किया है. 1905 में उन्होंने क्वांटम फिजिक्स की फाउंडेशन रखी. उस टाइम आइंस्टाइन ने क्लेम किया कि लाईट एक वेव और पार्टिकल दोनों तरह से एक्ट करती है. उसी साल, वो एक और स्पेशल रीलेटीविटी लेकर आये E=mc२ (E=mc2). 1905 में आइंस्टाइन के टोटल 5 पेपर्स पब्लिश हुए जिनमे से एक के लिए उन्हें नोबेल प्राइज़ मिला. देखा जाए तो असल में वो एक जीनियस थे जिन्होंने कमाल की डिस्कवरीज की थी. इसके एक डिकेड बाद ही आइंस्टाइन अपनी ग्रेटेस्ट थ्योरी लेकर आये.

यानी जेर्नल रिलेटीविटी की थ्योरी. इस थ्योरी के आने के साथ ही क्लासिक फिजिक्स का दौर खत्म हुआ और मॉडर्न फिजिक्स शुरू हुआ. इस थ्योरी ने हमे यूनिवर्स को और भी एक्यूरेट व्यू से समझने में मदद की जोकि न्यूटन की थ्योरी से ज्यादा असरदार है. आइंस्टाइन मरते दम तक काम करते रहे. ओल्ड एज में उनके अंदर सनक पैदा हो गयी थी. वो हर चीज़ की थ्योरी डिस्कवर करना चाहते थे. उनकी यूनिफाईड फील्ड थ्योरी ने क्वांटम मैकेनिक्स, जेर्नल रीलेटिव, इलेक्ट्रोमेग्नेटिज्म और ग्रेविटी को साथ में कम्बाइन करके एक सेट ऑफ़ लॉ बना दिया था.

कहने का मतलब है कि यूनिफाईड थ्योरी यूनिवर्स की हर चीज़ को एक्सप्लेन कर सकती है, बेहद छोटे इलेक्ट्रोन्स से लेकर बड़े-बड़े प्लानेट्स तक. और आज भी फिजिसिस्ट इसी खोज में लगे है कि वो क्वांटम फिजिक्स को ज्यादा से ज्यादा समझ सके. हालाँकि क्वांटम वर्ल्ड में कई सारी प्रोबेबीलिटीज है तो कई सारे सवाल भी जिनका जवाब अभी साइंस ढूंढ रहा है. लेकिन इसका बेसिक प्रिंसिपल यही है कि इलेक्ट्रोन्स वेव और पार्टिकल दोनों रूप में एक्ट कर सकते है. और इसी खोज की वजह से आज हम मॉडर्न टेक्नोलोजी को यूज़ कर पा रहे है.

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चाइल्डहुड (Childhood)

आइंस्टाइन दो साल की एज तक बोल नहीं पाते थे इसलिए उनके पेरेंट्स उन्हें डॉक्टर के पास ले गए. उन्हें डर था कि वो शायद गूंगे है. लेकिन फिर आइंस्टाइन ने बोलना स्टार्ट किया. वो कुछ भी बोलने से पहले जोर-जोर से रीपीट करते थे. उनकी इस आदत से उनकी फेमिली उन्हें मंदबुधी यानी स्पेशल चाइल्ड समझने लगी थी.

उन्होंने एक बार कहा था कि उनकी वाइल्ड इमेजीनेशन और बच्चो जैसी क्यूरियोसिटी की वजह से उन्हें वो नज़र आता था जो बाकि लोग देख नहीं पाते थे. लोग डाउनहिल से गुजरते है, फास्ट ट्रेन में सफ़र करते है या बिजली गिरते हुए देखते है तो उन्हें ये सब चीज़े पार्ट ऑफ़ लाइफ लगती है. लेकिन आइंस्टाइन को यही नार्मल चीज़े मिस्ट्री लगती थी और वो उनके होने की वजह ढूढने में जुट जाते.

आइंस्टाइन के दादा-परदादा ज्यूइश बिजनेसमेन थे. उनके परिवार हमेशा ही खुशहाल और कम्फर्टबल लाइफ जीता रहा. ये लोग साऊथवेस्ट जेर्मनी के एक खूबसूरत विलेज स्वाबिया में रहते थे. आइंस्टाइन की फेमिली में सब लोग इंटेलीजेंट और एजुकेटेड थे जो सेक्यूलर और इंडीपेंडेंट सोच रखते थे.

अल्बर्ट आइंस्टाइन के फादर हरमन आइंस्टाइन और मदर पौलिने कोच थी. हरमन एक प्राउड बिजनेसमेन थे जबकि पौलिने एक स्ट्रोंग विल वाली लेडी थी. दोनों मिलकर अपने बच्चो को बड़े प्यार से पाल रहे थे और उन्हें हर तरह से कंफरटेबल लाइफ देने की कोशिश करते थे.

अल्बर्ट जब एक साल के हुए तो उनकी फेमिली म्यूनिख शिफ्ट हो गयी थी. उनके अंकल जैकब ने अल्बर्ट के फादर को एक इलेक्ट्रिक सप्लाई बिजनेस स्टार्ट करने के लिए इनवाईट किया था. जैकब एक इंजीनियर थे जबकि हर्मन एक सेल्समेन. दोनों मिलकर साउथ जेर्मनी के टाउन्स का इलेक्ट्रीकल कांट्रेक्ट लेते थे.

अल्बर्ट जब दो साल के हुए तो उनकी सिस्टर पैदा हुई. उसका नाम रखा गया माजा. अल्बर्ट ने जब फर्स्ट टाइम अपनी छोटी बहन को देखा तो कहा” हाँ, ठीक है लेकिन इसके व्हील्स कहाँ है? क्योंकि उन्हें लगा कि वो कोई टॉय थी जो उनके पेरेंट्स उनके लिए लाये है. बाद में दोनों भाई बहन के बीच एक प्यार भरा रिश्ता बना जो उन्होंने सारी उम्र निभाया.

म्यूनिख में आइंस्टाइन फेमिली का एक बड़ा सा घर था जिसके चारो तरफ आलिशान गार्डन था. अल्बर्ट का बचपन बहुत कम्फर्टेबल और हैप्पी गुज़रा था. बचपन के इस लविंग और नरचरिंग एनवायरमेंट की वजह से ही उनकी इमेजीनेशन पॉवर इतनी स्ट्रोंग थी. अल्बर्ट को बचपन से ही दिन में सपने देखने की आदत थी और वो अक्सर अकेले ही घुमते रहते थे. उन्हें पजल सोल्व करना और बिल्डिंग सेट्स बनाना पसंद था.

खेल-खेल में वो बड़े कॉम्प्लेक्स स्ट्रक्चर बना देते थे. माजा कहती थी कि अल्बर्ट कार्ड्स की फोर्टीन फ्लोर्स की बिल्डिंग तक बना सकते है. अल्बर्ट जब 5 साल के हुए उसी दौरान दो बड़ी अमेजिंग चीज़े हुयी. उन्हें अपने पेरेंट्स से एक गिफ्ट मिला जिसने उनकी लाइफ और पर्सनेलिटी को काफी हद तक इन्फ्लूएंश किया था.

पहला गिफ्ट एक फादर का दिया एक कंपास था और दूसरा उनकी मदर ने उन्हें एक वायलिन दिया था. एक दिन यंग आइंस्टाइन को हाई फीवर हुआ. वो बिस्तर पर लेटे थे बगल में उनके फादर बैठे थे. उन्होंने अल्बर्ट को एक कंपास दिया.

आइंस्टाइन इस गिफ्ट को देखकर हैरान रह गए, वो गौर से कंपास की छोटी सी सुई को देखने लगे जो डायरेक्शन चेंज होने पर घूम जाती थी. आइंस्टाइन ये जानने को उतावले हो रहे थे कि कंपास काम कैसे करता है. फिर कुछ दिन बाद जब मदर ने उन्हें वायलिन गिफ्ट किया तो अल्बर्ट ने वायलिन सीखना शुरू किया.

पौलिने आइंस्टाइन खुद बहुत अच्छा पियानो बजाती थी. अल्बर्ट और उनकी माँ दोनों साथ में पियानो और वायलिन की जुगलबंदी करते थे. मोजार्ट उनके फेवरेट म्यूजिशियन थे. अल्बर्ट के लिए मोजार्ट का म्यूजिक प्योर ब्यूटी था. अल्बर्ट को लगता था कि सोनाटा की खूबसूरती यूनिवर्स की तरह ही मैजिकल है.

आइंस्टाइन को जब भी कोई डिफिकल्टी होती थी तो वो म्यूजिक सुनते थे, खासकर जेर्नल रिलेटीविटी की थ्य्रोरी डेवलप करते वक्त रात को वो अपने अपार्टमेन्ट में अकेले वायलिन बजाते रहते थे. कई बार तो पेर्सोर्मेंस के बीच में ही उन्हें कोई आईडिया आ जाता तो जोर से चिल्लाते” मुझे मिल गया”. अल्बर्ट ने 15 साल की उम्र तक लुइटपोल्ड जीमनेज़िय्म से पढ़ाई की.

फिर 1884 में आइंस्टाइन फेमिली के साथ एक प्रोब्लम हो गयी. अल्बर्ट के फादर को कोंट्रेक्ट मिलने कम हो गए थे. उन्हें म्यूनिख का अपना खूबसूरत और आलिशान घर बेच कर मिलान, इटली शिफ्ट होना पड़ा क्योंकि अल्बर्ट के फादर को वहां बैटर अपोरच्यूनिटीज मिल रही थी. लेकिन अल्बर्ट को अभी तीन साल और म्यूनिख में रहना था क्योंकि उनकी बेसिक एजुकेशन अभी पूरी नहीं हुई थी. मगर 1884 में क्रिसमस की छुट्टीयों के बाद वो वापस म्यूनिख नहीं आये.

उन्होंने अपने फेमिली डॉक्टर से बिमारी का सर्टिफिकेट बनवाया और स्कूल में भिजवा दिया औरखुद इटली जाने वाली ट्रेन में बैठ कर अपनी फेमिली के पास चले गए. उनके म्यूनिख छोड़ने की एक वजह थी.

अगर वो एक और साल जेर्मनी में रहते तो उन्हें आर्मी ज्वाइन करनी पड़ती और अल्बर्ट ऐसा बिलकुल नहीं चाहते थे. बाद में आइंस्टाइन ने अपने फादर को बोलकर अपनी जेर्मनी की सिटीजनशिप फिर से ले ली थी.

वो ज्यूरिख पोलीटेक्निक में पढना चाहते थे. इसलिए वो स्विटज़रलैंड चले गए जहाँ पर उन्होंने साइंस और मैथ का एंट्रेस एक्जाम तो फर्स्ट क्लास में पास कर लिया था लेकिन फ्रेंच, पोलिटिक्स, लिटरेचर में बुरी तरह फेल हुए. खैर, बावजूद इसके उन्हें एडमिशन मिल गया था.

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