(hindi) E-Myth Mastery

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इंट्रोडक्शन

क्या आप एक ऐसे वर्ल्ड क्लास ब्रांड का नाम बता सकते हैं, जिसे आप पसंद करते हैं? क्या आप जानना चाहते हैं कि वह ब्रांड सक्सेसफुल कैसे बना? क्या आप नहीं चाहते कि आपकी कंपनी भी उतनी ही सक्सेसफुल हो? हाँ आप जरूर चाहते होंगे।

इस बुक में वो सब जानकारी है, जिसकी ज़रुरत आपके बिजनेस को उसके करंट स्टेट से रियल वर्ल्ड क्लास सक्सेस तक ले जाने के लिए है। सक्सेसफुल बिजनेस ओनर ऐसी स्किल्स जानते हैं और हर दिन प्रेक्टिस करते हैं। आपको भी उन्हें जानना होगा।

यह बुक आपको एक आन्ट्रप्रनर की तरह सोचने का तरीका सिखाएगी। आपको यह समझने की ज़रूरत है कि एक आन्ट्रप्रनर होने का क्या मतलब है।

आप समझेंगे कि आन्ट्रप्रनर होने का मतलब क्रिएशन नहीं बल्कि पैशन और हार्ड वर्क है। एक सक्सेसफुल आन्ट्रप्रनर तब तक प्रैक्टिस करता है जब तक उसके बिजनेस को बढ़ाने वाली स्किल्स में वह मास्टर ना बन जाए।

आप बिजनेस में एक लीडर, एक मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, एक फाइनेंसियल एक्सपर्ट, और एक मैनेजर की तरह काम करने की कला सीखेंगे।यह बुक सिर्फ कॉन्सेप्ट्स नहीं समझाती है। यह ऐसे वर्किंग प्लान्स भी प्रजेंट करती है जिसे आप अपने गोल को पाने तक, हर दिन प्रैक्टिस कर सकते हैं।

अगर आप सीखना चाहते हैं कि आपके साधारण बिजनेस को वर्ल्ड क्लास सक्सेस तक कैसे पहुंचाना है, तो हमारे साथ बने रहें, और हम आपको दिखाएँगे कि यह कैसे होगा।

ई-मिथ पॉइंट ऑफ व्यू

अगर मैं आपसे पूछूँ, आन्ट्रप्रनर कौन होते है? तो क्या आप उसका जवाब दे पाएँगे? शायद नहीं। इस दुनिया में कुछ ही लोग आन्ट्रप्रनर होने का मतलब समझते हैं। इस शब्द का मतलब जानना ज़रूरी है,  अपनी कंपनी बनाने से पहले, खास तौर पर ये जानना ज़रूरी है कि आपके लिए इसका क्या मतलब है।

क्योंकि बहुत से लोग आन्ट्रप्रनर बनने में फेल हो जाते हैं, इसलिए हम मानते हैं कि वह लोग  जिनके पास कोई यूनिक गिफ्ट है वही अपने बिजनेस को सक्सेसफुल बना सकते हैं। लेकिन यह सोच गलत है। आन्ट्रप्रनरशिप बस कड़ी मेहनत और प्रैक्टिस के बारे में है। वर्ल्ड क्लास बिजनेस बनाने के लिए कुछ इम्पोर्टेन्ट फैक्टर्स हैं, जिन्हें सभी आन्ट्रप्रनर को हर दिन प्रेक्टिस करना चाहिए।

इसे प्रैक्टिस करने में सालों लग सकते हैं। एक बार जब आन्ट्रप्रनर आन्ट्रप्रनरशिप मे मास्टर हो गया तभी वह एक वर्ल्ड क्लास कंपनी बना सकता है।अगर आन्ट्रप्रनरशिप क्रिएट करने की पावर है, तो फिर क्यों ज्यादातर छोटे बिजनेस फेल हो जाते हैं? क्रिएट करने की पावर इसका जवाब नहीं है। हम सभी कुछ ना कुछ वैल्युएबल क्रिएट कर सकते हैं।

टेक्नीशियन और आन्ट्रप्रनर के बीच में फर्क ना जानना ही प्रॉब्लम है।टेक्नीशियन हर काम करता है। अगर वो एक रेस्टोरेंट खोलता है, तो वो कैसियर, वेटर, मैनेजर और जेनेटर, सबका काम एक साथ करेगा। उसके बिना बिजनेस नहीं चल सकता।टेक्नीशियन आन्ट्रप्रनर की मेंटालिटी फॉलो नहीं करता। वो अपने बिजनेस पर काम करने के बदले, किसी भी एम्प्लोई की तरह बिजनेस में काम करता है।

वहीं दूसरी ओर, आन्ट्रप्रनर अपने बिजनेस के लिए ऐसा सिस्टम बनाता है, जो उसके ना रहते हुए भी काम करे। वह ऐसा सिस्टम बनाता है जो उसे अपने बिजनेस को बढ़ाने और कंपनी बनाने की आज़ादी दे।

इसे और अच्छे से समझाने के लिए, दो ऐसे बिजनेस का एग्जाम्पल लेते हैं, जो एक समय में शुरू किए गए थे। वो हैं वॉलमार्ट और पैगीस़ डाइनर (WalMart and Peggy's Diner) दोनों ही सन् 1950 में शुरू हुए थे।

पैगी ने अपना समय, मेहनत और पैसा सब डाइनर को चलाने में लगा दिया। उनका एक विज़न था, और उन्होंने उसे सफल करने की कोशिश की। सैम वॉल्टन का भी एक विज़न था। उन्होंने भी अपना समय, मेहनत और पैसा, एक ऐसे रिटेल स्टोर बनाने में लगाया, जो उन्हें लगा कि लोगों को इसकी जरूरत है।तो फिर क्यों, वॉलमार्ट बहुत बड़ा सक्सेस बन गया और पैगीस़ डाइनर छोटा रह गया?

इसका जवाब है कि सैम के पास एक क्लियर विज़न था और पैगी के पास नहीं।
सैम ने एक सिस्टम बनाया था और पैगी ने नहीं।
सैम वॉल्टन अपने आउट ऑफ द बोक्स सोच के लिए जाने जाते थे. उन्होंने ये समझ कर अपना बिजनेस शुरू किया था कि उन्हें किस तरह के कस्टमर्स को टारगेट करना है।सैम को पता था की बॉस कैसे बना जाता है, उन्होंने अपने बिजनेस पर काम किया। उन्होंने उसे वर्ल्ड क्लास ब्रांड में बदल दिया, जिसे हर कोई जानता है और भरोसा करता है।

वहीं दूसरी ओर, पैगी ने सिर्फ़ एक  डाइनर बनाया बस। उन्होंने खाना बनाकर और खाना सर्व कर के अपने बिजनेस में काम किया।उनके पास कभी भी वर्ल्ड क्लास विज़न नहीं था, इसके लिए उन्होंने कोई सिस्टम नहीं बनाया। उनका गोल क्लियर नहीं था.
गोल्स जो क्लियर नहीं हैं और बिजनेस ऑपरेशन जो खुद से काम नहीं कर सकता, यही वह गलतियां है जो ज्यादातर आन्ट्रप्रनर करते हैं।आप ये गलती ना करें। बिजनेस में काम करने के बजाय बिजनेस पर काम करें। हमेशा लीडर किस तरह सोचें।

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पैशन, परपस और प्रैक्टिस

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि खुद का बिजनेस चलाना आसान है। उन्हें लगता है कि, अगर उनके पास कोई स्किल है और गहरी इच्छा है, तो वह कुछ भी अचीव कर सकते हैं। लेकिन वो गलत हैं।

एक सक्सेसफुल बिजनेस बनाने के लिए, आपको बिजनेस चलाने का के लिए ज़रूरी स्किल्स को जानना होगा और उन्हें तब तक प्रैक्टिस करना होगा, जब तक आप उसमें मास्टर ना हो जाए।

बिजनेस चलाने के स्किल्स को सीखने के लिए जितने प्रैक्टिस की ज़रुरत है, उसके लिए बहुत ज्यादा पैशन होना चाहिए। अगर आप अपने बिजनेस को लेकर पैशनेट नहीं है तो आप बहुत आसानी से हार मान लेंगे।

पैशन, पर्पस और प्रैक्टिस मिल कर एक वर्ल्ड क्लास आन्ट्रप्रनर बनाते हैं।अब आप किसी भी म्यूजिशियन के बारे में सोचिए जिसे आप जानते हैं। आपको क्या लगता है  कि एक प्यानो प्लेयर को अपनी स्किल मास्टर करने के लिए और दुनिया भर में फेमस होने के लिए, हर दिन कितनी प्रैक्टिस करनी पड़ती है? बिज़नेस करना भी बिल्कुल वैसा ही है।

शॉन 12 साल के थे जब उन्होंने सैक्सोफोन बजाना सीखने की कोशिश की थी। उनके सेक्सोफोन टीचर ने उन्हें कहा था कि, उन्हें एक पागल इंसान की तरह, हर दिन प्रैक्टिस करनी होगी।

उनके टीचर ने उन्हें हर दिन प्रैक्टिस करने के लिए खास इंस्ट्रक्शन दिए थे। शॉन को प्रैक्टिस करने में कोई लॉजिक दिखाई नहीं देता था । उन्हें प्रैक्टिस करना पसंद नहीं था, उन्हें लगता था कि टीचर के इंस्ट्रक्शन को फॉलो करने का कोई पॉइंट नहीं है।लेकिन शॉन के पास फॉलो करने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं था।

शुरुआत में, शॉन ने अपने स्किल्स में कोई फर्क नहीं देखा। उनकी उंगलियां तेज़ नहीं चल रही थीं, और उनके सैक्सोफोन की धुन भी बेहतर नहीं हुई थी।समय के साथ शॉन रिजल्ट के बारे में भूल कर सिर्फ प्रैक्टिस करने में फोकस करने लगे। उन्होंने अपने टीचर पर भरोसा किया कि उन्हें पता है वो क्या कर रहे हैं।

अचानक शॉन में बदलाव होने शुरू हुए । जितना ज्यादा वो प्रेक्टिस करते, उतना उसे फील करते थे। उन्हें समझ नहीं आया कि वो क्या था, लेकिन वह उन्हें और ज़्यादा  प्रेक्टिस करने के लिए पुस कर रहा था।

शॉन रोज प्रैक्टिस करने के लिए पैशनेट हो गए। उन्होंने अपनी सारी एनर्जी उस चीज को बढ़ाने मे फोकस कर दी जो उस पर हावी हो रही थी। उन्होंने फील किया कि यह वही है जो उन्हें करना चाहिए था, और उसके बाद वो कभी नहीं रुके।

आन्ट्रप्रनर्स को भी ऐसा ही करना चाहिए। उन्हें अपना खुद का बिजनेस बनाने के लिए ज़रूरी स्किल्स सीखना चाहिए, फिर हर दिन उसकी प्रेक्टिस करनी चाहिए, जब तक कि उन्हें अपनी चीज नहीं मिल जाती, जो उन्हें बाकी दुनिया से अलग बनाती है।उन्हें बस अपनी कंपनी पर ही नहीं, बल्कि आन्ट्रप्रनरशिप के क्राफ्ट पर भी ध्यान देना चाहिए।

द रिलक्टन्ट आन्ट्रप्रनर

क्या आपके पास एक प्रोजेक्ट है जिसे आपने कुछ महीने पहले शुरू किया था और अब भी वो आपकी डेस्क पर अधूरा पड़ा हुआ है? सभी के पास अधूरे प्रोजेक्ट्स होते हैं, क्योंकि समय के साथ, हम उस पैशन को खो देते हैं जिसने हमें वो प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए पुस किया था।

कुछ दिन हम काम करने के लिए मोटिवेटेड फील करते हैं। बाद में हम बस आराम करना चाहते हैं।अपने नए बिजनेस में पैशन खोने का मतलब ये नही कि आप कुछ गलत कर रहे हैं या गलत रास्ते पर हैं। पैशन के लिए समझ और प्रेक्टिस की जरूरत है।

चलिए, सारा और उसके बिजनेस बनाने की कोशिश के एक्सपीरियंस को देखते हैं। उन्हें पाईज़ बनाना पसंद है, और उन्होंने अपनी शॉप खोलने का फैसला किया।शुरुआत में, सारा ने वही गलती की जो ज्यादातर नए बिजनेस ओनर्स करते हैं। वो अपने बिजनेस में एक एम्प्लॉई की तरह काम कर रही थी, बॉस की तरह नहीं। उसकी ज़िम्मेदारियाँ थीं कि वो पाईज़ बनाएँ, उन्हें बेचें, दुकान साफ़ करें, फिर घर जाएँ।

सारा, इस बुक के ऑथर, माइकल से मिलीं और उनसे सीखने की कोशिश की। माइकल ने उन्हें  समझाया कि एक बॉस की तरह कैसे सोचते हैं और बिजनेस ओनर बनने के लिए ज़रूरी नए स्किल्स कैसे सीखें।

10 साल बाद सारा फिर माइकल से मिलीं। उनका हाल ज़्यादा अच्छा नहीं था और उनका बिजनेस जितना आगे बढ़ना चाहिए था नहीं बढ़ पा रह था। उन्होंने माइकल को उनकी मदद करने को कहा।इस बार उनकी प्रोब्लम दूसरी थी। सारा माइकल की बताई हुई सभी प्रिंसिपल्स प्रेक्टिस कर रहीं थीं। वो बॉस की तरह सोच रही थीं और जो काम आन्ट्रप्रनर को करना चाहिए, वो सब कर रहीं थीं।

तो आपको क्या लगता है कि प्रोब्लम कहाँ थी? वह था उनका पैशन। सारा ने एक सक्सेसफुल बिजनेस चलाने के प्रिंसिपल्स तब तक प्रैक्टिस किए जब तक वो प्लानिंग, मैनुअल बनाने और नई स्ट्रेटजी ट्राय करने के लिए हर वक़्त सोचने लगी।

उन्होंने ध्यान नहीं दिया, लेकिन कुछ समय बाद वो अपने बिजनेस के लिए अपना पैशन खोने लगीं। उनका फोकस अपने बिजनेस पर काम करने से हटकर आन्ट्रप्रनर बनने में लग गया। वह बस प्लानिंग और स्ट्रेटजी बनाने के बारे में सोचने लगी, और अपने विज़न और कस्टमर्स को भूल गईं।

एक सक्सेसफुल आन्ट्रप्रनर बनने के लिए आपको अपना विज़न याद रखना होगा। आपको उन चीजों पर फोकस करना चाहिए जो आपकी बिजनेस के लिए जरूरी है और अपने बिजनेस को अच्छा चलाने के लिए पैशनेट रहना चाहिए नहीं तो आप आसानी से उस दिशा की ओर भटक सकते हैं जो आपके बिजनेस के लिए फायदेमंद नहीं है।

वर्ल्ड क्लास  कंपनी बनाने के लिए  यह जरूरी है कि आप अपने पैशन को समझें और हर दिन वह करें जो करना जरूरी है।

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