(hindi) Drive: The Surprising Truth About What Motivates Us
इंट्रोडक्शन (Introduction)
आपको बिस्तर से उठने के लिए क्या मोटिवेट करता है? क्या आप अपनी लाइफ के गोल्स खुद डिसाइड करते हो या कोई और आपके लिए डिसीजन लेता है? क्या आप कोई काम सिर्फ इसलिए करते हो क्योंकि उसे करने के पीछे कोई लालच है?
बीते कुछ सालों में बहुत से साइकोलोजिस्ट्स इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे है कि आखिर इन्सान को क्या मोटिवेट करता है. आखिर ऐसी कौन सी चीज़ है जो हमे कुछ करने के लिए इंस्पायर करती है ? और उन्हें इस सवाल के डिफरेंट आंसर्स भी मिले जिनके पीछे डिफरेंट रीजन्स थे.
बेशक रीजन्स चाहे जो भी हो. हम इन्सान कहीं न कहीं या तो रीवार्ड्स से या पनिश्मेंट्स से इन्फ्लुयेंश रहते है. इसे हम मोटिवेशन 2.0 बोल सकते है जिसने हमारे पूर्वजों को भी गाइड किया था और हमे भी कर रहा है.
हालाँकि हमे सिर्फ रीवार्ड्स का ही लालच नहीं होता. हमारे अंदर एक इनर मोटिवेशन भी होती है जो हमे कुछ करने के लिए इंस्पायर करती है और हम इसलिए भी करते है क्योंकि हमे अच्छा लगता है.
इस बुक में आपको वो सारे रीजसं समझ आयेंगे कि हम ना चाहते हुए भी कई बार कोई काम क्यों करने लगते है. रीवार्ड्स से हमे ख़ुशी मिलती भी है और नही भी मिलती. और खुद का बॉस बनकर हम फिजिकली और मेंटली और भी बेहतर बन सकते है.
इस बुक को पढकर आप भी समझ पाएंगे कि आपको क्या मोटिवेट करता है और आप इसका एडवांटेज कैसे ले सकते हो..
द राइज़ एंड फाल ऑफ़ मोटिवेशन 2.0 (The Rise and Fall of Motivation 2.0)
“ऑपरेटिंग सिस्टम” टर्म हर उस प्रोग्राम के लिए यूज़ होती है जिसमे प्रोग्राम को स्मूथली चलाने के लिए इंस्ट्रक्शन दिए जाते है. हालाँकि ये टर्म सिर्फ कंप्यूटर्स और गैजेट्स पर ही अप्लाई नही होती. हम इंसानों की लाइफ में भी ऑपरेटिंग सिस्टम होता है. सोसाईटी में एक पीसफुल तरीके से जीने के लिए हमे भी लॉ और गाइडलाइन्स फोलो करने पड़ते है.
सबसे पहले हयूमैन के आपरेटिग सिस्टम यानी मांईन्ड में आया था कि motivation 1.0. जिसमें survival से related सिर्फ basic functions ही थे यानी अगर शिकारी हमारे पीछे है तो भागो और शिकार हमारे सामने है तो पकडो और बस किसी तरह से जिन्दा रहो।
बाद में इंसान की लाइफ और ज्यादा कॉम्प्लेक्स होती चली तो उसके बिहेवियर मे भी चेंज आता चला गया. हालाँकि आज भी हमारा मेन गोल सर्वाइव करना ही है लेकिन एक और चीज़ जो हमारे नैचर में एड हुई है, वो है ड्राइव. यानी Punishment से बच्चो और रिवार्ड की तरफ जाओ. इसे हम मोटिवेशन 2.0 बोलेंगे. और अभी तक हम अपनी लाइफ मोटिवेशन 2.0 के हिसाब से जी रहे है लेकिन इसके भी अपने कुछ ड्राबैक है.
मोटिवेशन 2.0 इस प्रिंसिपल पर बेस्ड है कि हम कोई भी काम पैसे के लिए करते है. लेकिन ये कान्सेप्ट एक दम ठीक नही है। अब आप पूछेगे क्यो? क्योकि अगर हम सिर्फ पैसो के लिये काम करते तो हमारे पास विकिपिडिया नही होता, या कोई भी आँपन सोर्स सर्विस नही होती। इस से ये पता चलता है कि पैसो के अलावा भी लोग औऱ चीजो से मोटिवेट होते है।
ओपन सोर्स इन्फोर्मेशन में कोंट्रीब्यूशन करना एक अलग टाइप का रिवार्ड है और ये है इंट्रीसिक मोटिवेशन (intrinsic motivation). यही वो मोटिवेशन है जो आपको अंदर से ड्राइव लाता है. जैसे कि आप किसी अच्छे काम में अपना कोंट्रीब्यूशन देकर अंदर से अच्छा फील करते हो. जैसे कि आप अपना काम एन्जॉय करते हो और अगर आपके काम से किसी का भला होता है तो आपको खुद पे प्राउड भी फील होता है.
हमे लगता है कि हम वो कर रहे है जो बेस्ट है और जिससे हमे सबसे ज्यादा पैसा मिल रहा है.—जैसा कि मोटिवेशन 2.0 से कहा जा सकता है. लेकिन हमेशा ऐसा नही होता क्योंकि अक्सर हमारे एक्शन इररेशनल भी होते है. अगर मोटिवेशन 2.0 के हिसाब से सोचे तो इंसान सिर्फ पैसे से मोटिवेट होता है. तो फिर क्यों हमे पजल्स सोल्व करना अच्छा लगता है जबकि इससे कोई कमाई नही होती ? क्यू लोग घंटो तक कोई music instrument सिर्फ एन्जाय करने के लिये ही प्ले करते है?
ये सब इंट्रीन्सिक मोटिवेशन की वजह से होता है. हम बहुत से काम सिर्फ पैसे के लिए नही करते बल्कि इसलिए भी करते है क्योंकि उस काम को करने के बाद हमे एक फुलफिलमेंट का एहसास होता है. हमे लगता है हमने कुछ अचीव किया. बेशक ये इररेशनल हो सकता है और हमें इससे कोई पैसा नही मिलता लेकिन फिर भी हमे लगता है कि ये हमारे लिए बेस्ट है.
एक और एक्जाम्पल लेते है. कई बार हम अच्छी-खासी सेलरी वाली जॉब भी छोड़ देते है. बेशक काम में अच्छा पैसा मिल रहा हो पर अगर सेंस ऑफ़ सेटिसफेक्शन ही ना हो तो क्या फायदा. जिस काम में कोई चेलेंज ना हो उसे करना का मज़ा नही आता. फिर चाहे आप कम सेलरी में कोई ऐसा काम करना पसंद करे जहाँ एक पर्पज हो, कोई मोटिवेशन हो.
मोटिवेशन की बात करे तो दो टाइप की जॉब्स होती है. पहली है अल्गोरिथ्मिक यानी जिसमें ज्यादा दिमाग नही लगाना पडता बस एक टाईप का काम रिपिट होता है जैसे पम्प आँफरेटर जिसमें सुबह और शाम बस दो बार पानी के लिये पम्प आँन या आँफ करना है, और दूसरा टाइप है हयूरिस्टिक यानी जिसमें हमारी ब्रेन पावर यूज होती है. अल्गोरिथ्मिक टास्क में स्टैण्डर्ड इंस्ट्रक्शन होते है कि किसी काम को कैसे करना है. जबकि हयूरिस्टिक टास्क में आपको दिमाग लगाकर क्रिएटिव आईडियाज़ लाने पड़ते है.
अल्गोरिथ्मिक टास्क यानी जिन टास्क में दिमाग नही लगाना पडता उसके लिये रीवार्ड और पनिशमेंट का रुल काम करता है. लेकिन ये उन लोगो पर ज़रा भी काम नही करेगा जो हयूरिस्टिक टास्क करते है यानी जिन्हे अपने काम के लिये ज्यादा ब्रेन यूज करना पडता है. क्योंकि क्रिएटिविटी को किसी रीवार्ड का लालच या पनिशमेंट का डर नहीं होता. हयूरिस्टिक जॉब करने वाले अपने काम को एन्जॉय करते है. उन्हें अपने काम में पूरी फ्रीडम मिलती है जिससे उनका क्रिएटविटी लेवल एकदम हाई रहता है.
हालाँकि ज्यादातर पोपुलेशन मोटिवेशन 2.0 के हिसाब से काम करती है लेकिन ऐसे लोग भी कम नहीं है जो अपने बॉस खुद है. धीरे-धीरे अब ये ट्रेंड चल पड़ा है जहाँ काम में कोई रुटीन नही है. एम्प्लोईज़ खुद अपनी मर्ज़ी से काम करते है. हयूरिस्टिक टास्क यानी ब्रेन वाले टास्क करने वाले लोगो के बॉस अगर उन्हें अपने तरीके से काम करने दे तो प्रोडक्टीविटी लेवल और भी बढ़ जाएगा.
जैसा कि हमने आपको कहा मोटिवेशन 2.0 के भी अपने कुछ ड्राबैक्स है तो इंसान को क्या चीज़ मोटिवेट करती है, वो हम इस summary के थ्रू डिस्कवर करेंगे. इसे हम बोलेंगे मोटिवेशन 3.0 जिसके हिसाब से इंसान रीवार्ड्स और पनिशमेंट के रुल से चलता है पर कुछ और भी ऐसी चीज़ है जो उसे मोटिवेट करती है, और ये चीज़ है ड्राइव. ड्राइव एक अपोर्च्यूनिटी है खुद को इम्प्रूव करने और आगे बढ़ने के लिए.
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रीजन्स व्हाई कैरट्स एंड स्टिक्स आफ्न डोंट वर्क (Reasons Why Carrots and Sticks Often Don’t Work)
जैसा हमने पहले बताया रीवार्ड्स और पनिशमेंट का कांसेप्ट हमेशा गुड या बेड बिहेवियर नही देता. और ये स्पेशली सिर्फ हयूरिस्टिक टास्क पर अप्लाई नहीं होता. बल्कि ये किसी भी टाइप की जॉब पर अप्लाई हो सकता है. मोटिवेशन 2.0 की ये कुछ कमियां है. रीवार्ड्स लोगो को गुड परफोर्मेंस देने के लिए डीमोटिवेट कर सकता है.
अब जैसे कि एक शेफ अपने छुट्टी वाले दिन गरीब लोगो के लिया खाना पकाता है. पर अगर कोई उसे बोले कि तुम्हारी सर्विस के बदले तुम्हे पैसे मिलेंगे तो उसे यही चैरीटी वर्क एक टास्क की तरह लगेगा यानि एकदम बोरिंग. यहाँ तक कि वो demotivate होकर इस काम को छोड़ भी सकता है. यानी चैरिटी वर्क से उसे जो ख़ुशी मिलती थी, वो टास्क में बदल जाने से उसका मोटिवेशन ही खत्म हो गया.
ह्यूमन बिहेवियर के बारे में एक मजेदार बात ये है कि जब कोई काम फन के लिए करते है तो मजा आता है पर अगर उसी काम के पैसे मिले तो अचानक वो काम बोरिंग लगने लगता है. एक्सटर्नल रीवार्ड जैसे पैसा आपके इंट्रीन्सिक मोटिवेशन को खत्म कर सकता है. याद रहे कि इंट्रीन्सिक मोटिवेशन वो चीज़ है जो आपके अंदर से आती है जब आप किसी काम को एन्जॉय करते हो |
पैसा मोस्ट कॉमन एक्सटर्नल रीवार्ड है. हालाँकि कई स्टडीज़ में ये बात प्रूव हुई है कि चाहे कितना भी पैसा ऑफर किया जाए, ये जरूरी नहीं है कि लोगो की परफोर्मेंस भी इम्प्रूव होगी. यही बात चैरिटी एक्टिविटीज़ पर कंपनसेशन पर भी अप्लाई होती है. अगर ब्लड डोनर्स को इस काम के पैसे मिलने लगे तो कुछ ही दिनों में ब्लड डोनेट करने वाले कम हो जायेंगे.
रिवार्ड पर ज्यादा फोकस करने वाले अनएथिकल (galat) एक्शन लेने में भी नहीं हिचकते. जैसे एक्जाम्पल के लिए कोई स्कूल अपने स्टूडेंट्स को फेक परफोर्मेंस रिपोर्ट देकर उन्हें अच्छे कॉलेज में एडमिशन करा दे. एक और एक्जाम्पल है, जब कोई एथलीट ड्रग्स की हेल्प से परफोर्मेंस बूस्ट करना चाहे.
इससे भी बुरी बात हो सकती है कि लोग रीवार्ड्स के एडिक्ट्स बन सकते है. एक बार आदत लग जाए तो लोग पहले से ज्यादा बड़ा रिवार्ड चाहेंगे. अब ज़रा एक एथलीट का एक्जाम्पल लेते है. मान लो उसे ऑर्गेनाइजर्स से फर्स्ट टाइम $50,000, का रीवार्ड मिला तो अगली बार वो $100,000 डिमांड करेगा.
रीवार्ड्स का उल्टा असर भी हो सकता है, और ये बात हम मार्क ट्वेन की क्लासिक बुक” द एडवेंचर ऑफ़ टॉम सॉयर” से समझ सकते है. टॉम को उसकी आंटी पोली ने घर के बाहर की दीवार पेंट करने का टास्क दिया था. अब टॉम को ये काम करने का ज़रा भी मूड नही था. और जब उसके फ्रेंड बेन ने उसे चिढाया कि तो टॉम को ज़रा भी अच्छा नही लगा.
टॉम एक clever बॉय था. तो उसने बेन को बोला कि दिवार पेंट करने का टास्क बड़ा मजेदार है. टॉम की बातो ने बेन को कन्विंस कर दिया कि दिवार पेंट करना वाकई मजेदार काम है. उसने टॉम से रिक्वेस्ट की कि वो उसे भी दिवार पेंट करने दे. और फिर क्या था. टॉम के सारे फेंड्स आ गए और सब बारी-बारी दिवार पेंट करने लगे. और बदले में टॉम ने सबसे कुछ ना कुछ रीवार्ड लिया.
कहने का मतलब है कि रीवार्ड्स का आईडिया हमेशा काम नहीं करता. इसमें पांच मिस्टेक्स है. पहला, ये डीमोटिवेट कर सकता है, दूसरा ये परफोर्मेंस कम कर सकता है, तीसरा ये क्रियेटीविटी खत्म कर देता है, चौथा, बेड बिहेवियर और पांचवा रीवार्ड्स एडिक्शन पैदा करता है.
एंड द स्पेशल सर्कमटाँसेस व्हेन दे डू (and the Special Circumstances When They Do)
अपनी कमियों के बावजूद मोटिवेशन 2.0 आज भी चल रही है. जो टास्क आपको मिला है अगर वो अल्गोर्थिमिक टाइप हो yaani koi रूटीन जॉब हो तो उसे करने के लिए आपको भी रीवार्ड ही मोटिवेट करेगा. लेकिन ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि अल्गोरिथ्मिक टास्क में ज्यादा दिमाग खपाने की जरूरत नही पड़ती. अगर पेमेंट अच्छी है तो बैटर पर्फोर्मंस की उम्मीद की जा सकती है.
तो उन टास्क का क्या जहाँ क्रिएटिविटी चाहिए? बॉस ये नही बोल सकता कि” अगर तुम ये प्रोजेक्ट क्रिएटिव वे में करोगे तो तुम्हे अच्छा बोनस मिलेगा”. एम्प्लोईज़ को लगे कि उन्हें एप्रिशिएट नही किया जाता तो उनका क्रिएटिव लेवल ऑटोमेटिकली कम हो जाता है. फिर उनका सारा फोकस टास्क से ज्यादा रीवार्ड पर रहेगा.
याद रहे कि रीवार्ड्स कई बार डीमोटिवेट भी कर सकता है. जिसके पास हयूरिस्टिक टास्क है यानी ब्रेन लगाने वाला काम है उसे मोटिवेट करने के लिए ऑटोनोमी को एंकरेज करो. उन्हें अपने तरीके से टास्क करने दो. और अगर आप वाकई में रीवार्ड देना चाहते हो तो एम्प्लोईज़ को काम खत्म कर लेने दो, उसके बाद रीवार्ड दो.
मान लो आप किसी छोटी सी कंपनी के बॉस हो और आपकी कंपनी पोस्टर्स मेल करती है. अब आपके सारे एम्प्लोईज़ के पास अल्गोर्थ्मिक टास्क है क्योंकि उन्हें सिर्फ पोस्टर्स को रोल करके मेलिंग ट्यूब्स में डालकर डिलीवरी के लिए भेजना होता है. अब अगर आप उन्हें किसी रीवार्ड का लालच दोगे तो आपके एम्प्लोईज़ पर मोटिवेशन 2.0 का कोई नेगेटिव इफेक्ट नहीं होने वाला. उन्हें अपना मोनेटरी रीवार्ड्स मिलेगा और आपको सबसे गुड परफोर्मेंस मिलती रहेगी.
मान लो आप अपने एम्प्लोईज़ के लिए कोई क्रिएटिव टास्क रखना चाहते हो. आप एक कांटेस्ट रखोगे जहाँ सबको खुद का पोस्टर क्रिएट करना है. अब जैसा कि हमने मेंशन किया था, रीवार्ड्स के लालच में सब अपने बेस्ट क्रिएटीव वर्क देंगे. पर उन्हें ये मत बोलो कि पोस्टर फिनिश करने के बाद सबको कुछ रीवार्ड मिलेगा. इसके बदले आप उन्हें डिनर करा सकते हो या एक दिन का ऑफ दे सकते हो. तो इस तरह आपके एम्प्लोईज़ रीवार्ड पर नहीं बल्कि अपने टास्क पर ज्यादा फोकस कर करेंगे.