(Hindi) Don’t Sweat the Small Stuff and It’s All Small Stuff: Simple Ways to Keep the Little Things from Taking Over Your Life
इंट्रोडक्शन (Introduction)
आज के इस फ़ास्ट और दौड़ते हुए समय में लोग अपने लाइफ में बहुत बिज़ी हो गए हैं.सब कहीं ना कहीं पहुँचने की जल्दबाज़ी में हैं. सबको हमेशा कुछ ना कुछ करना है, कहीं ना कहीं जाना है, कुछ अचीव करना है. किसी के पास रिलैक्स करने का टाइम नहीं है या ये भी हो सकता है कि वो ख़ुद रुक कर रिलैक्स करना नहीं चाहते.सब अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए सुपर एक्टिव होना चाहते हैं.
क्या आपने कभी सोचा है कि क्या सच में हर समय दौड़ना ज़रूरी है? क्या कुछ अचीव करने के लिए इस भाग दौड़ की ज़रुरत है? क्या हर चीज़ आपके लाइफ में एक एमर्जेन्सी (emergency) बन कर रह गई है कि आप वेट ही नहीं कर सकते?
तो सुनिए, इसका जवाब “ना” है. हाँ, हमेशा कुछ ना कुछ करना तो लगा ही रहेगा. लेकिन आप उसे एक एमर्जेन्सी की तरह देखे बिना भी तो कर सकते है ना. आप शांत और रिलैक्स हो सकते हैं. अपना सारा काम करते हुए भी आप लाइफ के खूबसूरत और अनमोल मोमेंट्स को एन्जॉय कर सकते हैं.
इस बुक में आप सीखेंगे कि लाइफ कोई एमर्जेन्सी नहीं है और आपको हर चीज़ के लिए जल्दबाज़ी करने की ज़रुरत नहीं है. सबसे पहले शांति से सोच समझ कर डिसाइड करें कि सबसे ज़रूरी काम कौन सा है और उसके बाद उसे अचीव करने के लिए स्टेप्स लेना शुरू करें.
आप लाइफ में होने वाली छोटी छोटी बातों के बारे में भी समझेंगे. आप सीखेंगे कि कैसे छोटी छोटी चीज़ों पर बहुत ज़्यादा एनर्जी और टाइम waste नहीं करना चाहिए और दुनिया में कुछ भी बड़ा नहीं है. ये दुनिया छोटी छोटी चीज़ों से ही बनी हुई है.
आप ऐसे कई मेथड्स सीखेंगे जो आपको लाइफ के सिंपल लेकिन नाज़ुक सीजुएशंस को हैंडल करना सिखाएगी. ये बुक आपको ये भी सिखाएगी कि अगर कोई आप में कमियाँ या दोष निकाल रहा है तो उसे कैसे हैंडल करना चाहिए, सहानुभूति(कम्पैशन) और kindness से कैसे दिलों को जीतना चाहिए और इम्पर्फेक्ट चीज़ों में भी कैसे परफेक्शन को देखना चाहिए.
इस बुक के ज़रिये, आप दुनिया को एक अलग नज़रिए से देखना सीखेंगे जो आपको अपने डेली रूटीन के प्रोब्लम्स को सोल्व करने में मदद करेगा.
तो क्या आप अपने प्रोबलम्स का solution जानना चाहेंगे? क्या आप ज़्यादा पीसफुल और प्यार से भरपूर लाइफ जीना चाहेंगे? तो चलिए देर किस बात की, शुरू करते हैं.
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डोंट स्वेट दस्मॉल स्टफ(Don’t Sweat the Small Stuff)
लोग ना छोटी छोटी बातों या सिचुएशन को भी बेमतलब सोच सोच कर बहुत बड़ा बना देते हैं. हम तो बस मानने लगे हैं कि लाइफ में हर चीज़ एक एमर्जेन्सी है, सब तुरंत होना चाहिए. लेकिन हम ये नहीं समझते कि अगर इन छोटी चीज़ों के लिए परेशान होना छोड़ देंगे तो हम अपनी कितनी एनर्जी बचा सकते हैं और बेटर तरीके से लाइफ को एन्जॉय कर सकते हैं.
इस बुक के ऑथर रिचर्ड ने इसे एक सिंपल एक्जाम्पल से एक्सप्लेन किया है.
इमेजिन कीजिये कि आप बाइक या कार चला रहे हैं और अचानक से कोई पीछे से आकर आपको ओवरटेक करता है. आपका क्या रिएक्शन होगा? आमतौर पर लोग गुस्सा हो जाते हैं या चिल्लाते हैं. कुछ लोग तो पूरे दिन ये स्टोरी दूसरों को बताते रहेंगे और एक छोटी सी बात के लिए स्ट्रेस लेते रहेंगे. वो बस ख़ुद को राईट साबित करने में अपनी सारी एनर्जी waste कर देंगे,जो उनका पूरा दिन बर्बाद कर देगा. अगर आप नाराज़ होने की जगह परेशान ना होना चूज़ करेंगे और इसे जाने देंगे,तो आप अपने मन की शांति को बचा सकते हैं और आगे एक अच्छा और मज़ेदार दिन बिता सकते हैं.
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मेक पीस विथ इम्पर्फेक्शन (Make Peace with Imperfection)
इस दुनिया में कुछ भी परफेक्ट नहीं है. हमें चीज़ों को उनकी कमियों के साथ एक्सेप्ट करना चाहिए.जब हम इस परफेक्शन की तलाश को ख़त्म करना सीख जाएँगे तब हम हर चीज़ की सुंदरता को देख सकेंगे.
आइये एक एक्जाम्पल देखते हैं. हम हमेशा चीज़ों में दोष ढूंढते रहते हैं जैसे हमारी अलमारी सजी हुई नहीं है, कपड़े ठीक से नहीं धुले हैं, बॉडी पर बहुत ज़्यादा फैट है और ना जाने क्या क्या. जो जैसा प्रेजेंट स्टेट में है हम बस उसे और भी बेटर बनाने में लगे रहते हैं और इस चक्कर में लाइफ के छोटे छोटे मैजिकल मोमेंट्स को देख ही नहीं पाते.
परफेक्शनिस्ट होने में कोई बुराई नहीं है लेकिन आपको ये समझना होगा कि हर चीज़ का परफेक्ट होना ज़रूरी नहीं है.जब आप चीज़ों को उसके एक्चुअल रूप में एक्सेप्ट करना सीख जाएँगे तब आप खुद ब खुद उसकी अच्छाई और क्वालिटीज़ कोदेखने लगेंगे.
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बी अवेयर ऑफ़ द स्नोबॉलइफ़ेक्ट ऑफ़ योर थिंकिंग (Be Aware of the Snowball Effect of Your Thinking)
हमारे मन में चलने वाले थॉट्स बेक़ाबू होते हैं. हमें पता भी नहीं चलता लेकिन कुछ ही सेकंड में हज़ारों ख़याल हमारे मन में लगातार चलते रहते हैं. एक थॉट के बाद दूसरी थॉट आती है फ़िर तीसरी और ये एक दूसरे से जुड़ कर कभी ना ख़त्म होने वाला सिलसिला बन जाता है. बिलकुल एक स्नोबॉल (snowball) की तरह जिसकी शुरुआत एक छोटे से बर्फ़ के टुकड़े से होती है और फ़िर उसमें थोड़ी थोड़ी बर्फ़ जुड़ कर उसे बहुत बड़ा बना देती है. हमारे थॉट्स बिलकुल ऐसे ही होते हैं. लेकिन एक पीसफुल लाइफ के लिए आपको इस सोच को बदलना होगा.
मान लीजिये कि आप रात को सो रहे हैं और अचानक से उठ जाते हैं. आपको याद आता है कि सुबह आपको एक अर्जेंट कॉल करना है.रिलैक्स होने के बजाय कि आपको एक इम्पोर्टेन्ट चीज़ याद आ गई, अब आप दूसरी चीज़ों के लिए परेशान होने लगते हैं.
जैसे बॉस के साथ होने वाली बातचीत की रिहर्सल करने लगते हैं, आने वाली मीटिंग के बारे में सोचने लगते हैं और जितने भी दूसरे कॉल्स करने हैं उनके बारे में चिंता करने लगते हैं. इस वजह से आप और भी ज़्यादा अपसेट हो जाते हैं औए सोचने लगते हैं कि आपसच में कितने बिज़ी हैं.इसकी वजह से और भी थॉट्स पैदा होने लगते हैं जो हमें डिस्टर्ब कर देते हैं और ये प्रोसेस कभी ख़त्म ही नहीं होता.
इस प्रॉब्लम का एक सिंपल उपाय है. अगर आप उस स्नोबॉल को शुरुआत से ही बड़ा नहीं होने देंगे तो आपका माइंड डिस्टर्ब नहीं होगा.अपने थॉट्स को स्नोबॉल बनने मत दो. जैसे ही आपको लगने लगे कि आप बहुत ज़्यादा सोच रहे हैं तो खुद को झकझोड़ कर कहो “अब सोचना बंद करो”. अपना ध्यान दूसरी तरफ़ करने के लिए आप पेपर और पेन लेकर लिखना शुरू कर सकते हैं कि सुबह आपको क्या क्या इम्पोर्टेन्ट काम पूरे करने हैं और इस तरह आप अपनी नींद डिस्टर्ब होने से रोक सकते हैं.
बिज़ी होना बुरी बात नहीं है लेकिन अपने माइंड को बिना मतलब के थॉट्स से भरना आपको थका देता है जो आपके काम करने की एबिलिटी को कम कर देता है.
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बिकम मोर पेशेंट (Become More Patient)
पेशेंस या धैर्य हमारे लाइफ में बहुत इम्पोर्टेन्ट होता है. ये आपको शांति और प्यार से भर देता है. इसकी मदद से आप में चिडचिडापन कम होने लगता है और आप अपने लाइफ के यादगार पलों को खुल कर एन्जॉय कर सकते हैं.
रिचर्ड ने अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से इसे समझाने की कोशिश की है.उनकी दो छोटी बेटियाँ हैं. वो जब भी बुक लिखने बैठते तो अक्सर उनकी चार साल की बेटी उन्हें बार बार तंग किया करती थी. वो जब भी अपने स्टडी रूम में गहरी सोच में डूबे हुए होते तो वो वहाँ पहुँच जाती. लेकिन वो कभी अपनी बेटी पर ना तो गुस्सा हुए और ना ही उन्हें कभी चिडचिडाहट हुई.
अगर उन्हें कभी नेगेटिव थॉट आ भी जाता तो वो अपनी बच्ची की मासूमियत और भोलेपन के बारे में सोचने लगते.वो ये सोचने लगते कि वो इसलिए नहीं आती क्योंकि वो उन्हें डिस्टर्ब करना चाहती है बल्कि इसलिए आती है क्योंकि वो उनसे बहुत प्यार करती है.वो जब उसका मासूम चेहरा देखते तो अपनी सारी थकान भूल जाते और उन्हें इतने प्यारे बच्चे देने के लिए भगवान् को थैंक यू कहते.
पेशेंस एक बहुत इम्पोर्टेन्ट क्वालिटी है. इसकी कमी से आप जीवन में निराश महसूस करने लगेंगे और छोटे छोटे लेकिन दिल को छूने वाले एक्सपीरियंस को फील ही नहीं कर पाएँगे.
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क्रिएट“पेशेंस प्रैक्टिस पीरियड्स” (Create “Patience Practice Periods”)
अब जब हमने अपने लाइफ में पेशेंस के इम्पोर्टेंस के बारे में जान लिया है तो अब देखते हैं कि हम अपने पेशेंस का लेवल इम्प्रूव कैसे कर सकते हैं. आप पेशेंस का आर्ट सीखने के लिए “पेशेंस प्रैक्टिस पीरियड” सेट कर सकते हैं. ख़ुद को बस पांच मिनट के लिए पेशेंट रहने के लिए कहिये और प्रैक्टिस के साथ धीरे धीरे इसका टाइम बढ़ाते जाइए. आप समय के साथ ख़ुद में चेंज होता हुआ देखेंगे और प्रैक्टिस के साथ आप एक पेशेंट इंसान बन जाएँगे.
रिचर्ड ने इसे अपने बच्चों के साथ ट्राय किया. एक दिन, जब वो एक ज़रूरी कॉल कर रहे थे तो उनके दोनों बच्चों ने उन पर सवालों की बौछार कर दी. वो बस अपने पापा का पूरा ध्यान ख़ुद की तरफ़ चाहते थे लेकिन उनके पापा का ध्यान तो फ़ोन करने में लगा हुआ था.
रिचर्ड ने खुद को 30 मिनट तक पेशेंट रहने के लिए कहा. ना वो गुस्सा हुए और ना उन पर चिल्लाए. वो बस बिलकुल शांत बने रहे. उनका मूड अच्छा होने लगा. उन्होंने नोटिस किया कि जब वो शांत और पेशेंट थे तब उनके बच्चे भी बिलकुल शांत और पेशेंट थे. ना उन्होंने कोई शैतानी की और ना उन्हें परेशान किया. वो दोनों चुपचाप बाहर खेलने चले गए.
पेशेंस आपको आज में जीना सिखाता है. आप जो भी काम कर रहे हैं उस पर फोकस करने में मदद करता है. ये आपको समझाता है कि किसी हड़बड़ी की ज़रुरत नहीं है, कोई एमर्जेन्सी नहीं है और आप जो काम कर रहे हैं वो थोडा वेट कर सकता है. जब आप पेशेंस के साथ चीज़ों को हैंडल करने लगेंगे तो आप देखेंगे कि आप अपने काम को पहले से ज़्यादा अच्छे तरीके से कर पा रहे हैं और आपके रिश्ते भी ज़्यादा स्ट्रोंग होंगे, उसमें ज़्यादा प्यार और विश्वास होगा.