(hindi) Difficult Conversations: How to Discuss What Matters Most
Introduction
क्या आपको लगता है कि आपको अपने रिश्तों पर थोड़ी मेहनत करने की जरूरत है ? क्या आपको लगता है कि आप हमेशा, मानो किसी आदत की तरह , लोगों के साथ बहस कर रहे हैं और अपने मन की बात कह नहीं पा रहे हैं? क्या आपको ऐसा लगता है कि आप की बात सुनी नहीं जाती है? अगर हां , तो यह बुक आपकी सारी परेशानियों का जवाब है । यह बुक आपको सिखाएगी कि आपको बातचीत में कैसे शामिल होना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए और आपको किन चीजों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है ।
इस बुक में आप बातचीत करने के लिए ज़रूरी सभी स्किल्स के बारे में जानेंगे जो आप के रिश्तों को मजबूत कर सकती हैं और किसी भी तरह के डिसएग्रीमेंट से आपको बचा सकती हैं। यह पर्सनल रिश्तों से लेकर फॉर्मल रिश्तों तक हो सकते हैं, चाहे वह आपका बॉस हो , आपके बच्चे हों, आपका दोस्त हो ,या आपका जीवन साथी हो।
इस बुक में, आप जानकारी का पता लगाने , किसी दूसरे के बारे में अपने मन से ही कोई वहम ना पालने और दोष न देने से बचने के importance को समझेंगे। आप बातों के तीसरे साइड को देखना सीखेंगे। एक अच्छे लिसनर बनने के साथ-साथ आप खुद की बात लोगों के सामने रखना भी सीखेंगे। यहां आप ऐसी बातों के बारे में जानेंगे जो दूसरों को पता है लेकिन शायद आपको नहीं और उनके अलग-अलग ओपिनियन को जानने की अपनी चाहत के इम्पोर्टेंस को समझेंगे।
आप परेशानियों को सुलझा पाएंगे और मुश्किल लगने वाली बातचीत आप आसानी से कर पाएंगे। किन बातों को और ज्यादा ध्यान से समझने की जरूरत है और किन बातों को छोड़ देने की जरूरत है , इन सवालों के जवाब यह बुक आपको दे सकती है।
बातचीत को सुलझाइये ।
‘आप जो कहना चाहते हैं ’ और ‘ जो आप कहते हैं’ ,उसके बीच का फर्क बातचीत को मुश्किल बनाता है। हर इंसान को अपने जीवन में कभी ना कभी बातचीत करने में परेशानी होती ही है। बातचीत तीन तरह के होते हैं :1) जो हुआ उससे जुड़ी हुई बातचीत 2) आप जो महसूस कर रहे हैं उससे जुड़ी हुई बातचीत मतलब ‘भावनाओं की बातचीत’ 3) पहचान की बातचीत मतलब ‘आइडेंटिटी बातचीत’ ।
पहली तरह की बातचीत में किसी disagreement के कारण आपके मन में डाउट पैदा कर सकता है। दूसरी तरह की बातचीत में आपकी भावनाओं के बारे में बात की जाती है। आप को डाउट होने लगता है कि आपकी भावनाएं सही है या नहीं। आप सोच में पड़ जाते हैं की आपको उन्हें समझना चाहिए या उन पर ध्यान ही नहीं देना चाहिए। तीसरी तरह की बातचीत यानी ‘आइडेंटिटी बातचीत’ वह होती है जिसमें आप खुद से बात करते हैं। यहां आप किसी सिचुएशन के बारे में सोच कर कि वह आपके लिए कितनी जरूरी है यह समझते हैं। यह तीनों तरह की बातचीत काफी चुनौती भरी हो सकती है , और आपको इन्हें हैंडल करना आना चाहिए।
चलिए, इन तीनों तरह की बातचीत को समझने के लिए एक example लेते हैं।
यह जैक और माइकल नाम के दो दोस्तों के बीच हो रही एक परेशानी भरी बातचीत की कहानी है। एक दिन , माइकल मदद मांगने के लिए जैक को कॉल करता है। माइकल को जल्दी ही एक फाइनेंशियल ब्रोशर तैयार करने की जरूरत थी क्योंकि उनके डिज़ाइनर ने नौकरी छोड़ दी थी । जैक ने माइकल की मदद करने के लिए अपना सारा काम छोड़ दिया और अगले दिन ब्रोशर तैयार करने के लिए देर रात तक काम किया। माइकल ने डिज़ाइन को मंजूरी दे दी और जैक को प्रिंट करने के लिए कहा । जैक ने दोपहर तक वह काम पूरा कर लिया । माइकल के लिए उस रात देर तक काम करने के कारण जैक थक गया था।
जैसे ही जैक अपने ऑफिस में वापस गया उसने माइकल का भेजा हुआ एक वॉइस मेल देखा जिसमें कहा गया था कि ब्रोशर में अर्निंग की चार्ट क्लियर नहीं थी और उसे इसे फिर से करने की जरूरत थी। जैक ने उसी वक़्त माइकल को फोन किया और उनमें बात होने लगी की माइकल ने इसे पहले मंजूरी दी थी । बात करते समय जैक खुद के साथ एक आयडेंटिटी बातचीत कर रहा था कि उसने माइकल की मदद करने के लिए अपनी पत्नी के साथ एक डिनर डेट तक कैंसल कर दी थी और माइकल ने उसे थैंक यू भी नहीं कहा। इस तरह की मूर्खों जैसी गलती करने के लिए जैक खुद पर गुस्सा भी था । उसने ये सब जोर से नहीं कहा ,
ये सब वह अपने मन में खुद से कह रहा था, और ये ‘आइडेंटिटी बातचीत’ का एक example है । उसके मन में ऐसी भी भावनाएं आ रही थी कि माइकल ने उसे एक प्रूफरीडर की तरह देखा था ना कि एक दोस्त की तरह । एक पल के लिए वह माइकल से लड़ना भी चाहता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया । यह उसकी भावनाएं थी , और यह एक भावनाओं की बातचीत है । माइकल और जैक जिस बात पर सहमत नहीं थे उसे लेकर उनमें जो बात हुई की क्या ‘चार्ट में ज़्यादा काम करने की ज़रुरत है ?’ या ‘किसे पहले गलती को समझना चाहिए था?’ यह बातचीत के ‘जो हुआ उसपर बातचीत’ का example है ।
हम इन तीन तरह की बातचीत को हैंडल करने में गलती करते हैं । आपको हमेशा किसी बात को लेकर अपना नजरिया समझाना आना चाहिए। भावनाओं को बताने की और समझने की कोशिश कीजिए और अपना काम सफाई से कीजिए।
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‘कौन सही है’ इस बात पर लड़ना बंद कीजिए : एक दूसरे की कहानी जानने की कोशिश कीजिए ।
• कई बार हम लोगों की राय से सहमत नहीं होते हैं। भरोसा करने की बजाय कि कहानी का एक और साइड हो सकता है , हम उन लोगों को ही प्रॉब्लम समझ लेते हैं और वे लोग भी कुछ ऐसा ही समझते हैं। किसी एक कहानी को लेकर हर किसी के अपने-अपने एक्सपीरियंस और राय होते हैं और उसी बात को लेकर दूसरों के विचार बहुत अलग हो सकते हैं , वे सब ही सही है । जिस तरह कोई इंसान अपने आसपास के माहौल पर गौर करता है , उसे समझने की कोशिश करता है और उसे समझ कर किसी कनक्लुजन पर आता है। ये उसी बारे में सोचने वाले दूसरे इंसान से अलग भी हो सकता है , इसीलिए तो ये झगड़े होते हैं ।
रैंडी और डैनियल एक असेंबली लाइन में साथ काम करते हैं। रैंडी व्हाईट है और डैनियल कोरियन – अमेरिकी है। रैंडी का मानना है कि उनकी कंपनी
माइनॉरिटी में आने वाले लोगों के साथ परायों की तरह बरताव नहीं करती है और उनका अलग-अलग जाति के लोगों को नौकरी देने के बारे में बहुत अच्छा रिकॉर्ड है। उनकी अपनी टीम में दो लोग अफ्रीकी- अमेरिकन है और एक लैटिनो भी है जो यूनियन का हेड है। उनके सुपरवाइजर भी एक फिलिपिनो है और उन्होंने कई बार अलग रंग के यानी काले रंग के लोगों के प्रमोशन को देखा है। दूसरी और डैनियल को अपने काम करने की जगह पर अलग-अलग जाति के भेदभाव पर एक अलग ही एक्सपीरियंस और राय मिली है। उन्हें अपनी काबिलीयत साबित करने के लिए तरह-तरह के अजीब सवालों का सामना करना पड़ा है और उन्हें साथ काम करने वाले लोगों से ही उनकी जाति के बारे में की गई बातों का शिकार भी बनना पड़ा है। उन्होंने देखा कि कंपनी के टॉप ऑफिसर्स ज्यादातर गोरे रंग के हैं और काले रंग के लोगों की प्रमोशन पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया जाता।
उनकी कहानी के दोनों भागों में जरूरत के हिसाब से पूरी जानकारी नहीं है । जबकि रैंडी और डैनियल के पास अपनी राय को सही साबित करने के लिए सबूत है , लेकिन वह सबूत काफी नहीं है और उसे लेकर एक अलग नजरिये की जरूरत है । कई बार हम जो नतीजे निकालते हैं , वह हमारे खुद के मतलब के हिसाब से निकालते हैं । जैसा कि कहानी में है , हम उस राय को मानते हैं जो हमारे हिसाब से हमारे लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है ।
रैंडी को लगता है कि कंपनी अन्य जातियों के खिलाफ भेदभाव नहीं करती है क्योंकि वह गोरे है और यह आमतौर पर उनकी बात का सपोर्ट करता है क्योंकि उन्होंने खुद इसका सामना नहीं किया है। डैनियल ठीक इस बात से उलटी बात पर भरोसा करता है क्योंकि , उसने हमेशा भेदभाव सहा है और हमेशा यही देखा है के कंपनी दूसरों के खिलाफ भेदभाव करती है और जाती के बेसिस पर भेदभाव के बारे में बनी हुई राय का सपोर्ट करती है ।
इसलिए यह सलाह दी जाती है की सिर्फ अपनी खुद की बात को सही मानने के बजाए दूसरे लोगों की राय को जानने की भी इच्छा होनी चाहिये । बात के सभी भागो को जानने के बाद ही कोई भूमिका लेनी चाहिये। वैसे , यह जरूरी नहीं है की सभी के विचार सही होंगे । यह सीखना जरूरी है की किसी भी मामले को हाथ में लेकर कैसे सम्भाला जाए और उसके बाद तय करें की किसके विचार बेहतर या सही है ।