(Hindi) Delivering Happiness
परिचय Introduction
क्या आपको पता है एमेज़ोन ने ज़प्पोस(Zappos) को $1.2बिलियन में कैसे खरीदा ? क्या आप जानते है कि सीईओ टोनी ह्सिएह (CEO Tony Hsieh) अपने बिजनेस में इतने सक्सेसफुल कैसे बने? ये सब इतना भी आसान नहीं था. टोनी को काफी मुश्किलें फेस करनी पड़ी लेकिन उन्हें गाइड किया उनकी सर्च फॉर हैप्पीनेस ने. टोनी हमेशा ही एक एंटप्रेन्योर बनना चाहते थे. बचपन से ही उन्हें खूब सारा प्रॉफिट कमाने का शौक था. और इसीलिए बड़े होकर उन्होंने अपना स्टार्टअप लिंक एक्सचेंज शुरू किया. फिर उन्हें ज़प्पोस में अपना पैशन मिला जिसमे उनकी फुल कमिटमेंट थी, इतना ही नहीं उन्होंने तो ज़प्पोस को बैंकरप्ट होने से भी बचा लिया था.टोनी अपने कस्टमर्स और एम्प्लोयीज़ दोनों को बड़ी वैल्यू देते थे. यहाँ तक कि जब अमेज़ोन ने ज़प्पोस को खरीदा तब भी टोनी ने अपना पर्पज नहीं छोड़ा और वो पर्पज था हैप्पीनेस डिलीवर करना. इस बुक में हम आपको ज़प्पोस और टोनी ह्सिएह (Zappos and Tony Hsieh) की स्टोरी बताने वाले है जो आपको कई वैल्यूएबल लेसंस देगी जो आप खुद अपने और अपने बिजनेस के लिए अप्लाई कर सकते है.
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इन सर्च ऑफ़ प्रॉफिट्स (In Search of Profits)
टोनी के पेरेंट्स टिपिकल एशियंस लोग थे जो चाहते थे कि वो पढ़ाई में अच्छे ग्रेड्स लाये, कोई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स भी सीखे और बड़ा होकर एक डॉक्टर बने. लेकिन टोनी का इरादा तो कुछ और ही था, उसे एक बिजनेस बनना था. उसे चीज़े बनाकर उन्हें ग्रो करने का शौक था. टोनी को खूब सारा पैसा कमाना था इसीलिए उसने अपना फर्स्ट बिजनेस वेंचर स्टार्ट किया जोकि एक वर्म बॉक्स था. उसका ड्रीम था कि वो एक सक्सेसफुल और अमीर वोर्म ब्रीडर बने. अपने 9 बर्थडे पे टोनी ने अपने पेरेंट्स को बोला कि वो उसे एक 100 अर्थवोरमर्स वाला मड बॉक्स खरीद कर दे.
टोनी डेली अपने वोर्म बॉक्स के अंदर कच्चे अंडे डालता था ताकि वोर्म्स स्ट्रोंग बने और फिर वो उन्हें अपने बैक यार्ड में छोड़ देता था. फिर वो एक मन्थ बाद गड्डा खोदकर देखता कि अर्थवोर्म्स ने अंडे दिए या नहीं लेकिन उसे कोई अंडे नहीं मिलते थे. एक्चुअल में तो उसे कोई भी अर्थवोर्म वापस नहीं मिला जो उसने जमीन में छोड़े थे. सब कहीं गायब हो गए थे या फिर बॉक्स से भाग गए थे या फिर शायद उन्हें बर्ड्स ने खा लिया था. खैर जो भी हो, टोनी का ये फर्स्ट बिजनेस वेंचर था.
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यू विन सम, यू लूज़ सम (You Win Some, You Lose Some)
हार्वर्ड में अक्सर टोनी दोस्तों के साथ घूमने के चक्कर में क्लासेज़ मिस कर देता था. उसके कुछ बेस्ट फ्रेंड्स बाद में उसके बिजनेस पार्टनर भी बने. टोनी ने अपने कॉलेज फ्रेंड संजय के साथ मिलकर एक स्टार्टअप खोला लिंक एक्सचेंज जो बाद में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट को $256 मिलियन में बेच दिया था. लिंक एक्सचेंज ने काफी प्रॉफिट कमाया लेकिन कम्पनी ने अपना सेस ऑफ़ कल्चर कहीं खो दिया था, बाद में टोनी और संजय ने कंपनी छोड़ी दी जो उन्होंने बनाई थी. दोनों ने ओरेकल में भी काम किया लेकिन उन्हें मज़ा नहीं आया. फिर उन्होंने वर्ल्ड वाइड वेब को एक्सप्लोर किया.
उन्हें आईडिया आया कि क्यों ना कंपनी वेबसाइट्स के लिए बैनर एड्स चलाए जाए. और फिर उन्होंने लिंक एक्सचेंज खोली जहाँ उन लोगो ने कुछ वेबसाइट्स को अपनी सर्विस ऑफर की. और फिर नेक्स्ट मंथ्स से ही लिंक एक्सचेंज की क्लाइंट्स इनक्रीज होने लगे. टोनी संजय के साथ कंप्यूटर प्रोग्रामिंग टास्क शेयर करता था और कस्टमर्स के इमेल्स भी हैंडल किया करता. एक दिन न्यूयॉर्क के एक बिजनेसमेन ने उन्हें $1 मिलियन में लिंक एक्सचेंज खरीदने का ऑफर दिया. टोनी और संजय हैरान हो गए जब उन्हें अपने स्टार्ट-अप की कीमत पता चली लेकिन उन्होंने कंपनी बेचने से मना कर दिया.
दोनों ने डिसाइड किया कि वे अपने बिजनेस क्वालिटी और ज्यादा इम्प्रूव करेंगे. उन्होंने अपने कॉलेज फ्रेंड्स को भी अपनी टीम ज्वाइन करने के लिए इनवाईट किया. और इस तरह उन्होंने 25 लोग रीक्रूट किये. सब एक दुसरे को जानते थे और मिलकर काम करते थे. याहू ने 1997 में लिंक एक्सचेंज को $20 मिलियन में खरीदने का ऑफर दिया. टोनी ने इस बारे में काफी सोचा, अगर वो ऑफर एक्स्पेट करता है तो उसे सारी लाइफ काम करने की ज़रूरत नही पड़ेगी. लेकिन एक बार फिर टोनी ने ऑफर रिजेक्ट कर दिया. “देयर विल नेवर बी अनदर 1997” टोनी अपनी टीम से बोला क्योंकि उसके साथ-साथ बाकी लोग भी कुछ बड़ा करना चाहते थे.
याहू को फंड करने वाली कंपनी सेक्यूआ कैपिटल(Sequoia Capital)ने लिंक एक्सचेंज में $3 मिलियन इन्वेस्ट किये. टोनी के एक और कॉलेज फ्रेंड था अल्फ्रेड जो कम्पनी में वीपी ऑफ़ फाईनेन्स बना. अगले कुछ सालो में कम्पनी ने कई और एम्प्लोयीज़ को हायर किए क्योंकि उनके क्लाइंट्स भी काफी बढ़ गए थे. ये कम्पनी जब छोटी थी तो इसमें एक सेन्स ऑफ़ कल्चर था क्योंकि टोनी और संजय ने अपने कॉलेज फ्रेंड्स को रीक्रूट किया था और उन फ्रेंड्स ने अपने बाकी फ्रेंड्स को, तो इस तरह सब एक दुसरे को पर्सनली जानते थे. 1998 में कम्पनी के पास 100 एम्प्लोयीज़ थे.
एक दिन मोर्निंग में टोनी उठा तो इतना लेज़ी फील कर रहा था कि उसका काम पर जाने का मन ही नहीं था उसने याद आया कि लास्ट टाइम उसे ऐसा तब फील हुआ था जब वो ओरेकल में जॉब करता था. टोनी उन एम्प्लोयीज़ के बारे में सोचने लगा जिन्हें कम्पनी से ज्यादा पैसे से मतलब था. माइक्रोसॉफ्ट और नेटस्केप दोनों ही लिंक एक्सचेंज के लिए बिड कर रही थी. $265 मिलियन में माइक्रोसॉफ्ट ने डील जीती लेकिन टोनी को कोई ख़ुशी नहीं हुई. अब उसके वो दिन चले गए थे जब वो चीज़े क्रियेट करने के लिए मोटिवेट रहता था. उसे लगा कि कुछ लोग ऐसे भी है जिनके लिए ज्यादा पैसे का मतलब है सक्सेस और हैप्पीनेस. टोनी ने कम्पनी छोड़ने का मन बना लिया था जिसकी वजह से उसे अपने शेयर का 20% गंवाना भी पड़ा लेकिन वो तो अपना पैशन फोलो करना चाहता था, और फिर से कुछ नया बिल्ड करना चाहता था.
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डाइवरसिटी (Diversify)
टोनी के कई सारे फ्रेंड्स ने भी उसके साथ ही लिंक एक्सचेंज छोड़ा था, और उन्हें खूब सारा पैसा मिला था. लेकिन वो सब भी अब खुद से एक ही बात पूछ रहे थे” नाउ व्हट?” टोनी ने सैन फ्रेंसिस्को में एक मूवी थियेटर कॉम्प्लेक्स खोला. उसे पता चला कि इसके ऊपर में 50 न्यू ब्रांड्स के लोफ्ट्स है और स्ट्रीट के उस पार टाको बैल था. टोनी ने तुरंत एक लॉफ्ट खरीद लिया और अपने फ्रेंड्स को इस बारे में बताया. जब वो कॉलेज में था तो उसने अपने डोर्म मेट्स के साथ एक कोर ग्रुप बनाया था. अब ये सारे लोग आपस में काफी क्लोज हो गए थे और एक दुसरे को काफी सपोर्ट करते थे. टोनी ने अपने फ्रेंड्स को बोला कि वे सब भी लॉफ्ट में शिफ्ट हो जाए.
अल्फ्रेड और कुछ और लोग उसके साथ रहने आ गए थे. और फिर कॉलेज के जैसे ही उन लोगो ने यहाँ भी अपना एक नया वर्ल्ड बना लिया था. टोनी और अल्फ्रेड ने सोचा क्यों ना बाकी लोगो के साथ मिलकर एक इन्वेस्टमेंट फण्ड ओपन किया जाए. उनके एक फ्रेंड के पास एक पेट फ्रॉग था इसलिए उन्होंने इसका नाम “वेंचर फ्रोग्स; रख दिया. उनके इस फंड की इन्वेस्टमेंट टोटल $27 मिलियन थी, अपने एक लॉफ्ट में उन्होंने वेंचर फ्रोग्स का ऑफिस बना लिया था. अब उनका काम था नए बिजनेस वेंचर्स ढूढना. एक दिन टोनी को निक स्विनमरन (Nick Swinmurn) का वोईस मेल मिला.
निक ने शूसाईट कॉम नाम से एक वेबसाईट बना रखी थी जिसे वो बिगेस्ट ऑनलाइन शू स्टोर बनाना चाहता था यानी कि वो शूज़ का एक एक्सक्लूसिव अमेजोन खोलना चाहता था. टोनी उसे मना करने वाला था लेकिन फिर निक ने उसे कुछ स्टेटिसटिक दिखाए. यू.एस की फूटवेयर इंडस्ट्री $40 बिलियन वर्थ की थी. इसका 5% या $2 बिलियन आलरेडी मेल आर्डर के थ्रू जा रहा था. टोनी ने देखा कि ऑनलाइन शू बिजनेस में काफी पोटेंशियल है. निक ये भी जानता था कि शू खरीदने के लिए उस टाइम कोई भी ऐसी रीलाएबल वेबसाईट नहीं थी. इसलिए उसने पहले डोमेन नेम शूसाईट.कॉम सिक्योर कर लिया. फिर उसने अपने नजदीकी शू स्टोर्स में जाके स्टॉक की पिक्चर्स ली.
अब जब उन्हें वेबसाईट के थ्रू कोई आर्डर मिलता तो वे लोग जाकर शॉप से जूते खरीद लाते और कस्टमर को डिलीवर कर देते. अब टोनी ने निक को बोला कि सबसे पहले तो साईट का नाम चेंज करना चाहिए क्योंकि ये नाम कुछ ज्यादा ही जेनेरिक(generic)था. निक के माइंड में “ज़प्पोस” आया जोकि ज़प्टोस का शोर्ट फॉर्म था. स्पेनिश में ज़प्टोस का मीनिंग होता है शूज़. सच तो ये था कि निक शू बिजनेस के बारे मे कोई आईडिया नहीं था. इसीलिए वो एक शू सेल्समेन फ्रेड से मिला. टोनी, निक और फ्रेड 100 शू ब्रांड्स के साथ पार्टनरशिप के लिए एग्री हो गए. उन्हें ड्राप शिपिंग करनी थी जिसका मतलब था कि ज़प्पोस को आर्डर मिलेंगे और शू ब्रांड्स कस्टमर्स को शिपमेंट करेंगे. ज़प्पोस को वेंचर फ्रोग्स ने फंड किया था. लेकिन इसे और फंड की ज़रूरत थी.
निक और फ्रेड कंपनी चलाते थे, दोनों इन्वेस्टर्स ढूंढ रहे थे. इसीबीच टोनी और अल्फ्रेड सुकोआ (Sequoia ) को कन्विंस करने में लगे थे कि वो ज़प्पोस के लिए भी फंडिंग करे जैसे उन्होंने लिंक एक्सचेंज के लिए की थी. सुकोआ (Sequoia ) को ज़प्पोस की प्रोग्रेस छोटी लग रही थी इसलिए वे इन्वेस्ट नहीं करना चाहते थे. जब ज़प्पोस के फंड ओवर हो गए तो टोनी और अल्फ्रेड ने वेंचर फ्रोग्स से दुबारा ज़प्पोस में फंड ट्रांसफर कर दिया. ज़प्पोस एक अकेला ऐसा बिजनेस था जिसमे टोनी ने इन्वेस्ट किया था.
कुछ टाइम के लिए वो डे ट्रेडिंग में भी इन्वोल्व था. लेकिन टोनी को वो सेन्स ऑफ़ फुलफिलमेंट नहीं आ रही थी. वो पैसे तो कमा रहा था लेकिन वो कुछ भी बिल्ड नहीं कर रहा था. टोनी कुछ मीनिंगफुल करना चाहता था. और यही रीजन था कि उसने अब ज़प्पोस के साथ डायरेक्ट इन्वोल्व होने का मन बना लिया था. कंपनी बचाने के लिए टोनी ने ऑफिस सैन फ्रांसिस्को लॉफ्ट में शिफ्ट कर दिया था. अब वो फुल टाइम सीईओ था और ज़प्पोस टोनी का पैशन और सारी दुनिया बन गयी थी.