(Hindi) Copycat Marketing 101
कॉपी केट मार्केटिंग 101
व्हाई शुड आई रीड दिस ?
मुझे ये क्यों पढना चाहिए?
ये वो स्टोरी है जो मुझे हमेशा से ही पंसद है. तो स्टोरी कुछ इस तरह है कि एक बार एक बिजनेस मैनेजर होता है जिसकी उम्र कोई 40 के करीब थी. उसे पैसे की हमेशा बड़ी तंगी रहती थी इसलिए वो एक फाइनेंशियल एडवाईज़र से मिलने के लिए अपोइन्टमेंट लेता है ताकि उसे फाईनेंस से रिलेटेड कुछ एडवाइस मिल सके. तो अब होता ये है कि अपोइंटमेंट वाले दिन वो उस फाईनेंशियल एडवाईजर से मिलने उसके ऑफिस पहुँचता है. उस ऑफिस के बाहर दो दरवाज़े थे जिसमे से एक दरवाज़े पर “एम्प्लोयड” लिखा हुआ था और दुसरे दरवाज़े पर “सेल्फ- एम्प्लोयेड” लिखा था. वो आदमी “एम्प्लोयेड” लिखा हुआ दरवाज़ा खोलता है क्योकि वो खुद एक एम्प्लोयी था. और जब वो उस दरवाज़े को खोलकर अंदर जाता है तो उसे फिर से दो दरवाज़े मिलते है.
उनमें से एक दरवाजे में लिखा था “एक साल में 40,000$ से कम कमाई और दुसरे में लिखा था” एक साल में 40,000$ से ज्यादा कमाई” अब उस मैनेजर की कमाई सालाना 40,000$ से कम थी तो इसलिए वो पहला दरवाजा खोलता है. अंदर जाने पर उसे फिर से दो दरवाजे मिलते है जिसमे एक पर लिखा था “एक साल में 2,000$ से ज्यादा सेविंग” और दुसरे में लिखा था” एक साल में 2,000$ से कम सेविंग”. अब क्योकि उस आदमी के सेविंग अकाउंट में बस 1,000$ ही थे इसलिए वो दूसरा दरवाज़ा खोलकर अंदर चला जाता है और क्या देखता है कि वो उसी जगह पर वापस आ गया है जहाँ से वो फर्स्ट टाइम ऑफिस के अंदर गया था.
दरअसल बात ये है कि अगर आप सेम चॉइस चूज़ करते है तो आप कहीं नहीं पहुँचते बल्कि वही रहते है जहाँ से आपने स्टार्ट किया था. आप हमेशा वही वापस आयेंगे जहाँ से चले थे. क्योंकि आगे बढने के लिए आपको डिफरेंट डोर्स खोलने होंगे ताकि आपको डिफरेंट रिजल्ट्स मिल सके. लेकिन ये रिजल्ट्स मिलेंगे कैसे ? अगर आपको ये जानना है कि आगे बढ़ने के लिया क्या करना होगा तो ये समरी पढ़िए.
चैप्टर 1:
वी लिव इन अ वर्ल्ड ऑफ़ कॉपी केट्स
हम कॉपी केट्स की दुनिया में रहते है :
अगर कोई एक चीज़ है जिसमे हम सब अच्छे है तो वो है कॉपी केटिंग. लेकिन क्वेश्चन ये है कि क्योंकि हम ऑलमोस्ट सारी चीज़े कॉपी केट करते है तो हमने अब तक वेल्थ क्रियेट करने का कोई तरीका क्यों नहीं कॉपी केट किया? हमारे पैदा होने के दिन से हमारी कॉपी केटिंग स्टार्ट हो जाती है. हम अपने पेरेंट्स की लेंगुएज कॉपी केट करते है हम उनके मूव्स कॉपी केट करते है, उनकी लाइफ स्टाइल कॉपी केट करते है. स्कूल में हम लेटर्स कॉपी केट करके लिखना सीखते है, फिर हम ड्राइव करना सीखते है, हम इंस्ट्रक्टर को इस बात के पैसे देते है कि वो हमे खुद को कॉपी केट करना सिखाये. और हम जितना बैटर उसे कॉपी केट करते है उतना ही बैटर ड्राइविंग करना सीखते है. हालाँकि लाइफ में हर चीज़ की तरह कॉपी केट करने के भी डाउनसाइड है.
सिर्फ इसलिए कि हम सब कुछ ना कुछ कॉपी केट करते रहते है तो इसका ये मीनिंग बिलकुल नहीं है कि ये एक अच्छी चीज़ है. अब इस बात को ही कंसीडर कर लो कि जब आप कोई बेड हैबिट कॉपी केट करते है. क्योंकि जिसे आप कॉपी केट कर रहे है वो राईट हो ये ज़रूरी तो नहीं है ना? जैसे एक्जाम्पल के लिए इस स्टोरी को ही ले लो जिसमे एक आदमी की क्लोक्स की शॉप होती है. हर रोज़ एक बूढा आदमी उस आदमी की शॉप के पास से गुजरता था और घड़ियों को देखता था. वो अपनी पॉकेट वाच निकाल कर कुछ देखता और अपने रास्ते चला जाता. उस बूढ़े आदमी की इस आदत को देखकर स्टोर ओनर को बड़ी हैरानी होती थी. तो एक दिन उसने अपनी शॉप से बाहर आके उस बूढ़े से पुछा कि वो क्या कर रहा है
जिस पर उस बूढ़े ने जवाब दिया कि “ मै हर रोज़ 5 बजे मै व्हिसल बजाता हूँ इसलिए यहाँ से गुजरते हुए इन इन घड़ियों को देखकर मै एक्जेक्ट टाइम श्योर कर लेता हूँ” बूढ़े की बात सुनकर वो शॉप ओनर जोर से हंसा और बोला” और मै हर रोज़ आपकी व्हिसल की आवाज़ सुनकर अपनी घड़ियों का टाइम सेट करता हूँ” दरअसल वो दोनों ही एक दुसरे को कॉपी केट कर रहे थे. और दोनों ही सोचते थे कि दूसरा पर्सन राईट है, लेकीन वे बस अज्यूम करते थे और रोंग थे. तो “हमने वेल्थ क्रियेट करने का कोई कॉपी केट क्यों नहीं ढूँढा?” इस क्वेश्चन का जवाब होगा कि हम जॉब ट्रेक का तरीका कॉपी केट करते है नाकि वेल्थ क्रिएशन का ट्रेक. तो ऐसा क्यों है भला?
दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर लोग यही सोचते है कि अपने फाइनेंशियल ड्रीम्स पूरे करने के लिए सिर्फ जॉब ही एक तरीका है. तो आप भी अब सोच समझ कर चूज़ करे, उन 95% लोगो की तरह जो जॉब ट्रेक पर है, और शायद 65 की ऐज तक जिनका दिवालिया निकल चूका होगा,क्या आप भी यही चीज़ कॉपी केट करेंगे. या फिर 5% लोगो को कॉपी केट करना पसंद करेंगे जो वेल्थ क्रिएशन ट्रेक पर है और जो 65 की ऐज से पहले ही फाइनेंशियेली इंडीपेंडेट या शायद वेल्थी भी बन चुके होंगे.
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चैप्टर 2:
व्हट इज़ ट्रू वेल्थ?
ट्रू वेल्थ क्या है?
ट्रू वेल्थ का मीनिंग सिर्फ यही नहीं होता कि आप चीज़े खरीद सके बल्कि ट्रू वेल्थ फ्री होने की एबिलिटी देता है जिसका मतलब है कि आपके पास इतना पैसा है, इतना टाइम है कि आप जो चाहे वो करे, जब चाहे तब करे और यहाँ ये चीज़ ध्यान रखे कि इनफ मनी होना कभी भी इनफ नहीं होता. आपके पास इनफ टाइम भी होना चाहिए क्योंकि खोया हुआ टाइम कभी वापस नही आता. आपको ऐसे कई हाई पेड डॉक्टर्स या इंजीनियर्स मिल जायेगे लेकिन अगर आप उनसे पूछे कि क्या वो ट्रूली फ्री है तो उनका आंसर होगा नहीं! क्योंकि वो लोग सच में फ्री नही है. अगर उनके साथ कभी कुछ भी होता है और उन्हें क्विट करना पड़े तो वो सेम लाइफ स्टाइल के बिना सर्वाइव नहीं कर पायेंगे जिसकी उन्हें आदत है.
इसे इनकम क्रिएशन बोलते है जिसका मतलब है कि आप अपने टाइम को मनी के बदले ट्रेड करते है. और आप इसमें कुछ भी अर्न नहीं करते है जब तक कि आप पर्सनली कुछ ना करे. ये एक तरह का ट्रेप है या फिर जैसा हमारे ऑथर इसे कहना पसंद करते है “टाइम- फॉर – मनी- ट्रेप”. इनकम क्रिएशन टेम्पोरेरी होती है , ये लॉन्ग लास्टिंग नहीं है, एक बार अगर आपने किसी कॉज के लिए काम करना बंद कर दिया जैसे कि मान लो किसी बिमारी के चलते आप काम नहीं कर पा रहे तो ज़रा बताओ कि फिर आप कैसे अफोर्ड करोगे? नहीं है ना इस बात का कोई ज़वाब आपके पास. वेल तो फिर आप एक लक्जूरियस लाइफ कैसे अफोर्ड करेंगे जो आपके काम करने या ना करने पर डिपेंड ना हो?
लेकिन ऐसा हो सकता है जब आपकी रेसीड्यूअल इनकम हो. रेसीड्यूअल इनकम बेसिकली आपके लिए पैसा अर्न करती रहती है चाहे आप काम पे जाए या नहीं. ये सुनने में थोडा ड्रीम जैसा लगता है ना? वेल, खुशकिस्मती से ये फिक्शनल नहीं है. ये कोई सपना नहीं है. चलो एक फिक्शनल केरेक्टर बनाते है जिसे हम कहेंगे जॉन. जॉन 40 सालो से अपनी इनकम का 10% सेव करता आ रहा है और इस पैसे को उसने बड़ी वाइज़ली इन्वेस्ट किया है. और जब वो रिटायर हुआ तो उसके पास एक मिलियन डॉलर से भी ज्यादा पैसा इन्वेस्ट था जिसका उसे 10% हर साल मिलता था और ये रकम 100,000$ के बराबर है. तो एक तरह से ये पैसा वो बगैर कोई काम किये बैठे बैठे कमा रहा है और यही उसकी एक्चुअल वेल्थ है.