(Hindi) Che Guevara: A Biography
इंट्रोडक्शन(Introduction)
अर्नेस्टो ग्वेराडे ला सर्न जिन्हें“चे ग्वेरा”, “एल चे” या सिर्फ़ “चे” के नाम से भी जाना जाता है, वर्ल्ड हिस्ट्री के फेमस रेवॉल्यूशनरीस (क्रांतिकारियों) में से एक हैं. टाइम मैगज़ीन ने January 2000 में उन्हें 20th सेंचुरी के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया था. वो उन लोगों की सोच और भावनाओं का एक अहम सिंबल बन गए जो मानते हैं कि अन्याय और इंसानों के खिलाफ़ क्रूर और inhuman बर्ताव सिर्फ़ रेवोल्यूशन (क्रांति) से ही ख़त्म किया जा सकता है.
यह बुक समरी आपको अर्जेंटीना में उनके शुरूआती जीवन से लेकर October 9, 1967 में उनके डेथ तक के बारे में डिटेल में बताएगी.यह आपको बताएगा कि वो एक फेमस पोलिटिकल और रेवॉल्यूशनरी फिगर कैसे बने. कैसे उनके थॉट्स और एक्शंस ने हर घटना, पोलिटिकल लीडर पर गहरा असर डाला और उन्होंने अपनी जर्नी में कैसी कैसी सिचुएशन का सामना किया.
ग्वेरा’स अर्ली लाइफ इन अर्जेंटीना (Guevara’s Early Life in Argentina)
चेग्वेरा का जन्म 14 जून 1928 में अर्जेंटीना के रोसारियो शहर में हुआ था. लैटिन अमेरिका के रिवाज़ के अनुसार उनका पूरा नाम उनके पिता और माँ दोनों के परिवारों के नाम को जोड़ कर बना है. इस वजह से बचपन में उनका नाम अर्नेस्टो ग्वेराडे ला सर्न था. उनके माता पिता अपर क्लास से थे. उनके पिता एक बिजनेसमैन और आर्किटेक्ट थे. उनकी माँ स्पेनिश वंश के एक अमीर ज़मींदार परिवार से थी.
अर्नेस्टो के जन्म के बाद उनका परिवार अर्जेंटीना के सैन इसिड्रो में बसने चला गया. वहाँ जाने के बाद उनके पेरेंट्स को पता चला कि उनका बच्चा अस्थमा जैसी गंभीर तकलीफ का शिकार हो चुका था. उन्होंने हर संभव इलाज़ करवाया लेकिन उन्हें सिर्फ़ ये सलाह दी गई कि उन्हें एक ड्राई क्लाइमेट वाली जगह में रहना होगा ताकि अर्नेस्टो की हालत में सुधार हो सके. तब वो सेंट्रल अर्जेंटीना के कोर्डोबा शहर के एक छोटे से टाउन में रहने चले गए.
वहाँ अर्नेस्टो अपने दो भाई और दो बहनों के साथ बड़े हुए. हालांकि ड्राई क्लाइमेट ने उनकी हेल्थ में सुधार किया था लेकिन उन्हें समय समय पर अस्थमा के अटैक आते रहे.जब वो बड़े होने लगे तो ज़्यादा से ज़्यादा समय घर के बाहर बिताने लगे. यह कहना गलत नहीं होगा कि उनके परिवार ने एक खुशहाल जीवन बिताया था हालांकि कुछ समय बाद उनके पेरेंट्स अलग हो गए थे. अलग होने के बावजूद, उन्हें हमेशा अपने पिता से मोरल सपोर्ट और फ्रीडम मिला और माँ से प्यार और देखभाल.
अगर स्कूल में उनकी परफॉरमेंस की बात करें तो सब उनकी बुद्धिमानी से बहुत इम्प्रेस थे और चकित थे कि वो इतनी जल्दी नई चीज़ें कैसे याद कर लेते थे. वो हमेशा अपने पेरेंट्स के पोलिटिकल एक्टिविटीज में शामिल रहे फ़िर चाहे वो स्पेन में रिपब्लिकन कॉज को सपोर्ट करना हो या WWII में यूरोप में fascism के खिलाफ खड़े होना. 1946 में सेकेंडरी स्कूल से ग्रेजुएट होने के बाद उनके साथ एक दुखद घटना हुई जब उन्हें पता चला कि उनकी दादी बहुत बीमार थी और मई 1947 में जब अर्नेस्टो उनके पास थे तब उनकी डेथ हो गई.
इस घटना से उन्हें गहरा सदमा लगा और अस्थमा का इलाज़ ढूँढने के अपने पर्सनल इंटरेस्ट के साथ वो अब इंजीनियरिंग के बजाय मेडिसिन में डिग्री हासिल करना चाहते थे. अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए रेवोल्यूशनरी चे ने कहा कि वो अपनी परिस्थिति के अनुसार बन गए थे. वो अब तक ऐसे इंसान नहीं बने थे जो बिना किसी सेल्फिश मकसद के अपना सब कुछ ह्यूमैनिटी के लिए न्योंछावर कर दे.
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द मोटरसाइकिल डायरीज : ग्वेरा’स साउथ अमेरिकन ओडिसी (The Motorcycle Diaries: Guevara’s South American Odyssey)
अर्नेस्टो को ट्रेवल करना बहुत पसंद था. उनकी सबसे यादगार जर्नी थी जब उन्होंने पहली बार अकेले अपनी बाइक पर सेंट्रल और northern अर्जेंटीना का सफ़र किया. उस समय वो ब्यूनेस आइरस यूनिवर्सिटी के 21 साल के मेडिकल स्टूडेंट थे. इस जर्नी के दौरान वो कई दिलचस्प लोगों से मिले जिनमें सीजनल वर्कर्स, बंजारे(nomads), गरीब और बेघर लोग शामिल थे. रात को, वो जेल के ख़ाली सेल या हॉस्पिटल के बेड पर सोने के लिए रिक्वेस्ट करते थे. वहाँ, बड़े होने के बाद उन्होंने पहली बार देखा कि उनका कल्चर इन चीज़ों से कितना अनजान था.
इस जर्नी में उन्होंने बहुत कुछ सीखा खासकर नार्थ की जगह में फ़ैली गरीबी के बारे में. घर लौटने के बाद जब वो बाइक को लौटाने गए तो स्टोर के मालिक ने उनके ट्रिप में बारे में सुन कर उन्हें सब कुछ एक लैटर में लिखने के लिए कहा, जिसे एक स्पोर्ट्स मैगज़ीन में बाइक की advertisement करने के लिए पब्लिश किया गया. उनकी अगली जर्नी भी बाइक पर थी लेकिन वो इस बार अपने दोस्त अल्बर्टो ग्रेनाड़ो के साथ गए थे. उन्होंने शुरुआत बयूनोस आइरस से की फ़िर अर्जेंटीना के अटलांटिक कोस्ट से अर्जेंटीना के साउथ और फ़िर चिली गए.
यहाँ उनके बाइक ने जवाब दे दिया और उन्हें चिली के कैपिटल सेंटियागो से अपनी मंज़िल तक चल कर जाना पड़ा.सिर्फ़ यही नहीं उनके तो पैसे भी ख़त्म हो चुके थे. अपनी जर्नी को ज़ारी रखने के लिए उन्हें रास्ते में कई छोटे मोटे काम करने पड़े. इस सफ़र में, उनके सामने ऐसी कई घटनाएँ घटी जो सोसाइटी में हो रहे अन्याय, इंसानों को एक्सप्लॉइट किया जाना, जाती और धर्म के नाम पर भेदभाव जैसी चीज़ों उनके सामने आई. इसका उन पर गहरा असर हुआ, दुनिया में क्या हो रहा था वो उन्हें देखने को मिला.
जब वो वेनेज़ुएला के कैपिटल कैरकस पहुंचे तो एक डॉक्टर की तरफ़ से अल्बर्टो को एक जॉब का ऑफर मिला, वो डॉक्टर लेप्रसी बीमारी के स्पेशलिस्ट थे.अल्बर्टो ने इसे एक्सेप्ट कर लिया. उसके और अर्नेस्टो के बीच एक समझौता हुआ कि अल्बर्टो इस जॉब को एक्सेप्ट करने के बाद वेनेज़ुएला में रहेगा और अर्नेस्टो मेडिकल स्कूल से ग्रेजुएट होने के बाद उसे ज्वाइन करेगा. जैसा कि उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल डायरी में लिखा था, अर्नेस्टो को इस जर्नी से ख़ुद के बारे में और लैटिन अमेरिका के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला.बिना पैसे, खाना और रहने के लिए कोई जगह नहीं जैसे हालातों में सर्वाइव करने से उन्हें जो नॉलेज और एक्सपीरियंस मिला उसने उन्हें आने वाले एक रेवोल्यूशनरीऔर एक फाइटर के लाइफ के लिए तैयार कर दिया था.
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अ कॉल टू आर्म्स इन गौतेमाला एंड मेक्सिको (A Call to Arms in Guatemala and Mexico)
March 1953 में ग्रेजुएशन के बाद अर्नेस्टो अपने वादे के अनुसार अल्बर्टो को ज्वाइन करना चाहते थे. उनके मन में यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में ट्रेवल करने की इच्छा भी थी. 25 की उम्र में अर्नेस्टो लैटिन अमेरिका के दूसरे लंबे सफ़र पर निकले. इस ट्रिप में उनके बचपन के दोस्त कार्लोस साथ गए थे लेकिन उनके पॉलिटिक्स के मामले में उनके विचार अर्नेस्टो से नहीं मिलते थे. अल्बर्टो को ज्वाइन करने का उनका विचार इक्वेडोर में बदल गया, वहाँ से वो गौतेमाला और दो साल बाद मेक्सिको पहुंचे.
उन्होंने डायरी में इस ट्रिप का ज़िक्र इसलिए किया क्योंकि इसी ट्रिप ने उन्हें एक observer से एक रेवोल्यूशनरी में बदल दिया था : जो दुनिया को बदलने और एक्शन लेने के लिए तैयार था. जब अर्नेस्टो और कार्लोस बोलीविया पहुँचे, उनका सामना अर्जेंटीना के लोगों के ग्रुप से हुआ जिन्हें देश से निकाल दिया गया था क्योंकि वो Peron हुकूमत के खिलाफ़ थे.उनमें से एक कम उम्र का लॉयर था जिसका नाम रिकार्डो रोजो था. उनका कई बार लीमा, पेरू, गौतेमाला में आमना सामना हुआ.
अर्नेस्टो ने बोलीविया में जो कुछ जाना और देखा, उसने उसे बोलीविया रेवोल्यूशन के भाग्य के बारे में नेगेटिव सोच से भर दिया था. उनका मानना था कि नई गवर्नमेंट एक रेवोल्यूशनरी के अलावा कुछ भी हो सकती थी. नई गवर्नमेंट के लीडर्स प्रॉब्लम की जड़ को ठीक करने के बजाय सिर्फ़ उससे पड़ने वाले असर को सुधारने की कोशिश कर रहे थे. ऐसा कर के वो देश में फैले dissatisfaction को शांत करना चाहते थे.
अर्नेस्टो 1953 December के अंत में गौतेमाला पहुँचे जहां कार्लोस ने उन्हें हिल्डा से introduce करवाया.वो अर्नेस्टो के रहने की एक जगह ढूँढने में उनकी मदद माँगने गए थे. बाद में अर्नेस्टो की हिल्डा से शादी हो गई थी. अर्नेस्टो ने हिल्डा के लिए और गौतेमाला गवर्नमेंट के रेवोल्यूशनरी प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए गौतेमाला में रुकने का फ़ैसला किया. उस समय उनके पास पैसे नहीं थे और उन्हें कोई जॉब नहीं मिल रही थी. उनके पास मेडिकल की डिग्री थी लेकिन वो गौतेमाला में वैलिड नहीं था इसलिए वहाँ की हेल्थ मिनिस्ट्री ने उन्हें वहाँ एक साल मेडिकल की पढ़ाई करने की सलाह दी.
उन्हें गवर्नमेंट के स्टेटिस्टिक्स डिपार्टमेंट में पोजीशन ऑफर की गई लेकिन एक शर्त थी कि उन्हें पहले पार्टी को ज्वाइन करना होगा.अर्नेस्टो ने गुस्से से इस ऑफर को ठुकरा दिया था क्योंकि वो सिर्फ़ एक जॉब के लिए कभी अपने प्रिन्सिप्ल के खिलाफ़ नहीं जाते.June 1954 में गौतेमाला के प्रेसिडेंट अराबेंज़ ने नार्थ अमेरिकी मिलिट्री मिशन बमबारी और लड़ाई की घोषणा की धमकी देने वाले दबाव के कारण रिजाइन करने का फैसला लिया.
अराबेंज़ की गवर्नमेंट ने कुछ समय तक विरोध किया लेकिन अमेरिकी एम्बेसडर और कार्लोस कैस्टिल्लो नाम का एक एक्स आर्मी ऑफिसर वहाँ के कैपिटल में घुसने में कामयाब रहे. एक बार ये हो जाने के बाद अब देश बिल्कुल असुरक्षित था. सारे लैटिन अमेरिकन एम्बेसी शरण ढूँढने वालों से भर गए थे ख़ासकर मेक्सिकन और अर्जेंटीना के एम्बेसी. अर्नेस्टो को अर्जेंटीना की एम्बेसी में जगह मिली जहां उन्हें गौतेमाला के कई ऑफिसर्स और लैटिन अमेरिका से निकाले गए पोलिटिकल लोगों को जानने का मौका मिला. वहाँ कुछ दिन रहने के बाद और हिल्डा से रोज़ बात करने के बाद उन्हें एक दिन पता चला कि उनके बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हिल्डा को गिरफ्तार किया गया था.
लेकिन उसने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया था जिसकी वजह से उसे जेल में बंद किया गया. वहाँ से अर्नेस्टो मेक्सिको जाने में कामयाब हुए. हिल्डा को जेल से निकलने के बाद एक बार फ़िर गिरफ्तार किया गया और उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था जब उन्हें भी मेक्सिको भेज दिया गया. मेक्सिको पहुँचने पर और हिल्डा से मिलने के बाद अर्नेस्टो निको लोपेज़ के टच में थे जिसने उन्हें क्यूबा में 26 July को होने वाले रेवोल्युशनरी मूवमेंट के बारे में बताया. फ़िडेल कैस्ट्रो और उनके भाई रौल जेल से छूटने के बाद उन्हें ज्वाइन करने वाले थे.
1955 में हिल्डा को पता चला कि वो माँ बनने वाली थी, उसने अर्नेस्टो को जब ये बताया तो वो बहुत ख़ुश हुए और उन्होंने जल्द से जल्द हिल्डा से शादी करने का फ़ैसला किया. 1955 के अंत से अर्नेस्टो, फ़िडेल, रौल और कई क्युबंस के बीच अक्सर मुलाक़ात होने लगी जिसमें वो आने वाले रेवोल्यूशन के बारे में चर्चा करते थे. लेकिन इस रेवोल्यूशन का सक्सेसदर्द, मौत और बलिदान मांग रहा था.
हिल्डा अब अर्नेस्टो से अलग होने के ख़याल से घबराने लगी थी. यही नहीं,वो जानती थी किये ख़तरा ऐसा था जो ज़िन्दगी भर उनका पीछा नहीं छोड़ता. February 15 को हिल्डा ने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम हिल्डा बीट्रिज़ रखा गया.अर्नेस्टो एक बहुत अच्छे और प्यार करने वाले पिता बने और उन्होंने हिल्डा और अपनी बेटी का बहुत ध्यान रखा.अब चे का मेक्सिको छोड़ कर क्यूबा जाने का समय आ गया था. वो 26 July मूवमेंट के 82 मेंबर्स के साथ 2 December 1956 में क्यूबा पहुँचे.