(hindi) Big Magic: How to Live a Creative Life, and Let Go of Your Fear
इंट्रोडक्शन ( Introduction)
ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोगो ने अपनी लाइफ में इतना कुछ अचीव किया है जबकि कुछ लोगो के पास कुछ भी नहीं है? तो क्या ये लोग कुछ स्पेशल है जिनके पास सबकुछ है? ये लोग ऐसा क्या करते है जो दुसरे नहीं कर पाते? आप इसमें से किस टाइप के इंसान हो? क्या आप बोल्ड और फियरलेस हो? शायद ? क्या आप अपनी बेस्ट लाइफ जी रहे है? जो आप लाइफ में चाहते हो, उसे अचीव क्यों नही कर पा रहे ? ऐसी क्या चीज़ है जो आपको रोक रही है? हम में से ज्यादातर लोग ऐसे होंगे शायद जो एक क्रिएटिव लाइफ नहीं जी रहे. क्रिएटिव से हमारा मतलब एक ग्रेट आर्टिस्ट बनना नहीं है. बल्कि इसका मतलब है कि आपके अंदर हो हिम्मत हो. हिम्मत कुछ नया करने की, अपना बिजनेस वेंचर स्टार्ट करने की, चालीस की उम्र में भी स्केटबोर्डिंग करने की, अपनी खुद की लिखी बुक पब्लिश करवाने की यानी जो आपका मन करे वो करने की.
हम शायद इस बात से अनजान रहते है पर हमारे अंदर एक खज़ाना छुपा है यानी हमारा टेलेंट, और हमारा ज्यादातर टेलेंट छुपा ही रह जाता है क्योंकि हम अपनी क्रिएटिव लाइफ नही जी पाते है. इसका एक और रीजन ये है कि हम कई बार गलत लोगो पर ट्रस्ट कर लेते है जिससे हमारी क्रिएटिविटी कहीं खो जाती है. तो पहले खुद से पूछो” आप जिन पर ट्रस्ट करते है क्या वो सही लोग है ? हम इसलिए भी उम्मीद छोड़ देते है क्योंकि हमे लगता है कि अगर हम दर्द बर्दाश्त करेंगे तभी हमारे काम की तारीफ होगी. और यही रीजन है कि कई सारे आर्टिस्ट सुसाइड कर लेते है या अपनी लाइफ बर्बाद कर लेते है. लेकिन ये बुक आपकी अल्टीमेट गाईड है जो आपको क्रिएटिव लाइफ जीने में हेल्प करेगी.
इस बुक के अंदर जो स्टोरीज़ दी गयी है वो हमे काफी इंस्पायर करती है. और हमे ये भी सीखने को मिला कि लोगों की हर बात पे ट्रस्ट मत करो इससे हमारा ही नुकसान होगा. ये जरूरी नहीं कि हर कोई हमे अच्छी एडवाइज़ दे. आपको एक क्रिएटिव लाइफ जीने के लिए किसी के अप्रूवल की जरूरत नहीं है. जो चीज़ आपको चाहिए वो आपके अंदर ही मौजूद है. दरअसल क्रिएटिव लिविंग का मतलब ये नही कि हमे कुछ बहुत बड़ा, बहुत ग्रेट ही करना है. बल्कि छोटी-छोटी चीज़े भी हमे खुशियाँ दे सकती है, हमे एक सटिसफेक्शन का एहसास दिला सकती है और हमारी एक अलग पहचान बना सकती है. तो क्या आप रेडी है एक क्रिएटिव लाइफ स्टार्ट करने के लिए? क्या आप अपने डर से बाहर निकलने के लिए और एक लाइफ चेंजिंग जर्नी के लिए रेडी हो? वेल, अगर हाँ तो समझ लो आप सही टाइम और सही जगह से शुरूवात कर रहे हो.
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हिम्मत
एक आदमी था जैक गिल्बर्ट, जो काफी फेमस तो नहीं था पर एक ग्रेट पोएट था. उसका जन्म 1925 में पिट्सबर्ग में हुआ था. उस जमाने में पिट्सबर्ग के कई लोग फैक्टरीज़ और इंडस्ट्रीज़ में काम किया करते थे. तो जैक बेचारा उस स्मोक और शोर-शराबे के बीच पला बढ़ा था जो फैक्टरीज़ से निकलता था. जैक जब बढ़ा हुआ तो वो भी एक फैक्ट्री और स्टील मिल्स में काम करने लगा. पर जैक को पोएट्री से प्यार था. बचपन से ही वो एक बड़ा पोएट बनने का ड्रीम देखा करता था. उसके अंदर पोएट्री को लेकर को स्ट्रोंग फीलिंग थी जैक उसे बखूबी समझता था. वो काफी टेलेंटेड था, उसकी लिखी पोएम्स वाकई में खूबसूरत होती थी. कुल मिलाकर जैक में वो सारे बाते थी जो ग्रेट लोगो में होती है.
जैक ने 1969 में अपना फर्स्ट कलेक्शन पब्लिश कराया. उसके इस कलेक्शन को येल यंगर पोएट्स प्राइज मिला था जोकि काफी प्रेस्टीज़ीयस माना जाता था. बाद में अपने इस पोएम कलेक्शन की वजह से उसे पुलित्ज़र अवार्ड्स भी मिला. जैक की लिखी हुई पोएम्स अमेजिंग होती थी. उसके ऑडियंस उसकी तरफ खींचे चले आते थे. इसके अलावा वो काफी हैण्डसम भी था, वोग मैगेजीन ने उसकी कुछ फ़ोटोज़ भी ली थी. जैक के पास फेमस होने के कई सारे मौके थे. पर वो अचानक से गायब हो गया. वो फेम को हैंडल नहीं कर पाया था. एक सेलिब्रेटी की तरह दिन-रात लोगो की नज़रो में रहने से और सारे शोर-शराबे से वो तंग आ चूका था. बाद में जब उससे रीजन पुछा गया तो वो बोला” फेमस होना मुझे अब एक्साईटेड नहीं लगता है.
ये काफी मोनोटोनिय्स हो जाता है, वो अपनी लाइफ का हर दिन यूनिक और डिफरेंट चाहता है”. गिल्बर्ट ने डिसाइड कर लिया था कि उसके लिए तो योरोप ही ठीक है. और वो ग्रीस जाकर पहाड़ो के ऊपर एक सुनसान जगह में जाकर रहने लगा. वहां के सुकून और शान्ति भरे माहौल में वो कई चीजों के बारे में डीपली सोच सकता था. और इसके दो साल बाद उसने फिर से एक बार अपनी पोएम्स का कलेक्शन पब्लिश करवाया. और फिर से एक बार उसकी पोएम्स रीडर्स का दिल जीतने में कामयाब रही. जैक इसी तरह अपनी लाइफ जीना चाहता था. दिखावे और शोर-शराबे से दूर एक सुकून भरी जिंदगी.
थोडे समय बाद उसने ये शुरु किया कि वो सबकी नजरो में आता, अपना मास्टरपीस लोगो के सामने रखता और फिर गायब हो जाता. बाद में जैक ने डिसाइड किया कि वो टीचिंग की जॉब करेगा तो वो यूनिवरसिटी ऑफ़ टेनेसी, क्नोक्स्वविले (University of Tennessee, Knoxville) जाकर लेक्चरर बन गया. उसने जिसको भी पढ़ाया, वो उसको हमेशा याद रखता था. और वो एक रीमर्केबल और एक्स्ट्राओर्डीनेरी मेन था. लोगो को यहाँ तक लगता था कि वो किसी दूसरी ही दुनिया से आया है. वो अपने स्टूडेंट्स बोला करता था” क्रिएटिव लाइफ जियो क्योंकि यही एक तरीका है जो हमे इस दुनिया में सर्वाइव करने की ताकत देगा”.
जैक के मेन गोल था कि अपने स्टूडेंट्स को ब्रेवरी से जीने के लिए एंकरेज करना. वो हमेशा बोलता था कि जब तक हम ब्रेव नहीं बनेंगे, अपने अंदर ग्रेटनेस कभी नही ढूंढ पायेंगे. जैक ने अपनी एक स्टूडेंट्स को ख़ासतौर पर बोला था” तुम्हारे अंदर की गहराई में टेलेंट का खज़ाना छुपा है और उसे बाहर लाने के लिए तुम्हारे अंदर इतनी ब्रेवनेस होनी चाहिए कि ये दुनिया तुम्हारी खूबियाँ देख सके”.
दरअसल हम सबके अंदर कोई ना कोई खज़ाना छुपा है जिससे हम अनजान है. जैसे माइनर्स खज़ाने की खोज में जमीन की गहराई तक पहुँचते है, ठीक ऐसे ही हमे भी अपने अंदर की गहराई में झांकना होगा. और ये खज़ाना तभी ढूँढा जा सकता है जब हम क्रिएटिव लाइफ जियेंगे. आप शायद सोच रहे होंगे कि क्रिएटिव लाइफ का मतलब सिर्फ आर्ट से या किसी आर्टिस्टिक काम से है. पर नही, ऐसा नहीं है. बल्कि इसका मतलब है अपने डर को हराकर एक बेस्ट और मोस्ट एडवेंचर्स लाइफ जीना.
हम सब लाइफ में किसी ना किसी चीज़ से डरते है. हम रिजेक्ट होने से डरते है, हम हारने से डरते है, कोई हमारा मजाक न उड़ाए इस बात से डरते है. क्योंकि हम ट्राई करना ही नहीं चाहते, खुद पे यकीन नहीं करते बस यही सोचते रह जाते है कि लोग क्या बोलेंगे. डर, डर और डर, डर सबको लगता है. डरना बोरिंग है. क्यों? क्योंकि डरना कोई नई बात नहीं है, डरपोक इंसान को कोई ईनाम नहीं मिलता. हमारे पास इतना कुछ है जो हम इस दुनिया को दे सकते है, लोगो का भला कर सकते है. हमारे अंदर इतना टेलेंट, इतने ड्रीम है जो हमारी लाइफ चेंज कर सकते है.
लेकिन ये बोरिंग डर हर बार रास्ता रोक कर खड़ा हो जाता है. तो इसका ईलाज क्या है? बहादुर बनना ही हमारा इकलौता ऑप्शन है. वैसे देखा जाए तो डर बुरी चीज़ नहीं है. इनफैक्ट, डर ना हो तो इन्सान ऐसे ही जंगल में घुस जाए और शेर-भालू का शिकार बन जाए. पर जो दुसरे टाइप का डर है कि लोग क्या कहेंगे, वो हमे अपनी लाइफ से निकाल फेंकना चाहिए. हमारी क्रिएटिविटी डर को अट्रेक्ट करती है. अगर आप इन्वेंटिव या इनोवेटिव बनोगे तो डर आपकी क्रिएटिविटी के साथ रहेगा. डरना भी लाइफ का एक पार्ट है. लेकिन इतना भी मत डरो कि ये हम पर हावी हो जाये.
हम जो करना चाहे डर के मारे कर ही ना सके. हम इस दुनिया में चंद दिनों के मेहमान है. तो क्यों ना अपनी लाइफ ऐसी जिए जैसे हम चाहते है. एक इंटरेस्टिंग, एडवेंचर से भरपूर अमेजिंग लाइफ. डर को अपने ऊपर कण्ट्रोल ना करने दो. क्यों? क्योंकि आपके अंदर वो पोटेंशियल है, आप कर सकते हो और आपको करना चाहिए. यही है क्रिएटिव लिविंग जहाँ हम बिना डरे अपने ड्रीम्स पूरे कर सके.