(Hindi) Attitude Is Everything: Change Your Attitude… and You Change Your Life!

(Hindi) Attitude Is Everything: Change Your Attitude… and You Change Your Life!

इंट्रोडक्शन (Introduction)

क्या आप अपने लाइफ से थक गए हैं और इसे बदलना चाहते हैं लेकिन नहीं जानते कि कहाँ से शुरुआत करनी चाहिए? अगर हाँ तो इसका जवाब ये बुक है.

अपनी लाइफ को चेंज करने से पहले अपने ऐटिट्यूड को बदलने की ज़रुरत है. अगर लाइफ के प्रति आपका ऐटिट्यूड नेगेटिव है तो आपको ये बुक ज़रूर पढ़नी चाहिए.

ये बुक नेगेटिव लोगों के लिए है ताकि वो पॉजिटिव ऐटिट्यूड  अपना सकें. एक बार जब आपका ऐटिट्यूड पॉजिटिव हो गया तो आप अपने बारे में ऐसी ऐसी चीज़ों को डिस्कवर करेंगे जो आपने कभी सोचा भी नहीं होगा.

ये बुक उनके लिए भी है जो पहले से पॉजिटिव सोच रखते हैं. इसमें कुछ ऐसे इम्पोर्टेन्ट कॉन्सेप्ट्स हैं जो आपको लाइफ में और भी ज़्यादा ग्रो करने के लिए अच्छे मौकों को हासिल करने में मदद करेगा.

इस बुक में आपकी दुनिया को पूरी तरह बदलने की पॉवर है . सच तो ये है कि आपका ऐटिट्यूड ही सब कुछ होताहै. एक बार जब आप अपना ऐटिट्यूड बदल लेते हैं, तब आप जो भी कामकरेंगे उसका रिजल्ट भी बदल जाता है.

ये बुक आपको सोचने पर मजबूर करेगी. ये आपको बोलना और एक्शन लेना सिखाएगी. पहले सेक्शन में, आप सक्सेस के लिए अपने माइंडके इम्पोर्टेंस के बारे में जानेंगे. आप सीखेंगे कि अपने थॉट्स को यूज़ करके कैसे आप अपनी पसंद की दुनिया बना सकते हैं.

दूसरे सेक्शन में आप बोलने या स्पीकिंग के इम्पोर्टेंस के बारे में जानेंगे. बोलना भी एक कला है. सही वर्ड्स का इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी है. पॉजिटिव लैंग्वेज यूज़ करना आपके लाइफ में कभी ना ख़त्म होने वाली खुशियाँ ले कर आएगा.

तीसरे सेक्शन में, आप एक्शन लेने के इम्पोर्टेंस के बारे में सीखेंगे. जब तक आप खुद खड़े हो कर अपनी मंजिल को पाने के लिए एक्शन नहीं लेंगे तब तक आपके रास्ते में कुछ भी अच्छा नहीं होगा.

तो चलिए नॉलेज की इस दुनिया में गोते लगाने के लिए तैयार हो जाइये जो आपको ग्रो करने में मदद करेगा और सक्सेस के उस शिखर पर ले जाएगा जो आपकी इमेजिनेशन से बिलकुल हट कर होगा.

पार्ट 1 : सक्सेस बिगिंस इन द माइंड – योर ऐटिट्यूड इज़ योर विंडो टू द वर्ल्ड (Part 1: Success Begins in the Mind – Your Attitude Is Your Window to the World)

आप दुनिया को किस नज़रिए से देखते हैं उसे ऐटिट्यूड कहा जाता है. एक ही समय में दो लोग बिलकुल सेम चीज़ एक्सपीरियंस कर सकते हैं लेकिन दोनों की फीलिंग्स अलग अलग होंगी, ये सब उनके ऐटिट्यूड पर डिपेंड करता है.

जब हम बच्चे थे, तब हमने ज़िन्दगी की शुरुआत एक साफ़ और पॉजिटिव ऐटिट्यूड से की थी. हमारा मानना था कि भले ही हम जितनी बार भी गिर जाएँ, फिर भी हम दौड़ सकते हैं, चल सकते हैं , साइकिल चला सकते हैं. हमारे फेलियर के लिए हम कभी दुनिया को दोष नहीं देते थे.

जैसे जैसे हम बड़े होते गए, हमारे पेरेंट्स, फ्रेंड्स और टीचर्स ने हम में कई सारी कमियाँ और दोष निकालना शुरू कर दिया. ये हमारी सोच को जैसे एक बादल की तरह ढक देता है. ये हमारे नज़रिए को मैला कर देता है इसलिए हम दुनिया को वैसे देख ही नहीं पाते जैसे बचपन की मासूमियत में देखा करते थे. ये पॉज़िटिविटी हमारे पास्ट के एक्सपीरियंस से घिर जाती है.

लोग या बाहर के फैक्टर्स आपको कुछ समय के लिए तो मोटीवेट कर सकते हैं लेकिन लंबे समय तक इसे बनाए रखने के लिए ये आपके अंदर से आना चाहिए. सिर्फ़ आप ही अपना ऐटिट्यूड चेंज कर सकते हैं. आप सोच रहे होंगे कि आपके पास तोऐसा करने की पॉवर है ही नहीं, है ना? लेकिन आप गलत हैं क्योंकि हिस्ट्री ने ये साबित किया है किआप से पहले जिन जिन लोगों ने कोशिश की थी वो सबइसमें सक्सेसफुल हुए हैं.

आइये एक कहानी सुनते हैं जो ये साबित कर देगा कि हर किसी के लिए अपना ऐटिट्यूड बदलना बिलकुल पॉसिबल है.
विक्टर फ्रैंकल नाज़ी डेथ कैंप में एक कैदी थे.उन्होंने हर रोज़ भूख और ठंड को बहुत करीब से महसूस किया था. वहाँ इंसानियत को शर्मिंदा करने वाले एक्सपीरियंसकी वजह सेवोना जाने कितनी तकलीफ़ों को झेल रहे थे. उनका पूरापरिवार या तो कैंप में या गैस चैंबरमेंअपनी जान गँवा चुका था. इस बेरहमी ने उनके दुखों को कई गुना बढ़ा दिया था.

उनकी ज़िन्दगी जैसे दुःख का दूसरा नाम बन कर रह गई थी. अगर आप ध्यान से सोचें तो उनके जीवन में ऐसा कुछ नहीं था जो उन्हें जीने की होप और उम्मीद देता. वो एक जीते जागते नर्क मेंरह रहे थे. उनकी जगह कोई और होता तो उसकी हर उम्मीद टूट चुकी होती लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
उनका मानना था कि हमारा ऐटिट्यूड ही सब कुछ होता है. उनका मानना था कि अगर उनके पास सिर्फ़ एक चीज़ हो और बाकि सब उनसे ज़बरदस्ती छीन भी लिया जाए तब भी वो आराम से जिंदा रह सकते थे. और वो एक चीज़ थी:  चूज़ करने की पॉवर.

पॉवर ऑफ़ चॉइस हमारा ऐटिट्यूड है.
जेल में कैद होने के बावजूद वो हर चीज़ से सीख रहे थे. सबसे ज़रूरी बात जो उन्होंने सीखी वो ये थी कि आपकी सिचुएशन कैसी है वो मायने नहीं रखता, आप उसे किस तरह देखते हैं वो ज़्यादा मायने रखता है.
जेल में रहना आसान नहीं है, वहाँ कैदियों के साथ बहुत बेरहमी से पेश आया जाता है. विक्टर गौर से देखते थे कि इस कठोर व्यवहार का दूसरे कैदियों पर क्या असर हो रहा था. इन हालातों ने उन सब को बदल कर रख दिया था. लेकिन विक्टर सबसे अलग थे, उन्होंने ख़ुद पर इसका असर नहीं होने दिया.

उनका मानना था कि खाना, नींद, फिजिकल या मेंटल हेल्थ की कमी ये डिसाइड नहीं करती कि हम कौन हैं या हम फ्यूचर में क्या बनने वाले हैं. एक सक्सेसफुल आदमी की तरह survive करने का एक ही रास्ता है ,जो है पॉजिटिव ऐटिट्यूड को अपनाना.
सिर्फ़ इसलिए कि आप कैद में बंद हैं इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक मुजरिम हैं. जब तक आपकी सोच पॉजिटिव रहेगी तब तक आप बिलकुल आज़ाद हैं.

डेथ कैंप में इंसानों के साथ जानवरों से भी बदतर बर्ताव किया जाता है जो इंसान को अंदर तक हिला कर रख देता है लेकिन ऐसी सिचुएशन में भी विक्टर ने सिर्फ़ survive नहीं किया बल्कि वो इससे पहले से भी ज़्यादा स्ट्रोंग बन कर निकले. वो साइकोलॉजी के फील्ड में एक जानी मानी हस्ती के रूप में उभर कर आए और एक अलग पहचान बनाई.

उनके बेस्ट सेल्लिंग बुक “मैन’स सर्च फॉर मीनिंग” में उनके नॉलेज और गहरी समझ की झलक मिलती है.

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यूं आर अ ह्यूमन मैगनेट (You Are a Human Magnet)

हम में से कईयों की तरह आपने भी कभी ना कभी तो ज़रूर सोचा होगा कि क्यों बस कुछ ही लोग सक्सेसफुल हो पाते हैं और कुछ नहीं. इसका जवाब बहुत सिंपल है “वी आर व्हाट वी थिंक वी आर” यानी हम जैसा खुद के बारे में सोचते हैं बिलकुल वैसे ही बन जाते हैं.

अगर आप किसी ऐसे गोल के बारे में लगातार सोचते रहते हैं जिसे आप सच में पाना चाहते हैं तो आपकी सारी एनर्जी उस गोल पर फोकस्ड हो जाती है. आप देखेंगे कि आप नैचुरली उसे पाने के लिए एक्शन लेने लगेंगे क्योंकि उसे अचीव करने के लिए आपका ऐटिट्यूड सेट हो चुका है.

जिस चीज़ में हम बहुत strongly बिलीव करने लग जाते हैं हम उस चीज़ को ख़ुद की तरफ़ attract करने लगते हैं.जब हम सच में विश्वास करते हैं कि हम कुछ भीअचीव कर सकते हैं और अगर ये थॉट हमारे ब्रेन में बैठ जाती है तो हम सच में उसे हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं.

अगर आपका गोल पॉजिटिव ऐटिट्यूड बनाना है तो आपको कुछ सेकंड के लिए नहीं बल्कि पूरा दिन इसके बारे में सोचना होगा.

इस बुक के ऑथर, जेफ़ केलर ने अपनी स्टोरी बताई कि वो कैसे रियल एस्टेट के मालिक बने. उनके सपने की शुरुआत तब हुई जब उन्होंने अपने शहर के लोगों को एक के बाद एक प्रॉपर्टी में पैसा लगाते हुए देखा और इसके बदले में वो कई गुना ज़्यादा कमा रहे थे. हाँ, रियल एस्टेट ओनर्स को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है लेकिन वो बहुत प्रॉफिट भी कमा रहे थे. जेफ़ भी उन में से एक बनना चाहते थे. यही सपना उनके मन में हर वक़्त चलता रहता था. लेकिन वो अपना पहला कदम उठा ही नहीं पा रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं वो फेल ना हो जाएं.

उन्होंने हर पॉसिबल obstacle के बारे में सोचा. उन्होंने किरायेदारों से डील करने की समस्या, रेंट की प्रॉब्लम और ना जाने कौन कौन सी प्रोब्लम्स के बारे में सोच लिया था. वो अपने गोल के बारे में नेगेटिव ऐटिट्यूड से सोच रहे थे.
लेकिन एक बार जब जेफ़ ने ऐटिट्यूड के पॉवर के बारे में बुक्स पढ़ना शुरू किया, तो उनकी सोच ही बदल गई. 1986 में उन्होंने तय किया कि उस साल वो दो प्रॉपर्टी में पैसा लगाएंगे. अब वो डर नहीं रहे थे, अपने सपने की तरफ़ वो पॉजिटिव ऐटिट्यूड सेआगेबढ़ रहे थे.

6 महीनों तक वो इसी थॉट को बार बार सोचते रहे कि उस साल उन्हें दो घर खरीदना था. हर शाम वो घर की तलाश के लिए रियल एस्टेट एजेंट सेमिलते. लेकिन उन्होंने कोई जल्दबाज़ी नहीं की, वो बहुत पेशेंस के साथ आगे बढ़ रहे थे और अपने ड्रीम को सच बनाने के लिए एक्शन ले रहे थे.

और जैसा की वो चाहते थे, साल के ख़त्म होने से पहले ही उन्होंने दो प्रॉपर्टी खरीद ली. अगर उनका ऐटिट्यूड नहीं बदलता तो ये बिलकुल पॉसिबल नहीं हो सकता था. सिर्फ़ सोचने के नज़रिए को बदलने की वजह से आज वो एक बहुत सक्सेसफुल रियल एस्टेट ओनर हैं. आखिर उन्होंने अपना सपना सच कर के दिखा ही दिया.

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पिक्चर योर वे टू सक्सेस  (Picture Your Way to Success)

अपने गोल को पाने के लिए आपके मन में अपनी मंजिल की एक क्लियर पिक्चर होनी चाहिए. बहुत सारे फेमस सिंगर्स और athletes का कहना है कि वो बचपन से अपनी सक्सेस को इमेजिन कर रहे थे. हमारे ब्रेन में चलने वाले ये इमेज जैसे एक फिल्म बना देते हैं. इस फिल्म से हमारे पास्ट का पता लगाया जा सकता है. सिर्फ़ आप अपने द्वारा बनाई गई मेंटल इमेज को कंट्रोल कर सकते हैं, कोई दूसरा नहीं.

जब हम बच्चे थे, तब हमारे ब्रेन में कोई मेंटल बैकग्राउंड नहीं था. हम बहुत पॉजिटिव थे कि हम जो चाहे कर सकते हैं. जैसे ये पूरी दुनिया हमारी है और कोई हमें नहीं रोक सकता.
जैसे जैसे हम बड़े होते गए, खुद पर विश्वास करने की एबिलिटी को हमारे experiences ने बिलकुल एक बादल की तरह ढक दिया. जब भी हम कुछ नया करने की कोशिश करना चाहते हैं तो हम अपनी पिछली फेलियर को याद करने लगते हैं और ट्राय करना ही छोड़ देते हैं. एक के बाद एक फेलियर से हमारी मेंटल कैपेसिटी negativity से भर जाती है.

इन सब के लिए आप ही ज़िम्मेदार हैं. अगर आपने एक नेगेटिव इमेज क्रिएट की है तो सिर्फ़ आप ही इसे पॉजिटिव कर सकते हैं. तो रिलैक्स करें और एक नई कहानी का इमेज बनाएं, पॉजिटिव इमेज. अपने सारे सेंस ओर्गंस को इसमें इन्वोल्व करके इसे अंदर से फील करें.

रोबर्ट इसका बहुत अच्छा एक्जाम्पल है. उन्हें जज की पोजीशन के लिए नोमिनेट किया गया था. बचपन से ही उनका सपना था कि वो एक सक्सेसफुल जज बनें. जब उन्हें नोमिनेट किया गया तो वो ख़ुश होने के साथ साथ बहुत नर्वस भीथे. उन्हें फील होने लगा कि वो दिन ब दिन और भी ज़्यादा नर्वस होते जा रहे थे.
रोबर्ट इस पोस्ट के लिए सच में बहुत काबिल थे क्योंकि उनमें वो एबिलिटी थी और उनके इलेक्शन जीतने के चांस भी बहुत ज़्यादा थे. क्योंकि जेफ़ उनके फ्रेंड थे, उन्होंने रोबर्ट को ऐसी एडवाइस दी जो उनकी ज़िन्दगी को बदलने वाला था.

जेफ़ ने suggest किया कि रोबर्ट को अपने साइन में जज जोड़ देना चाहिए यानी उन्हें जज रोबर्ट जोंस लिखना चाहिए. और ये साइन ऐसे रखी जानी चाहिए ताकि रोबर्ट की नज़र हमेशा उस पर पड़ती रहे. इसलिए रोबर्ट ने एक पेपर पर साइन करकेअपने पर्स में भी रख लिया था. उनके द्वारा किया गया साइन हमेशा उनके सामने रहता था जो उन्हें उनका सपना बार बार याद दिलाता था. उन्हें तो इस बात का एहसास भी नहीं हो रहा था कि ये मेंटल इमेज उन्हें एक जज की तरह तैयार कर रहा था.

इसकी वजह से अब तो और भी ज़्यादा स्ट्रोंग इमेज उनके ब्रेन में पैदा होने लगे थे. उन्हें विश्वास हो गया था कि वो सच में एक जज हैं. अब इस इमेज को रियलिटी बनाने के लिए वो एक्शन लेने लगे. वो ज़ोर शोर से इस काम में लग गए और अपनी पार्टी को भी पुश करने लगे कि वो अपना बेस्ट परफॉर्म करे ताकि उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा वोट मिल सके.

वैसे तो रोबर्ट पहले से ही एक स्ट्रोंग पर्सनालिटी वाले इंसान थे और उनके जीतने के भी बहुत ज़्यादा चांस थे लेकिन इन इमेजेज ने उन्हें और भी ज़्यादा स्ट्रोंग बना दिया था. एक बार जब ये इमेज पॉजिटिव ऐटिट्यूड में बदल जाते हैं तो लाइफ में आप जो भी चाहते हैं उसे क्रिएट करने से आपको कोई नहीं रोक सकता.

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