(Hindi) As a Man Thinketh

(Hindi) As a Man Thinketh

इंट्रोडक्शन(Introduction)

आपके मन में किस तरह के विचार भरे हुए हैं? क्या आप इमानदारी और इज्ज़त  के बारे में सोचते हैं?  क्या आप ख़ुशी और शान्ति के बारे में सोचते हैं? या आप गुस्सा, आलस और दुनिया की सुख सुविधा देने वाली चीज़ों के बारे में सोचते रहते हैं? क्या सपने हैं आपके?
इस बुक में आप थॉट्स यानी विचारों की शक्ति के बारे में सीखेंगे. शायद आप इस बारे में नहीं जानते होंगे लेकिन आपके विचार आपके कैरेक्टर, आपके हेल्थ और जीवन के हालातोंको बनाते हैं.आपके विचार आपका भाग्य बनाते हैं.
अपने सपनों को पाने की इच्छा को पकड़ कर रखो और शांत रहो. ये बुक आपके सपनों को हकीक़त बनाने में आपकी मदद करेगी.

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थॉट एंड कैरेक्टर(Thought and Character)

जैसा आप सोचते हैं वैसे आप बन जाते हैं. आपके थॉट्स ही आपका कैरेक्टर यानी  चरित्र बनाते हैं. वो कौन से विचार हैं जो हर रोज़ आपके मन में चलते रहते हैं? आप जो हैं वो सिर्फ अपने विचारों की वजह से हैं.

आपके थॉट्स बिलकुल बीज की तरह होते हैं.और इन बीजों से जो पौधे निकलते हैं वो होते हैं आपके एक्शन्स. आपके थॉट्स आपके हर एक्शन पर अपना असर डालते हैं फिर चाहे वो एक्शन “अचानक” हो या कुछ ऐसा“जिसकी आपने कल्पना भी ना की हो” या कुछ ऐसा हो जो आपको पूरी तरह से सरप्राइज कर दे.
आपका एक्शन आपके थॉट से जन्म लेता है. आपके एक्शन का कोई भी नतीजा हो सकता है, या तो वो आपको ख़ुशी दे सकता है या दुःख. आपके साथ जो भी हो रहा है, फिर चाहे वो अच्छा हो या बुरा, वो सब आपके थॉट्स का ही परिणाम है.

अच्छाकैरेक्टरतभी बन सकता है जब हम इस बात को समझते हुए सही सोच रखने की कोशिश करते हैं. ये तभी होगा जब आप अच्छे पॉजिटिव विचारों से अपने मन को भरने की पहल करेंगे. लेकिन अगर आप बुरे विचारों को मन में रखेंगे तो आपका कैरेक्टरभी बुरा ही होगा. ये चॉइस सिर्फ आपकी है.
इसलिए कहा जाता है कि इंसान अपने कैरेक्टरका मालिक खुद होता है क्योंकि सिर्फ वो इसे बनाने के लिए ज़िम्मेदार होता है. इसलिए एक मज़बूत इच्छा शक्ति या विल पॉवर से इसे बदला भी जा सकता है.तो एक तरह से हम कह सकते हैं कि इंसानके साथ होने वाले एक्सपीरियंस और उसकी किस्मत दोनों पर कुछ हद तक उसका ही वश होता है.

अगर आपके विचार सही होंगे तो आप सही काम करेंगे जिससे आप पॉजिटिव चीज़ें अपनी लाइफ में attract करेंगे. लेकिन आपके गलत विचार आपसे गलत काम करवाते हैं जिससे आप negativity को अपनी लाइफ में खींचने लगते हैं.
ज़रा सोच कर देखिये. हम अपनी किस्मत खुद बनाते हैं. सिर्फ अपने थॉट्समें बदलाव ला कर हम अपनी लाइफ को कितना बदल सकते हैं. हरनई सुबह के साथ हमारे पास खुद को और भी बेहतर इंसान बनाने का मौका आता है.

तो चलिए अब जॉन की कहानी सुनते हैं. उसका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था.उसके पिता हमेशा शराब के नशे में चूर रहते थे और माँ हर बात पर गुस्सा किया करती थी. जॉनको अपने पेरेंट्स से अच्छा कैरेक्टर या सेल्फ डिसिप्लिन सीखने का मौका ही नहीं मिला. जब वो छोटा था तो सब पर दादागिरी करता था. थोडा बड़ा हुआ तो ड्रग्स लेने लगा, चोरी करने लगा.

जॉन बहुत दुखी था, तकलीफ में था. उसकी ज़िन्दगी किसदिशा में जा रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. उसे लगने लगा कि वोकिसी काम का नहीं है. जॉन का न तो कोई परिवार था, ना कोई दोस्त. उसके पास ना तो पैसे थे, ना जॉब थी और ना कोईघर.एक दिन, जब वो उठा तो सोचने लगा कि बस बहुत हो चुका, अब मुझे अपनी ज़िन्दगी किसी भी तरह बदलनी है.

धीरे धीरे करके उसकी सोच बदलने लगी. उसके मन में अब सही विचार आनेलगे. उसे अब एक परिवार की कमी खलने लगी थी. वो अपनों का साथ चाहता था. अब वो खुद एक पिता बनना चाहता था ताकि अपने बच्चों कोढेर सारा प्यार दे सके. अपने पेरेंट्स की तरह नहीं बल्कि उसकी इच्छा एक बहुत अच्छे पिता बनने की थी.

उसने अपनी सारी बुरी आदतों को छोड़ दिया और छोटा मोटा काम ढूँढने लगा. उसने कड़ी मेहनत की और जितना हो सकता था अलग अलग स्किल्स खुद को सिखाया. आख़िरकार, उसके जीवन में एक अच्छी लड़की आई.उसके साथ उसने अपनी नई ज़िन्दगी की शुरुआत की.उनका घर छोटा था लेकिन अपने बच्चों को उन्होंने एक प्यार भरा माहौल दिया था. जॉन एक बहुत प्यार करने वाला पति और पिता बना.

बिलकुल जॉन की तरह, आप भी अपनी ज़िन्दगी को पूरी तरह बदल सकते हैं, उसे पहले से बेहतर बना सकते हैं. और इसकी शुरुआत बस कुछ अच्छे विचारों से होती है.

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इफेक्ट्स ऑफ़ थॉट्स ओनसरकमस्टांसेस  (Effects of Thoughts on Circumstances)

कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अपने जीवन में होने वाली चीज़ों के लिए दूसरों को दोष देते हैं, शिकायतें करते रहते हैं. उनकी बस यही सोच होती है कि वो unkucky हैं, कि लाइफ बहुत अनफेयर है.ऐसे लोगों को “रिएक्टिव” कहा जाता है क्योंकि किसी चीज़ के होने पर वो खुद कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेते बस दूसरों को दोष देने लगते हैं. पर ये लोग समझ ही नहीं पाते कि उन्होंने खुद अपनी ऐसी दशा बनाई है.

तो वहीँ दूसरी ओर होते हैं “एक्टिव” लोगजोअपने जीवन में होने वाली हर एक चीज़ कीखुद ज़िम्मेदारी लेते हैं. वो हमेशा शान्ति से किसी भी मुसीबत का सामना करने में विश्वास करते हैं. वो दोष देने और शिकायत करने के बजाय उपाय निकालते हैं.
किस्मत के कारण या किसी आउटसाइड फ़ोर्स की वजह से कोई गरीब या क्रिमिनल नहीं बनता. वो उसके खुद के विचार और उसके खुद के फैसलों का नतीजा होता है जो उन्हें उस मुकाम पर खडा कर देता है.सही सोच विचार रखने वाला इंसान कभी जेल की सलाखों के पीछे नहीं पहुंचता.

अपने जीवन की सिचुएशन को बदलने के लिए सबसे पहले आपको खुद को बदलना होगा.कहीं बाहर से मोटिवेशन मिलने का इंतज़ार मत कीजिये. येआवाज़ आपके अन्दर से आनी चाहिए. आपको सफलता, ख़ुशी, पैसा, प्यार और अच्छी सेहत सिर्फ तब मिलेगी जब आप इसे पाने के लिए काम करेंगे. हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ नहीं होगा.

तो आइये अब हम फिल के बारे में बात करते हैं. वो कचरा उठाने का काम करता है. लेकिन वो कुछ और करना चाहता था. वो इससे ज्यादा अच्छी जॉब, इससे ज्यादा इनकम और एक अच्छा घर चाहता था.
तो वहीँ, जो अपने काम में बड़ा सुस्त था. वो आलसी था और अपना ठीक से नहीं करता था. जो हमेशा ये सफाई देता था कि क्योंकि उसे कम पैसा मिलता है इसलिए वो काम ठीक से नहीं करता.

ऐसी सोच के साथ क्यावो इस खराब सिचुएशन से बाहर आ पाएगा? जब तक उसका मन आलस और लापरवाही से भरा है तब तक जो कभी सफल नहीं हो सकता.
अब हम बॉब के बारे में बात करेंगे. वो एक अमिर बिजनेसमैन है लेकिन उसका वज़न बहुत ज्यादा है. उसे डायबिटीज और दिल की बिमारी भी है. वो अपने डॉक्टर से कहता रहता कि चाहे जितना भी पैसा ले लो लेकिन मुझे ठीक कर दो. लेकिन बॉब में एक बुराई थी, वो बहुत पेटू था. उसका पेट कभी भरता ही नहीं था, वो खाने से कभी संतुष्ट नहीं होता था. वोऐसीचीज़ें ज्यादा खाता था जो सेहत के लिए बिलकुल अच्छी नहीं होती हैं. भरपेट खाने के बाद भी वो खाताही जाता था.

हालांकि वो हमेशा कहता कि वो ठीक होना चाहता है लेकिन जब तक उसके मन में खाने का लालच भरा होगा तब तक उसकी बिमारी ठीक नहीं हो सकती.
अब हम चार्ली की बारे में जानेंगे. वो एक बहुत बड़ी फैक्ट्री का मालिक है. लेकिन एक दिन अचानक उसका दिवाला निकल गया और उसे समझ में नहीं आया कि ये आखिर हुआ कैसे. उसने बस अपने मन में ये बात बैठा लिया कि ज़िन्दगी बस अन्याय का दूसरा नाम है.

लेकिन सच्चाई तो ये है कि उसके खुद के थॉट्स और एक्शन्स ने उसकी ये दशा बनाई थी. चार्ली अपने एम्प्लोयीज़ को उनकी मेहनत के अनुसार पैसे नहीं देता था. उसने लेबर लॉ भी  तोड दिया  था क्योंकि वो ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट खुद के लिए रखना चाहता था. जब तक चार्ली अपनी सोच को ठीक नहीं करता, खुद को नहीं बदलता तब तक वो कभी धन दौलत इकठ्ठा नहीं कर पाएगा.

मुझे यकीन है कि औरों की तरह आप भी अपने जीवन में सफलता, ख़ुशी, प्यार, अच्छी सेहत और पैसा ज़रूर चाहते होंगे. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि अपनी परिस्थिति आप खुद बनाते हैं.
इसलिए अच्छे थॉट और एक्शन्स  को चुनिए. अगर आप अच्छा करेंगे तो आपके जीवन में भी सिर्फ अच्छी चीज़ें ही होगीं.

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