(hindi) An Astronaut’s Guide to Life on Earth: What Going to Space Taught Me About Ingenuity, Determination, and Being Prepared for Anything
इंट्रोडक्शन
जब आप एस्ट्रोनॉट शब्द सुनते हैं तो आपके माइंड में क्या इमेज बनती है? शायद आप एक स्पेस सूट पहने आदमी को हवा में तैरते हुए इमेजिन करते होंगे या फ़िर एक रॉकेट को पूरी शान और तेज़ी से टेक ऑफ़ करते हुए सोचते होंगे. वैसे, इस बुक में आप एक एस्ट्रोनॉट के बारे में कई अलग-अलग बातें जानेंगे.
स्पेस वॉकिंग एक बहुत ही मुश्किल और ख़तरनाक काम है. एक एस्ट्रोनॉट को स्पेस में बिताए जाने वाले हर एक दिन के लिए कई महीनों तक लगातार ख़ुद को ट्रेन करना पड़ता है. जैसा कि साइंस फिक्शन फिल्मों में दिखाते हैं, रियल लाइफ में किसी प्रॉब्लम का सामना करने पर एस्ट्रोनॉट एक दूसरे से लड़ते नहीं हैं. वो शांत रहते हैं क्योंकि उन्हें बुरी से बुरी सिचुएशन का सामना करने के लिए ट्रेन किया जाता है.
इसके अलावा आप कड़ी मेहनत, हार ना मानने वाला attitude, नम्रता और अच्छे character के बारे में भी जानेंगे. आप जाश पाएंगे कि क्रिस हमारे समय के सबसे कमाल के और बेहतरीन एस्ट्रोनॉट क्यों हैं.
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Trip that Takes a Lifetime
मेरी पहली स्पेस फ्लाइट की सुबह मैंने महसूस किया कि जो मोज़े मैं पहनने वाला हूँ वो उन कई चीज़ों में से एक हैं जिन्हें मैं अपने साथ ले जा रहा हूँ. ये सब एक सपने जैसा लग रहा था. बाहर रिपोर्टर और फोटोग्राफर मेरा इस कदर इंतज़ार कर रहे थे जैसे मैं मौत की लाइन में खड़ा होने जा रहा हूँ.
मैंने और मेरे क्रू के साथियों ने स्पेस सूट पहना. हम सभी ने डायपर पहने थे, ये सिर्फ़ उस सिचुएशन के लिए था कि अगर हम लॉन्च pad में कई घंटों तक फंस गए तो . आगे रॉकेट खड़ा था, चमचमाता हुआ, रौशनी से जगमगाता हुआ. आपको ये जानकार आश्चर्य होगा मगर रॉकेट असल में एक 4.5-megaton का bomb है क्योंकि इसे लॉन्च करने के लिए बहत ज़्यादा एक्स्प्लोसिव fuel की ज़रुरत होती है.
मैं यहाँ आकर बहुत ख़ुश हूँ. जैसे ही रॉकेट को लॉन्च किया गया, मेरा तो मुस्कुराना बंद ही नहीं हो रहा था और इस बड़ी सी मुस्कराहट से मेरा मुहं दर्द करने लगा. मैं बहुत excited था लेकिन हमेशा की तरह हम सभी को फोकस करने की ज़रुरत थी क्योंकि हम एक मिशन पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट थे. बहुत से लोग सोचते हैं कि एस्ट्रोनॉट्स के लिए स्पेस में घूमना गार्डन में टहलने जैसा ही होगा लेकिन यहाँ मिशन STS-74 पर हमारा मकसद था, russia के स्पेस स्टेशन Mir पर डॉकिंग मोड्यूल बनाना. इस डॉकिंग मोड्यूल का काम था आगे आने वाले एस्ट्रोनॉट्स के लिए सफ़र को आसान और सेफ़ बनाना. हम वहाँ 8 दिन थे.
अपने पहले मिशन के दौरान मुझे एहसास हुआ कि अभी मुझे कितना कुछ सीखने की ज़रुरत थी. उस पल के लिए मैंने कई सालों तक ट्रेनिंग ली थी लेकिन किसी चीज़ को पढ़ना और ट्रेनिंग लेना रियल सिचुएशन से बिलकुल अलग होता है. मुझे पता चला कि कौन से स्टेप्स बेकार हैं और कौन से इम्पोर्टेन्ट. दूसरे शब्दों में कई प्रोसेस ऐसे थे जिन्हें बस जान लेना ही काफ़ी था लेकिन कुछ ऐसे थे जो जिंदगी और मौत से आपको निकाल सकते थे.
एस्ट्रोनॉट होना एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है. लोग सोचते हैं कि जब हम लौटकर आते हैं तो ख़ाली बैठे-बैठे अगले मिशन का इंतज़ार करते रहते हैं मगर ये सच नहीं है. हम लगातार प्रैक्टिस कर अपने स्किल को इम्प्रूव करते हैं. हम दूसरे स्पेस मिशन में मदद करते हैं और रिसर्च करने में लगे रहते हैं.
एस्ट्रोनॉट गवर्नमेंट एम्प्लोई और पब्लिक सर्वेंट होते हैं. हमारे ट्रेनिंग और इक्विपमेंट्स के लिए कई देशों द्वारा बिलियन डॉलर इंवेस्ट किया जाता है. हम टैक्स भरने वालों का पैसा बर्बाद नहीं कर सकते. इसलिए एक एस्ट्रोनॉट का अपने काम में हाइली स्किल्ड और माहिर होना बेहद ज़रूरी है.
2001 में मेरा दूसरा मिशन था. इसके लॉन्च से चार साल पहले से मैंने ट्रेन करना शुरू कर दिया था. इस बार हमारा मिशन था Canadarm2 को इंस्टॉल करना. ये इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ी बहुत बड़ी रोबोटिक ब्रांच थी. इसका इस्तेमाल सप्लाई को भेजने, सॅटॅलाइट को कैप्चर करने और ISS के कुछ हिस्सों को पूरा करने के लिए किया जाता है. इस मिशन के दौरान मैंने पहली बार स्पेसवॉक किया और ये कैनेडा का भी पहला स्पेसवॉक था.
ये आम ग़लतफहमी है कि एस्ट्रोनॉट बड़े आराम से स्पेस में तैरते होंगे. लेकिन सच्चाई तो ये है कि वेटलिफ्टिंग और रॉक क्लाइंबिंग को मिलाकर जितनी मेहनत लगती है स्पेसवॉकिंग उतना ही मुश्किल है. आपको एक भारी भरकम सूट पहनना पड़ता है और क्योंकि वहाँ ग्रेविटी नहीं होती तो एक स्क्रू खोलने के लिए भी बहुत कोशिश करनी पड़ती है.
स्पेसवॉकिंग काफ़ी खतरनाक है और एक एस्ट्रोनॉट को पूरी तरह से तैयार होना चाहिए क्योंकि कुछ भी गलत हो सकता है. मैंने इसके लिए जॉनसन स्पेस सेंटर में न्यूट्रल Buoyancy लैब में ट्रेनिंग ली थी. Buoyancy Lab एक बहुत बड़ा पूल है जहाँ एस्ट्रोनॉट हर रोज़ पूरा स्पेस सूट पहनकर घूमने और इक्विपमेंट को ठीक करने की ट्रेनिंग लेते हैं. बिलकुल स्पेस की तरह, हम पानी के अंदर सांस नहीं ले सकते, इसलिए वहां प्रैक्टिस करना मेरे लिए बहुत मददगार साबित हुआ.
वापस आने के बाद 2001 से 2012 तक मैंने NASA में कई पोजीशन पर काम किया. मैं Russia में Director of Operations बना, फ़िर Houston में Chief of Robotics और उसके बाद International Space Station Operations का चीफ. मेरे करियर का शिखर 2013 में था जब मैं आईएसएस में एक्सपेडिशन 35 का कमांडर बना. ये मेरा तीसरा स्पेस मिशन था. इस बार मैं कुछ दिनों के लिए नहीं बल्कि 6 महीनों तक स्पेस में रहा.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन हमारे घर से दूर हमारा दूसरा घर था. ये 17,500 miles per hour की स्पीड से अर्थ के चक्कर लगाता है. एक्सपीडिशन 34/35 में छह एस्ट्रोनॉट थे और हमने 2,336 बार अपने प्लेनेट का चक्कर लगाया.
स्पेस में रहने से मुझे एक बात का एहसास हुआ. उसने मुझे सिखाया कि इस दुनिया में ज़्यादा ख़ुशहाल और बेहतर कैसे जीना है. मैंने अपने डर का सामना करना सीखा, ज़्यादा फोकस्ड रहना सीखा. मैंने मुश्किल से मुश्किल वक़्त में भी effectively respond करना सीखा.
हम एस्ट्रोनॉट्स हमेशा ख़ुद से पूछते हैं, “अगली कौन सी चीज़ है जो मुझे मार सकती है?” स्पेस मिशन बहुत महंगे होते हैं इसलिए अथॉरिटीज उन एस्ट्रोनॉट्स को चुनती है जो कई स्किल में एक्सपर्ट होते हैं, जो शांति से मुसीबतों को संभाल सकते हैं और जो दूसरों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं.
क्या आप जानते हैं कि हर एस्ट्रोनॉट को सिखाया जाता है कि टूटे हुए टॉयलेट को कैसे फिक्स करना है? ऐसा इसलिए क्योंकि स्पेस में कोई plumber, कोई इलेक्ट्रीशियन नहीं है. आपको सब काम ख़ुद ही करना होता है. इसके अलावा एस्ट्रोनॉट्स को बेसिक दांत का ट्रीटमेंट और सर्जिकल स्किल भी सीखने की ज़रुरत होती है.