(Hindi) Alibaba: The House That Jack Ma Built
चैप्टर 1: द आईरन ट्राएंगल (Chapter One: The Iron Triangle)
क्या आप जानते है कि यूनाइटेड स्टेट्स की टू थर्ड इकोनोमी एवरेज अमेरिकन हाउसहोल्ड्स के एक्स्पेंसेस के बराबर है, जबकि चाइना में ये मुश्किल से इकोनोमी का वन थर्ड है? ऐसा लगता है कि शायद बाकि डेवलप कंट्रीज़ के मुकाबले चाइनीज लोग ज्यादा कंज्यूम नहीं करते. ये लोग अपनी एजुकेशन, मेडिकल खर्चे, या रिटायरमेंट के लिए पैसा सेव करके रखते है. लेकिन ओल्ड हैबिट्स मुश्किल से छूटती है. लेकिन अब एक नयी हैबिट ऑनलाइन खरीददारी, चाइना के लोगो के बिहेवियर में चेंज ला रही है. और अलीबाबा इसके पीछे का मेन रीजन है. क्यों? क्योंकि अलीबाबा ने 2003 में पहली बार ताओबाओ (Taobao) लॉन्च किया था जोकि आज चाइना की थर्ड मोस्ट विजिटेड वेबसाईट है और वर्ल्ड की ट्वेल्थ. Then five years later, it became its own. जैक मा अपनी कंपनी की सक्सेस को एक एक्सीडेंट ही मानते है. अपने शुरुवाती सालो में, उसने अपनी कंपनी के टॉप तक पहुँचने के तीन रीजन बताये: “हमारे पास पैसा नहीं था, टेक्नोलोजी नहीं थी, और ना ही कोई प्लान था.”लेकिन वो तब की बात थी.यहाँ हम तीन रियल फैक्टर्स बताते है जिससे अलीबाबा की सक्सेस इतनी बूस्ट हुई.:
1) द ई-कॉमर्स एज (The E-commerce Edge):ऑनलाइन शोपिंग करना उतना ही इंटरएक्टिव है जितना कि रियल लाइफ में.ताओबाओ ने हमेशा कस्टमर को प्रायोरिटी दी, इसीलिए ये इतना सक्सेसफुल है, इसने कस्टमर्स को ऑनलाइन शोपिंग में सेम वाइब्स दी जो चाईनीज लोगो को स्ट्रीट शोपिंग करते वक्त फील होती है. कस्टमर्स अलीबाबा के चैट अप्लिकेशन से प्रोडक्ट चेक कर सकते है या प्राइस भी डिस्कस कर सकते है. कुछ पैकेज एक्स्ट्रा सैंपल्स या टॉयज के साथ भेजे जाते है जो कस्टमर्स को बड़ी सेटिसफाइंग देता है.
2) द लोजिस्टिक एज (The Logistics Edge): अगर अलीबाबा ने लो-कास्ट डिलीवरी सर्विस नहीं दी होती तो शायद आज इतना सक्सेसफुल नहीं होता. 2005 में अलीबाबा ने चाइना पोस्ट को ई-कॉमर्स में साथ मिलकर काम करने का ऑफर दिया. जैक याद करते है कि उन्होंने जब ये प्रोपोजल रखा तो उनका मज़ाक उड़ाया गया था और अपने काम से काम रखने को बोला गया. लेकिन आज ई-कॉमर्स की वजह 8000 से भी ज्यादा प्राइवेट डिलीवरी कंपनीज बिजनेस कर रही है. अलीबाबा का होम डिविजन ऑलमोस्ट सारे चाइना में लार्जेस्ट कूरियर फर्म है. तो इस तरह अलीबाबा ने इन कंपनीज और बाकियों के साथ चाइना स्मार्ट लोजिस्टिक नाम की फर्म में इन्वेस्ट किया और आज ये सब मिलकर पर डे 30 मिलीयन से भी ज्यादा पैकजेस हैंडल करते है और सिक्स हंड्रेड सिटीज के 1.5 मिलियन से भी ज्यादा लोगो को जॉब प्रोवाइड करता है. इसके पीछे आईडिया ये था कि आपस में ऑर्डर्स, डिलीवरी स्टेट्स, और फीडबैक शेयर करने से हर एक कंपनी अपनी सर्विस क्वालिटी और एफिशियेंशी इम्प्रूव कर सके. और रीजल्ट ये निकला कि अलीबाबा के कस्टमर्स बढ़ने लगे और इसने मर्चेन्ट्स का ट्रस्ट भी गेन कर लिया. लास्टली Lastly,
3) द फाइनेंस एज (The Finance Edge: आईरन ट्राईएंगल का फाइनल एज फाइनेंस है. फाइनेंशियल सर्विस में अलीबाबा की ताकत है अलीपे. चाइना में अलीपे पर इयर ट्रिलियन डॉलर का तीन चौथाई से भी ज्यादा हैंडल करता है वो भी सिर्फ ऑनलाइन ट्रांजिक्शंन. अलीबाबा के ई-कॉमर्स वर्ल्ड में अलीपे एक ट्रस्टेबल पेमेंट सोल्यूशंन माना जाता है. कन्यूमर्स को इस बात का भरोसा रहता है कि अलीपे के थ्रू पेमेंट करने से उनके अकाउंट से पैसे तभी डेबिट होंगे जब प्रोडक्ट उन्हें डिलीवर हो जायेगा. हालाँकि अब अलीपे अलीबाबा के अंडर ने नहीं रहा, लेकिन अभी भी ये कंपनी की लार्जेस्ट एसेट है जिसे जैक पर्सनली मैनेज करते है. चाइना की ई-कॉमर्स मार्किट में अलीबाबा की सक्सेस में आयरन ट्राइएंगल एक मेन फैक्टर है. लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि ये “जैक मैजिक” था जिसने लोगो को कनेक्ट किया और कैपिटल जो इन फाउन्डेशंस को आगे तक ले गयी.
चैप्टर टू : जैक मैजिक (Chapter Two: Jack Magic)
जैक के बारे में एक बात जो मुझे सबसे अच्छी लगती है वो ये कि उसने उस फील्ड में अपना करियर बनाया जिसे हमेशा अंडरएस्टीमेट किया गया. वैसे उसका कहना है कि वो इतना भी स्मार्ट नहीं है जितना लोग समझते है, लेकिन शायद वो डम्ब होने की एक्टिंग करता है. जैक ने एक बार बताया था कि वो मूवी फोर्रेस्ट गंप के लीड केरेक्टर का बहुत बड़ा फैन है, क्योंकि सबको लगता है कि वो स्टुपिड है लेकिन उसे पता होता है कि वो क्या कर रहा है. जैक चार्मिंग है, उसने अपना फेम तो क्रियेट किया ही साथ ही उसकी चार्मिंगनेस भी एक बड़ा रीजन है कि हर तरफ से टेलेंट अलीबाबा की तरफ अट्रेक्ट हुआ. उसकी कम्यूनिकेशन स्किल्स कमाल की है; उसके बोलने का स्टाइल इतना अमेजिंग है क्योंकि उसकी बातो में क्लियेरिटी रहती है और हर कोई उसकी बात से एग्री कर लेता है. उसने अपनी लाइफ में किस तरह के चेलेंजेस फेस किये, कैसे डिफिकल्टीज को ओवरकम किया, इस बारे में कई स्टोरीज़ है जो उनके सुनने वालो की आँखों में आंसू ले आती है.
जैक का मंत्रा अलीबाबा के हर एम्प्लोई को मालूम है, जो है.: “कस्टमर्स फर्स्ट, एम्प्लोईज़ सेकंड और शेयर होल्डर्स थर्ड”. जैक इसे अलीबाबा की फिलोसिफ़ी बोलते है. वैसे जैक अगर एम्प्लोईज को सेकंड भी रखते है तो भी उनकी यही कोशिश रहती है कि उनकी टीम हमेशा मोटीवेट रहे कि किसी भी ओब्सटेकल से निकल सके. और यही चीज़ स्पेशिफिकली कंपनी की सक्सेस के लिए क्रिटिकल है. जैक की लिस्ट में शेयरहोल्डर्स थर्ड पोजीशन में आते है क्योंकि उसे प्रॉफिट कमाने के लिए शोर्ट टर्म प्रेशर बिलकुल भी नहीं चाहिए जो उसे अपने एम्बिशन से डाईवेर्ट करे.
इसके अलावा, बड़ी बात ये है कि अलीबाबा का कल्चर वर्कप्लेस में एक सेंस ऑफ़ इन्फोर्मेलिटी को एंकरेज करता है.; जैसे एक्जाम्पल के लिए अलीबाबा के हर एम्प्लोई ने अपना एक निकनेम रखा हुआ है और सब उसे उसी नाम से बुलाते है. स्टार्टिंग से ही अलीबाबा एक टीम एफर्ट कंपनी रही है. जैक अपने स्टाफ के साथ कम्यूनिकेशन करते रहते है और वो कभी भी अपना एम्बिशन नहीं भूलते इसलिए तो कंपनी पूरी तरह उनके कण्ट्रोल में है. लेकिन आज तक कोई भी कंपनी चेलेंजेस और ओब्स्टेकल्स से गुज़रे बिना इस उंचाई तक नहीं पहुंची है. तो एक नजर डालते है उस आदमी पर जो अलीबाबा का फाउंडर है.
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चैप्टर थ्री: फ्रॉम स्टूडेंट टू टीचर (Chapter Three: From Student to Teacher).
जैक मा 10 सितम्बर, 1964 में पैदा हुए थे. उनकी मदर की वेन्काई “Cui Wencai” एक फेक्ट्री प्रोडक्शन लाइन में काम करती थी. जैक के फादर मा लिफा ( Ma Laifa) हन्ग्ज़्हौ फोटोग्राफी एजेंसी में फोटोग्राफर थे. जैक ऐसे टाइम में पैदा हुए थे जब प्राइवेट एंटरप्राजेस ऑलमोस्ट खत्म होने के कगार पर थी. ज्यादतर इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शंन स्टेट के कण्ट्रोल में ले लिए गए थे. बचपन में ही जैक को इंग्लिश लीटरेचर और लेंगुएज से प्यार था और जब वो फोर्टीन का हुआ तो कंट्री ने “ओपन डोर” पोलिसी स्टार्ट कर दी थी जिससे फॉरेन ट्रेड और इन्वेस्टमेंट को एंकरेज किया जा सके. जैक अपनी इंग्लिश प्रेक्टिस का कोई मौका नहीं छोड़ता था. उसने 9 सालो तक बहुत से अमेरिकन्स और यूरोपियंस को टूअर कराया था.
इसके अलावा वो मार्शल आर्ट्स में भी माहिर था लेकिन मैथ्स में नहीं. चाइना में जो हाई स्कूल स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन लेना चाहते थे उन्हें एक मेरिट बेस्ड नेशल हायर एजुकेशन एंट्रेंस एक्जाम पास करना होता है जिसे गोकाओ बोलते है. जैक ने एंट्रेंस एक्जाम दिया लेकिन बुरी तरह फेल हो गया. उसके सारे सपने चकनाचूर हो गए, उसने कई सारी जॉब्स के लिए अप्लाई किया लेकिन हर जगह उसे रिजेक्ट कर दिया गया. यहाँ तक कि के.ऍफ़. सी ने भी उसे रिजेक्ट कर दिया था.
अब उसके पास एक ही ऑप्शन बचा था कि वो स्टडी करके मैथ्स के फोर्मुले और इक्वेशन रट ले ताकि टेस्ट क्लियर कर सके. उसने बीजिंग या शंघाई के किसी प्रेस्टीजियस यूनिवरसिटी में पढ़ाई नहीं की थी लेकिन जब वो 19 का हुआ तो उसके इतने मार्क्स तो आ ही गए कि लोकल यूनिवरसिटी में एडमिशन ले सके. लेकिन आज जैक अपने पब्लिक अपीयरेंसेस में अपने फेलियर्स या गोकाओ को किसी बैज ऑफ़ हॉनर की तरह लेता है. जैक का यूनिवरसिटी टाइम उतना केयरफ्री नहीं था जितना कि लोगो का होता है. पैसे की तंगी हमेशा रहती थी. ट्यूशंन तो फ्री थी लेकिन लिव-इन फीस की प्रोब्लम थी. फिर एक फेमिली फ्रेंड केन मोरले ने हेल्प की जिसे जैक अपना ऑस्ट्रेलियन फादर और मेंटोर बोलता था. इंग्लिश में बैचलर की डिग्री लेने के बाद जैक हन्ग्ज़्हौ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रोनिक इंजीनियरिंग में इंग्लिश का लैक्चरर बन गया. और 30 साल का होने से पहले ही उसने डिसाइड किया कि वो खुद का बिजनेस लांच करेगा, अपनी फर्स्ट कंपनी”होप”
चैप्टर फोर: होप एंड कमिंग तो अमेरिका (Chapter Four: Hope and Coming to America)
जनवरी 1994 में 29 साल के जैक ने हन्ग्ज़्हौ हैबो ट्रांसलेशंन एजेंसी खोली. कंपनी की स्टार्टिंग में सिर्फ पांच स्टाफ मेंबर थे जिनमे से ज्यादर इंस्टीट्यूट के ही रीटायर्ड स्कूल टीचर्स थे. जैक का फर्स्ट बिजनेस एम् था कि वो लोकल कंपनीज को आल ओवर द वर्ल्ड कस्टमर्स ढूँढने में हेल्प करे. जैक पूरी तरह बिजनेस वर्ल्ड में आना चाहता था लेकिन हिचक रहा था क्योंकि अभी उसने अपनी टीचर की जॉब छोड़ने के बारे में सोचा नहीं था. फिर जल्दी ही उसे फील हुआ कि अकेले ट्रांसलेशन सर्विस से उसका एंटप्रेन्योर बनने का ड्रीम पूरा नहीं हो सकता. लेकिन जैक की रेपूटेशन एक एक्सपर्ट इंग्लिश स्पीकर की बन चुकी थी और उसकी फेमस इवनिंग क्लासेस और होप ट्रांसलेशंन एजेंसी की वजह से जैक को एक डिसप्यूट रीज़ोल्व करने का मौका मिला. एक नए हाईवे कंस्ट्रक्शन को लेकर अमेरिकन कंपनीज़ में कंफ्लिक्ट चल रहा था. कई सालो के नेगोसीएशंस के बावजूद दोनों कंपनीज किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँच पा रही थी. जैक इस डिसएगीमेंट को खत्म करने के लिए यूनाइटेड स्टेट्स के अपने फर्स्ट ट्रिप पर गया जहाँ कंपनी के फंड्स रखे थे. जैक जिस काम के लिए गया था वो तो हुआ नहीं लेकिन इस ट्रिप का एक फायदा उसे ज़रूर हुआ. उसे इंटरनेट एक्सपोजर मिला जिसने उसे चेंज करके रख दिया था. वो सीएटेल (Seattle) में था जब फर्स्ट टाइम उसने इंटरनेट लोग इन किया.
वैसे उसके साथ काम करने वाला एक इंग्लिश टीचर बिल अहो ने जब उसे इंटरनेट के बारे में पहली बार बताया था तो सुनकर जैक को बड़ा अजीब लगा. जैक के फ्रेंड स्टुअर्ट ने उसे फर्स्ट ओनलाइन सेंशन दिया और उसी ने जैक को अपनी कंपनी होप ट्रांसलेशन की फर्स्ट वेबसाईट क्रियेट करने में हेल्प की थी. इस वेबसाईट में कोई पिक्चर नहीं थी सिर्फ टेक्स्ट था जिसमे फोन नम्बर और प्राइसेस मेंशन किये गए थे. जैक हैरान तो तब हुआ जब उसने देखा कि उन्होंने मोर्निंग में 9:40 पर वेबसाईट क्रियेट की थी और ठीक 12:30 पर उसे एक फ्रेंड का फोन आया जिसने बताया कि जैक के लिए पांच ई-मेल्स आई है. जैक को तब पता नहीं था कि ई-मेल क्या होता है. तीन मेल्स यू.एस से आई थी, एक जापान से और एक जेर्मनी से. और ये जैक की लाइफ का एक टर्निंग पॉइंट था. जैक ने वीबीएन के साथ पार्टनरशिप की लेकिन वीबीएम् के साथ डील करना ईजी नहीं था.
स्टुअर्ट ने जैक को बोला कि अगर उसे चाइना में वेब पेजेस बनाने का राइट चाहिए तो उसे 200,000$ डिपोजिट करने होंगे. लेकिन जैक ने उसे बोला” मैंने यू.एस. ट्रिप के लिए पैसे उधार लिए थे और अब मेरे पास कुछ नहीं है” खैर इसके बावजूद स्टुअर्ट ने डिपोजिट के बिना ही एग्रीमेंट साइन कर दिया लेकिन उसने एक कंडिशन रखी कि जैक को जल्दी सारा पैसा वापस करना होगा. और इस तरह जैक इंटेल 486 प्रोसेसर वाले कंप्यूटर के साथ चाइना लौट आया. अब टाइम आ चूका था कि वो अपनी टीचिंग जॉब को बाय-बाय बोल दे.