(hindi) A Dead Body
अगस्त की एक सुनसान रात. दूर खेतों के ऊपर कोहरे की चादर ने मानो हर चीज़ को ढंक रखा हो. चांद की रौशनी और घने कोहरे से रात में एक अजीब सी खामोशी छाई थी. बहुत सफेद रंग की दीवार से लगा हुआ दूर-दूर तक फैला समुन्द्र और उस पर गीली और बेहद ठंडी हवा के झोंके. सुबह होने में अभी कुछ वक्त बाकी था. साथ वाली सड़क से जंगल के किनारे तक जाने वाले रास्ते पर कहीं दूर आग की रौशनी नजर आ रही है. ओक के पेड़ के नीचे सर से पैर तक सफ़ेद रंग के सूती कपड़े में लिपटी एक डेड बॉडी पड़ी है
उसके सीने पर लकड़ी का एक क्रोस रखा था. लाश के पास ही सड़क पर बैठे दो किसान लाश का पहरा दे रहे है. उनमे से एक लंबा छोटी उम्र का लड़का है जिसकी काली घनी आईब्रोज़ और बेहद पतली मूंछे है. उसने बार्क के जूते पहने है और बदन पर फटी-पुरानी भेड़ की खाल लपेट रखी है. वो टाँगे फैलाए मजे से गीली घास पर बैठा है. वो अपनी लंबी गर्दन झुकाता है और एक गहरी साँस लेता है
दूसरा किसान- सूखी हड्डियों वाला मरियल सा बूढ़ा. उसके फेस पर पतली मूंछे और छोटी सी बकरा दाढ़ी है. अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखे वो जलती हुई आग को देखे जा रहा था. कैंप फायर की रौशनी में दोनों के चेहरे लाल हो गए है. वो दोनों चुपचाप बैठे थे. सन्नाटे के बीच बस एक ही आवाज़ सुनाई देती है, आग में जलती सूखी लकड़ीयों के चटकने की आवाज़.
“सो मत जाना स्योमा….. . .”यंगमेन ने बूढ़े से कहा.
“कौन मै? मै तो नहीं सो रहा. . .” बकरी जैसी दाढ़ी वाला बूढा हकलाते हुए बोला.
“कोई बात नही..यहाँ अकेले बैठने में डर लगता है. तुम कुछ बात करो. स्योमा .”
“बड़े अजीब आदमी हो तुम, स्योमुश्का! कोई और होता तो हंसी-मजाक करता या कहानियां सुनाता या गाने गाता- पर तुम ? तुम जैसा तो कोई नहीं होगा. यहाँ ऐसे बैठे हो जैसे खेत में कोई पुतला हो. तुमसे ढंग से बोला भी नही जाता….जब बोलते हो तो लगता है डरा रहे हो. पचास साल के बुढ्ढे हो गए पर अक्ल बच्चो जैसी है. क्या तुम्हे बुरा नहीं लगता है कि तुम इतने गंवार हो ?
“आई ऍम सॉरी” मै शर्मिंदा हूँ “ बकरा दाढ़ी वाला दुखी आवाज़ में बोला.
“और तुम ये बात समझ लो कि तुम्हारी बेवकूफी देखकर हम भी शर्मिंदा है. वैसे तुम एक सीधे-सादे किसान हो, दिल के भी साफ हो पर तुम्हारी एक ही प्रोब्लम है कि तुम अक्ल से ज़रा पैदल हो. कभी थोड़ा दिमाग से भी काम लो. माना कि ऊपर वाले ने तुमको बुद्धि नहीं दी पर तुम खुद भी तो कुछ एफर्ट किया करो स्योमा. . जब कोई सही सलाह दे तो अच्छे से कान खोलकर सुन लो और उस पर ध्यान दो. . . . और अगर कुछ समझ ना आए तो अपने दिमाग में उस बात पर गौर करो कि इसका क्या मतलब होगा. आई बात समझ में ? थोड़ा एफर्ट करो! अगर दिमाग नही घिसोगे तो मरते दम तक गंवार के गंवार रहोगे.”
तभी अचनाक जंगल से एक लंबी दर्द भरी कराहने की आवाज़ आती है. पतियों के बीच कुछ खड़खड़ाहट होती है, जैसे कोई पेड़ के ऊपर से नीचे गिरा हो. और उसके बाद लगा जैसे कोई ज़ोर से पुकार रहा हो. यंगमेन चौंककर बूढ़े की तरफ देखता है.
“लगता है कोई उल्लू छोटी चिड़िया का शिकार कर रहा है” स्योमा ने उदासी से कहा.
“पर क्यों स्योमा ? इस टाइम तक तो सारी चिड़ियाँ गर्म जगहों में उड़कर चली जाती है!
“मुझे नही पता क्या है,
आजकल सुबह बड़ी सर्दी होती है. इतनी ठंड पड़ रही है. बगुला बड़ा नाज़ुक पंछी है, ठंड बर्दाश्त नहीं कर सकता. मै बगुला नहीं हूँ पर ठंड से जम गया हूँ, आग में थोड़ी और लड़कीयां डालो!
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स्योमा उठकर झाड़ियों के पीछे चला जाता है. वो आग में डालने के लिए सूखी लकड़ियाँ इकठ्ठा कर रहा था और उसका साथी आँखों पर हाथ रखे हर आहट पे कान लगाए बैठा था. स्योमा दोनों हाथो में लकड़ियाँ भर के लाया और जलती हुई आग के अंदर डाल दिया. आग की लपते और तेज़ हो गयी. आग की लाल लपटों में सबकुछ लाल रंग दिखाई दे रहा था. उन दोनों के चेहरे, सुनसान सड़क और लाश के ऊपर पड़ा सूती सफेद कपड़ा, कपडे के नीचे से लाश के उभरे हुए हाथ-पैरों की छाप और लड़की का क्रोस सबकुछ लाल-लाल लग रहा था. वो चुपचाप उसकी रखवाली कर रहे थे. यंगमेन ने अपने सर को थोडा और झुकाया. इस वक्त वो काफी नर्वस लग रहा था. बकरी दाढ़ी वाला बूढ़े पहले की तरह चुपचाप बैठा आग की तरफ देखता रहा.
रात के सन्नाटे को चीरती एक भारी आवाज़ गूंजी. किसी के धीरे से चलने की आवाज़ सुनाई दी और फिर आग की रौशनी में रोड पर एक आदमी की परछाई नजर आई. उस आदमी ने एक लंबा सा चोगा पहन रखा था और उसके सर पर एक बड़ी हैट थी. आग की रौशनी में एक आदमी अपने कंधो पर थैला रखे उनके सामने आकर खड़ा हो गया था.
उस आदमी ने अपनी भारी आवाज़ में कहा. मैंने दूर से यहाँ पर आग जलती हुई देखी तो बड़ा खुश हुआ…पहले मुझे लगा कोई आदमी अपने घोड़े चराने लाया है फिर मुझे लगा नहीं, ऐसा नहीं है क्योंकि कोई घोड़ा तो नजर नही आ रहा. फिर मैंने सोचा कोई चोर तो नहीं बैठे, क्या पता किसी अमीर आदमी को लूटने का इंतज़ार कर रहे हो? अरे वही जिप्सी लोग जो अपने देवताओं को कुर्बानी चढ़ाते है? और ये ख्याल आते ही मै ख़ुशी से उछल पड़ा, मैंने खुद से कहा” जाओ फ़ोदोजी गॉड के सर्वेंट जाओ. और मै सीधा शहीद होने यहाँ आ गया जैसे कोई कीड़ा आग में खुद जलने आता है. और अब मै यहाँ तुम्हारे सामने खड़ा हूँ. और तुम्हारे शक्ल-सूरत देखकर तो नहीं लगता कि तुम दोनों चोर हो और ना ही कोई डाकू-लुटेरे. भगवान् तुम्हारा भला करे !
“गुड इवनिंग “ दोनों ने एक साथ कहा.
“भले इंसानों! क्या तुम बताओगे कि यहाँ से मकुहिंसकी ब्रिकयार्ड्स कैसे जा सकते है ? (Makuhinsky Brickyards)
“यहाँ तो रास्ता बंद है. तुम्हे रोड पर सीधे चले जाओ और एक-डेढ़ मील चलने के बाद हमारा गाँव आएगा, अनानोवा. तो फादर वहां से तुम्हे नदी के किनारे पहुँचकर राईट टर्न लेना है और तुम सीधे ब्रिकयार्ड्स पहुँच जाओगे. ये अनानोवा से दो मील की दूर पर है.
“भगवान तुम्हे सुखी रखे. लेकिन तुम लोग यहाँ क्यों बैठे हो?’ उस आदमी ने पुछा
“हम यहाँ बैठकर इस डेड बॉडी की रखवाली कर रहे है. ये देखो! इधर पड़ी है”
“क्या? क्या बोला तुमने ? डेड बॉडी ? होली मदर! आदमी हैरानी से चिल्ला कर बोला
उसने देखा, सफ़ेद कपड़े से ढकी हुई एक लाश पड़ी है जिसके ऊपर एक क्रोस रखा है. अचानक अपने सामने एक लाश पड़ी देखकर उस आदमी की हालत खराब हो गयी, डर के मारे उसके घुटने कापंने लगे. उसका मुंह खुला का खुला रहा गया और पलक झपके बिना वो लाश की तरफ देखे जा रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे उसके पैर वही जमीन में गड़ गए हो. करीब दो से तीन मिनट तक वो इसी हालत में खड़ा रहा फिर धीरे से बढ़बढ़ाने लगा.
“ओह लार्ड! होली मदर! मै तो चुपचाप अपने रास्ते जा रहा था पर अचानक ये सब क्या हो गया?