(hindi) 21 Days to Resilience – How To Transcend The Daily Grind, Deal With The Tough Stuff, And Discover Your Strongest Self
इंट्रोडक्शन
Resilience का मतलब है जिंदगी में मुश्किल वक़्त को संभालने की एबिलिटी यानी गिरकर दोबारा उठने की काबिलियत। जब चुनौतियाँ आती है, resilient लोग जानते है कि उससे निकलने का सही तरीका क्या है, वो अपनी गलतियों से सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं. सक्सेसफुल होने के लिए Resilience बेहद जरुरी है। ये बुक आपको ऐसी जर्नी पर लेकर जाएगी जिससे आपकी जिंदगी बदल जाएगी। ये आपको अपनी जिंदगी के बारे में सोचने का नया तरीका बताएगी।
ये बुक आपको सिखाएगी कि आप अपनी बुरी आदतें छोड़कर कैसे नयी और अच्छी आदतें डाल सकते हो। आपकी आदतें आपकी कामयाबी की चाबी होतीं हैं, और सही आदतें होने से आपकी सफलता का रास्ता आसान हो जाता है।
Resilient होने का दूसरा तरीका है हमेशा realistic होप रखना। इसका मतलब है की आप अपनी उम्मीदें realistic रखकर resilient हो सकते है। आप यहाँ सीखोगे कि कैसे आप अपनी जिंदगी को देखने का नज़रिया पॉजिटिव, लेकिन realistic रख सकते हो। यह कोई बनावटी ख़ुशी वाली जिंदगी जीने की ट्रिक नहीं है। ये बस मुश्किल वक़्त में पॉजिटिव रहने की बात है। इसके अलावा आप सीखोगे कि इनोवेशन आपकी क्रिएटिविटी का ही परिणाम है। आप कुछ ऐसी ट्रिक्स सीखोगे, जिनका रोज इस्तेमाल करके आप अपनी क्रिएटिविटी बढ़ा सकते हो, और कैसे आप अपनी innovative सोच को अलग लेवल पर लेकर जा सकते हो.
आखिर में इस बुक में आप दो प्रिंसिपल्स के बारे में पढ़ोगे, कि कैसे आप अपने इमोशंस को अच्छी तरह कंट्रोल कर सकते हो और कैसे आप अपने दोस्तों के साथ एक भरोसेमंद रिश्ता बना सकते हो। ये दोनों ही प्रिंसिपल्स आपको अपनी फीलिंग्स का ध्यान रखना सिखाएंगे और आपको सफल होने में मदद करेंगे.ये बुक आपको थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों के बारे में सिखाएगी, तो चलो आपको resilient बनाना शुरू करते हैं।
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
Habit
अगर मैं आपको उन आदतों को लिखने को कहूं जो आप रोज करते हो, आप ये जानकर हैरान हो जाओगे कि आपके पूरे दिन का 40%, आपकी आदतों से भरा है। इसका मतलब है कि इंसान लगभग हर दिन ऑटो-पाइलट मोड पर चलता है। आपको क्या लगता है, ऐसा क्यों होता होगा?
इसका जवाब है कि जब हम अनजाने में काम कर रहे होते हैं, हम सेफ महसूस करते हैं। जब हम एक ऐसा काम कर रहे होते है जो अपने आप होता जाता है, हमे ज्यादा सोचने और मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती। सोचो जरा, अगर आपको अपने हर काम को करने से पहले सोचना पड़ता तो कितना मुश्किल होता, जैसे की अपने दांत साफ़ करना। इसलिए अपनी आदतों को बदलना मुश्किल होता है। बुरी आदते हमे सेफ होने का एहसास करवाती है, इसलिए इनसे छुटकारा पाने में कड़ी मेहनत लगती है।अपनी बुरी आदतों को बदलने के लिए, आपको कुछ दिन तक अपनी रोज की आदतों का लिखकर रखना होगा। फिर आपके पास आपकी सारी आदतों का हिसाब होगा, जिसमे से अच्छी आदतें आप अपने साथ रखना चाहेंगे और बुरी आदतों को बदलना चाहोगे.
हर बुरी आदत के लिए, आपको वो सब ट्रिगर्स लिखने है जो आपको बुरी आदतें करने के लिए उकसाती है, और आपको उन्हें अपनी जिंदगी से निकालने की कोशिश करनी है। ये आपको नए ट्रिगर्स लाने में भी मदद करेगी जो आपको नई अच्छी आदतें बनाने में हेल्प करेंगे। Sarah को लंच ब्रेक में भी अपना काम करने की बुरी आदत थी। वह अपनी ये आदत बदलना चाहती थी क्योंकि उसे लगता था कि अपने colleagues के साथ लंच करने में मजा आएगा। अपने ऑफिस में अच्छे रिश्ते बनाना, एक अच्छा employee होना साबित करता है.
Sarah समझ गयी कि ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि वह बहुत बिजी रहने लगी है। उसके पास करने के लिए हमेशा ज्यादा काम होता है, और उसने अपने काम को खत्म करने के लिए लंच के टाइम को यूज करने का सोचा.फिर, उसने हर वो चीज लिखी जो उसकी इस आदत को बढ़ाती थी। उसने नोटिस किया कि जब भी लंच करने का टाइम आता था, Sarah के पसीने छूट जाते और वो बेचैन होने लगती। वह अपने colleagues से आँख बचाने के लिए कुछ भी करती रहती थी.
जिसका असर ये हुआ कि, उसे पता चला कि उसकी दिक्कत यह नहीं है कि उसके पास बहुत काम है बल्कि ये है कि वह बाकि सबके साथ लंच करने में हिचकिचाती है। उसे लोगो से मिलना जुलना पसंद नहीं है.हाँ जरूर, वह फेसबुक और इंस्टाग्राम पर एक्टिव थी लेकिन, वो एक अलग बात थी। Sarah को असल जिंदगी में connection बनाने थे, क्योंकि वह हर वक़्त अपने डेस्क पर छिपी रहती थी। इसलिए, Sarah ने अपना environment बदलने की कोशिश की। ज्यादातर, लंच के टाइम पर, लोगों को इधर उधर घूमते देख, उसकी बेचैनी बढ़ जाती थी, इसलिए उसने सिर्फ एक दोस्त बनाने का सोचा।
वो दोनों इस बात पर मान गए कि उसकी दोस्त आएगी और सबके इकट्ठा होने से पहले वो दोनों लंच कर लेंगे। इस तरह, Sarah को भीड़ से डरने की जरूरत नहीं होगी। इस आदत को बदलना आसान नहीं था, लेकिन पॉसिबल था.Sarah की ही तरह, अगर कोई भी आदत आपको आपकी सफलता तक पहुंचने में रोक रही है तो आपको उसे बदलने की जरूरत है। सबसे पहले अपनी आदतों को समझो और उन ट्रिगर्स को जो आपकी बुरी आदत को बढ़ावा दे रहें है, फिर उन सब ट्रिगर्स को अपनी लाइफ से हटाने का काम करो.
Resilient बनो, कंसिस्टेंट रहो और हमेशा पॉजिटिव सोचो.
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
Control
सक्सेस सिर्फ सही मंशा रखने से मिलती है। आप बिना किसी मकसद के जिंदगी जीते हुए यह उम्मीद नहीं कर सकते कि आप अपने मुताबिक रिजल्ट पाएंगे। अगर आप कुछ हासिल करना चाहते है, आपको उन सभी फ़ैसलों पर कंट्रोल करना सीखना होगा जो आपके गोल से रिलेटेड है.आपके हर फैसले का असर आपकी जिंदगी पर पड़ता है। आपका व्यवहार और आपकी आदतें ही आपको सफलता या असफलता की ओर लेकर जाती हैं। इसलिए आप अपने फ़ैसलों को कंट्रोल करके ही अपनी जिंदगी को कंट्रोल कर सकते हो।
लेकिन ये याद रखो की आपको बहुत ज्यादा भी कंट्रोल नहीं करना है। आपको अपने आप हर उस काम को करने की आजादी देनी होगी जो आप करना चाहते है और दुसरो को भी ऐसा करने के लिए कहना चाहिए। किसी को भी बहुत कंट्रोल करने वाला सनकी इंसान नहीं पसंद.जिन चीजों पर आपकी पकड़ कमजोर है, उन्हें अलग लिखकर आप अपने लाइफ पर वापस कंट्रोल पा सकते हो। फिर, उन बदलाव को लिखो जो आप लाना चाहते हो। अब, उन तीन स्टेप्स को लिखने की कोशिश करो, जिसे करने से आप अपनी इन आदतों को बदल सकते हो.
1979 में हुई एक स्टडी का example लेते है। Dr. Ellen Langer, Harvard यूनिवर्सिटी की एक साइकोलॉजी के प्रोफेसर थी। उन्होंने एक नर्सिंग होम के कुछ ऐसे लोग लिए जिनकी उम्र 70-80 के बीच होगी और उन्हें एक रिट्रीट के लिए ले गयी.ये रिट्रीट अलग थी। इस एक्सपेरिमेंट का पर्पस था कि उन लोगों को बीस साल पीछे लेकर जाना।
Dr. Langer ने उन्हें वो जिंदगी दी, जो वो 1959 में जीते थे। वो लोग पुराना रेडियो सुनते थे, पुरानी मूवीज देखते थे, और बल्कि उन दिनों के अखबार भी पढ़ते थे। वो सभी बूढ़े लोग अपने पुराने दिनों में चले गए थे। वे लोग अपने बीते दिनों की बातें किया करते थे, कि उन्होंने उस समय क्या क्या किया और उनके समय में कौन कौन से इवेंट्स हुए थे.सभी बूढ़े लोगों को लगने लगा की वे सच में 1959 में हैं और इससे वे लोग बहुत खुश हुए।जब वो हफ्ता खत्म हुआ, रिजल्ट से पता चला कि ये लोग किसी तरह जवान हो गए हैं। वो और ज्यादा अलर्ट और एक्टिव हो गए हैं और उनका posture भी बदल गया है.
एक बाहर वाले इंसान के लिए, ये बूढ़े लोग उस दिन से भी ज्यादा जवान लग रहे थे जिस दिन उन्होंने नर्सिंग होम छोड़ा था.
सवाल ये है कि ऐसा हुआ क्यों?
साफ़ बात है, उम्र कम होना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन जब हम उसके लक्षण कंट्रोल कर लेते हैं, हम और जवान और लम्बा जी सकते हैं। इससे साबित होता है कि हमारी जिंदगी पर हमारा कितना कंट्रोल है। यहाँ तक की हम अपनी उम्र बढ़ने के प्रोसेस को भी कंट्रोल कर सकते हैं। अगर हम जवान इंसान की तरह बर्ताव करेंगे तो हम जवान रह भी सकते हैं। ये स्टडी हमे बताती है कि अगर हम अपना बर्ताव कंट्रोल करले तो सब कुछ कंट्रोल कर सकता हैं, इसलिए आदतें और मान्यतायें बदलने से हम अपनी जिंदगी पूरी तरह बदल सकते हैं।
अपने उन बेहेवियर को पहचानने से शुरुआत करो जहाँ आपका कंट्रोल कम है, फिर उन्हें सुधारने की कोशिश करो।
TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE
Realistic Optimism
हमेशा पॉजिटिव होप रखना जरुरी है क्योंकि ये आपकी मुश्किल वक़्त से निकलने में मदद करेगा और आपके फ्यूचर से पॉजिटिव उम्मीदें रखने को भी कहेगा। अगर आप नहीं मानते की आपका फ्यूचर कभी बेहतर हो सकता है, तो आपके पास कभी भी वो विलपॉवर या ऐटिटूड नहीं आएगा जो आपको ज्यादा से ज्यादा सफलता हासिल करने के लिए चैलेंज करे.
स्टडीज बताती है कि जो लोग हमेशा पोस्टिव सोच रखते है, वो ज्यादातर और ज्यादा प्रोडक्टिव और हैल्थी होते हैं। हमारे दिमाग पर हमारा पूरा कंट्रोल है और हम उस दिशा में सोच सकते है, जिस भी दिशा में हम चाहते है। अगर आपको optimistic बनना है तो आपको पॉजिटिव सोच रखनी होगी.
ये जानना जरुरी है कि आपको अपने पॉजिटिव बर्ताव के बारे में realistic होना चाहिए। आप हमेशा खुश नहीं रह सकते। बल्कि, आपको हर उस चीज के लिए तैयार रहना चाहिए जो लाइफ आपको देती है। हमेशा मुश्किल वक़्त का हंसकर सामना करना चाहिए, और आप दुखी है तो आपको ये समझना होगा की इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
जैसे की, Etty Hilesum एक बहादुर ज्यूइश औरत है, जो प्रलय के वक़्त मौजूद थी।
भले ही वह इतने डरावने वक़्त से गुजर रही थी, Etty ने अपनी डायरी में लिखा कि उन्हें जिंदगी से उमीदें है और वह अपनी जिंदगी से प्यार करती हैं.
एक दिन, एक Gestapo के एजेंट ने उन्हें गाली दी। उस दिन उन्होंने अपनी डायरी में लिखा कि उन्हें डर नहीं लगा।
Etty खुद को बहादुर नहीं कहती है, लेकिन वह अपने मन में जानती थी कि वे इंसानों का सामना कर रही है। इंसान को आसानी से जाना नहीं जा सकता, और उन्हें इंसानों को समझने के लिए पूरी कोशिश करनी होगी। उस एजेंट पर गुस्सा होने के बजाये जिसने उनके साथ गलत बर्ताव किया था, Etty को उनके लिए बुरा लगा। वो उनसे पूछना चाहती थी कि बचपन में उनके साथ ऐसा क्या हुआ था जिस वजह से वे ऐसे बन गए.दिन पर दिन होने वाले डरावने इवेंट्स के बारे में वो लिखतीं रही, लेकिन उन्होंने हर चीज की तरफ एक पॉजिटिव बर्ताव रखा। वो हमेशा optimistic और resilient रहीं।
Etty ने लिखा कि उन्होंने ऐसी डरावनी घटनाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उन्होंने इन सभी घटनाओं को ऐसे ही जाने दिया ताकि ये लाइफ की तरफ उनकी पॉजिटिव सोच को ना बदल पाएँ। वे मानती थी की उन्हें अपने मन में इतनी शांति रखनी है जिससे वे दूसरे लोगों को optimistic रहने में मदद कर सके और वे लोग अपनी किस्मत पर भरोसा रखें। Etty ये भी मानती थी कि जितनी ज्यादा शांति लोगो के मन में होंगी उतनी ही वो दुनिया के सामने दिखा सकते है। जंग के दौरान, दुनिया को सबसे ज्यादा peace की जरूरत होती है.
Etty ने अपनी optimistic सोच आखिर तक रखी। वे एक शांत और पॉजिटिव लाइफ के लिए लड़ती रही, भले ही उनकी जिंदगी कितनी खराब हो क्यों ना हो गयी हो। Etty ने साबित कर दिया कि optimismistic सोच रख कर कैसे जिया जा सकता है। वो अपने बुरे और डरावने इवेंट्स से भागी नहीं, बल्कि उन्हें हंस कर अपनाया।
अगर आपका मुश्किल वक़्त चल रहा है, तो याद रखे कि आपको लाइफ में पॉजिटिव रहकर उनका सामना करना चाहिए। अपने मुश्किल वक़्त को कभी भी अपनी विल पॉवर और जोश पर हावी मत होने दो। आपको अपने गोल्स हासिल करने है और उसमे positive सोच ही आपकी मदद करेगी.