(hindi) 21 Days of Effective Communication: Everyday Habits and Exercises to Improve Your Communication Skills and Social Intelligence

(hindi) 21 Days of Effective Communication: Everyday Habits and Exercises to Improve Your Communication Skills and Social Intelligence

इंट्रोडक्शन

कम्युनिकेशन यानी बात-चीत हमारी सोशल लाइफ और रिलेशनशिप्स के लिए बहुत इंपॉर्टेंट है। आप किसी इंसान से तभी रिलेट कर पाते हैं या रिश्ता बना पाते हैं जब आप उनसे सही तरह से कम्युनिकेट कर पाते हैं। किसी भी रिश्ते को सफल बनाने के लिए यह ज़रूरी है कि लोग आपस में कम्युनिकेट करें।

कम्युनिकेशन एक ऐसी स्किल है जो समय के साथ सीखी जाती है। यह प्रैक्टिस के साथ बेहतर होती जाती है।

आप अपने कम्युनिकेशन को कभी भी इंप्रूव कर सकते हैं, यह परवाह किए बिना कि आपकी उम्र, आपका सोशल स्टेटस या आपका फ़ैमिली बैकग्राउंड क्या है। किसी भी और स्किल की तरह ही, इसमें भी कमिटमेंट और हार्ड वर्क यानी कड़ी मेहनत की ज़रूरत पड़ती है। यह आसान नहीं है, लेकिन मुमकिन है। कम्युनिकेशन स्किल्स तभी काम करेंगे जब हम उन्हें प्रैक्टिस में लाएंगे और अपनी रोज़-मर्रा की लाइफ में उसका इस्तेमाल करेंगे।

यह बुक आपको यह सिखाएगी की आप कैसे अपने कम्युनिकेट करने के तरीके को बदल कर उसे और बेहतर बना सकते हैं।

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डे 1 – लिस्निंग (Day 1 – Listening)

कम्युनिकेशन का एक बहुत ही ज़रूरी पहलू है लिस्निंग यानी सुनना। आप सामने वाले इंसान से असरदार तरीके से बात कर पाएं इसके लिए ज़रूरी है कि आप में अच्छी लिस्निंग स्किल्स भी हों। लिस्निंग का यह मतलब नहीं कि आप बस चुप हो कर अपनी बात कहने के मौके का इंतज़ार करें, बल्कि इसका मतलब यह है कि आप सामने वाले को अपने दिल कि बात रखने का मौका दें।

जब आप सुनते हैं तो आप सामने वाले इंसान को अपनी सोच, अपनी राय और अपने आइडिया रखने का मौका देते हैं। एक नामी साइकोलॉजिस्ट कार्ल रॉजर्स (Carl Rogers) का यह मानना है कि जब हम किसी को अपनी फ़ीलिंग्स के बारे में बात करने का मौका देते हैं तो उनके सोच और व्यवहार यानी में बदलाव आ जाते हैं। हम अपने problem पर बेहतर तौर पर काम कर के उन्हें तब सॉल्व कर पाएंगे जब हम किसी ऐसे इंसान से बात करें जो हमें अच्छी तरह सुन और समझ सकता हो।

अगर सामने वाले इंसान के आइडियास हमें बेकार लगें तो भी यही अच्छा होगा कि हम एक बार उनकी बातों को सुन ज़रूर लें।

इफेक्टिव लिस्नर बनने के लिए यह ज़रूरी है कि हम शांत रह कर दूसरों को उनकी बात बोलने का मौका दें। दूसरों की ओर सबर और समझ दिखा कर हम उन्हें यह मौका देते हैं कि वे अपनी प्रॉब्लम्स को हैंडल और उन्हें सॉल्व करने के नए तरीकों को ढूंढ़ सकें।

आप बेहतर लिस्नर कैसे बन सकते हैं?

बेहतर लिस्नर बनने के लिए आप यह कर सकते हैं कि जब सामने वाला बात कर रहा हो तो आप उन्हें हिम्मत देने के लिए यह दिखा सकते हैं कि आप उनकी बातों को अच्छी तरह सुन रहे हैं। सिर हिलाने या बात में दखल न देने वाले शब्द जैसे की “अच्छा” का यूज़ करने से आप सामने वाले को यह एहसास दिला सकते हैं कि आप उनकी बातों पर ध्यान दे रहे हैं। ऐसा करने से आप उन्हें और हिम्मत देते हैं जिससे वे अपने मन की बात कर पाते हैं।

सामने वाले को एक साथ अपनी सारी बातें बोलने का मौका देने से भी आप अच्छे लिस्नर बन सकते हैं। यह तरीका तब ज़रूर काम आता है जब सामने वाला बहुत गुस्से में हो और वह सिर्फ यह चाहता हो कि कोई उसकी बात सुने। ऐसा करने से उसका गुस्सा कम होगा और वह इंसान शांत हो जाएगा।

जब कोई  इंसान आपसे इंफॉर्मेशन शेयर करता है तो आप उन्हें जज करते हैं और यह अंदाज़ा लगाते हैं कि वो इस वक्त कैसी हालात से गुज़र रहा है। सामने वाला कैसी सिचुएशन एक्सपीरिएंस कर रहा है यह समझने के लिए आप अपने मन में उसे लेकर कई बार थियोरीज़ बनाते हैं। यह आपकी ओर से एक गलती है। जब सामने वाले  इंसान को यह पता चलेगा की आप उन्हें जज कर रहे हैं यानी उन्हें  लेकर अपने मन में कोई राय बना रहे हैं तब उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगेगी।

आपको सलाह देने से ख़ुद को रोकना चाहिए, जब तक कि सामने वाला ख़ुद एडवाइस ना मांगे।

आपको सामने वाले को यह भी नहीं कहना चाहिए कि आप समझ सकते हैं कि वे किस दौर से गुज़र रहे हैं, क्योंकि आप सच में यह बात नहीं समझ सकते। ऐसा हो सकता है कि आप भी उन की सिचुएशन से मिलती-जुलती सिचुएशन से पहले कभी गुज़रे हों लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि आपके रिएक्शन भी उनके जैसे होंगे। हमारे स्भाव, इमोशंस, पिछले एक्सपीरिएंस, और फैमिली बैकग्राउंड एक दूसरे से अलग होते हैं। जब कोई आप से सलाह मांगे तो आपको यह सोचना चाहिए कि वह इस पर कैसे रिऐक्ट करेगा और यह समझना चाहिए कि आपको कब रुकना है।

सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज आपको यह बता सकती है कि उन्होंने आपकी दी हुई एडवाइस पर कैसे रिऐक्ट किया है। तब आप यह बता सकते हैं कि आपकी एडवाइस अच्छी तरह से ली गई है या नहीं, और इससे यह समझ सकते हैं कि आपको कब रुकना चाहिए। जब भी आप किसी को सलाह दें तो आपको यह समझना चाहिए कि सामने वाला आपकी सलाह ले सकता है या लेने से मना कर सकता है। आपको यह बात साफ़-साफ़ समझना चाहिए कि उनके डिसीजन में आप को दख़ल नहीं देना चाहिए।

लिस्निंग स्किल्स की प्रैक्टिस कैसे करें?

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपकी लिस्निंग स्किल्स कितनी अच्छी हैं तो आप किसी ऐसे दोस्त या रिश्तेदार को कॉल कर सकते हैं जिनसे आपने लंबे समय से बात ना की हो। 20 मिनट की फ़ोन कॉल को यूज़ करके आप यह measure कर सकते हैं कि आप दूसरों की बातों को कितने अच्छे से सुन सकते हैं और यह मौका आप उस इंसान से अपना रिश्ता सुधारने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसे रेगुलर प्रैक्टिस से और बेहतर बना सकते हैं।

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डे 2 – इंटेरप्ट करना अवॉइड करें (Day 2 – Avoid interrupting)

आपको ऐसे किसी इंसान से बात करते हुए कैसा लगता है जो आपको बात के बीच में टोकता रहता है? ऐसे इंसान से चिढ़ होना नेचुरल है। सामने वाले को भी ठीक ऐसा ही फ़ील होता है जब आप उनके साथ ऐसा करते हैं।

जब आप किसी से बहस कर रहें होते हैं तब आप सामने वाले की बात को काट कर अपनी बात रखते हैं ताकि आपकी आवाज़ सुनी जाए। या जब आप किसी ऐसे टॉपिक पर डिस्कस कर रहे हों जिसे लेकर आप बहुत पैशनेट हैं, तब भी आपको सामने वाले की बात काट कर अपनी बात बताने का बहुत मन करता होगा।

सामने वाले की बात काट कर आप उन्हें  गैर ज़रूरी महसूस कराते हैं। उन्हें यह भी लग सकता है कि आप उन्हें वह ध्यान नहीं दे रहें जिसके वे हकदार हैं। उन्हें यह लगेगा कि उनके आइडिया आपके आइडिया से कम इंपॉर्टेंट हैं, जिससे आपके रिश्ते पर एक नेगेटिव असर पड़ सकता है। अगर आप बार-बार किसी को टोकते रहेंगे तो वे ठीक से सोच भी नहीं पाएंगे। उन्हें यह लगेगा कि आप उन पर अपने आइडिया थोप रहे हैं जिनमें वे डूब जाएंगे।

आप दूसरों को इंटेरप्ट करना कैसे अवॉइड कर सकते हैं?

आप अपने कम्युनिकेशन को सुधारने के लिए डेली टारगेट सेट कर सकते हैं जिसे पूरा करने पर आप अपने आप को ईनाम देंगे, जैसे कि पूरे दिन बिना दूसरों को टोके बात करने पर।

आप स्टिकी नोट्स पर यह बात लिख कर इसका इस्तेमाल करके अपने आप को दिन भर याद दिला सकते हैं। इन नोट्स को आप अपने डेस्क, कंप्यूटर या लॉकर पर लगा सकते हैं ताकि आप हमेशा खुद को यह याद दिला कर अपने कम्युनिकेशन को इंप्रूव करते रहें।

किसी मीटिंग को अटेंड करने से पहले आप नोट्स बना सकते हैं जिसमें आप अपनी सारी बातों को लिख लें ताकि आप दूसरों को उनकी बात बोलते वक्त ना टोकें। जब कोई इंसान किसी बारे में बात कर रहा हो या कुछ सिखा रहा हो तब आपको यह ज़रूरत महसूस हो सकती है कि आप उसी वक्त उन्हें रोक कर बातें clarify कर लें। इसे अवॉइड करने के लिए आप उन सारी बातों को कहीं नोट कर सकते हैं जिन्हें आप पूछना चाहते हैं और जब सामने वाला अपनी बात पूरी कर ले तब आप एक साथ उन सभी सवालों को पूछ सकते हैं।

आपको यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि आपका चुप रहना आपके बात करने जितना ही पावरफुल है।

चुप रह कर दूसरों को अपनी बात पूरी करने देने से लोग आपकी इज्ज़त करेंगे।

दूसरों के बात करने पर बार बार उन्हें टोकने को इस चीज़ की निशानी समझी जा सकती है कि आप ख़ुद को उनसे इन्फिरियर या कमतर समझते हैं। बार बार टोकने से लोग यह समझेंगे की आप यह जताना चाह रहे हैं कि आपके पास भी अच्छे आइडिया हैं।

इसे inferiority complex कहा जाता है, और अगर आपको यह प्रॉब्लम है तो आप किसी प्रोफेशनल काउंसलर (professional counselor) से मदद ले सकते हैं।

अलग अलग लोग टोकने को अलग अलग तौर पर लेंगे, यह इस पर डिपेंड करता है कि ऐसा करना उनके कल्चर में कैसा माना जाता है। जैसे कि वेस्टर्न कल्चर में इसे बदतमीज़ी समझा जाता है लेकिन इटालियन कल्चर में टोकने को यह समझा जाता है कि आप सामने वाले की बातों में इंटरेस्ट ले रहे हैं।

जापानी कल्चर में आप बिना किसी दिक्कत के अपने डाउटस क्लियर (clear) करने के लिए सामने वाले को टोक सकते हैं।

इसलिए यह बेहतर होगा कि आप यह पता करें की सामने वाला किस कल्चर से ताल्लुक रखता है ताकि आप यह जान सकें कि वे टोकने को कैसा समझते हैं।

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डे 3 – एक इन्क्लूसिव कम्युनिकेटर बनें (Day 3 – Be an inclusive communicator)

इफेक्टिव तरीके से कम्युनिकेट करने के लिए आपको उन लोगों की तारीफ़ भी करनी चाहिए जो दूसरों से अलग हो या जिनके सोच विचार बाकियों से हट कर हो। हर इंसान के ओपिनियन और आइडिया इज्ज़त के काबिल होते हैं। एक इफेक्टिव कम्युनिकेटर होने के नाते आपको अपने सर्कल में मौजूद हर  इंसान को अपने बीच शामिल करना चाहिए, यह परवाह किए बिना कि वे किस कल्चरल बैकग्राउंड से नाता रखते हैं।

इन्क्लूसिव कम्युनिकेशन यानी ऐसी बातचीत जिसमें सबको शामिल किया जाए, हर तरह के रिश्तों के लिए अहम है, भले ही वे बिजनेस से रिलेटेड हो या फैमिली से।

सक्सेसफुल इन्क्लूसिव कम्युनिकेशन के लिए टिप्स:

इन्क्लूसिव कम्युनिकेशन की कामयाबी के लिए आपको लोगों के कैरेक्टर के बेकार पहलुओं को चुनना अवॉइड करना चाहिए। सिर्फ उसी पहलू के बारे में बात करना चाहिए जो कि सिचुएशन को सूट करता हो।

लोगों के सेक्शुअल ओरिएंटेशन उन्हें डिस्क्राइब करने के लिए इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। जैसे कि मिसाल के तौर पर आपकी टीम में एक नया गे (gay) स्टाफ मेंबर शामिल हुए हो, तो आपको उनके बारे में बताने के लिए “गे” शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि वह इस सिचुएशन में सूट नहीं करता।

इसी तरह विकलांग यानी कि disabled लोगों को उनकी disability से डिस्क्राइब करना भी सरासर ग़लत है। किसी dusable इंसान को उनकी कमियों से बुलाना गलत है, इसके अलावा किसी को कुछ और तकलीफ हो जैसे कि डिप्रैशन तो उन्हें डिप्रेसिव या देवदास ऐसे नामों से बुलाना भी ग़लत है।

अच्छे कम्युनिकेशन के लिए ज़रूरी है कि आप लोगों की जाती, धर्म वगैरा का भी खयाल रखें और उनकी पहचान को लेकर अपने मन में कोई ग़लत राय ना बनाएं। आपको यह हरगिज़ नहीं मानना चाहिए कि कोई किसी एक तरह के देश या जाति से नाता रखता है तो वह अच्छा या बुरा ही होगा। ऐसा करने से यह ज़ाहिर होगा कि आप लोगों की इंडिविजुअल पर्सनैलिटी को ऐप्रिशिएट या उनकी सराहना नहीं करते।

इन्क्लूसिव कम्युनिकेशन के लिए आपको ऐसे शब्द या स्लैंग भाषा का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए जो कि किसी इंसान या ग्रुप की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती हो।

आप अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स यूट्यूब पर विडियोज देख कर सुधार सकते हैं जहां दो या दो से ज़्यादा लोग डिस्कशन कर रहे हों। उनके डिस्कशन को देखकर ऐसे किसी इंसान को देखिए जो दूसरों के लिए पुरानी और घिसी पिटी सोच रखता हो और उनसे खुद की तुलना करके यह देखिए की क्या आप भी उन जैसे हैं।

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