(hindi) 100 Ways to Motivate Others

(hindi) 100 Ways to Motivate Others

इंट्रोडक्शन

आप दूसरों को कैसे मोटिवेट करते है? एक अच्छे  मैं नेजर की क्या खूबी होती है? दूसरों को सेल्फ डिसप्लीन और  responsibility  कैसे सिखाई जा सकती है? अगर आप एक  मैनेजर है तो कैसे अपनी टीम में सहयोग और एकता को बढ़ावा देंगे? क्या आप जानना चाहते हैं कि एक अच्छा लिस्नर और एक ग्रेट गिवर कैसे बनें?

इस तरह के कुछ सवाल है जिनके जवाब आपको इस किताब में पढने को मिलेंगे. आप भी एक ग्रेट लीडर बन सकते है. आप चाहे तो आप भी एक बेस्ट  मैनेजर बन सकते हो जो आपको ये बुक सिखा सकती है.

Know where motivation comes from

एक बार एक  मैनेजर स्टीव  चैंडलर के सेमीनार में कुछ जल्दी ही आ गया था. उसने हरे रंग की पोलो शर्ट और सफेद ट्राउजर पहने थे. उसे देखकर लगता था कि वो गोल्फ खेलने जा रहा है.
मैनेजर जल्दी से स्टीव के पास पहुंचा और बोला “देखिए इस सेमिनार की जरूरत  नहीं  है और  मैं  अटेंड करने वाला नहीं हूँ”.

इस पर स्टीव ने उसे कहा” कोई बात  नहीं , लेकिन आप ये बताने के लिए कुछ ज्यादा ही जल्दी आ गए ? कुछ तो बात है जो आप जानना चाहते है?”
“वेल, हाँ बात तो है”, मैनेजर बोला.  मैं  बस ये जानना चाहता हूँ कि अपनी सेल्स टीम को कैसे इम्प्रूव करूँ. तो बताइए कैसे अपनी टीम को  मैनेज करूँ?’
“आप बस यही जानने आए है?’ स्टीव ने पूछा
“हां, बस यही जानना था” उसने जवाब दिया.

“वेल, अभी काफी वक्त है, आप आराम से गोल्फ खेलने भी जा सकते है”
मैनेजर गौर से स्टीव की बात सुनता रहा. वो इंतज़ार कर रहा था कि स्टीव उसे टीम  मैनेजमेंट पर कुछ टिप्स वगैरह देंगे.
लेकिन जब स्टीव ने कहा” तुम नहीं कर सकते” तो वो हैरानी से बोला
“क्या?

स्टीव ने बात जारी रखते हुए कहा” जी हाँ, आप किसी को  मैनेज  नहीं  कर सकते और अब आप जा सकते हो”
“आप क्या बोल रहे है?  मैनेजर बोला” मुझे लगा आप ये सेमीनार  लोगों  को मोटिवेट करने के लिए रखी गई है. लेकिन आप तो मुझे डीमोटिवेट कर रहे है?

स्टीव बोले “जो पहली चीज़ हम  मैनेजर्स को सिखाते है वो ये कि अपनी टीम को आप डायरेक्टली कण्ट्रोल नहीं कर सकते. आपकी टीम को मोटिवेशन आप से  नहीं  बल्कि खुद उनके अंदर से मिलेगी?

“हम  मैं नेजर्स को सिखाते है कि उन्हें अपनी टीम को मोटिवेट होने के मौके देने है. यह सीक्रेट है जिसके बारे में हम इस सेमिनार में बात करने जा रहे है”

मैनेजर ने बड़े ध्यान से सारी बाते सुनी. वो जाकर फ्रंट रो में बैठ गया और पूरा सेमिनार अटेंड किया. वो अपनी पूरी जिंदगी दूसरों का बिहेवियर कण्ट्रोल करने की कोशिश करता रहा था, चाहे घर हो या दफ्तर और इस वजह से वो हमेशा निराश रहता था.

मैनजर ने फाइनली ये सीख लिया था कि मोटिवेशन बाहर से  नहीं  मिलती बल्कि हमे अपने अंदर से मिलती है.

Teach Self-Discipline

कई लोग सोचते है कि सेल्फ डिसप्लीन इन्सान को पैदाईशी तौर पर मिलती है या फिर जेनेटिक होती है. कुछ  लोगों  काफी सेल्फ डिसप्लींड होते है जबकि कुछ लोग बिल्कुल  नहीं  होते. लेकिन ये एक मिथ यानी गलतफहमी है. सच तो ये है कि सेल्फ डिसप्लीन सीखा जा सकता है. हम रोज़ इसकी प्रेक्टिस करके इसे डेवलप कर सकते है.

सेल्फ डिसप्लीन कोई नई लेंगुएज़ सीखने जैसा है. यानी जितना आप प्रेक्टिस करोगे उतना ही बैटर  रिजल्ट मिलेगा. मान लो आपको स्पेन जाना पड़ा और वहां आपको एक साल के लिए फील्ड वर्क का काम मिला है. तो ज़ाहिर है आपको लोकल  लोगों  से बात करने के कई मौके मिलेंगे और जितना आप स्पेनिश बोलोगे उतना ही इस लेंगुएज़ पर आपकी पकड़ मजबूत होगी.

आप चाहे तो एक इंग्लिश टू स्पेनिश डिक्शनरी साथ रख सकते है, साथ ही आपको ज्यादा से ज्यादा फ्रजेज़ यूज़ करने चाहिए. आप  लोगों  से डायरेक्शन पूछ-पूछ कर शहर में घूम सकते है. तो आपने देखा, कोई न्यू लेंगुएज सीखने के लिए पैदाईशी स्पेशल लेंगुएज स्किल का होना जरूरी नहीं है.

ठीक यही चीज़ सेल्फ डिसप्लीन के साथ भी है. आप खुद को ट्रेन कर सकते है. रोजाना अपनी लाइफ में सेल्फ डिसप्लीन की प्रेक्टिस कीजिये, फिर धीरे-धीरे ये आपकी हैबिट में शुमार हो जाएगा.

एक सेल्स  मैं नेजर ये  नहीं  कह सकता है कि” जॉन एक टॉप सेल्समेन बन सकता था पर उसमे सेल्फ डिसप्लीन की कमी है”. लेकिन ये सच  नहीं  है. सेल्फ डिसप्लीन डेवलप की जा सकती है इसलिए अपने टीम मेंबर्स को एनकरेज करे कि वो अपने अदंर सेल्फ डिसप्लीन लेकर आये.

आप अपने टीम मेंबर्स को बताए कि उनमे वो सारी खूबियाँ है जो उन्हें सक्सेसफुल बना सकती है. अपनी टेंशन्स, इन्सिक्योरिटीज़ से बाहर निकले और और बहाने बनाने की आदत छोड़ दे.

एक अच्छा  मैंनेजर वही है जो मानता है कि अगर उसकी टीम के अंदर सेल्फ डिसप्लीन है तभी उन्हें सक्सेस मिल सकती है. इसलिए सेल्फ डिसप्लीन की प्रेक्टिस करना जरूरी है जैसे हम नई लेंगुएज़ सीखते वक्त करते है.

Tune In Before You Turn On

अगर आप चाहते है कि लोग आपकी बात सुने तो पहले आपको दूसरों की बात सुनने की आदत डालनी होगी. यानी  दूसरे शब्दों में कहे तो अगर आप अपनी टीम की बात  नहीं  सुनेंगे तो वो भी आपकी बात  नहीं  सुनना चाहेंगे. उन्हें एहसास दिलाइए कि आप एक ही वेललेंग्थ में है और उनकी फीलिंग्स समझते है.

एक बार स्टीव के पास एक कंपनी के सीईओ अपनी  प्रॉब्लम  लेकर आये. उसका नाम था लांस और वो फाइनेंशियल सर्विस बिजनेस में था. लांस के अंडर में चार औरतें बड़े अकाउंट टीम में काम कर रही थी. लेकिन समस्या ये थी कि वो औरतें लांस पर भरोसा  नहीं  करती थी. वो औरतें मीटिंग अटेंड करने से कतराती थी क्योंकि लांस हमेशा उनकी गलतियों को पॉइंट आउट करते थे.

लांस ने स्टीव से पूछा कि इस कम्यूनिकेशन  प्रॉब्लम  को सोल्व करने का क्या तरीका है?
स्टीव ने कहा” उन सबसे वन टू वन बात करो, सबके साथ एक घंटे की मीटिंग रखो”
“लेकिन  मैं  उनसे कहूं क्या? सीईओ ने पुछा
“कुछ  नहीं , सिर्फ उनकी बात सुनो” स्टीव बोले.
“और मेरा एजेंडा क्या होगा?’

स्टीव ने कहा “कोई एजेंडा नहीं है. उनसे सिर्फ ये सवाल पूछ्ना” लाइफ कैसी चल रही है? इस कंपनी में काम करके कैसा लग रहा है? आप क्या बदलाव चाहती है?
“और फिर?’ लांस बोला
“कुछ  नहीं  बस सुनते रहना” स्टीव बोले

इस मीटिंग के बाद हालात में जो बदलाव आया उससे लांस अब कोई अजनबी  नहीं  रह गया था जो सिर्फ ऑर्डर देता है बल्कि अपनी टीम के लिए एक दोस्त जैसा बन गया था, लांस ने इससे पहले अपनी टीम को समझने की कभी कोशिश  नहीं  की थी लेकिन अब उसका अपने टीम मेंबर्स के साथ एक ऐसा रिलेशन बन गया था जहाँ वो लोग खुलकर अपनी प्रोब्लम और आईडिया पर बात कर सकते थे.

Stop Criticizing Upper Management

अपने सुपीरीयर्स के खिलाफ जाना आपको शायद फायदे का सौदा लग सकता है. आप शायद ये सोचे कि ऐसा करके आप टीम मेंबर्स का भरोसा जीत सकते है या उनके साथ एक स्ट्रोंग bond बना सकते हैं. आप शायद ऐसा इसलिए करते है ताकि आप अपनी टीम को दिखा सके कि आप भी उनकी तरह एक विक्टिम है, पर असल में ये ट्रिक लॉन्ग रन में काम नहीं आएगी. सच्चाई ये है कि जब आप अपर  मैनेजमेंट की बुराई करते है तो एक तरह से आपकी टीम का कॉन्फिडेंस टूटता है.

टॉप  मैनेजमेंट के खिलाफ जाकर आप अपनी टीम को तीन  मैसेज दे रहे है. पहला, कि आपकी आर्गेनाइजेशन  भरोसे के लायक ही नहीं है, दूसरा कि आपकी अपनी  मैनेजमेंट ही आपके खिलाफ है. और तीसरा, एक टीम मेंबर के तौर पर आप एकदम कमज़ोर लीडर है.

इस केस में आप अपने टीम मेंबर्स के साथ बोन्डिंग तो कर लेते है पर इससे ट्रस्ट  प्रॉब्लम  क्रिएट होती है और ऑर्गेनाईजेशन के अंदर एक डिसरिस्पेक्ट का माहौल भी बनता है. आप शायद अपनी आँखे नचाते हुए कुछ इस तरह के कमेन्ट देते होंगे” मुझे समझ  नहीं  आ रहा ये लोग ऐसा क्यों कर रहे है. ये लोग आपकी  प्रॉब्लम  कभी  नहीं  समझ पायेंगे”

और आप बार-बार अपर  मैं नेजमेंट के लिए ”ये लोग” वर्ड यूज़ करते है, यानी ये शो करते है कि एक टीम  मैनेजर के तौर पर आप और आपकी टीम विक्टिम है और अपर  मैनेजमेंट के अत्याचारों का शिकार बन है.

पर ये अप्रोच एकदम गलत है, एक अच्छा लीडर अपर  मैनेजमेंट को रीप्रेजेंट करता है, वो अपनी टीम को भरोसा दिलाता है कि उनकी समस्याएं सुनी जायेंगी और उन्हें दूर करने का प्रयास किया जायेगा. दरअसल एक  मैं नेजर अपर  मैं नेजमेंट और टीम के बीच एक ब्रिज़ की तरह काम करता है.

इसके अलावा एक अच्छा लीडर कभी सीनियर्स को कभी भी “ ये लोग या वो लोग” कहके एड्रेस  नहीं  करेगा बल्कि वो हम वर्ड का यूज़ करेगा.

“हम” वर्ड का मतलब है कोलाब्रेशन और यूनिटी. इसमें अपर  मैनेजमेंट और बाकि टीम भी शामिल है. खुद को हम कहकर बोलने से आप टीम के अंदर कांफिडेंस और ट्रस्ट की फीलिंग को मजबूत करते है और साथ ही टीम को एहसास दिलाते है कि वो ऑर्गेनाईजेशन का एक बेहद इम्पोर्टेंट पार्ट है जिनके बिना कंपनी का काम  नहीं  चल सकता. आप इन टिप्स को अप्लाई करके देखिए, आपके टीम मेंबर्स अपने काम में और भी ज्यादा मोटिवेटेड और लॉयल बनेंगे.

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