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(hindi) When: The Scientific Secrets of Perfect Timing

(hindi) When: The Scientific Secrets of Perfect Timing

“क्या आपने कभी सोचा है कि आपके जीवन में फिर से चीजें कब ठीक होंगी?
मेरा मतलब है, कि आपको वह जॉब कब मिलेगी जो आप हमेशा से चाहते थे। 
या आप उस इंसान  से शादी कब करेंगे जिससे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हैं?
हम सभी सोचते हैं कि टाइमिंग ही सब कुछ होता है। यही वजह है कि हम अपने ज्यादातर फैसले guess और intuition के हिसाब से करते हैं। लेकिन यह आईडिया गलत है।
यह किताब आपको आपके 'कब' और सही समय के साइंस के बारे में सभी जवाब देगी | यह किताब आपको दिखाएगी कि कैसे समय सिर्फ लक पर डिपेंडेंट नहीं है, बल्कि साइंस है। डैनियल पिंक आपको बताएँगे कि आपके फ़ायदे के लिए काम करने का समय कैसे निकाला जाए।

इस समरी से कौन सीखेगा?
● कॉलेज स्टूडेंट 
● employees 
● साइकोलॉजी में रुचि रखने वाले लोग

ऑथर  के बारे में
डैनियल एच पिंक छह किताबों के ऑथर हैं – जिसमें उनकी नई किताब, “व्हेन: द साइंटिफिक सीक्रेट्स ऑफ़ परफेक्ट टाइमिंग” शामिल है। व्हेन ने न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्टसेलर लिस्ट में जगह बनाई और इसे Amazon और आईबुक द्वारा 2018 की बेस्ट बुक का नाम दिया गया है. डैनियल की और किताबों में न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलर “ए होल न्यू माइंड”,” ड्राइव एंड टू सेल ह्यूमन” शामिल हैं। उनकी किताबों ने कई award जीते हैं और उन्हें 39 भाषाओं में ट्रांसलेट किया गया है|
 

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(hindi) The Adventure of the Solitary Cyclist

(hindi) The Adventure of the Solitary Cyclist

“साल 1894 से साल 1901 के बीच का वक्त ऐसा था जब शरलॉक  होम्ज़  ख़ास  तौर पर बड़े बिजी हुआ करते थे. बल्कि ये कहना  ज़्यादा सही होगा कि उन आठ  सालों  में शायद ही कोई ऐसा पब्लिक केस रहा होगा जहाँ उनकी सलाह ना ली गई हो और सैकड़ो ही ऐसे प्राइवेट केसेज़ उन्होंने सोल्व किये थे जिनके किरदार बेहद दिलचस्प और अजीबोगरीब हुआ करते थे.

आठ साल के इस लंबे वक्त में उन्हें कई बार शानदार सफलता हाथ लगी और कुछ एक-आध केस ऐसे भी थे जहाँ उन्हें बेहद निराश होना पड़ा, पर खैर जो भी हो, मिस्टर होम्ज़ इन आठ  सालों  में लगातार काम करते रहे. अब क्योंकि मैंने उन सारे केस की पूरी सिलसिलेवार जानकारी अपने पास संभाल कर रखी थी,  जिनमें  से कुछ केस में तो  मैं  खुद भी शामिल रहा था,

तो ये बात आसानी से समझी जा सकती है कि  मैं   हमें शा इसी कशमकश में रहता था कि कौन सा केस पब्लिक के सामने रखूं और कौन सा नहीं. खैर  मैं  अपना पहले वाला रुल कायम रखते हुए  मैं  सिर्फ उन केस को प्राथमिकता दूंगा जो अपने गुनाह की वजह से  नहीं  बल्कि अपने अनोखे और ड्रामेटिक सोल्यूशन की वजह से बेहद दिलचस्प थे और यही वजह है कि  मैं   चार्लिंगटन  की उस  सॉलिटरी  साइक्लिस्ट  मिस वायलेट स्मिथ से जुड़े कुछ तथ्य रीडर्स के सामने रखना चाहता हूँ,

और हमारी उस सनसनीखेज छानबीन का सिलसिलेवार ब्यौरा भी देना चाहूंगा जो एक अकस्मात और दुखद दुर्घटना पर जाकर खत्म हुई. ये सच है कि इस कहानी में जिन हालात का  मैं  यहाँ  ज़िक्र कर रहा हूँ, वो उस खूबी को बयां नहीं कर पायेंगे जिन खूबियों के लिए मेरा दोस्त इतना फेमस है लेकिन फिर भी इस केस में कुछ ऐसे पॉइंट है जो इसे उन बाकि सनसनीखेज़ घटनाओं से अलग करते है, जिन्हें  मैं  इतने लंबे वक्त से रिकॉर्ड करता आया हूँ. 

मैंने साल 1895 की अपनी नोट बुक पर नज़र डाली तो याद आया वो शनिवार, 23 अप्रैल की बात थी, जब हमने पहली बार मिस वायलेट स्मिथ का नाम सुना था. मुझे याद है, मिस स्मिथ का आना  शरलॉक  होज्म को जरा भी  नहीं  भाया था क्योंकि उस वक्त वो एक बेहद पेचीदा और सिर चकरा देने वाले केस की तहकीकात में उलझा हुआ था जोकि जाने-माने तंबाकू व्यवसायी करोडपति बिजनेसमेन मिस्टर जॉन विन्सेंट हार्डेन से जुड़ा हुआ था. और जैसा कि ज़ाहिर बात थी,

मेरा दोस्त  शरलॉक  जब किसी केस की गहराई से जांच-पड़ताल में लगा होता तो उस वक्त उसे हर वो चीज़ बुरी लगती थी जो केस से उसका ध्यान भटकाए या बीच में दखल डाले. लेकिन इसके बावजूद बगैर किसी रूखेपन के, जोकि वैसे भी मेरे दोस्त का स्वभाव नहीं था,  शरलॉक  उस लंबी-पतली, जवान और बला की खूबसूरत  लड़की की कहानी सुनने को तैयार हो गया था जो उस शाम हमसे मदद की उम्मीद लेकर बेकर स्ट्रीट के हमारे फ्लैट में मिलने आई थी.

हालाँकि उसे ये समझाना फ़िज़ूल था कि उस वक्त हमारे पास पहले से ही कई सारे मामले पड़े थे क्योंकि वो  लड़की जिद पर अड़ी रही कि वो  हमें  अपनी कहानी सुनाकर ही वहां से जायेगी, इसलिए उसकी पूरी कहानी सुनने के अलावा हमारे पास और कोई चारा  नहीं  बचा था. 

मजबूरन, एक फीकी मुस्कुराहट के साथ होम्ज़ ने उस हसीना से कहा कि वो पहले आराम से बैठे और फिर खुलकर अपनी परेशानी के बारे में बताए. 
“कम से कम आपकी सेहत का तो मसला  नहीं  हो सकता”  शरलॉक  उसे गहरी नजरों से तौलते हुए बोला

“आप जैसे साईक्लिस्ट तो  हमेशा जोश से भरे रहते है” 
 शरलॉक  की बात सुनकर उसने हैरानी से अपने पैरों की तरफ देखा तो  मैं  भी उसके पैरों की तरफ देखने से खुद को रोक  नहीं  पाया. साईकल का पैडल मारने की वजह से उसकी कोमल एड़ीयों में हल्का सा खुरदरापन आ गया था. 

“जी हाँ, बाईस्किल चलाने के अपने फायदे है मिस्टर होम्ज़, और  मैं  इसी सिलसिले में आज आपके पास मदद के लिए आई हूँ” 
मेरे दोस्त ने लेडी का वो हाथ जिसमे उसने दस्ताना  नहीं  पहना हुआ था, अपने हाथ में लेकर ऐसे गौर से देखा जैसे कोई साइंटिस्ट किसी नए किस्म के जानवर का पहली बार मुआईना करता है. 

“मुझे उम्मीद है आप बुरा  नहीं  मानेंगी, ये मेरा काम है” होम्ज़ ने उसका हाथ छोड़ते हुए कहा, 
“ पता  नहीं  क्यों मुझे गलतफहमी हुई कि आप शायद टाइपराईटिंग करती है, लेकिन हाँ, ये तो म्यूज़िक से जुड़े हाथ लगते है, तुमने गौर किया क्या वॉटसन, दोनों प्रोफेशन वालो के हाथ ऐसे ही होते है? हालाँकि म्यूज़िक वालो के चेहरे पर एक स्प्रिचुअल तेज़ होता है ”—फिर वो बड़े प्यार से लड़की की हथेली को रौशनी की तरफ घुमाते हुए बोला—“जो एक टाइपराईटर  नहीं  दे सकता, ये  लड़की एक म्यूजिशियन है”
 
“जी हाँ मिस्टर होम्ज़,  मैं  म्यूजिक सिखाती हूँ”  लड़की बोली. 
“और आपकी रंगत से आप कंट्री साईंड की लगती है”  शरलॉक  ने कहा 
“जी, हां,  मैं   फ़र्नहैम की रहने वाली हूँ,  सरे के बॉर्डर के पास” 

“वाह, काफी खूबसूरत जगह है जहाँ बड़े ही दिसचस्प लोग रहते है,  तुम्हें  याद है वॉटसन, इसी जगह के आस-पास हमने उस जालसाज़ आर्ची  स्टैमफ़ोर्ड  को पकड़ा था. अच्छा, 
अब ये बताइए, मिस वायलेट,  फ़र्नहैम में आपके साथ क्या हुआ, सुरे के बॉर्डर के पास? 
उस  लड़की ने बड़े ही स्पष्ट और शांत शब्दों में हमारे सामने पूरा मामला कुछ इस तरह रखा:— 

Puri Kahaani Sune…

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(hindi) Paap ka Agnikund

(hindi) Paap ka Agnikund

“कुँवर पृथ्वी सिंह महाराज यशवंत सिंह के बेटे थे। रूप, गुण और विद्या में मशहूर थे। ईरान, मिश्र, श्याम आदि देशों में घूम चुके थे और कई भाषाओं के पंडित समझे जाते थे। इनकी एक बहन थी जिसका नाम राजनंदिनी था। यह भी जैसी सुंदर और सभी गुणों वाली थी वैसी ही खुश मिजाज और मीठा बोलने वाली भी थी। कड़वी बात कहकर किसी का जी दुखाना उसे पसंद नहीं था। पाप को तो वह अपने पास भी नहीं फटकने देती थी।

यहाँ तक कि कई बार महाराज यशवंत से भी बहस कर चुकी थी और जब कभी उन्हें किसी बहाने कोई गलत काम करते देखती तो उसे जितना हो सके रोकने की कोशिश करती। इसकी शादी कुँवर धर्म सिंह से हुई थी। यह एक छोटी रियासत का अधिकारी और महाराज यशवंत सिंह की सेना का ऊँचे पदाधिकारी था। धर्म सिंह बड़ा दयालु और कर्मवीर था। इसे होनहार देखकर महाराज ने राजनंदिनी की इसके साथ शादी की थी और दोनों बड़े प्यार से अपना शादी शुदा जीवन बिताते थे। धर्म सिंह ज्यादातर जोधपुर में ही रहता था। पृथ्वी सिंह उसके गाढ़े दोस्त थे।

इनमें जैसी दोस्ती थी वैसी भाइयों में भी नहीं होती। जिस तरह इन दोनों राजकुमारों में दोस्ती थी उसी तरह दोनों राजकुमारियाँ भी एक दूसरी पर जान देती थीं। पृथ्वी सिंह की पत्नी दुर्गा कुँवरि बहुत सुशीला और चालाक थी। ननद-भाभी में अनबन होना लोक- रीति है पर इन दोनों में इतना स्नेह था कि एक के बिना दूसरी को कभी कल नहीं पड़ता था। दोनों औरतें संस्कृत से प्यार रखती थीं।

एक दिन दोनों राजकुमारियाँ बाग की सैर में लगीं थीं कि एक दासी ने राजनंदिनी के हाथ में एक कागज लाकर रख दिया। राजनंदिनी ने उसे खोला तो वह संस्कृत की एक चिट्ठी थी। उसे पढ़कर उसने दासी से कहा कि उन्हें भेज दे। थोड़ी देर में एक औरत सिर से पैर तक चादर ओढ़े आती दिखायी दी। इसकी उम्र 25 साल से ज्यादा न थी पर रंग पीला था। आँखें बड़ी और ओंठ सूखे।

चाल-ढाल में कोमलता थी और उसके शरीर की बनावट बहुत अच्छी थी। अनुमान से जान पड़ता था कि समय ने इसकी वह हालत कर रखी है। पर एक समय वह भी होगा जब यह बड़ी सुंदर होगी। इस औरत ने आकर चौखट चूमी और आशीर्वाद देकर फर्श पर बैठ गयी। राजनंदिनी ने इसे सिर से पैर तक बड़े ध्यान से देखा और पूछा- “”तुम्हारा नाम क्या है?””

उसने जवाब दिया-  “”मुझे ब्रजविलासिनी कहते हैं।””

“”कहाँ रहती हो?'

“”यहाँ से तीन दिन की राह पर एक गाँव विक्रमनगर है वहाँ मेरा घर है।””

“”संस्कृत कहाँ पढ़ी है?””

“”मेरे पिताजी संस्कृत के बड़े पंडित थे उन्होंने थोड़ी-बहुत पढ़ा दी है।””

“”तुम्हारा शादी तो हो गई है न?””

शादी का नाम सुनते ही ब्रजविलासिनी की आँखों से आँसू बहने लगे। वह आवाज सम्हालकर बोली- “”इसका जवाब मैं फिर कभी दूँगी मेरी राम कहानी बड़ी दुख भरी है। उसे सुनकर आपको दुख होगा इसलिए इस समय माफ कीजिए।'

आज से ब्रजविलासिनी वहीं रहने लगी। संस्कृत-साहित्य में उसे बहुत जानकारी थी। वह राजकुमारियों को हर दिन रोचक कविता पढ़कर सुनाती थी। उसके रंग रूप और विद्या ने धीरे-धीरे राजकुमारियों के मन में उसके लिए प्यार और प्रतिष्ठा पैदा कर दी। यहाँ तक कि राजकुमारियों और ब्रजविलासिनी के बीच बड़ाई-छोटाई उठ गयी और वे सहेलियों की तरह रहने लगीं।

Puri Kahaani Sune…

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(hindi) Aap Beeti

(hindi) Aap Beeti

“अक्सर ज्यादातर साहित्य की सेवा करने वालों के जीवन में एक ऐसा समय आता है जब पढ़ने वाले उनके पास श्रद्धा से भरी चिट्ठी भेजने लगते हैं। कोई उनकी लिखने के तरीके की तारीफ करता है, कोई उनके सोच पर मुग्ध हो जाता है। लेखक को भी कुछ दिनों से यह खुशकिस्मती मिली है। ऐसे चिट्ठियों को पढ़ कर उसका दिल कितना गद्गद हो जाता है इसे किसी साहित्य की सेवा करने वाले ही से पूछना चाहिए।

अपने फटे कंबल पर बैठा हुआ वह गर्व और आत्मगौरव की लहरों में डूब जाता है। भूल जाता है कि रात को गीली लकड़ी से खाना पकाने के कारण सिर में कितना दर्द हो रहा था खटमलों और मच्छरों ने रात भर कैसे नींद हराम कर दी थी। मैं भी कुछ हूँ यह घमंड उसे एक पल के लिए पागल बना देता है। पिछले साल सावन के महीने में मुझे एक ऐसी ही चिट्ठी मिली। उसमें मेरी छोटी रचनाओं की दिल खोल कर तारीफ की गयी थी।

चिट्ठी लिखने वाले महोदय खुद एक अच्छे कवि थे। मैं उनकी कविताएँ पत्रिकाओं में अक्सर देखा करता था। यह चिट्ठी पढ़ कर फूला न समाया। उसी समय जवाब लिखने बैठा। उस तरंग में जो कुछ लिख गया इस समय याद नहीं। इतना जरूर याद है कि चिट्ठी शुरू से आखिर तक प्यार के भाव से भरा हुआ था। मैंने कभी कविता नहीं की और न कोई गद्य-काव्य(कहानी और कविता का मिलाजुला रुप) ही लिखा, पर भाषा को जितना सुंदर बना सकता था उतना बनाया। यहाँ तक कि जब चिट्ठी खत्म करके दुबारा पढ़ा तो कविता का मजा आया।

पूरी चिट्ठी सुंदरता के भाव से भरी थी। पाँचवें दिन कवि महोदय की दूसरी चिट्ठी आ पहुँची। वह पहले चिट्ठी से भी कहीं ज्यादा दिल छू लेने वाली थी। ‘प्यारे भैया !’ कह कर मुझे सम्बोधित(एड्रेस) किया गया था। मेरी रचनाओं की सूची(लिस्ट) और प्रकाशकों के नाम-ठिकाने पूछे गये थे। आखिर में यह अच्छी खबर है कि मेरी पत्नी जी को आपके ऊपर बड़ी श्रद्धा है। वह बड़े प्यार से आपकी रचनाओं को पढ़ती हैं। वही पूछ रही हैं कि आपकी शादी कहाँ हुई है? आपके बच्चे कितने हैं? और आपका कोई फोटो भी है हो तो कृपया भेज दीजिए। मेरी जन्म की जगह और घर परिवार का पता भी पूछा गया था। इस चिट्ठी, खासतौर से उसके आखिरी खबर ने मुझे खुश कर दिया।

यह पहला ही मौका था कि मुझे किसी औरत के मुंह से चाहे वह प्रतिनिधि द्वारा ही क्यों न हो, अपनी तारीफ सुनने का मौका मिला। गरूर का नशा छा गया। धन्य है भगवान् ! अब औरतें भी मेरे काम की तारीफ करने लगीं ! मैंने तुरंत जवाब लिखा। जितने सुनने में अच्छे लगने वाले शब्द मेरे दिमाग में थे सब खर्च कर दिये। दोस्ती और अपनेपन से पूरी चिट्ठी भरी हुई था। अपनी परिवार के बारे में बताया। शायद मेरे पूर्वजों का ऐसा गुण-गान किसी ने भी न किया होगा।

मेरे दादा एक जमींदार के कारिंदे थे मैंने उन्हें एक बड़ी रियासत का मैनेजर बतलाया। अपने पिता को, जो एक दफ्तर में क्लर्क थे, उस दफ्तर का चेयरमैन बना दिया और किसानी को जमींदारी बना देना तो साधारण बात थी। अपनी रचनाओं की गिनती तो न बढ़ा सका, पर उनके महत्त्व आदर और प्रचार के बारे ऐसे शब्दों में बताया, जो नम्रता की ओट में अपने गर्व को छिपाते हैं। कौन नहीं जानता कि कई बार छोटे का मतलब उससे उल्टा होता है, और दीन का मतलब कुछ और ही समझा जाता हैं। सीधे से अपनी बड़ाई करना बड़बोलापन है मगर इशारे से आप इसी काम को बड़ी आसानी से पूरा कर सकते हैं। खैर मेरी चिट्ठी खत्म हो गई और उसी समय लेटरबक्स के पेट में पहुँच गई।

Puri Kahaani Sune…

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(hindi) Abhushan

(hindi) Abhushan

“आभूषणों(गहनों) की बेइज्जती करना हमारा मकसद नहीं है। हम मदद ना पाने का दर्द सह सकते हैं पर सुंदर औरतों की बेरहम खतरनाक बातों के तीर को नहीं सह  सकते। तो भी इतना जरूर कहेंगे कि इस इच्छा को पूरी करने के लिए जितना त्याग किया जाता है उसका सही इस्तेमाल करने से महान् पद मिल सकता है।

हालांकि हमने किसी कम सुंदर औरत को आभूषणों की सजावट से ज्यादा सुंदर होते नहीं देखा। फिर भी हम यह भी मान लेते हैं कि रूप के लिए आभूषणों की उतनी ही जरूरत है जितनी घर के लिए दीपक की। लेकिन शरीर की शोभा के लिए हम शरीर को कितना गंदा, मन को कितना अशांत और आत्मा को कितना अपवित्र बना लेते हैं इसका हमें शायद पता ही नहीं होता। इस दीपक की ज्योति में आँखें धुँधली हो जाती हैं। यह चमक-दमक कितनी जलन, कितने दुश्मनी, कितनी मुकाबले, कितनी बुरे ख्याल और कितनी गलत उम्मीद का कारण है इसके बारे में सोचने से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इन्हें भूषण(गहने) नहीं दूषण(बुराई) कहना ज्यादा सही है।

नहीं तो यह कब हो सकता था कि कोई नई बहू पति के घर आने के तीसरे दिन अपने पति से कहती कि मेरे पिता ने तुम्हारे पल्ले बाँध कर मुझे तो कुएँ में ढकेल दिया। शीतला आज अपने गाँव के ताल्लुकेदार कुँवर सुरेशसिंह की नई बहू को देखने गयी थी। उसके सामने ही वह जैसे मंत्र के वश में हो गयी। बहू की सुंदरता पर नहीं उसके आभूषणों की जगमगाहट पर उसकी टकटकी लगी रही। और वह जब से लौट कर घर आयी उसकी छाती पर साँप लोटता रहा। आखिर में जैसे ही उसका पति आया वह उस पर बरस पड़ी और दिल में भरा हुआ गुबार ऊपर कहे गए शब्दों में निकल पड़ा। शीतला के पति का नाम विमलसिंह था। उनके पुरखे किसी जमाने में इलाकेदार थे। इस गाँव पर भी उन्हीं का सोलहों आने हक था। लेकिन अब इस घर की हालत खराब हो गयी है। सुरेशसिंह के पिता जमींदारी के काम में अच्छे थे।

विमलसिंह का सब इलाका किसी न किसी तरह से उनके हाथ आ गया। विमल के पास सवारी का टट्टू भी न था उसे दिन में दो बार खाना भी मुश्किल से मिलता था। उधर सुरेश के पास हाथी, मोटर और कई घोड़े थे दस-पाँच बाहर के आदमी रोज दरवाजे पर पड़े रहते थे। पर इतना अंतर होने पर भी दोनों में भाईचारा निभाया जाता था। शादी और दूसरे अच्छे मौकों में एक दूसरे के घर आना-जाना होता रहता था। सुरेश पढ़ना लिखना पसंद करते थे। हिंदुस्तान में ऊँची शिक्षा पूरी करके वह यूरोप चले गये और सब लोगों की शक के उल्टे वहाँ से भारत की संस्कृति के परम भक्त बन कर लौटे। वहाँ के बेजान बनावटी लत और अमानवीय घमंड के नशे ने उनकी आँखें खोल दी थीं।

पहले वह घरवालों के बहुत जोर देने पर भी शादी करने को राजी नहीं हुए थे। लड़की को पहले जाने बिना शादी नहीं कर सकते थे। पर यूरोप से लौटने पर उनके शादी के बारे में सोच में बहुत बड़ा बदलाव आया। उन्होंने उसी पहले की लड़की से बिना उसके सोच व्यवहार जाने शादी कर ली। अब वह शादी को प्यार का बंधन नहीं, धर्म का बंधन समझते थे। उसी खुशकिस्मत बहू को देखने के लिए आज शीतला अपनी सास के साथ सुरेश के घर गयी थी। उसी के आभूषणों का नजारा देख कर वह दुखी हो गयी है। विमल ने दुखी हो कर कहा- “”तो माता-पिता से कहा होता सुरेश से ब्याह कर देते। वह तुम्हें गहनों से लाद सकते थे।””

शीतला- “”तो गाली क्यों देते हो?””

विमल- “”गाली नहीं देता बात कहता हूँ। तुम जैसी सुंदरी को उन्होंने बेकार मेरे साथ शादी कर दी।””

शीतला- “”शर्म तो आती नहीं उलटे और ताने देते हो।””

विमल- “”किस्मत मेरे वश में नहीं है। इतना पढ़ा भी नहीं हूँ कि कोई बड़ी नौकरी करके रुपये कमाऊँ।””

शीतला- “”यह क्यों नहीं कहते कि प्यार ही नहीं है। प्यार हो तो पैसे बरसने लगे।””

विमल- “”तुम्हें गहनों से बहुत प्यार है?””

शीतला- “”सभी को होता है। मुझे भी है।””

विमल- “”अपने को बदकिस्मत समझती हो?””

शीतला- “”हूँ ही समझना कैसा? नहीं तो क्या दूसरे को देख कर तरसना पड़ता?””

विमल- “”गहने बनवा दूँ तो अपने को खुशकिस्मत समझने लगोगी?””

शीतला- “”(चिढ़ कर) तुम तो इस तरह पूछ रहे हो जैसे सुनार दरवाजे पर बैठा है !””

विमल- “”नहीं सच कहता हूँ बनवा दूँगा। हाँ कुछ दिन सब्र करना पड़ेगा।””

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(hindi) Bill Gates

(hindi) Bill Gates

“किताब के बारे में:
ये किताब हमारे समय के सबसे बड़े इनोवेटर और सक्सेसफुल बिजनेसमेन की जिंदगी के बारे में बताती है. इसमें बिल गेट्स की जिंदगी से जुडी कई सारी घटनाओं का जिक्र है और साथ ही ये भी हमे ये भी सीखने को मिलता है कि अगर हम दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनना चाहते है तो ये नामुमकिन  नहीं  है. 

ये किताब किस-किसको पढ़नी चाहिए? 
हर वो  इंसान  जो जिंदगी में कुछ बड़ा अचीव करना चाहता है, उसे ये किताब  ज़रूर पढनी चाहिए. इसमें बिल गेट्स की स्टोरी है जो आपको अपने गोल्स अचीव करने की दिशा में पहला क़दम उठाने के लिए इंस्पायर करेगी. हर  इंसान  जो अपने सपने, अपना पैशन फोलो करना चाहता है, उसे ये किताब एक बार तो पढनी ही चाहिए और  दूसरों  को भी पढने के लिए एनकरेज करना चाहिए. 

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(hindi) HOW TO GET RICH- One of the World’s Greatest Entrepreneurs Shares His Secrets

(hindi) HOW TO GET RICH- One of the World’s Greatest Entrepreneurs Shares His Secrets

“अमीर बनने के लिए क्या चाहिए? क्या अमीरी खून में होती है? या हमारे कनेक्शन में? नहीं, बल्कि अमीरी वो चीज़ है हमारे माइंडसेट से डिसाइड होती है. ये किताब आपको सिखाएगी कि अमीर बनना आपके माइंडसेट पर डिपेंड करता है कि आप अपनी हर  फेलियर  कैसे हैंडल करते है. अमीर होने का मतलब है कि आपको पता होना चाहिए कि कब शुरू करना है और कब खत्म. ये आपके अंदर की क्वालीटीज़ पर डिपेंड करता है जो आपको टॉप पर पहुँचने के काबिल बनाते है. 

ये समरी किस-किसको पढनी चाहिए? 

    स्टार्ट-अप कंपनी के ओनर्स को 
    स्माल टाइम एंटप्रेन्योर्स को 
    हर वो इंसान जो अमीर बनना चाहता है 
    कॉलेज स्टूडेंट्स को 

ऑथर के बारे में 
फेलिक्स डेनिस एक मैगज़ीन पब्लिशर, पोएट और समाज सेवक हैं. फेलिक्स Men’s मैगजीन Maxim के फाउंडर हैं और साथ ही द वीक नाम से एक और मैगजीन चलाते हैं. उनका पब्लिशिंग हाउस यूनाईटेड स्टेट्स और यूनाईटेड किंगडम दोनों जगह काफ़ी मशहूर है. 
 

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(hindi) Limitless: Upgrade Your Brain, Learn Anything Faster, and Unlock Your Exceptional Life

(hindi) Limitless: Upgrade Your Brain, Learn Anything Faster, and Unlock Your Exceptional Life

“क्या आपके अंदर और ज्यादा सक्सेसफुल, और ज्यादा स्मार्ट बनने की ईच्छा है ? दरअसल हर  इंसान  अपनी जिंदगी में और बेहतर, और अच्छा बनना चाहता है लेकिन कैसे बने, ये सबको पता  नहीं  होता. अगर आप भी यही जानना चाहते है, तो ये किताब पढ़िए, ये आपको रास्ता दिखायेगी, और खास तौर पर आपको बिलिफ सिस्टम, पर्पज और फोकस के बारे में बताएगी जो लाइफ को लिमिटलेस बनाने के अहम एलिमेंट हैं. 

ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए? 
    जिन  लोगों  को कुछ भी सीखने में दिक्कत आती है यानी लर्निंग डिसेबिलिटी  
    जिन  लोगों  के अंदर आत्मविशवास की बेहद कमी है. 
    जो लोग सेल्फ-ग्रोथ और डेवलपमेंट चाहते हैं. 

ऑथर के बारे में 
जिम क्विक एक ऑथर, स्पीकर, ट्रेनर और राईटर हैं. एक हादसे में ब्रेन इंजरी होने के बाद जिम चीजों को अलग तरीके से सीखने के लिए मोटिवेट हुए. जिम “क्विक लर्निंग” के सीईओ हैं  जो स्पीड रीडिंग और मेमोरी ट्रेनिंग जैसे कॉन्सेप्ट पर फोकस करती है. जिम का एक वीकली पॉडकास्ट भी है जिसमें ब्रेन की परफोर्मेंस बढ़ाने और उसे शार्प करने के तरीकों पर चर्चा की जाती है. 

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(hindi) Brandwashed: Tricks Companies Use to Manipulate Our Minds and Persuade Us to Buy

(hindi) Brandwashed: Tricks Companies Use to Manipulate Our Minds and Persuade Us to Buy

“Branded प्रोडक्ट खरीदना पहले कभी इतना मजेदार और आसान  नहीं  था, जितना कि आज के वक्त में है. आज के टाइम में सिर्फ एक क्लिक, एक स्वाइप, एक लुक से ही हम अलग-अलग ब्रैंड की तरफ अट्रेक्ट हो जाते है जो हमें अपने प्रोडक्ट खरीदने के लिए ललचाते है. लेकिन  हमें branded  प्रोडक्ट इतने क्यों पसंद है? क्या कभी वो वक्त आएगा जब हम ब्रांडेड चीज़े खरीदना छोड़ देंगे? तो जवाब है नहीं, क्योंकि कंपनी और corporation  हमें  काफी हद तक  ब्रैंडवाश्डकर चुके है. और ये समरी आपको बताएगी कि हमारी ब्रेन wash आखिर होता कैसे है. 
 

ये समरी किस-किसको पढनी चाहिए? 
•    मार्केटर्स को 
•    कंज्यूमर्स को 
•    स्मार्ट शॉपर्स को 
•    जो लोग बिजनेस और साईंकोलोजी में इंट्रेस्टेड हैं. 

ऑथर के बारे में
मार्टिन लिंडस्ट्रॉमदुनिया के जाने-माने मार्केटिंग गुरु हैं. वो लिंडस्ट्रॉम कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन हैं  जो एक ग्लोबल  ब्रैन्डिंग और कल्चर ट्रांसफॉर्मेशन फर्म है जो पांच कॉन्टिनेंट और 30 से भी ज्यादा देशों में काम कर रही है. टाइम मैगेजीन ने लिंडस्ट्रॉमको दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों  की लिस्ट में शामिल किया है.  

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(hindi) Tribe of Mentors: Short Life Advice from the Best in the World

(hindi) Tribe of Mentors: Short Life Advice from the Best in the World

“बेल स्टिलर, जोसफ़  गॉर्डन लेविट, मारिया शारापोवा, नील  गेमन (Ben Stiller, Joseph Gordon Levitt, Maria Sharapova, Neil Gaiman)– ये उन  लोगों  के नाम हैं जिनके बारे में आप इस किताब में पढ़ेंगे. टिम फ़ेरिस ने इन  लोगों  से कुछ लाइफ लेसन सीखे हैं जो हमारे भी बड़े काम आ सकते है. क्या आपका भी एक सक्सेसफुल राईटर, एथलीट, एक्टर या एंटप्रेन्योर बनने का सपना है? अगर हाँ तो ये किताब आपके लिए ही लिखी गई है. इस किताब को पढिये क्योंकि आपके ट्राइब ऑफ़ मेंटर्स आपके इंतज़ार में बैठे हैं. 
 

ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए? 
●    मिलेनिय्ल्स 
●    कॉलेज स्टूडेंट
●    हर वो इंसान जिसे इंस्पिरेशन और मोटीवेशन की जरूरत है 
●    यंग एडल्ट को  

ऑथर के बारे में 
टिमोथी फेरिस अमेरिकी entrepreneur, investor, author और लाइफस्टाइल गुरु हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं जिनमें The 4 -hour Workweek, The 4- hour Body, The 4 – Hour Chef, Tools of Titans और Tribe of Mentors शामिल हैं।

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(hindi) Bhagavad Gita (Chapter 4)

(hindi) Bhagavad Gita (Chapter 4)

“अध्याय 4 – ज्ञान कर्म संन्यास योग

श्लोक 1 :
श्रीकृष्ण बोले, “मैंने इस अविनाशी योग को विवस्वान सूर्य से कहा था, सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकु से कहा. इस प्रकार परम्परा से प्राप्त इस योग को राजर्षियों ने जाना, किन्तु उसके बाद बहुत काल से यह योग पृथ्वी लोक में लुप्त होने लगा. हे अर्जुन! तुम मेरे भक्त और परम सखा हो इसलिए ये पुरातन योग आज मैं तुम्हें बता रहा हूँ क्योंकि यह बड़ा ही उत्तम रहस्य है अर्थात गुप्त रखने योग्य विषय है.”

अर्थ : इस श्लोक में श्रीकृष्ण अपने साकार रूप की नहीं बल्कि उस विराट और निराकार स्वरुप की बात कर रहे हैं कि “मैंने ये योग सूर्य से कहा था”. इस श्लोक में ये बताया गया है कि जब सृष्टि की रचना हुई तब से ही ज्ञान ब्रह्मांड में रच-बस गया था. ये ज्ञान अविनाशी और शाश्वत है क्योंकि ये निराकार परमात्मा से आया है जो ख़ुद अविनाशी और शाश्वत हैं. इस योग में ज्ञान और कर्म योग दोनों ही शामिल हैं. इस योग का अस्तित्व सृष्टि के आरंभ से है. 

सूर्य यानी प्रकाश, जब ज्ञान का सूर्य उदय होता है तो अज्ञानता का अंधकार मिट जाता है. इसमें विवस्वान सूर्यदेव हैं। मनु प्राचीन समय में नियम या क़ानून बनाने का काम संभालते थे। इक्ष्वाकु क्षत्रियों के पूर्वज हैं, जिनका वंश सूर्य-देव में जाता है। इस योग को परंपरा के माध्यम से राजऋषियों ने जाना लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे ये पृथ्वी लोक से गायब होने लगा. अगर किसी देश के नेताओं के पास इस योग का ज्ञान हो यानी जो जीवन के नैतिक मूल्यों (moral values) के बारे में जानता हो तो उनके माध्यम से ये समाज की जड़ों तक पहुँच जाता है. 

ज्ञान की ये धारा सृष्टि के आरंभ से लगातार बह रही थी लेकिन स्वार्थी और अधर्मी लोगों के हाथों में पड़कर इस योग की शिक्षाएँ खोने लगी । गीता के माध्यम से इसे पुनर्जीवित करना ही भगवान् की मंशा है। यहाँ इस योग को गुप्त इसलिए कहा गया है क्योंकि आमतौर पर हर कोई इसके बारे में नहीं जानता और ये केवल वे लोग ही प्राप्त कर सकते हैं जो इसके लिए ख़ुद को तैयार करते हैं यानी आत्मा और शरीर के बीच के फ़र्क को समझते हैं, कर्म के सिद्धांत को समझते हैं क्योंकि ज्ञान पाने के लिए “मैं, और मेरा यानि अहंकार” की भावना को त्यागना पड़ता है तभी ज्ञान का अमृत मनुष्य के भीतर समा सकता है.  
 

Puri geeta Sune

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(hindi) A Guide To The Good Life

(hindi) A Guide To The Good Life

“क्या आप सपनों के पीछे भागते-भागते थक चुके हैं? क्या आप कल की चिंता में अपने आज को जीना भूल गए हैं? क्या भविष्य के बारे में सोच-सोचकर आप परेशान रहते हैं? अगर ऐसा है तो ये किताब आपके जैसे  लोगों  की मदद कर सकती है. इसमें लाइफ की प्रोब्लम के सिंपल सोल्यूशन दिए गए हैं. इस किताब में आप ज़िंदगी को एक नए नज़रिए से देखने की कला सीखेंगे और ज़िंदगी की उस philosophy के बारे में जानेंगे जो जीवन को और भी आसन और खुशहाल बना देती है. इस किताब में स्टोइसिज्म के बारे में डिटेल से बताया गया है, स्टोइसिज्म की शुरुवात कैसे हुई थी, उसके प्रिंसिपल क्या हैं वगैरह सब इस किताब में आपको पढ़ने को मिलेंगे. 

ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए? 
ये समरी उन  लोगों  के लिए है जो अपनी लाइफ में एक नई philosophy अपनाना चाहते हैं. स्टोइसिज्म उन  लोगों  के लिए है जो सिंपल लाइफ जीने की ईच्छा रखते हैं और अपनी ज़िंदगी को अपने कंट्रोल में रखकर जीना चाहते हैं. 

ऑथर के बारे में 
विलियम बी, अर्वाइन जाने-माने ऑथर हैं. वो philosophy के प्रोफेसर हैं और अब तक उनकी कई किताबें छप चुकी हैं जिनमें “द गाईड टू द गुड लाइफ” काफी popular बुक है. साथ ही वो कई जानी-मानी magzine के लिए भी लिखते हैं जैसे हफिंगटन पोस्ट, टाइम और बीबीसी. विलियम स्टोइसिज्म के बारे में ना सिर्फ़ लिखते हैं  बल्कि खुद स्टोइसिज्म को अपनी ज़िंदगी में प्रैक्टिस करते हैं.  
 

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(hindi) TRIBES-We need you to lead us

(hindi) TRIBES-We need you to lead us

“क्या आप फ्यूचर में एक लीडर बनना चाहते है? क्या आप जिंदगी में उंचाईयों को छूना चाहते है? या फिर आप एक शर्मीले टाइप के  इंसान  है जो अपनी बात कहने से डरते है? अगर आपके मन में भी ये सारे सवाल घूम रहे है तो ये किताब पढ़िए जो आपको आज के मॉडर्न  मार्केट  में लीडर बनना सिखाएगी. एक लीडर होने का मतलब सिर्फ पॉवर या पोजीशन हासिल करना  नहीं  है बल्कि एक सच्चा लीडर वो होता है जो  लोगों  को इंस्पायर करता है, जो समाज में एक नया बदलाव लेकर आता है और सोसाईटी को नए आईडिया देता है. आप चाहे अभी जहाँ जिस हाल में हो, पर अगर आप चाहे तो आप भी समाज में एक मूवमेंट ला सकते हो और एक ट्राइब के लीडर बन सकते हो. 

ये समरी किस-किसको पढनी चाहिए? 
•    स्टूडेंट  
•    जो लोग फ्यूचर में लीडर बनना चाहते हैं  
•    शर्मीले (introvert) और extrovert लोगों को  

ऑथर के बारे में 
 सेथ  गोडिन एक बेस्ट सेलर ऑथर, स्पीकर और entrepreneur हैं . वो अब तक 19  किताबें  लिख चुके हैं और उनकी  किताबें  बिजनेस, लीडरशिप और मार्केटिंग पर बेस्ड होती हैं. उनके सेमिनार, ब्लॉग और ईवेंट  लोगों  में बड़े popular हैं. 2018 में  सेथ  को “Marketing Hall of Fame” में शामिल किया गया था. 
 

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(hindi) RICH DAD’S GUIDE TO INVESTING-What the Rich Invest in, That the Poor and the Middle Class Do Not!

(hindi) RICH DAD’S GUIDE TO INVESTING-What the Rich Invest in, That the Poor and the Middle Class Do Not!

” रॉबर्ट  कियोसाकी “रिच डैड” बुक सीरीज के ऑथर है  जिनमें  उन्होंने आम इन्सान को एक रेगुलर इनकम से ऊपर उठकर एक millionaire बनने के तरीके सिखाते है.  रॉबर्ट  कियोसाकी अपनी रिच डैड बुक्स के जरिये रीडर्स को सिखाते है कि किस तरह अपने पैसे इन्वेस्ट किये जाए ताकि आपको उसका मैक्सीमम प्रॉफिट मिल सके और जब आप एक मिलेनियर बन जाते हो तो बारी है एक सोफिस्टीकेटेड इन्वेस्टर बनने की जहाँ से आप अपने एक्सपीरिएंस और पैसे से सोसाईटी का भला कर सकते हो. इस स्टेज पर पहुँचकर आप अपने नॉलेज, एक्सपीरिएंस और विजन के बूते पर अपने लिए एक सुनहरा भविष्य खड़ा कर सकते हो. 

ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए? 
●    एंटप्रेन्योर
●    इन्वेस्टर 
●    एम्प्लोई 

ऑथर के बारे में 
 रॉबर्ट  कियोसाकी एक सक्सेसफुल बिजनेसमेन हैं जिनकी ख़ासियत ये है कि वो  लोगों  को अपनी फाईनेंशियल फ्रीडम अचीव करना सिखाते हैं  और उन्हें अपनी पर्सनेलिटी, स्किल और नॉलेज डेवलप करने में हेल्प करते हैं. रॉबर्ट  कियोसाकी बेस्टसे लिंग बुक्स सीरीज ”रिच डैड” के राईटर हैं, जहाँ वो अपने अमीर बनने की स्टोरी अपने रीडर्स के साथ शेयर करते हैं. अपनी इन्वेस्टमेंट स्किल्स के चलते  रॉबर्ट  कम उम्र में ही रिटायर हो गए थे और यही चीज़ वो अपनी बुक्स और सेमीनार के जरिये अपने स्टूडेंट्स को भी सीखाना चाहते हैं. 
 

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