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Category: GIGL Technical

(hindi) Pachtawa

(hindi) Pachtawa

“पंडित दुर्गानाथ जब  कॉलेज से निकले तो उन्हें पैसे कमाने की चिंता होने लगी। वे दयालु और धार्मिक थे। इच्छा थी कि ऐसा काम करना चाहिए जिससे अपना जीवन भी साधारणतः सुख से बीते और दूसरों के साथ भलाई और अच्छाई का भी मौका मिले। वे सोचने लगे, अगर किसी आफिस में क्लर्क बन जाऊँ तो अपना गुजारा हो सकता है लेकिन आम लोगों से कुछ भी रिश्ता न रहेगा।

वकालत में घुस जाऊँ तो दोनों बातें मुमकिन हैं लेकिन बहुत कोशिश करने पर भी अपने को पवित्र रखना मुश्किल होगा। पुलिस-विभाग में गरीबों की मदद और अच्छाई के लिए बहुत-से मौके मिलते रहते हैं लेकिन एक आजाद और अच्छी सोच वाले इंसान के लिए वहाँ की हवा नुकसानदायक है। शासन-विभाग में नियम और नीतियों की भरमार रहती है।

कितना ही चाहो पर वहाँ कड़ाई और डाँट-डपट से बचे रहना नामुमकिन है। इसी तरह बहुत सोचने के बाद उन्होंने तय किया कि किसी जमींदार के यहाँ मुख्तारआम(कानूनी सलाहकार) बन जाना चाहिए। तनख्वाह तो जरूर कम मिलेगी लेकिन गरीब किसानों से रात-दिन रिश्ता रहेगा उनके साथ अच्छा करने का मौका मिलेगा। साधारण जीवन-गुजारा होगा और सोच मजबूत होगी।

कुँवर विशालसिंह जी एक अमीर जमींदार थे। पं. दुर्गानाथ ने उनके पास जा कर प्रार्थना की कि मुझे भी अपनी सेवा में रख कर एहसान कीजिए। कुँवर साहब ने इन्हें सिर से पैर तक देखा और कहा- “”पंडित जी आपको अपने यहाँ रखने में मुझे बड़ी खुशी होती, लेकिन आपके लायक मेरे यहाँ कोई जगह नहीं देख पड़ती।””

दुर्गानाथ ने कहा- “”मेरे लिए किसी खास जगह की जरूरत नहीं है। मैं हर एक काम कर सकता हूँ। वेतन आप जो कुछ खुशी से देंगे मैं ले लूँगा। मैंने तो यह कसम ली है कि सिवा किसी अमीर के और किसी की नौकरी न करूँगा। कुँवर विशालसिंह ने घमंड से कहा- “”अमीर की नौकरी नौकरी नहीं राज्य है। मैं अपने चपरासियों को दो रुपया माहवार देता हूँ और वे तंजेब के कुर्ते पहन कर निकलते हैं। उनके दरवाजों पर घोड़े बँधे हुए हैं। मेरे कर्मचारी पाँच रुपये से ज्यादा नहीं पाते लेकिन शादी वकीलों के यहाँ करते हैं।

न जाने उनकी कमाई में क्या बरकत होती है। बरसों तनख्वाह का हिसाब नहीं करते। कितने ऐसे हैं जो बिना तनख्वाह के कर्मचारी या चपरासगिरी को तैयार बैठे हैं। लेकिन अपना यह नियम नहीं। समझ लीजिए मुख्तारआम अपने इलाके में एक बड़े जमींदार से ज्यादा रोब रखता है उसका ठाट-बाट और उसकी हुकूमत छोटे-छोटे राजाओं से कम नहीं। जिसे इस नौकरी का चसका लग गया है उसके सामने तहसीलदारी झूठी है।””

पंडित दुर्गानाथ ने कुँवर साहब की बातों का समर्थन किया जैसा कि करना उनके हिसाब से सही था। वे दुनियादारी में अभी कच्चे थे बोले- “”मुझे अब तक किसी अमीर की नौकरी का चसका नहीं लगा है। मैं तो अभी  कॉलेज से निकला आता हूँ। और न मैं इन कारणों से नौकरी करना चाहता हूँ जिनका कि आपने वर्णन किया। लेकिन इतने कम वेतन में मेरा गुजारा न होगा। आपके और नौकर असामियों का गला दबाते होंगे मुझसे मरते समय तक ऐसे काम न होंगे। अगर सच्चे नौकर का सम्मान होना तय है तो मुझे यकीन है कि बहुत जल्द आप मुझसे खुश हो जायँगे।””

Puri Kahaani Sune…

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(hindi) Rich Dad’s Success Stories

(hindi) Rich Dad’s Success Stories

“क्या आपके पैसे बार-बार खत्म हो जाते हैं? क्या आप ये जानना चाहते हैं कि अमीर कैसे बनें? इस बुक में अलग-अलग कहानियां हैं जो ये बताती हैं कि कैसे लोगों ने  financial कामयाबी हासिल की. उन्हें बस रिच डैड की सलाह को मानना था. कई लोग गरीब से अमीर बनगए हैं. आप भी ऐसा कर सकते हैं. ये बुक आपका गाइड करेगी. इस बुक की मदद से ज़्यादा सीखिए और ज़्यादा कमाइए.

इस समरी को किसे पढ़नी चाहिए?

•    कॉलेज के स्टूडेंट्स
•    एम्पलॉईस
•    मजदूरी करने वाले
•    फैमिली के कमाने वाले मेंबर 

ऑथर के बारे में
रॉबर्ट टी. कियोसाकी बेस्टसेलिंग बुक “रिच डैड, पुअर डैड” के ऑथर हैं. रॉबर्ट रिच डैड कंपनी के फाउंडर भी हैं. इस कंपनी का लक्ष्य, बुक और वीडियो की मदद से लोगों को पर्सनल फाइनैंस के बारे में सीखाना हैं. रॉबर्ट, फीनिक्स, एरिजोना में अपनी पत्नी किम कियोसाकी के साथ रहते हैं.
 

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(hindi) Maryada Ki Vedi

(hindi) Maryada Ki Vedi

“यह वह समय था जब चित्तौड़ में मीठा बोलने वाली मीरा प्यार में डूबी आत्माओं कोईश्वर प्रेम के प्याले पिलाती थी। रणछोड़ जी के मंदिर में जब भक्ति में डूब कर, वह अपनी मीठी आवाज में अपने अमृत जैसे गीतों को गाती तो सुनने वाले प्यार में डूब कर पागल हो जाते। रोज यह स्वर्गीय मजा उठाने के लिए सारे चित्तौड़ के लोग ऐसे उत्सुक हो कर दौड़ते जैसे दिन भर की प्यासी गायें दूर से किसी सरोवर को देख कर उसकी ओर दौड़ती हैं। इस प्यार के अमृत से भरे सागर से सिर्फ चित्तौड़वासियों ही की संतुष्टि न होती थी बल्कि पूरे राजपूताना का रेगिस्तान डूब जाता था।

एक बार ऐसा इत्तेफाक हुआ कि झालावाड़ के रावसाहब और मंदार राज्य के कुमार दोनों ही लाव-लश्कर के साथ चित्तौड़ आये। रावसाहब के साथ राजकुमारी प्रभा भी थी जिसके रूप और गुण की दूर-दूर तक बात फैली थी। यहीं रणछोड़ जी के मंदिर में दोनों की आँखें मिलीं। प्यार ने अपना बाण चलाया।

राजकुमार सारे दिन उदास होकर  शहर की गलियों में घूमा करता। राजकुमारी जुदाई से दुखी अपने महल के खिड़कियों से झाँका करती। दोनों परेशान हो कर शाम समय मंदिर में आते और यहाँ चाँद को देख कर कमल खिल जाता।

प्यार को समझने वाली मीरा ने कई बार इन दोनों प्यार करने वालों को प्यासी आँखों से एक दूसरे को देखते हुए पा कर उनके मन के भावों को समझ लिया। एक दिन कीर्तन के बाद जब झालावाड़ के रावसाहब चलने लगे तो उसने मंदार के राजकुमार को बुला कर उनके सामने खड़ा कर दिया और कहा- “”रावसाहब मैं प्रभा के लिए पति लायी हूँ आप इसे स्वीकार कीजिए।””

प्रभा शर्म से गड़-सी गयी। राजकुमार के गुण-शील पर रावसाहब पहले ही से मोहित हो रहे थे, उन्होंने तुरंत उसे छाती से लगा लिया।

उसी मौके पर चित्तौड़ के राणा भोजराज जी मंदिर में आये। उन्होंने प्रभा का सुंदर चेहरा देखा। उनकी छाती पर साँप लोटने लगा।

झालावाड़ में बड़ी धूम थी। राजकुमारी प्रभा की आज शादी होगी। मंदार से बारात आयेगी। मेहमानों की सेवा-सम्मान की तैयारियाँ हो रही थीं।  दुकानें सजी हुई थीं।नौबतखानेहंसी मजाक से गूँजते थे। सड़कों पर सुगंधि छिड़की जाती थी। अट्टालिकाएँ(छज्जा) फूल मालाओं से सजीं थीं। पर जिसके लिए ये सब तैयारियाँ हो रही थीं वह अपनी बगीचे के एक पेड़ के नीचे उदास बैठी हुई रो रही थी।

रनिवास(महल में औरतों के रहने की जगह) मेंदासियाँ खुशी के गीत गा रही थीं। कहीं सुंदरियों के हाव-भाव थे, कहीं गहनों की चमक-दमक, कहीं हंसी मजाक की बहार। नाइन(नाई जाति की औरत) बात-बात पर तेज होती थी। मालिन(मालि का काम करने वाली औरत) गर्व से फूली न समाती थी।

धोबिन(धोबी जाति की औरत) आँखें दिखाती थी। कुम्हारिन(मिट्टी का सामान बनाने वाली जाति की औरत) मटके की तरह फूली हुई थी। मंडप के नीचे पंडित जी बात-बात पर सोने के सिक्कों के लिए ठुनकते थे। रानी सिर के बाल खोले भूखी-प्यासी चारों ओर दौड़ती थी। सबकी बौछारें सहती थी और अपने किस्मत को सराहती थी। दिल खोल कर हीरे-जवाहिर लुटा रही थी। आज प्रभा की शादी है। बड़े किस्मत से ऐसी बातें सुनने में आती हैं। सबके सब अपनी-अपनी धुन में मस्त हैं। किसी को प्रभा की फिक्र नहीं है जो पेड़ के नीचे अकेली बैठी रो रही है।

एक औरत ने आ कर नाइन से कहा- “”बहुत बढ़-बढ़ कर बातें न कर, कुछ राजकुमारी का भी ध्यान है? चल उनके बाल बना”।

नाइन ने दाँतों तले जीभ दबायी। दोनों प्रभा को ढूँढ़ती हुई बाग में पहुँचीं। प्रभा ने उन्हें देखते ही आँसू पोंछ डाले। नाइन मोतियों से माँग भरने लगी और प्रभा सिर नीचा किये आँखों से मोती बरसाने लगी।

औरत ने दुखी हो कर कहा- “”बहन दिल इतना छोटा मत करो। मुँहमाँगी मुराद पा कर इतनी उदास क्यों होती हो?””

प्रभा ने सहेली की ओर देख कर कहा- “”बहन जाने क्यों दिल बैठा जाता है।””

सहेली ने छेड़ कर कहा- “”पति से मिलने की बेचैनी है !””

प्रभा उदासीन भाव से बोली- “”कोई मेरे मन में बैठा कह रहा है कि अब उनसे मुलाकात न होगी।””

सहेली उसके बाल सँवार कर बोली- “”जैसे सुबह से पहले कुछ अँधेरा हो जाता है, उसी तरह मिलने से पहले प्यार करने वालों का मन बेचैन हो जाता है।””

प्रभा बोली- “”नहीं बहन यह बात नहीं। मुझे शकुन अच्छे नहीं दिखायी देते। आज दिन भर मेरी आँख फड़कती रही। रात को मैंने बुरे सपने देखे हैं। मुझे शक होता है कि आज जरूर कोई न कोई मुश्किल पड़नेवाला है। तुम राजा भोजराज को जानती हो न?””

Puri Kahaani Padhe..

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(hindi) “Bhagavad Gita(Chapter 5) “

(hindi) “Bhagavad Gita(Chapter 5) “

“अध्याय 5 – कर्म संन्यास योग
ज्ञानयोग और कर्मयोग की एकता, सांख्य का विवरण और कर्मयोग की वरीयता

श्लोक 1:
अर्जुन बोले, “हे माधव! आप कर्मों का त्याग यानी कर्म संन्यास लेने  के लिए कह रहे हैं और साथ ही निष्काम कर्म योग का गुणगान भी कर रहे हैं. मुझे निश्चित रूप से बताएँ कि दोनों में से कौन सा श्रेष्ठ  है”।
 

अर्थ: अर्जुन का ये सवाल दिखाता है कि वो अब भी दुविधा में थे और फ़ैसला नहीं कर पा रहे थे कि उनके लिए युद्ध करना सही है या युद्धभूमि से पीछे हट जाना. अध्याय IV के कई श्लोकों में भगवान ने कर्मों के प्रति लगाव को छोड़ने और उन्हें भगवान् को समर्पित करने की बात कही है और श्लोक 42 में उन्होंने अर्जुन को कर्म योग में टिककर अपना कर्म करने के लिए कहा है। अब ये दो इतनी अलग-अलग बातें हैं कि कर्मों का त्याग करना और कर्म योग में टिककर कर्म करना, मनुष्य एक ही समय में दोनों कैसे कर सकता है इसलिए अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा कि वो कौन सा  एक रास्ता है जिस पर चलकर उनका कल्याण हो सकता है।

Puri Geeta Sune…

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(hindi) Will It Fly?

(hindi) Will It Fly?

“क्या आप एक  सक्सेसफुल  इंटरप्रेन्योर   बनने का सपना देखते हैं? अगर आपके पास कोई आईडिया है या नहीं, तो भी यह बुक  आपके प्रोडक्ट  के लिए एक मार्केट खोजने में आपकी मदद  करेगी। Pat flynn वेबसाइट और ऑनलाइन बिज़नेस को बनाने के लिए जाने जाते हैं। जिस किसी के पास भी कोई कमाल का आईडिया है तो उसे कैसे successfully execute करना चाहिए, इसके लिए वो पैट को एक गाइड के रूप में देखता है। इस बुक  में, वह आपको अपने ऑनलाइन बिज़नेस को  बनाने के बारे में सभी जरुरी बाते सिखाएंगे।
इस समरी से कौन सीखेगा?

●  इंटरप्रेन्योर  
● मैनेजर्स
● नया बिज़नेस शुरू करने वाले
● कोई भी जिनके पास एक प्रोडक्ट बनाने का आईडिया है 

 ऑथर  के बारे में

Pat Flynn एक अमेरिकन इंटरनेट marketer और बिज़नेस ओनर हैं, जिनका  “स्मार्ट पैसिव इनकम” नाम का एक फेमस ब्लॉग है। Pat अपने ऑनलाइन बिज़नेस में अच्छे पैसे कमाने के लिए पैसिव इनकम स्ट्रीम में अपने अनुभव को सिखाते भी हैं और रिकॉर्ड भी करते हैं । उनका मकसद यह है कि जो कोई भी अपना ख़ुद का बिज़नेस शुरू करने का सपना देख रहा है वो उसे हकीकत में बदलने में उसकी मदद कर सकें।

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(hindi) How I Raised Myself from Failure to Success in Selling

(hindi) How I Raised Myself from Failure to Success in Selling

“क्या आप चाहते हैं कि आपमें ज़्यादा करिश्मा हो? या फिर ज़्यादा कॉन्फिडेंस? क्या आप चाहते हैं कि आपके पास कोई एक्सपर्ट हुनर होता?  बैट्जर  आपके साथ अपने राज़ को बांटेंगे. आप ये जानेंगे कि सेल करने में ज़्यादा कॉन्फिडेंट कैसे बन सकते हैं. सबसे ज़रूरी बात, आपको ऐसे तरीके मिलेंगे जिससे लोग आपको 'ना' नहीं कह सकते.

इस समरी को किसे पढ़नी चाहिए?

•    सेल्स के लोग 
•    insurance एजेंट 
•    रियल एस्टेट एजेंट

ऑथर के बारे में
फ्रैंक बेट्जर एक मेज़र लीग बेसबॉल खिलाड़ी थे. एक घटना के बाद, फ्रैंक ने लाइफ insurance बेचने का फैसला किया. इस फील्ड में उनके सफर ने उन्हें इस बिज़नस से जुड़ी किताबें लिखने के लिए इंस्पायर किया था. फ्रैंक की किताबें बेस्ट सेलिंग हैं जिससे किसी भी सेल्समेन के करियर में हेल्प मिल सकती हैं. उनका नजरिया इस प्रोफेशन के काफी लोगों को इंस्पायर करता हैं.
 

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(hindi) Option B: Facing Adversity, Building Resilience, and Finding Joy

(hindi) Option B: Facing Adversity, Building Resilience, and Finding Joy


हम सब जीवन के किसी न किसी दौर  में  किसी बुरी घटना या हादसे को महसूस करते हैं , जब ऐसा लगता हैं की पूरा यूनिवर्स आपके खिलाफ कोई साज़िश कर रहा है , तो आप में फिर से शुरुआत करने की उम्मीद कैसे आयगी ?

आप्शन B  शेरिल सैंडबर्ग के पर्सनल एक्सपीरियंस और एडम ग्रांट की साइंटिफिक रिसर्च को मिलाकर बनाया गया solution है ! 

आप्शन B  वो मास्टरपीस  हैं जिसका मकसद उन लोगों की मदद करना है जो जीवन में बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और उन्हें अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से उबरने में मदद करना । 

    
ये बुक बताती हैं कि कैसे लोग मुश्किलों को आसान बनाने के लिए कदम उठाते हैं, जो लोग  डटकर लगे रहते हैं और फ्लेक्सिबल  बन जाते हैं और ख़ुशी को फिर से जीते हैं ! 

जीवन के किसी मोड़ पर जब हम उस जगह पहुँच जाते हैं जब हमारे लिए आप्शन A मौजूद नहीं होता तब हमें option b को चुनना चाहिए! 

इस  समरी से कौन  सीखेगा ?

●    वो लोग जिन्होंने कुछ खोया हैं ?
●    वो लोग जिनमें कोई डिसेबिलिटी है  

●    वो लोग जो कुछ सदमो से गुजरे हैं            

ऑथर के बारे में 

एडम ग्रांट एक  psychologist, व्हार्टन के टॉप रेटेड प्रोफेसर और Originals और  Give and Take के बेस्टसेलिंग ऑथर हैं. वह दूसरों को मोटिवेशन  देने और जीवन को ज़्यादा क्रिएटिव जीने की कला में एक्सपर्ट हैं ।
शेरिल सैंडबर्ग एक बिज़नेस लीडर, समाज सेविक हैं जो फेसबुक की COO भी रह चुकी हैं. उन्होंने Lean In नाम की बुक लिखी है जो एक बेस्ट सेलर साबित हुई थी. इसके साथ ही वो LeanIn.Org की फाउंडर भी हैं जो औरतों को आगे बढाने में और उनके गोल्स  को पूरा करने में उनकी मदद करती है! 

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(hindi) BRAND SENSE- Build Powerful Brands Through Touch, Taste, Smell, Sight, And Sound

(hindi) BRAND SENSE- Build Powerful Brands Through Touch, Taste, Smell, Sight, And Sound

“ये किताब बहुत शिक्षाप्रद है. इसमें आईडिया का ऐसा खज़ाना है जो मार्केटर्स के साथ-साथ बिजेनसमैन को भी उतना ही पंसद आएगा और उन्हें अपना बिजनेस ग्रो करने में हेल्प करेगा. हर चैप्टर में एक्शन पॉइंट्स है जिसे आप खुद के  ब्रैंड  पर भी अप्लाई कर सकते हो. इससे थ्योरी को प्रेक्टिस में अप्लाई करना आसान हो जाता है. ये किताब पढके देखिए, ये आपको कुछ हटकर सोचने के लिए इंस्पायर करेगी और साथ ही आपने  ब्रैंड  को नई उंचाईयों पर भी ले जायेगी. 

ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए? 
•    बिजनेस ओनर्स को 
•    मार्केटर्स को 
•    हर वो इंसान जो बिजनेस शुरू करने की सोच रहा हो 
•    एडवरटाईजिंग एजेंट 

ऑथर के बारे में 
मार्टिन  लिंडस्ट्रॉम एक ऑथर हैं जिनकी 7 किताबें न्यू यॉर्क टाइम्स की लिस्ट में बेस्ट सेलिंग रही हैं. साथ ही वो दुनिया के लीडिंग  branding  एक्सपर्ट्स में से एक हैं. बर्गर किंग, पेप्सी, नेस्ले, गूगल के अलावा कई और  brand भी उनके क्लाइंट रह चुके हैं. टाइम मैगजीन ने मार्टिन को “World’s Most Influential People” की लिस्ट में शामिल किया है. मार्टिन ने अपनी पहली एड एजेंसी तब शुरू कर थी जब वो सिर्फ़ बारह साल के थे. 
 

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(hindi) THINK LIKE A MONK -Train Your Mind for Peace and Purpose Every Day

(hindi) THINK LIKE A MONK -Train Your Mind for Peace and Purpose Every Day

“आपको क्या लगता है  इंसान  कब खुश रहता है? ऐसी क्या चीज़ है जो  हमें  सच्ची ख़ुशी देती है? क्या ये हो सकता है कि हम एक मीनिंगफुल लाइफ जी सके? आपकी  ज़िंदगी  का क्या मकसद है? क्या आप जानते है आप क्यों जी रहे है? ज़ाहिर है इस तरह के सवाल हम सबके मन में उठते है पर हैरानी की बात तो ये है कि इन सवालों के जवाब इतने मुश्किल  नहीं  है जितने  हमें  लगते है बल्कि आप कुछ छोटे-छोटे कदम लेकर एक सुकून और सुखभरी  ज़िंदगी  जी सकते है और यही मोंक्स करते है. इसलिए आप भी उनके नक्शे-कदम पर चलकर मोंक्स की तरह एक खुशहाल जीवन जी सकते है. 

ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए? 

    जो लोग  ज़िंदगी  से खुश  नहीं हैं  
    जो लोग बहुत चिंता करते हैं  
    जो लोग अपना better वर्जन बनने की कोशिश कर रहे हैं  

ऑथर के बारे में 
जय शेट्टी एक ऑथर और लाइफ कोच हैं जो पहले मोंक रह चुके हैं. अपनी स्पीच के माध्यम से वो  लोगों  को अपने जीवन का मकसद ढूँढने की प्रेरणा देते हैं और इस विषय पर Alicia Keys और  Khloe Kardashian जैसे जाने-माने सेलेब्रिटी के साथ खुलकर चर्चा करते हैं. शेट्टी “On Purpose” नाम के पॉडकास्ट के होस्ट भी हैं. एक ही साल में उसे 64 मिलियन लोगों ने डाउनलोड किया. उनकी किताब “थिंक लाइक अ मोंक” न्यू यॉर्क टाइम्स की बेस्टसेलर बुक रही है. 
 

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(hindi) MRITYU KE PEECHE

(hindi) MRITYU KE PEECHE

“बाबू ईश्वरचंद्र को अखबारों में लेख लिखने का शौक उन्हीं दिनों पड़ा जब वे पढ़ रहे थे। रोज नये विषयों की चिंता में लगे रहते। अखबारों में अपना नाम देख कर उन्हें उससे कहीं ज्यादा खुशी होती थी जितनी परीक्षाओं में सफल होने या कक्षा में ज्यादा नंबर मिलने से हो सकती थी। वह अपने  कॉलेज के गरम-दल के नेता थे।

अखबारों में परीक्षापत्रों (एग्जाम पेपर) की कठिनाई या शिक्षकों के गलत व्यवहार की शिकायत का भार उन्हीं के सिर था। इससे उन्हें  कॉलेज में representative  का काम मिल गया। विरोध के हर मौके पर उन्हीं के नाम नेता बनने की गोटी पड़ जाती थी। उन्हें यकीन हो गया कि मैं इस छोटी जगह से निकल कर दुनिया की बड़ी जगह में ज्यादा सफल हो सकता हूँ। सार्वजनिक जीवन को वह अपनी किस्मत समझ बैठे थे।

कुछ ऐसा इत्तेफाक हुआ कि अभी एम.ए. परीक्षार्थियों(एग्जामिनी) में उनका नाम निकलने भी न पाया था कि गौरव के सम्पादक महोदय ने सन्यास लेने की ठानी और पत्रिका का भार ईश्वरचंद्र दत्त के सिर पर रखने का तय किया। बाबू जी को यह खबर मिला तो उछल पड़े। वाह रे किस्मत कि मैं इस इज्जतदार पद के लायक समझा गया !

इसमें शक नहीं कि वह इस जिम्मेदारी के महत्व को अच्छी तरह जानते थे लेकिन नाम कमाने के लालच ने उन्हें मुश्किल हालातों का सामना करने पर तैयार कर दिया। वह इस व्यवसाय में आजादी, स्वाभिमान और जिम्मेदारी की मात्रा को बढ़ाना चाहते थे। भारतीय अखबारों को पश्चिम के आदर्श पर चलाने की इच्छा रखते थे। इन इरादों के पूरा करने का अच्छा मौका हाथ आया। वे खुशी से उत्तेजित हो कर नाली में कूद पड़े।

ईश्वरचंद्र की पत्नी एक ऊँचे और अमीर घर की लड़की थी और वह ऐसे घरों की मर्यादा से प्यार और झूठे मान से प्यार को जानती थी। यह खबर पा कर डरी की पति महाशय कहीं इस झंझट में फँस कर कानून से मुँह न मोड़ लें। लेकिन जब बाबू साहब ने भरोसा दिलाया कि यह काम उनके कानून के अभ्यास में रुकावट न होगा तो कुछ न बोली।

लेकिन ईश्वरचंद्र को बहुत जल्द मालूम हो गया कि अखबार सम्पादन एक बहुत ही जलन वाला काम है जो मन की पूरी शांति को चुरा लेता है। उन्होंने इसे मनोरंजन का एक जरिया और नाम कमाने का एक मशीन समझा था। उसके द्वारा जाति की कुछ सेवा करना चाहते थे। उससे पैसे कमाने का सोचा तक न था। लेकिन नाव में बैठ कर उन्हें अनुभव हुआ कि सफर उतनी मजेदार नहीं है जितनी समझा था।

लेखों(आर्टिकल्स) को ठीक करना, सुधारना और बदलना, लेखकों से चिट्ठियों के जरिये बातचीत और ध्यान खींचने वाले विषयों की खोज और साथियों के आगे बढ़ जाने की चिंता, में उन्हें कानून पढ़ने का समय ही न मिलता था। सुबह को किताबें खोल कर बैठते कि 100 पन्ने पूरे किये बिना बिल्कुल न उठूँगा लेकिन जैसे ही डाक का पुलिंदा आ जाता वे बेचैन हो कर उस पर टूट पड़ते किताब खुली की खुली रह जाती थी।

बार-बार संकल्प करते कि अब नियमित रूप से किताब पढ़ा करूँगा और एक तय समय से ज्यादा सम्पादन के काम में न लगाऊँगा। लेकिन मैगज़ीन का बंडल सामने आते ही दिल काबू के बाहर हो जाता। अखबारों के नोक-झोंक, पत्रिकाओं के डिबेट, आलोचना-प्रत्यालोचना(क्रिटिसिज्म और काउंटरब्लास्ट) कवियों के कविताओं का चमत्कार, लेखकों का लिखने का हुनर, और भी सभी बातें उन पर जादू का काम करतीं। इस पर छपाई की मुश्किलें, ग्राहक-संख्या बढ़ाने की चिंता और पत्रिका को हर तरह से सुंदर बनाने की इच्छा और भी जानों को मुश्किल में डाले रहती थी।

कभी-कभी उन्हें दुख होता कि बेकार ही इस झमेले में पड़ा, यहाँ तक कि परीक्षा के दिन सिर पर आ गये और वे इसके लिए बिलकुल तैयार न थे। वे उसमें शामिल न हुए। मन को समझाया कि अभी इस काम की शुरुआत है इसी कारण यह सब मुश्किलें आ रही हैं। अगले साल यह काम एक व्यवस्थित (आर्गनाइज्ड) रूप में आ जायगा और तब मैं बेफिक्र हो कर परीक्षा में बैठूँगा ! पास कर लेना क्या मुश्किल है। ऐसे बुद्धू पास हो जाते हैं जो एक सीधा-सा लेख भी नहीं लिख सकते तो क्या मैं ही रह जाऊँगा?

Puri Kahaani SUne

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(Hindi) The E Myth

(Hindi) The E Myth

“अगर आप अपने बिज़नेस को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको एक टेक्नीशियन , एक बिजनेसमैन  और एक मैनेजर के बीच का अंतर पता होना चाहिए. और उसके  लिए इस बुक को पढ़ना ज़रूरी है. इस बुक में आप सीखेंगे कि आपको बिज़नेस में काम करने की बजाय बिज़नेस पर काम करना चाहिए. आप ये भी सीखेंगे कि  कैसे एक छोटे बिज़नेस को नए सिरे से शुरू करना है और कैसे फ्रैंचाइज़ी मॉडल का उपयोग करके उसे  और बढ़ाना है.

यह बुक किसे पढनी चाहिए

बिज़नेस ओनर्स, जो बिज़नेसमैन बनना चाहते हैं, जो बिजनेसमैन अपना बिज़नेस और बढ़ाना चाहते हैं, कोई भी जिसे लगता है कि  बिज़नेस मैनेज करना इजी है 

ऑथर के बारे में 

माइकल ई गर्बर  एक दिग्गज बिजनेसमैन हैं. वो  माइकल ई गर्बर कंपनी के को -फाउंडर और चेयरमैन हैं, जो बिज़नेस  और बिजनेसमैन को इंडस्ट्री  की परवाह किए बिना सफल होने में मदद करता है. उन्होंने बिज़नेस स्किल्स पर एक दर्जन से ज़्यादा  बुक्स  लिखी हैं.

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(Hindi) How to win friends and influence people

(Hindi) How to win friends and influence people

“अगर आप बेहतर काम और पर्सनल रिलेशनशिप्स चाहते हैं, अगर  आप लोगों को असरदार तरीके से मैनेज करना चाहते हैं, अगर आप चाहते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा  लोग आपको पसंद करें, तो आपको इस बुक को पढ़ना चाहिए. डेल कार्नेगी का ये 
क्लासिक उन लेसंस से भरा हुआ है जिन्हें आप अपने जीवन में अप्लाई  कर सकते हैं. कई लिस्ट हैं जिनका उपयोग आप एक मैनेजर के रूप में, एक लीडर के रूप में, एक  फ्रेंड के रूप में और लाइफ पार्टनर के रूप में कर सकते हैं.

यह बुक किसे पढनी चाहिए

शादी शुदा कपल , मैनेजर्स, जो लीडर बनना चाहते हैं, रेगुलर एम्प्लॉईज़. 

ऑथर के बारे में 

डेल कार्नेगी एक ऑथर  और लेक्चरर  हैं. उन्होंने सेल्समैनशिप, पब्लिक स्पीकिंग, इंटरपर्सनल स्किल्स और सेल्फ-इंप्रूवमेंट पर कई कोर्स बनाये हैं .डेल कार्नेगी ट्रेनिंग इंस्टीटुए  दुनिया भर में लीडरशिप  और पर्सनल ग्रोथ के लिए  लोगों की मदद करते हैं. 

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(hindi) The life-changing magic of tidying up the japanese art of decluttering and organizing

(hindi) The life-changing magic of tidying up the japanese art of decluttering and organizing

क्या आप अपने घर में फ़ैले हुए सामान से परेशान हो गए हैं? क्या आप हर दिन सफ़ाई करते हैं और अगले दिन फ़िर अपने घर को गंदा पाते हैं? क्या आप सालों से कोई क्लीनिंग सिस्टम फॉलो कर रहे हैं लेकिन आपको उसका रिजल्ट नहीं मिल रहा? इंट्रोडक्शन अगर आपका जवाब हाँ है तो आप एक बिलकुल नार्मल इंसान हैं. आपको लगता होगा कि सफ़ाई का आर्ट सीखने के लिए आपको किसी बुक या कोर्स की ज़रुरत नहीं है….

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(Hindi) Digital Minimalism: Choosing a Focused Life in a Noisy World

(Hindi) Digital Minimalism: Choosing a Focused Life in a Noisy World

इंट्रोडक्शन  तो यहाँ आपको सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि Facebook, Google और दूसरी टेक कंपनियां चाहती हैं कि आप अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय स्मार्टफ़ोन इस्तेमाल करने में  बिताएं. सोशल मीडिया प्लेटफार्म, तरह-तरह के app और मोबाइल गेम्स को बनाया ही इस तरह जाता है कि वो आपका ध्यान अपनी ओर खींच सके और उन्हें यूज़ करने के लिए आपको मजबूर कर दे.  देखा जाए तो असल में इसमें आपकी गलती नहीं है कि स्मार्टफ़ोन के इस एडिक्शन…

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(hindi) SUKHDEV

(hindi) SUKHDEV

“यह किताब भारत के कई अनगिनत रत्नों में से एक सुखदेव थापर के जीवन और यात्रा के बारे में जानकारी देती है, जिन्होंने देश को ब्रिटिश शासन के चंगुल से आजाद कराया और एक आजाद और मजबूत भारत की नींव रखी।

इस किताब को कौन पढ़ सकता है:
हर वह आदमी जो आजादी दिलाने वाले देशभक्तों के बारे में जानना चाहता है। वो लोग  जो उन लोगों की यादों को सम्मानित करना चाहता है जिन्होंने हमें वो आज़ाद देश दिया जिसमें  हम आज सुकून से जी रहे हैं।

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