(Hindi) The Five Dysfunctions of a Team
The Five Dysfunctions of a Team
पेट्रिक लेंसीओनी कोई रेंडम बन्दा नहीं है कि अचानक से एक दिन ओर्गेनाइजेश्नल डिसफंक्शन पर किताब लिखने की सोचे. जी हाँ, वो ओर्गेनाइजेशनल हेल्थ एंड मैनेजमेंट की एक कंसल्टिंग फर्म के सीईओ है. मतलब कि उन्हें अपने वर्क फील्ड में बहुत ज्यादा एक्स्पिरियेंश है. और मोस्ट इम्पोर्टेंट बात कि उन्हें पता है कि वे किस बारे में बात कर रहे है. “फाइव डिसफंक्शन्स ऑफ़ अ टीम” (“Five Dysfunctions of a Team”) एक बड़ी इंट्रेस्टिंग बुक तो है कि साथ ही काफी यूज़फुल भी है – पेट्रिक अपनी अमेजिंग स्टोरीटेलिंग स्किल्स से आपको एक अनोखी जर्नी पर लेके जाते है. उनकी ये बुक बाकी दूसरी सेल्फ हेल्प और पर्सनल डेवलपमेंट बुक्स से एकदम डिफरेंट है ।
इसमें वो आपको लीडरशिप स्टोरी सुनाकर टीम मैनेजमेंट के बेसिक्स समझाते है. इस बुक की हिरोइन” कैथरीन पीटरसन कंपनी की सीईओ है, उसे कम्पनी को चलाने के लिए काफी स्ट्रगल और हार्ड वर्क करना पड़ता है. उसे रियेलाइज होता है कि उसकी कंपनी में ग्रेट, एक्स्पिरियेंश्ड (experienced,) और इंटेलीजेंट लोग है फिर भी सब मिलकर टीम की तरह काम नही करते है. तो इस स्ट्रगलिंग कंपनी के थ्रू पेट्रिक लेंसीओनी रीडर्स को समझाने की कोशिश करते है कि टीम वर्क कितना इम्पोर्टेंट है. इसके अलावा वो आपको टीम के मेन फाइव डिसफंक्शन रिमूव करने में भी हेल्प करेंगे:
1. एब्सेंट ऑफ़ ट्रस्ट Absence of trust
2. फियर ऑफ़ कोंफ्लिक्ट Fear of conflict
3.लैक ऑफ़ कमिटमेंट Lack of commitment
4. अवॉयडेंस ऑफ़ अकाउंटेबिलिटी Avoidance of accountability
5. इंटेंशन टू रिजल्ट्स Inattention to results
इन फाइव प्रोब्लम्स को एक पिरामिड की तरह इमेजिन करो जिसके बोटम में ट्रस्ट है, क्योंकि बाकी सारी चीज़े ट्रस्ट पर डिपेंड करती है. जैसे –जैसे हम इस पिरामिड के ऊपर चढ़ते जायेंगे हमारी प्रोब्लम्स और स्पेशिफिक होती जाएँगी.
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ट्रस्ट (Trust)
किसी भी हेल्दी टीम फंक्शनिंग के लिए ट्रस्ट ही फर्स्ट स्टेप होता है. अगर आपस में म्यूचअल ट्रस्ट और एक्सेप्टेन्स (acceptance) नहीं है तो टीम बिखर जाती है. .
सिंपल वर्ड्स में बोले तो ट्रस्ट का मतलब है कि अपने साथ उठने बैठने वालो के साथ हम फ्रैंक और अच्छे ढंग से पेश आते है. आपके वर्कप्लेस में ट्रस्ट कुछ ऐसे काम करता है –मान लो आपको एक प्रोजेक्ट में कुछ हेल्प चाहिए. वैसे तो ये प्रोजेक्ट आपको अकेले करना था लेकिन अब आपको लगता है कि आप अकेले इसे फिनिश नहीं कर पाओगे. तो अब, अगर आपके वर्कप्लेस में ट्रस्टिंग और ओनेस्ट एनवायरमेंट (honest environment) है तो आप अपने किसी भी कलीग को हेल्प के लिए बोल सकते है और वो आपकी हेल्प कर भी देगा. लेकिन इसके उलटे अगर आपके वर्कप्लेस का एनवायरमेंट एकदम हार्श और कम्पटीटिव है और कोई भी किसी पर ट्रस्ट नहीं करता तो ऐसे में ना तो आप किसी से हेल्प मांगेंगे और ना ही कोई खुद आपकी हेल्प के लिए आएगा. होगा ये कि शायद लास्ट में आपका प्रोजेक्ट जैसे का तैसा पड़ा रहे।
इसी तरह आप शायद इतने टेंशन में आ जाए कि सारा टाइम अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने में ही लगा दे. लैक ऑफ़ ट्रस्ट के ये कुछ बेहद बुरे कोनसिक्वेंसेस (consequences ) होते है –अनहेल्दी कोम्प्टीटिवनेस और बर्न आउट सिंड्रोम (burn-out syndrome.) बर्न आउट सिंड्रोम के बारे में हम सब जानते है. लेकिन ये बात सब नही जानते कि बर्न आउट सिंड्रोम उन एम्प्लोयीज़ में ज्यादा होता है जो अपना वर्क रिलेटेड स्ट्रेस अपने कलीग्स या बोस के साथ शेयर नहीं कर पाते. इस बुक के ऑथर एक्सप्लेन करते है कि पर्सनल एक्सपिरियेंश शेयर करने से ट्रस्ट इम्प्रूव किया जा सकता है. टीम बिल्डिंग्स इसके लिए एक ज़रूरी शर्त है –ताकि को-वर्कर्स मिले और आपस में स्टोरीज शेयर करे.जैसे कि आप सारा काम खुद अकेले करने के बजाये कलीग्स की हेल्प ले सकते हो. इसमें शर्माना नहीं चाहिए क्योंकि आप भी उनके काम आ सकते हो. किसी की हेल्प के लिए कुछ ऐसे बोल सकते हो: “हे, जब मैंने ये प्रोजेक्ट लिया था तो बड़ा ईजी लग रहा था लेकिन अब लगता है कि मुझे हेल्प की ज़रूरत पड़ेगी. क्या तुम कुछ हेल्प करोगे,?”
हेल्प मांगने के और भी तरीके है –हेल्प ऑफर करो. दूसरो की हेल्प करने में पीछे मत हटो –लेकिन हमे गलत ना समझो क्योंकि कई बारे ऐसा भी होता है कि आप हेल्प करने की पोजीशन में नहीं होते है. तो क्या हुआ ? आप अपना पॉइंट रख सकते है कि आप क्यों हेल्प नहीं कर सकते. क्या आपने सोचा है कि एब्सेंस ऑफ़ ट्रस्ट का होना कैसा लगता है ? इमेजिन करो कि लोगो की एक टीम जहाँ लोग अपनी वीकनेस एक दुसरे को शो नहीं कराना चाहते. अब इस टीम में प्रोग्रामर्स है जो एक एप्लीकेशन बनाने की कोशिश में लगे है लेकिन बना नहीं पा रहे. क्योंकि उनमे से कई लोग ये बात एक्सेप्ट करने को तैयार ही नहीं है कि उन्हें प्रोग्रामिंग के बारे में सारी नोलेज नहीं है. अब क्योंकि ये प्रोग्रामर्स अपनी मिस्टेक्स और वीकनेसेस छुपा रहे है इसलिए इनके पास इतना टाइम और एनेर्जी नहीं है कि ये एक दुसरे की हेल्प कर सके. और आपस में उनकी फाईट भी होती रहती है –हमे गलत नहीं बोल रहे, कोनफ्लिक्ट्स (conflicts)होना नार्मल चीज़ है लेकिन प्रॉब्लम तब आती है जब लोग एक दुसरे पर पर्सनल अटैक करने लगते है तब बात वही की वही रह जाती है.
इसीलिए जो लोग ऐसे अनट्रस्टिंग वर्क एनवायरमेंट में काम करते है वो अक्सर काफी रिवेंजफुल भी होते है –ये लोग अपनी इंसल्ट कभी नहीं भूलते और जैसे ही चांस मिलता है अपनी भड़ास निकाल देते है. और जब इस तरह की कोई डिसफंक्शनल टीम होती है तो उस टीम के मेम्बर आपस में बात नहीं करते ख़ासकर हेल्प मांगने के बारे में सोच भी नहीं सकते. फिर ऐसे माहौल में कंस्ट्रक्टिव क्रीटीज्म का तो सवाल ही नहीं उठता और ये चीज़ किसी भी बिजनेस के लिए एक खतरे की घंटी है. तो एक ट्रस्टिंग टीम कैसी होती है? चलो एक बार फिर प्रोग्रामर्स के एक्जाम्पल से समझते है. सबसे पहले तो ऐसी टीम के लोग अपनी शोर्टकमिंग्स, मिस्टेक्स और लैक ऑफ़ स्किल्स को लेकर फ्रेंक होते है यानी अपनी कमियां छुपाते नहीं है. जब एक बैक एंड डिज़ाइनर कोई प्रॉब्लम फेस कर रहा होता है तो वो अपने बॉस के पास जाने से डरेगा नहीं. और सबसे इम्पोर्टेंट बात कि उसका बॉस ये नहीं बोलेगा : “व्हट ? मै तुम्हे प्रोब्लम सोल्व करने के लिए सेलेरी देता हूँ” अगर तुमसे नहीं होता तो कोई और कर लेगा!”. इसके एकदम उलटे, ट्रस्टिंग टीम का बॉस पहले तो उस प्रोग्रामर की अप्रोच की रिस्पेक्ट करेगा कि वो हेल्प के लिए आया. और फिर अपने एम्प्लोयी की हेल्प करने की पूरी कोशिश भी करेगा.
एक ट्रस्टिंग टीम के मेम्बर एक दुसरे की मिस्टेक एक्सेप्ट करने को रेडी रहते है और कोई रिवेंज वाली फीलिंग नहीं रखते. लेंसीओनी आर्ग्यू करते है कि एक ट्रस्टिंग एनवायरमेंट डेवलप करने के लिए अपने को-वर्कर्स की हिस्टरी जानना सबसे बैटर रास्ता है. क्योंकि इसके पीछे एक गुड रीजन ये है कि जब आप लोगो को अच्छे से समझते हो तो आप फंडामेंटल एट्रीब्यूशन एरर (Fundamental Attribution Error) करने से बचते है. हम आपको इस साईंकोलोजिकल फेनोमेंनॉन के बारे में बाद में बताएँगे. फंडामेंटल एट्रीब्यूशन एरर (Fundamental Attribution Error) तब होता है जब आप किसी के बिहेवियर पर बगैर सोचे समझे रिएक्ट करते है.
मान लो जैसे कि आप किसी बड़ी कंपनी में कई सारे एम्प्लोयीज़ के साथ काम करते है लेकिन आप सबको जानते नहीं है. आप अपनी टेबल पर बैठकर काम कर रहे है कि तभी आपका कलीग गुस्से में आपके पास आकर कुछ कम्प्लेंट करने लगता है जिसके लिए वो आपको ब्लेम कर रहा है. अब अगर आप फंडामेंटल एट्रीब्यूशन एरर कर रहे है तो आपको लगेगा कि आपका कलीग एक नर्वस और फ्रस्ट्रेटेड बंदा है और ऐसे इंसान के साथ काम करना इम्पोसिबल है. दुसरे वर्ड्स में बोले तो आपको यही लगेगा कि उसकी कुछ पर्सनल प्रॉब्लम है इसीलिए वो इस तरह बिहेव कर रहा है. लेकिन सोचो ज़रा, अगर आपने उसकी पर्सनल हिस्ट्री पता की होती तो आप समझ सकते कि उसके इस गुस्से के पीछे एक वजह है. उसका अभी-अभी डिवोर्स हुआ है और वो काफी बुरे टाइम से गुज़र रहा है क्योंकि उसे अपने बच्चो की कस्टडी चाहिए. ये सब जानने के बाद आपका व्यू पॉइंट एकदम बदल जाएगा और आप उसके साथ सॉफ्ट वे में बात करोगे.