(Hindi) High Performance Habits: How Extraordinary People Become That Way

(Hindi) High Performance Habits: How Extraordinary People Become That Way

परिचय

क्या आपको जानना है कि हाई लेवल मैनेजर्स और सीईओ अपनी हाई परफोर्मेंस कैसे मेंटेन रखते है? अचीवेर्स और हाई परफ़ॉर्मर्स में डिफ़रेंस है. अचीवर्स सक्सेस पाने के लिए काफी हार्ड वर्क करते है. उन्हें बहुत से चेलेंज एक्सेप्ट करने पड़ते है और वो करते रहते है. लेकिन एक पॉइंट ऐसा भी आता है जब अचीवर्स मोमेंटम खो देते है. उनका करियर एक जगह पे आकर रुक जाता है, उनका सारा एन्थूयाज्म ओवर होने लगता है. प्रॉब्लम की बात तो ये है कि वो सक्सेस तो अचीव कर लेते है लेकिन उसे सस्टेन नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास ऐसे कोई प्रिंसिपल नहीं है जो उन्हें हायर गोल्स के लिए गाइड कर सके. मगर हाई परफ़ॉर्मर्स ये सब हैंडल कर लेते है और वो सब कुछ कर सकते है जो अचीवर्स करते है बल्कि उनसे कहीं ज्यादा कर सकते है.

यही नहीं हाई परफ़ॉर्मर्स अपनी एक्सीलेंट परफोर्मेंस मेंटेन रखते है और वो भी अपनी हैपीनेस और वेल बीइंग से कम्प्रोमाइज़ किये बगैर. तो आप को भी अगर हाई परफ़ॉर्मर बनना है तो क्या करेगे? कैसे आप लॉन्ग टर्म सक्सेस के डिमांड्स और पर्क्स हैंडल करेंगे? जी हां, इसका सीक्रेट है हाई परफोर्मेंस हैबिट्स लर्न करना. ब्रेडनन ब्र्चार्ड कई सालो से हाई परफ़ॉर्मर् की कोचिंग करते आ रहे है. उन्होंने उन्हें क्लोजली स्टडी किया है, इस फील्ड में उन्होंने इंटेंसिव रिसर्च और कई सारे इंटरव्यूज़ भी लिए है. ब्रेंडनन ने देखा कि हाई परफॉर्मर्स को डिफाइन करने वाली सिक्स मेन हैबिट्स होती है और यही चीज़ वो इस बुक के थ्रू अपने रीडर्स के साथ शेयर करना चाहते है. आप भी इन हाई परफोर्मेंस हैबिट्स को लर्न करेंगे और उन्हें अचीव करने के लिए बेस्ट प्रैक्टिस करेगे चाहे आप किसी भी बैकग्राउंड से हो. इस मोमेंट में आप पूरे हकदार है एक्स्ट्राओर्डीनेरी बनने के.

हैबिट 1
सीक क्लेरियिटी

क्लेरियिटी का मीनिंग है कि आपको पता होना चाहिए कि आप कौन है और आपके गोल्स क्या है. आपको ये क्वेश्चन बड़े बेसिक से लगेंगे लेकिन ये आपकी लाइफ में एक ग्रेट इम्पेक्ट डालते है. अपने बारे में क्लियर होने का मतलब है कि आप अपनी स्ट्रेंग्थ आर वीकनेसेस से वाकिफ है. और जब आप अपने बारे में क्लियर होते है तो आपको अच्छे से मालूम होते है कि क्या आपके लिए वैल्यूएबल है. खुद को अच्छे से जानना सेल्फ एस्टीम को बढाता है. एक हाई परफ़ॉर्मर बनने की जर्नी में आपको सेल्फ अवेयरनेस से स्टार्ट करना पड़ेगा. अपनी आइडेंटीटी, अपने वैल्यूज, अपने गुड ट्रेटर्स और बेड ट्रेटर्स सब में क्लियरिटी रखे क्योंकि ये लाइफ में पोजिटिव आउटलुक की कीज़ है.

अब नेक्स्ट चीज़ जो आपको करनी है वो ये कि अपने गोल्स पहचाने. आपके माइंड में ये क्लियर होने चाहिए. सबसे इम्पोर्टेन्ट बात कि आपके गोल्स चैलेंजिंग होने चाहिए. क्योंकि चैलेंजिंग गोल्स आपके काम में और ज्यादा एनर्जी, एन्जॉयमेंट और सेटिसफिकेशन लायेंगे. ऐसा आपके साथ कितनी बार हुआ कि जब आपको काम में फ्रस्ट्रेशन हुई हो और आप ने खुद को डिस्क्नेटेड फील किया हो ? या अपने खुद को रिमाइंड कराया हो कि मै कौन हूँ और मेरे गोल्स क्या है? आप इस बारे में जो कर सकते है वो है” एन्विजन द फ्यूचर फोर ”

फ्यूचर फोर क्या है?

आपके फ्यूचर सेल्फ, सोशल इंटरेकशन, सर्विस और स्किल्स के लिए ये आपके विजंस है. तो पहले आपके फ्यूचर सेल्फ की बात करते है. एक फेमस सेयिंग है” नो दाईसेल्फ” इससे भी बढ़कर हाई परफ़ॉर्मर्स खुद को इमेजिन कर सकते है. अगर कोई आपसे पूछे कि “आप खुद को आज से 10 साल बाद कहाँ देखना पसंद करेंगे?” इस सवाल का कोई इमिडियेट आंसर है क्या आपके पास? लेकिन हाई परफोर्मर्स इस सवाल का ईजिली और कांफिडेंटली जवाब दे सकते है क्योंकि उन्हें क्लियरली  पता होता है कि वे क्या बनना चाहते है. अपने फ्यूचर सेल्फ के लिए उनके पास एक वेल थोट आईडिया होता है और वो इसके लिए काम भी कर रहे होते है. नेस्ट चीज़ फ्यूचर फोर में सोशल इंटरेक्शन है.

हाई पर्फोरमर्स में हाई सोशल इंटेलिजेंस और सिचुएशनल अवेयरनेस होती है. जिसका मतलब है कि जब वो दुसरे से इंटेरेक्ट करते टाइम उनमे एक क्लेरिटी होती है. उन्हें अपनी पोजिशन के बारे में क्लीयरली पता होता है और ये भी कि सामने वाले से कैसे डील करना है. ज़रा अपने लास्ट फोन कॉल याद करो, क्या आपको लगता है कि आपने राईट टोन में सामने वाले से बात की थी ? अब याद करो किसी के साथ अपना लास्ट कंफ्लिक्ट, क्या आपने तब अपने वैल्यूज़ के बारे में सोचा था ? कनवेर्सशन के दौरान क्या आपने एफर्ट किया कि आप एक बैटर लिस्नर बने ? हाई परफोरमर्स जो कुछ भी करते है उसमे एक क्लियर इंटेंशन रहता है.

वे पोजिटिव इमोशंस देना चाहते है और दुसरो के लिए हमेशा गुड एक्जाम्पल बनना चाहते है. किसी भी कम्यूनिकेशन से पहले वो श्योर कर लेते है कि वे दूसरो के साथ किस टोन में बात करेंगे. और वे ये भी जानने की कोशिश करते है कि दूसरो की हेल्प कैसे की जाए. नेक्स्ट लाइन्स फ्यूचर स्किल्स के बारे में है. हाई परफोरमर्स का विजन क्लियर होता है कि कौन सी स्किल उन्हें डेवलप करनी है. ये लोग अपनी होबीज़ को सीरियसली लेते है. जब वे कोई स्किल लर्न करने की सोचते है तो खुद को उसमे ट्रेंड करके उस स्किल के मास्टर बन जाते है. हाई परफोर्मर्स” स्केटरशॉट लर्नर्स” नहीं होते. वो ऐसा कभी नहीं करते कि एक स्किल लर्न करने निकले और उसे छोड़ कर दूसरी के पीछे भागे.

वे जो भी सीखते है उसमे एक्सीलेंस हासिल करते है. हाई परफॉर्ममर्स जो भी स्किल लर्न करना चाहते है उसके लिए वेल प्लान कर लेते है. वो एवरेज लेर्नर कभी नहीं बनेगेक्योंकि उन्हें स्पेशिलिस्ट जो बनना है. जैसे कि अगर किसी हाई परफॉरमर्सको म्यूजिक में इंटरेस्ट है तो वो हर कोई इंस्ट्रूमेंट ट्राई करने के बजाये किसी सिंगल पर फोकस करेगा. इसके लिए वो किसी एक्सपर्ट टीचर के पास जाकर हार्ड प्रैक्टिस करेंगे.

फ्यूचर फोर में लास्ट है सर्विस. कभी कभी जब आप वर्क प्लेस में अनमोटीवेटेड और अनइंस्पायर्ड फील करते है तो उसकी वजह है आपमें सेंस ऑफ़ सर्विस की कमी. अपने डेली टास्क में आप कभी इतने बीजी हो जाते है कि ये भी याद नहीं रहता कि आप क्या कर रहे है और किसलिए कर रहे है. जैसे कि मान लो आप एक मैनेजर हो और कस्टमर्स से बहुत दूर आप काम करते हो. तो आप जिन लोगो को सर्व कर रहे है उनसे कभी कभार जाकर मिलना चाहिए. आप उनकी बात सुने और ये जानने की कोशिश करे कि आप उन्हें कैसे बैटर सर्विस दे सकते है. हाई पर्फोरमर्स दूसरो के लिए और फ्यूचर के लिए कंसर्न रहते है. और यही रीजन है कि वे प्रेजेंट में लगातार अपना बेस्ट देते रहते है.

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हैबिट 2
जेनेरेट एनर्जी

हाई परफॉरमर्स के लिए एनर्जी सिर्फ फिजिकल लेवल तक लिमिट नहीं होती है. वे एक्टिव बॉडी मेंटेन करते है लेकिन उन्हें पोजिटिव इमोशंस और मेंटल आल्टरनेस की इम्पोर्टेंस पता होती है. हाई परफोरमर्स एक होलिस्टिक वे में एनर्जी जेनेरेट करते है. वे फिजिकली, मेंटलीऔर इमोशनली फिट रहना चाहते है ताकि बहुत सी रिस्पोंसेबिलिटीज़ उठा सके. जब आपकी एनर्जी लो होती है तो ये आपके पूरे लाइफस्टाइल को अफेक्ट करती है, आप डाउन फील करते है, चैलेंजेस का मुकाबला नहीं कर पाते. आपको लगता है जैसे लाइफ बस कट रही है. अगर आपकी एनेर्जी लो है तो लोग आपको ट्रस्ट नहीं करेंगे, आपको उनका सपोर्ट नहीं मिलेगा और कोई आपसे ना तो कुछ खरीदेगा ना ही आपको फोलो करेगा.

ब्रेंडनन बुर्चार्ड ने अपनी रीसर्च में पाया कि सीनियर एक्जीक्यूटिव्स और सीईओ हमेशा हाई एनर्जी से भरे है. किसी भी कम्पनी में इन लोगो की एनेर्जी लेवल सबसे हाई रहता है इतना कि उन्हें किसी प्रो एथलीट से कम्पेयर किया जा सकता है. हाई एनेर्जी इंसान को और भी हेप्पीनेस और स्कसेस से भर देती है जैसे कि सीईऔ और क्वार्टरबैक्स. आप भी अपनी लाइफ में ये अचीव कर सकते है. किसी पॉवर प्लांट को इमेजिन करो जो एनेर्जी ट्रांसफॉर्म करता है. आपको भी पॉवर प्लांट के जैसा होना चाहिए, आप भी और ज्यादा एनेर्जी जेनेरेट कर सकते है. अपनी लाइफ में जॉय, एक्साईटमेंट, मोटिवेशन और लव के लिए किसी और का वेट मत करो, ये सारे पोजिटिव इमोशंश आपसे ही स्टार्ट होते है. ये पोसिबल है कि जब आप चाहे तब हाई एनेर्जी जेनेरेट कर सकते है.

और ये करने के लिए आप दिए स्टेप्स फोलो कर सकते है. फर्स्ट वाल है” रिलीज़ टेंशन, सेट इंटेंशन”. ब्रेंडनन बुर्चार्ड ने बहुत से हाई परफॉरमर्स को कोच किया है. उन्होंने उनके साथ क्लोजली काम किया है. उन्होंने ओब्ज़ेर्व किया कि सीईओ और बाकि के हाई परफोरमर्स की लो एनेर्जी की वजह पूअर ट्रांजिशन है. ट्रांजिशन क्या है? ये तब होता है जब आप एक टास्क से दुसरे में चेंज करते है. जिस टाइम आप बेड से नीचे उतरते हो वो ट्रांजिशन है क्योंकि आप स्लीप मोड से वर्क मोड में शिफ्ट होते है. आप बाथ लेते है, तैयार होते है. शायद आपको अपने बच्चो को भी स्कूल के लिए रेडी करना पड़ता हो. फिर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट लेकर ऑफिस पहुँचते है. ये सारे काम भी ट्रांजिशन है. अपनी डेस्क में काम करते करते आप मीटिंग अटेंड करने चले जाते है. ये एक और ट्रांजिशन है.

जब आप घर लौटकर अपनी फेमिली के साथ टाइम स्पेंड करते है तो एक एम्प्लोयी के रोल से डैड या मोम के रोल में शिफ्ट हो जाते है. उन सारे ट्रांजिशन के बारे में सोचो जो आप दिन भर में करते हो. अब इमेजिन करो कि किसी मीटिंग में आपकी अपने बॉस या कलीग से कोंफ्लिक्ट हो गया. जिसके बाद आपको अपनी डेस्क पे आके और ज्यादा पेपर वर्क करना होता है. अपने नेक्स्ट टास्क में शायद आप अपनी नेगेटिव एनर्जी पास करे और अगर आपने ब्रेक नहीं लिया तो आप वर्स्ट फील करेगे. इस चक्कर में आप अपना प्रेजेंस ऑफ़ माइंड खो बैठेंगे फिर जब आप घर लौटेंगे तो इतने थके होंगे कि उनके साथ टाइम स्पेंड करने का मन ही नहीं करेगा. इसलिए ये सब आपके साथ ना हो इसके लिए आपको अपनी टेंशन रिलीज़ करनी पड़ेगी.

अपने नेक्स्ट टास्क में मूव करने से पहले थोडा रेस्ट करे. आप अपनी आँखे क्लोज करके रिलेक्स होने की कोशिश कर सकते है. डीप ब्रीथ ले. एक बार ये टेंशन रिलीज़ हो जाए तो आप इंटेंशन सेट कर सकते है. उन टास्क के बारे में सोचो जो आपको आगे करने है. क्या है जो आपको अचीव करना है? आप इसे कैसे पोजिटीवीटी के साथ कर सकते है? एनेर्जी जेनेरेट करने के लिए नेक्स्ट स्टेप है” ब्रिंग द जॉय”. पोजिटिव इमोशन जैसे जॉय आपकी लाइफ में काफी कुछ चेंज कर सकता है. रीसर्च से पता चला है कि जॉय हाई परफॉरमेसं का इंडीकेटर है. जो लोग पोजिटिव इमोशन मेंटेन रखते है, हेल्दिय्रर होते है. उनके रिलेशनशिप भी बैटर होते है और उनकी इनकम भी. जो लोग अपनी परफोरमेंस में जॉय लेकर आते है, ज्यादा बैटर परफोर्म करते है.

ऐसे लोग ज्यादा कम्पनसेट होने के साथ साथ दूसरो की हेल्प भी करते है. न्यूरोसाइन्टिस्ट ने पता लगाया है कि जॉय और बाकी पोजिटिव इमोशंश बहुत तेज़ी से नए सेल्स डेवलप करती है. दूसरी तरफ नेगेटिव इमोशंस हमारे सेल्स को डिस्ट्रॉय करने लगती है. ऐसा नहीं है कि हाई परफोर्मर्स नेगेटिव इमोशंस नहीं फील करते. वो भी सेड फील करते है, उन्हें भी थकान होती है. लेकिन डिफ़रेंस ये है कि वे बाकियों से जल्दी बाउंस बैक करते है. उनमे नेगेटिव एनर्जी से कोप अप करने की एबिलिटी होती है. वे अपने थोट्स डाइरेक्ट कर सकते है और पोजिटिव स्टेट पर लौट आते है.

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