(Hindi) Why “A” Students Work for “C” Students and Why “B” Students Work for the

(Hindi) Why “A” Students Work for “C” Students and Why “B” Students Work for the

एन एजुकेशनल क्राईससिस (An Educational Crisis)

फर्स्ट वाले चैप्टर में रोबर्ट टी. कियोसाकी(Robert T. Kiyosaki) आर्ग्यू (argues) करते है कि फाईनेंशियली इम्पोर्टेंट स्टफ (financially important stuff) स्कूल में नहीं बल्कि घर में पढाया जाना चाहिए। स्कूल और यूनिवरसिटीज़ (universities) में बच्चो और टीनएजर्स का नंबर फास्ट इनक्रीज हो रहा है हालांकि अभी करिकुलर्स(curricula) में फाईनेंशियल एड्जुकेश को उतनी इम्पोर्टेंस नहीं मिली है। ये बुक फाईनेंशियल एक्सपीरिएंस (financial experience) देगी जिसके बारे में आपने स्कूल में थोडा बहुत पढ़ा। ऑथर मानते है कि फाईनेंशियल क्राईसिस की वजह गरीब और अन एजुकेटेड लोग नहीं है बल्कि अमीर लोग है। आज की एजुकेशनल सिस्टम में लांगेस्ट लेग इन टाइम यानी कि टाइम गेप काफी ज्यादा है।

ए लेग इन टाइम(A lag in time) किसी आईडिया के कंसीविंग (conceiving) और उसके एक्चुअल इम्प्लीमेंटिंग (actually implementing) के बीव काडिफ़रेंस होता है। एक बार आप इस बुक से ये नॉलेज लेंगे तो आगे अपने बच्चो को भी ये नॉलेज पास कर सकते है। ताकि आप उन्हें बगैर पैसे दिए भी फाईनेंशियल हेड स्टार्ट दे सके। रोबर्ट टी। कियोसाकी ने डिसाइड किया कि वो आर्मी की अपनी जॉब छोडकर ऐसे सब्जेक्ट की स्टडी करेंगे जिनके बारे में स्कूल या कॉलेज में रूटीनली नहीं पढ़ाया जाता।

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द फेयरी टेल इज ओवर (The Fairy Tale Is Over)

पुराने टाइम में लाइफ किसी फेयरी टेल जैसी ईजी होती थी जहाँ आप कॉलेज जाकर डिग्री लेते थे और किसी किसी कंपनी में आपको एक हाई पेईंग जॉब मिल जाती थी जिससे आप अपने सारे स्टूडेंट लोन्स चुका देते थे। लेकिन बदकिस्मती से अब वो बात नहीं रही। आजकल एक स्टूडेंट की लाइफ किसी रोड ट्रिप जैसी होती है, पहले कॉलेज जाना, ग्रेजुएट होना, और स्टूडेंट लोन्स के साथ-साथ इंटरेस्ट भी बढ़ता जाता है जो एक्चुअल में स्टूडेंट्स को और भी पूअर बना देता है। और ऊपर से अनएम्प्लोयमेंट क्राइसिस (unemployment crisis) की वजह से ना सिर्फ अमेरिका बल्कि सारी दुनिया के स्टूडेंट्स जॉबलेस घूम रहे है और ये साइकल(cycle) चलता जाता है।

पेरेंट्स सोचते है कि हमारे बच्चे को कॉलेज में एडमिशन मिल गया तो बस अब उसकी लाइफ सेट है। कॉलेज में एडमिशन मिलना कोई लाइफ जैकेट नहीं है और जिस हिसाब से अनएम्प्लोयेमेंट (unemployment) बढती जा रही है और लोग लो वेजेस पे काम कर रहे है उससे यही प्रूव होता है। कई मशहूर केरेक्टर्स जैसे ज्योर्ज वाशिंगटन (George Washington) और बेंजामिन फ्रेंकलिन(Benjamin Franklin ) ने तो अपनी स्कूली एजुकेशन भी फिनिश नहीं की थी। पॉइंट ये है कि आपको वो सब्जेक्ट्स पढने चाहिए जो आपको फ़ूड चेन के टॉप तक ले जाये। रोबर्ट टी। कियोसाकी का माइक नाम का एक फ्रेंड था जिसके पापा का निकनेम रोबर्ट के अकोर्डिंग(according) “रिच डैड” था।

रिच डैड मोस्ट ऑफ़ द टाइम रोबर्ट के साथ मोनोपोली खेला करते थे जो रोबर्ट के लिए एक आई ओपनिंग(eye-opening) एक्स्पिरियेंश था। लेकिन रोबर्ट के डैड को ये बात पंसद नहीं थी, उन्हें लगता था कि उसे खेलने के बजाये अपना होमवर्क करना चाहिए। रोबर्ट रिच डैड के लिए फ्री में काम किया करता था क्योंकि रिच डैड रोबर्ट के माइंड से पैसे के लिए काम करने का आईडिया मिटा देना चाहते थे। वो चाहते थे कि रोबर्ट एक कैपेटीलिस्ट(capitalist) बने। फ्यूचर में रोबर्ट में फाईनेनशियल एजुकेशन के लिए कई सारी कंपनीज खोली जहाँ बोर्ड गेम्स प्रोड्यूस किये जाते थे जिससे लर्निंग एक्स्पिरियेंश ईजीयर(easier)और फन हो। दूसरी की थी मनी के बारे में आर्ग्यूमेंट के बजाये ओपनिंग डिस्कसन करना। मनी प्रॉब्लम हर घर में डिस्कस होनी चाहिए ताकि इस बारे में ज्यादा नॉलेज इनक्रीज हो और ऐसे सोल्यूशन मिल सके जो नॉर्मली किसी के माइंड में नहीं आते है।

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प्रीपेयर योर चाइल्ड फॉर द वर्स्ट (Prepare Your Child For The Worst)

ओनेस्ट (honest) और रयूड(rude) होने के बीच में एक फाइन लाइन है। सेम चीज़ अप्लाई होती है जब आप अपने बच्चे को फ्यूचर के लिए प्रीपेयर करे। अपने बच्चो को लाइफ की रियेलिटीज़(life realities)से बचाने की कोशिश ना करे और ना ही ओवर प्रोटेक्टिव प्रेरेंट्स बने। उन्हें फ्यूचर के लिए प्रीपेयर करे। बच्चो के सामने 4 मेन प्रोब्लम्स आती है जो उन्हें शायद फेस करनी पड़े। और उन्हें इसके लिए रेडी रहना चाहिए। फर्स्ट प्रॉब्लम है बड़े होने की।

अब यहाँ प्रॉब्लम ये है कि डेकलाइनिंग (declining)इकोनोमीके साथ गवर्नमेंट के पास इतने रिसोर्सेस(resources) नहीं होंगे कि सबको ज़रूरी हेल्थकेयर फेसिलिटीज़ और पेंशन वगैरह प्रोवाइड की जा सके। और बढती उम्र अपने साथ कुछ प्रॉब्लम्स भी लेकर आती है जैसे कि मल्टी-जेनेरेश्नल हाउसिंग (multi-generational housing) मतलब कि पेरेंट्स बच्चो के घर रहने चले जाते है या फिर बच्चे पेरेंट्स के घर मूव हो जाते है। केस जो भी हो लेकिन इससे हाउस ओनर के खर्चे ज़रूर बढ़ जाते है। एक और मेजर प्रॉब्लम है हेल्थ-केयर जोकि गवर्नमेंट के टैक्स का सारा पैसा चूस लेती है।

हमारे बच्चो की सेकंड मेजर प्रॉब्लम है कम्पाउंड डेट (compound debt) जिसे आइन्स्टाइन(Einstein) ने दुनिया के मोस्ट पॉवरफुल फ़ोर्स के रूप में डिसक्राइब किया है। थर्ड प्रॉब्लम है न्यू डिप्रेशन। क्या कमिंग डिप्रेशन (coming depression) 1929 के ग्रेट यू।एस। डिप्रेशन के जैसा हो होगा जहाँ सेवर्स विनेर्स थे या फिर 1920 के जर्मन हाइपरइन्फ्लेशन (German hyperinflation) के जैसा जहाँ डेटर्स यानी उधारी वाले विनर्स थे। हमारे बच्चो को दोनों ही सिनेरियोज़ (scenarios) के लिए रेडी रहना होगा। फोर्थ चैलेन्ज (fourth challenge) है हाई टैक्स (taxes) आने वाले फ्यूचर में टैक्स और भी हाई होंगे क्योंकि ज्यादा मनी प्रिंट करने के लिए ज्यादा टैक्सेस लगाने होंगे। और ज्यादा कोम्प्लेस्क(complex) वाली बात ये है कि वेलफेयर प्रोग्राम्स( welfare programs) को ज्यादा फण्ड की ज़रूरत पढेगी जिसे कि टैक्स फंड करते है। एक डायाग्राम (diagram) है जिसे कैश (cash flow diagram)के नाम से जाना जाता है।

ये वर्कफ़ोर्स को एम्प्लोयीज़ (employees) में डिवाइड करता है स्माल बिजनेस, बिग बिजनेस और इन्वेस्टर्स। इस डायाग्राम(diagram)की सिग्नीफिकेसं (significance) ये है कि इसमें हर सेक्टर का टैक्स पेमेंट का परसेंटेज डिफरेंट है। स्माल बिजनेस और एम्प्लोयीज सेक्टर सबसे ज्यादा टैक्स पे करता है। इसीलिए अपने बच्चो को स्कूल भेजने और उन्हें एक अच्छी सी सिक्योर जॉब करने के लिए एंकरेज (encourage) करने का ये मतलब भी होगा कि आप उन्हें हाईर अमाउंट ऑफ़ टैक्स पे करने के लिए भी बोल रहे है। इसके पीछे आईडिया यही है कि ऐसा सेक्टर चूज़ किया जाए जहाँ आपको कम टैक्स देना पड़े। हालांकि बच्चो को डिफरेंट सेक्टर्स के बारे में पता होना चाहिए ताकि वे अपने चॉइस के हिसाब से डिसाइड करे कि उन्हें क्या बनना है।

किसी बड़े बिजनेस को ज्वाइन करना या इन्वेस्टर सेक्टर में जाने के की कोई स्पेशिफिक एजुकेशन लेवल या एज नहीं होती। इसके लिए सिर्फ हार्ड वर्किंग और ट्रस्टवर्थी(trustworthy) लोगो का साथ चाहिए। एक पेरेंट का सबसे क्रूशियल रोल (crucial roles) होता है अपने बच्चे में लर्निंग की हैबिट डेवलप कराना। अगर आपके बच्चे ने बी और आई सेक्टर ज्वाइन करना सीख लिया तो फिर कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो कौन सा प्रोफेशन चूज़ करेगा। ऑथर को लगता है कि टैक्सेस गरीबो का पैसा चुराने का एक तरीका है बस और टैक्स पे करना कोई नेशनल ड्यूटी नहीं होती।

और इस चोरी के पीछे की वजह है लैक ऑफ़ फाइनेनशियल एजुकेशन (lack of financial education) और एक कहावत है कि” जो पास्ट याद नहीं रखते, अक्सर इसे दोहराते है” “दोज़ देट केननोट रिमेम्बर द पास्ट आर कंडेमनड टू रिपीट इट”(“Those that cannot remember the past are condemned to repeat it) पास्ट जेनेरेशन ने हिस्ट्री (history) से कुछ नहीं सीखा। आज की दुनिया को टैक्सपेयर्स के रूप में जाना जा सकता है जो डे बाई डे गरीब होते जा रहे है और बैंकर्स अमीर होते जा रहे है। अपने बच्चे को फाईनेंशियल हेड स्टार्ट (financial head start) देने के लिए रियल लाइफ प्रोब्लम्स को चैलेन्ज की तरह ले जहाँ आप उसे डिफरेंट सोल्यूशन ऑफर करे और उसके साथ मैटर डिस्कस करे।

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