(Hindi) Financial Freedom: A Proven Path to All the Money You Will Ever Need
इंट्रोडक्शन
फाईनेंशियल फ्रीडम यानी इतना पैसा हो कि आपको काम करने की जरूरत ना पड़े. या अगर आप काम करे भी तो अपनी ख़ुशी के लिए करे नाकि मजबूरी में. फाईनेंशियल फ्रीडम में जीने का मतलब है कि 40 की उम्र में या उससे पहले ही काम से रिटायरमेंट लो और फिर जैसे चाहे, वैसे लाइफ जियो. फाईनेंशियल फ्रीडम का मतलब है एक ऐसी लाइफ जहाँ आपको हर महीने सैलेरी पर डिपेंडेंट रहने की जरूरत नहीं होगी.
तो अपनी फ़ैमिली को सपोर्ट करने के लिए आपको कितना पैसा चाहिए? अपने सारे कर्जे उतारने, बच्चों की एजुकेशन और हर महीने के घर–खर्च चलाने के लिए आपको कितने पैसे की जरूरत पड़ेगी ? कोई तो ऐसी टारगेट रकम होगी जो आपके सारे खर्चे पूरे कर दे? तो इस समरी में आप ऐसे तरीकों के बारे में सीखोगे जो आपको ये टारगेट रकम कमाने में हेल्प करेगी.
शायद आपको $1,000,000 की जरूरत हो, लेकिन इतना पैसा कमाना तो मुश्किल लगता है.
तो चलिए, इस समरी को पढ़ते है और जानते है कि इस बुक के ऑथर ग्रांट सबैटियर को फाईनेंशियल फ्रीडम कैसे मिली और हम भी इसे कैसे अचीव कर सकते है.
Money is Freedom
2010 में ग्रांट जब 24 साल के थे तो उनकी लाइफ का बेहद स्ट्रेसफुल टाइम चल रहा था. एक तो वो जॉबलेस थे और ऊपर से अपने पेरेंट्स के घर में रह रहे थे . एक तरह से कहा जाए तो ग्रांट दूसरों पर डिपेंडेंट थे और ये बात उन्हें अंदर ही अंदर खाए जा रही थी. दो महीने बाद एक न्यूज़पेपर एजेंसी में उनकी जॉब लगी, उनके पेरेंट्स ने कहा कि अगर वो चाहे तो उनके पास उस घर में रह सकते है जहाँ ग्रांट का बचपन गुज़रा था, पर शर्त ये थी कि उन्हें तीन महीने के अंदर-अंदर कोई जॉब ढूंढनी होगी.
हर रात डिनर के वक्त ग्रांट के पेरेंट्स यही पूछते “कहीं काम बना क्या?” ग्रांट काम के लिए पिछले कुछ महीनों में कोई 200 जगह अप्लाई चुके थे पर अभी तक एक भी कंपनी से उन्हें कॉल नहीं आया था.
उस दिन सुबह ग्रांट का मन बरिटो खाने का था, तो उन्होंने अपना बैंक अकाउंट चेक किया. उनका सेविंग अकाउंट जिसे ग्रांट ने “Do Not Touch” के नाम से सेव किया था, $0.01 बेलेंस दिखा रहा थे यानी अकाउंट एकदम खाली था. जिसका मतलब है कि ग्रांट के पास बरीटो खरीदने के पैसे भी नहीं थे. बरीटो क्या वो तो guacamole खरीदना भी अफोर्ड नहीं कर सकते थे.
ग्रांट किचन में गए और अपने लिए एक टर्की सैंडविच बनाया. सैंडविच खाने के बाद वो बैकयार्ड में गए. वहां वो घास पर जाकर लेट गए और आसमान की तरफ देखने लगे. ऊपर हवाई ज़हाज़ उड़ते हुए जा रहे थे और नीचे ग्रांट अपनी जिंदगी के बारे में सोच रहे थे .
ग्रांट ने सोचा कि उन्होंने आज तक वही किया जो उन्हें करना चाहिए था यानी खूब दिल लगाकर पढाई की, अच्छे ग्रेड्स से पास हुए फिर एक टॉप यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की. फिर उसके तुरंत बाद उन्हें एक एनालिटिक्स कंपनी में जॉब मिल गई. ग्रांट ने सोचा कि अब उनकी लाइफ सेट हो गई है और वो एक सस्केसफुल आदमी बन गए हैं .
उनकी पहली जॉब जहाँ लगी थी वो जगह उनके घर से दो घंटे दूर थी. उस बिल्डिंग में खिड़कियाँ हमेशा बंद रहती थी तो हवा में एक अजीब सी बदबू फैली रहती थी . ग्रांट को खुद का एक छोटा सा केबिन ऑफिस मिला थे जिसकी चौड़ाई मुश्किल से चार फुट थी और छत पर लगी लाईट की रौशनी इतनी तेज़ थी कि ऐसा लगता जैसे आँखे चौंधिया गई हो.
ग्रांट जी-जान से मेहनत कर रहे थे . अपने बॉस को खुश रखने की वो पूरी कोशिश करते . काम इतना ज्यादा होता था कि वो थककर चूर हो जाते थे. घर पहुँचने के बाद उनमें कुछ भी करने की हिम्मत नहीं होती थी . वो टीवी के सामने सोफे पर लेट जाते और वहीँ सो जाते . लेकिन उन्हें नींद ही कहाँ आती, काम के टेंशन में उनकी नींद भी डिस्टर्ब हो जाती थी, सुबह पांच बजे अलार्म बज जाता और फिर से वही रूटीन लाइफ शुरू हो जाती.
ग्रांट ये सोच रहे थे कि आगे की लाइफ कैसी बीतेगी, टीवी या कंप्यूटर के सामने ऐसे ही थककर चूर बैठे-बैठे क्या उनकी सारी जिंदगी यूं ही गुजर जाएगी.
उनके पिता हमेशा कहते” तुम्हें इसकी आदत पड़ जायेगी, यही लाइफ है, वेलकम टू द रियल वर्ल्ड”
और ग्रांट भी खुद को यही यकीन दिलाने की कोशिश करते कि यही उनकी असली जिंदगी है. जितनी देर वो अपनी डेस्क पर बैठे रहते थे उसके बजाय वो हर सेकंड में एक डॉलर की कमाई कर सकते थे जो उन्हें अपनी ड्रीम लाइफ जीने के और करीब ले जा सकता था.
लेकिन असल में वो सिर्फ अपने बिल्स भरने के लिए काम करते थे . उनकी लाइफ उस पे –चेक पर डिपेंडेंट थी जो उन्हें हर महीने मिलती थी और सैलरी से एक चेक महीने की 15 तारीख को उनके अपार्टमेंट के रेंट के लिए जाता था और दूसरा चेक क्रेडिट कार्ड बेलेंस भरने में खर्च हो जाता था.
अब हुआ ये कि ग्रांट पूरे हफ़्ते जी-तोड़ मेहनत करने के बाद वीकेंड को पूरी तरह से एन्जॉय करना चाहते थे जिसमें काफी पैसे खर्च हो जाते थे . वो हर बार खुद से प्रॉमिस करते कि अगले महीने से सेविंग स्टार्ट करेंगे पर सच तो ये था कि ग्रांट एक पैसे की भी सेविंग नहीं कर पा रहे थे.
छह महीने बाद ही उनकी नौकरी भी चली गई. वजह थी कि कंपनी को उनके काम से कोई फायदा नहीं हो रहा था. इन छह महीनो में ग्रांट को एहसास हुआ कि अपनी जिंदगी के 1400 घंटे मेहनत करने के बावजूद वो सिर्फ $15500 कमा पाए थे और उसमे से भी $12000 क्रेडिट कार्ड का क़र्ज़ था.
ग्रांट समझ गए थे कि जिस काम की उनसे उम्मीद की रही है, उस काम ने उन्हें आज तक कुछ नहीं दिया. चाहे वो अपनी लाइफ के 40 साल एक ऑफिस केबिन में बिता दें तो भी इस बात की गारंटी नहीं थी कि उन्हें रिटायरमेंट के बाद आराम की जिंदगी जीने को मिलती.
और वो कैसी लाइफ जी रहे थे ? ग्रांट हरगिज़ नहीं चाहते थे कि वो सारी उम्र डेस्क पर बैठे गुज़ार दे. वो ऐसा कुछ करना चाहते थे जिसमें मजा आये और वो अपनी लाइफ एन्जॉय कर सके.
ग्रांट नहीं चाहते थे कि उन्हें चौबीस घंटे पैसे की टेंशन लगी रहे और ना ही वो किसी ऐसी कंपनी पर डिपेंडेंट रहना चाहते थे जो जब मर्ज़ी आए तो उन्हें नौकरी से निकाल दे. असल में ग्रांट अब अपनी लाइफ और इनकम को अपने कंट्रोल में रखना चाहते थे.
वो एक ऐसी लाइफ चाहते थे जहाँ वो अपनी मर्ज़ी से जो चाहे वो कर सकें . जब मन करे तो दुनिया घूम आये और जब मन चाहे काम करे. यानी पैसे की टेंशन ना हो, और ना ही टाइम की कोई बंदिश हो.
ग्रांट दुनिया को एक्सप्लोर करना चाहते थे. वो अपने बच्चों के साथ खेलना चाहते था, उन्हें बड़े होते देखना चाहते थे. वो उन छोटे-छोटे कीमतों लम्हों को जीना चाहते थे जो आज तक उन्होंने ऑफिस के छोटे से केबिन में बैठे-बैठे मिस कर दिए थे.
ग्रांट किसी 75 साल के बूढ़े की तरह ज़िंदगी में एक दिन पछताना नहीं चाहते थे कि उन्होंने अपनी पूरी लाइफ में कुछ नहीं किया.
और तब ग्रांट ने सोचा कि अगर एक अलग लाइफ जीनी है तो काम भी कुछ अलग करना होगा. तो उस दिन सुबह अपने पेरेंट्स के बैकयार्ड में घास पर लेटे-लेटे उन्होंने अपने लिए कुछ गोल्स बनाये. और ये गोल था $1000,000 की सेविंग करके अपनी फाईनेंशियल फ्रीडम अचीव करना.
ग्रांट ने फाइनेंस और इंवेस्टमेंट की बुक्स पढनी स्टार्ट की. एक्स्ट्रा इनकम के लिए उन्होंने दो ऑनलाइन बिजनेस launch किये और साइड में कई छोटे-मोटे काम भी स्टार्ट किए . उन्होंने मन्थली सैलरी से पहले 25% तक सेविंग की फिर 40% और फिर 80% तक बचाना शुरू किया और उस पैसे को स्टॉक मार्केट में इंवेस्ट किया.
पांच साल बाद 2015 में ग्रांट की सेविंग $1 मिलियन तक पहुँच गई थी. उन्होंने कोई लाटरी नहीं जीती या उन्हें कोई खानदानी पैसा भी नहीं मिला था. उन्होंने बस ये किया कि अपने टाइम की वैल्यू को मैक्सिमाईज़ कर दिया. वो अब एक एंटप्रेन्योर और इंवेस्टर थे और उन्हें काफी अच्छे से अपना पर्सनल फाइनेंस मैनेज करना आता था.
ये वो सारी चीज़े है जो ग्रांट गारंटी से कहते है कि अगर वो कर सकते है तो कोई भी कर सकता है. इस समरी में वो आपको सिखाएंगे कि सिर्फ पांच साल में मिलियनेयर कैसे बना जाता है. चाहे आज आपके अकाउंट में $2.26 पड़े हो पर आप अपनी वर्थ $1 000,000 तक बढ़ा सकते हो. तो चलिए शुरू करते है.
Hack Your 9-5
क्या आप रोज आठ घंटे ड्यूटी की करते है? अगर हाँ तो आप अकेले नहीं हो, कई लोग है जो रोज़ सुबह जल्दी ऑफिस जाते है, अपने दिन भर के टास्क पूरे करते है, फिर अपने कलीग्स के साथ लंच करते है और शाम को छुट्टी होते ही जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहते है. लेकिन क्या आपको लगता है आपकी ये 9 टू 5 वाली नौकरी आपको फाईनेंशियल फ्रीडम दे सकती है ?
बेशक आप नौकरी ना भी छोड़ें तो भी कई तरीके है जिससे आप अपनी 9 टू 5 वाली जॉब का फायदा उठा सकते हो. आप short टर्म और लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेज़ी अप्लाई करके अपने लिए अपोरच्यूनिटी ढूंढ सकते हो.
short टर्म में आप अपनी मार्केट वैल्यू इनक्रीज कर सकते हो, अपनी सैलरी और बेनिफिट मैक्सीमाईज़ कर सकते हो या तो घर से काम कर सकते हो या फिर एक फ्लेक्सिबल शेड्यूल में काम कर सकते हो.
लॉन्ग टर्म में आप कुछ और नए स्किल्स सीख सकते हो, लोगों के साथ किसी नेटवर्क से जुड़ सकते हो और उनसे कुछ नया सीख सकते हो. अगर आपके पास कई स्किल्स है तो कंपनी से आपको अच्छा-ख़ासा पैसा मिल सकता है.
चलिए इस पर विस्तार से बात करते है, short टर्म के लिए कुछ बेनिफिट है जैसे लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इन्श्योरेसं, ट्रांसपोर्टेशन बेनिफिट , फ्री फ़ोन कॉल और इन्टरनेट वगैरह. इन सारे बेनिफिट के बारे में अच्छे से स्टडी कर ले ताकि आप इनका पूरा फायदा उठा सके.
ब्रैंडन एक 34 साल का वेब डेवलपर है. लेकिन वो अपने लिए रिमोट वर्क ढूंढ लेता है ताकि वो अपने टाइम को कंट्रोल कर सके. उसे फुल टाइम सैलेरी मिलती है जिसमें कुछ बेनिफिट और बोनस भी शामिल है लेकिन वो ऑफिस में बैठता नहीं है. साथ ही ब्रैंडन ट्रांसपोर्टेशन और ऑफिस के कपड़े खरीदने के जो पैसे मिलते है उन्हें भी सेव कर लेता है. उसे ऑफिस नहीं जाना पड़ता तो उसके खर्चे और भी कम हो जाते है.
Drew शिकागो का एक सॉफ्टवेयर सेल्समेन है. उसने अपनी कंपनी के लिए अब तक $2,000,000 के प्रोडक्ट्स बेचे होंगे. अपनी परफॉर्मेंस रिव्यू में Drew कहता है अगर कंपनी उसे $100000 का इन्क्रीमेंट देगी और घर से काम करने की परमिशन देगी तो ही वो कंपनी में रहेगा वर्ना नहीं. असल में Drew Los Angeles जाकर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रहने की प्लानिंग कर रहा था.
Drew एक अच्छा और हाई performing सेल्समैन है जिसने आज तक अपनी कंपनी को करोड़ो का फायदा पहुँचाया है. इसलिए उसके बॉस उसकी डिमांड पूरी करने को तैयार हो गए. अब Drew के पास अपने टाइम पर पूरा कंट्रोल है और उसका वर्क शेड्यूल भी फ्लेक्सिबल हो गया है. वो सुबह उठकर अपने डॉग को घुमाने ले जाता है. फिर घर जाकर कुछ सेल्स कॉल निपटाता है और अभी हाल ही में Drew जापान भी घूमकर आया, इन सबके बावजूद वो अपनी कंपनी के लिए प्रोडक्ट भी बेचता है.
तो ब्रैंडन और Drew की तरह आप भी ख़ुद को अपनी कंपनी के लिए काफी वैल्यूएबल बना सकते हो. आप अपने लिए रिमोट वर्क और एक फ्लेक्सिबल शेड्यूल डिमांड कर सकते हो. आप चाहो तो ऑनलाइन वर्क जैसे वर्चुअल असिस्टेंट या कस्टमर सर्विस एजेंट का काम भी कर सकते हो. अपने लिए आप कुछ साइड के काम ढूंढ सकते हो जैसे ब्लॉग करना, यूट्यूब पर विडियो बनाना या सोशल मिडिया पर एक इन्फ्लुएंसर बनना, जो आपकी एक्स्ट्रा कमाई का जरिया बन सकते हैं.
अब चलिए लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेज़ी पर थोड़ा गौर करते है, जो है नए स्किल्स सीखना और ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ नेटवर्किंग के ज़रिए जुड़ना. ग्रांट कहते है कि स्किल्स हमारे फ्यूचर की करंसी है. यानी जितना ज्यादा स्किल्स आपके पास होंगी उतना ही ज्यादा पैसे कमाने के चांस आपको मिलेंगे. जैसे एक्जाम्पल के लिए आप प्रोग्रामर और सेल्समेन दोनों हो सकते है या ग्राफिक डिज़ाइनर के साथ-साथ एनालिस्ट का काम भी कर सकते हो.
लेकिन जो सबसे इम्पोर्टेंट स्किल है वो है बेचना यानी sell करना, जो आपको सीखनी पड़ेगी. सेलिंग एक हाई वैल्यू स्किल मानी जाती है. अगर आपको सेल करना आ गया तो समझो आपको पैसे कमाने आ गया.
बाकी कुछ स्किल्स भी डिमांड में है जैसे branding, मार्केटिंग, कम्यूनिकेटिंग, कोडिंग, डिजाइनिंग या डेटा सिंथसाईंजिंग.
चलिए आपको ग्रांट की स्टोरी सुनाते है. अपने पेरेंट्स के घर पर रहने के बाद उन्हें शिकागो की एक छोटी सी डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी में जॉब मिल गई. यहाँ से उनकी लाइफ का टर्निंग पॉइंट शुरू होता है. ग्रांट ने जानबूझकर छोटी कंपनी में अप्लाई किया था ताकि वो अपने प्लान पर अमल कर सके.
उनकी सैलरी थी साल के $50,000 लेकिन ग्रांट इसके अलावा $300,000 अपने साइड के काम से कमा रहे थे. अगले 11 महीनों तक वो रोज़ सुबह जल्दी ऑफिस पहुँचते और देर तक रुकते ताकि वो सबसे मिल सके. ग्रांट उन सबका काम सीखना चाहते थे.
इस नेटवर्किंग के ज़रिए ग्रांट को वेब डिजाईन, प्रोग्रामिंग और एसईओ, कॉपीराईटिंग, क्रिएटिव डिजाईन और लास्ट में सेलिंग की भी काफ़ी नॉलेज हो चुकी थी.
वैसे उनका असली काम था गूगल एडवरटाईजिंग कैम्पेन चलाना. लेकिन ग्रांट हेड सेल्स एजेंट डेव और जेड के पास जाने लगे जो उन कंपनियों से कांटेक्ट करते थे जिन्हें नई वेबसाईट या मार्केटिंग सर्विस की जरूरत होती थी . दोनों के साथ ग्रांट ज्यादा से ज्यादा टाइम बिताते और उनसे सीखने की कोशिश करते.
उन्होंने ये भी देखा कि ज्यादातर लोग आपको सिखाने में, हेल्प करने और आपके सवालों के जवाब देने को तैयार रहते है, खासकर अगर आप एक ही कंपनी में जॉब करते है तो .
और फिर कुछ महीनों बाद ही डेव और जेड ग्रांट को अपने बिजनेस पिच में साथ रखने लगे. ग्रांट ने अपनी सेकंड पिच में कंपनी के सबसे बड़े क्लाइंट के साथ डील फिक्स कर ली.
और इस तरह ग्रांट सलाह देते है कि हर हफ्ते एक नए इंसान से जरूर मिलो. उसके साथ बात करो, लंच करो, उनसे उनके काम के बारे में सीखो. किसी की स्किल सीखनी हो तो उसके साथ हर मीटिंग में एक घंटे का वक्त दो, इतना काफी होता है. नेटवर्किंग के जरिये आप अपनी स्किल्स बढ़ा सकते हो और अपनी कंपनी के लिए ज्यादा वैल्यूएबल बन सकते हो. उसके बाद आप अपने फुल टाइम जॉब से अपने लिए फ्रीडम, ज्यादा बेनिफिट और एक फ्ल्केसीबल शेड्यूल की डिमांड कर सकते हो.