(Hindi) How They Succeeded: Life Stories of Successful Men Told by Themselves

(Hindi) How They Succeeded: Life Stories of Successful Men Told by Themselves

इंट्रोडक्शन

क्या आप उन लोगों में से एक हैं जो कामयाब होने का सपना देखते हैं? आपमें कौन से ऐसे एट्टीट्यूड और वैल्यूज़ हैं जो आपको लगता हैं कि आपको कामयाब होने में हेल्प करेंगे?

क्या आपको कभी ऐसा लगा कि आप हार मानने के बहुत करीब हैं? वो कौन सी बात हैं जो आपको दोबारा खड़े होकर आगे बढ़ने के लिए इंस्पायर करता हैं?
इस दुनिया में हर कोई जो सपना देखता हैं, उसके लिए सक्सेस या कामयाबी पाना आसान काम नहीं हैं. इस सफर में, उन चैलेंजेस का सामना करना पड़ता हैं जो हमारे हिम्मत और काबिलियत को टेस्ट करते हैं. हमारा रास्ता रोकने वाले कई सारे अड़चनों को झेलना पड़ता हैं. लेकिन लाइफ में आने वाली इन चैलेंजेस के बावजूद, हमें हर सिचुएशन में सही रेस्पॉन्स और सही एक्शन लेने के लिए तैयार रहना चाहिए.

इसी तैयारी का एक हिस्सा हैं दुनिया भर के कामयाब लोगों के एक्सपीरियंस से सीखना. उनकी कामयाबी की कहानियों से, हमें अपनी लाइफ  में अपने सपनों को हासिल करने की सीख मिलती हैं. इसके अलावा, वे हमें अपने सपनों पर भरोसा रखने की और अपनी कोशिश को जारी रखने के लिए इंस्पायर करते हैं.

इस समरी में, आप उन अलग-अलग लोगों की कहानियों को जानेंगे जो अपने फील्ड में कामयाब हुए हैं. उनकी कहानियों से, आप उन वैल्यूज़ और स्ट्रेटेजीस के बारे में सीखेंगे जिनका इन लोगों ने कामयाब होने के लिए इस्तेमाल किया हैं.
इसके अलावा, आप उन वजहों को भी समझेंगे जो इन जैसे कामयाब लोगों को आगे बढ़ते रहने में उनकी मदद करते हैं. मुश्किलों के बावजूद, उन्होंने आगे बढ़ते रहने का और अपने मंज़िल को पाने का इरादा किया.

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एलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल

इस दुनिया में रहने वाले लोगों की कामयाबी और तरक्की को लेकर अपनी-अपनी सोच हैं. कुछ अमीर होने का ख्वाब देखते हैं और कुछ लोग इस दुनिया को कुछ लौटाने के बारे में सोचते हैं. कामयाबी की इन अलग-अलग डेफिनिशन के बावजूद, हम ये जानते हैं कि इन ख्वाबों को पूरा करने का हम सबका अपना एक तरीका हैं. हालांकि, जब लाइफ हमारे प्लान्स के मुताबिक नहीं चलती, और हम हारे हुए महसूस करने लगते हैं, तो हमें मालूम होना चाहिए कि कामयाबी पाने की तरफ हमें वापस कैसे मुड़ना हैं.

और, ऐसा तभी मुमकिन हैं जब हम हमारे अंदर उस एट्टीट्यूड को लाएंगे जिससे हम कामयाबी को जल्द हासिल कर सकें. हमें हमारे अंदर एक ज़िद पैदा करना हैं, फोकस लाना हैं और खुद को ऐसे माहौल में डुबाना हैं जो हमें मोटीवेट कर सकें. और, सबसे ज़रूरी बात, किसी भी तरह के नेगेटिव जजमेंट को अनसुना करने की काबिलयत लानी चाहिए. किसी भी तरीके की नेगेटिविटी हमें हमारे मंज़िल तक पहुँचने से रोक सकती  हैं. बल्कि, हमें कोशिश ये करनी चाहिए कि हम दुनिया को अपनी कामयाबी की कहानी सुना सके, फिर चाहे लोगों को वो नामुमकिन ही क्यों न लगे.

एलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल भी एक ऐसे ही महान शख्स थे. एक वक्त था जब लोगों ने इनको पागल करार दिया था क्योंकि ये ऐसी बातों पर यकीन करते थे जो लोगों को नामुमकिन लगता था. लेकिन अब,  एलेक्ज़ेंडर को दुनिया के सबसे कामयाब और महान इन्वेंटर्स में से एक माना जाता हैं.

वे एक ऐसी फैमिली में जन्मे और पले-बड़े थे जिनमें इन्वेंटर्स यानि आविष्कार करने वाले लोग थे. उनके पिताजी एक मशहूर टीचर और 'सिस्टम ऑफ़ इन्विसिबल स्पीच' के इन्वेंटर थे. जबकि उनके दादाजी को स्पीच प्रॉब्लम्स को हटाने के एक तरीके को इंवेंट करने के लिए जाना जाता था.

एलेक्जेंडर बेल एक टीचर बने जो सुन और बोल न सकने वाले स्टूडेंट्स को पढ़ाते थे. वे अमेरिका में बॉस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी बने. नौ सालों तक, उन्होंने अपना एक्स्ट्रा टाइम इलेक्ट्रिक करंट से साउंड निकालने की कोशिश में बिताया. सालों के अपने रिसर्च के बाद, उन्होंने पहला टेलीफोन बना लिया.

जब उनके इस इन्वेंशन को लोगों को दिखाया गया, तो कई लोगों ने इसे सिर्फ एक खिलौना कहा, न कि कुछ ऐसा जिससे लोगों और बिज़नस को फायदा पहुंचे. जब ज़्यादातर लोग उनके काम को क्रिटिसाइज़ कर रहे थे, तब लोगों के नेगेटिव जजमेंट को अनसुना कर  एलेक्ज़ेंडर ने खुद पर भरोसा कायम रखा और अपने इन्वेंशन के पर्पस पर अपना फोकस रखा.

दिल की गहराई में, वो जानते थे कि उनका टेलीफोन लोगों और बिज़नस के लिए एक प्रैक्टिकल पर्पस लाएगा. इसलिए वो मज़बूती से खड़े रहें. उन्होंने कोशिश की कि लोगों के डाउट को न सुनें, बल्कि उन्होंने अपने काम को और भी बेहतर करने का फैसला लिया.

जैसे जैसे वक्त बीता, उनके टेलीफोन को लोगों ने एक वरदान बताना शुरू किया क्योंकि इसने दुनिया के लिए नए बिज़नस और इंडस्ट्रीस के रास्ते खोल दिए थे. उनके इन्वेंशन ने उन्हें और उनकी कंपनी को अमीर बना दिया था. यही नहीं,  एलेक्ज़ेंडर को उनकी अचीवमेंट और सोसाइटी में उनके कंट्रीब्यूशन के लिए जापान के सम्राट ने अवार्ड भी दिया.

एलेक्जेंडर ग्राहम बेल की कहानी बताती हैं कि कैसे कामयाबी तक पहुंचने के लिए हमें मज़बूती और फोकस के साथ अपने गोल के लिए काम करना होता हैं. अगर हम अपने सपनों के बारे में दूसरे लोगों के डाउट्स को सुनते रहे, तो हम जल्दी ही अपने रास्ते से भटक सकते हैं. तरक्की और कामयाबी के रास्ते में, हमें अपनी काबिलियत को इम्प्रूव करते रहना चाहिए और खुद पर भरोसा रखना चाहिए, भले ही यह दूसरों की नज़र में कितना भी नामुकिन काम क्यों न हो.

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जॉन  वानामेकर

अकेले ही सपने देखने वाले हम जैसे लोग अक्सर कामयाब लोगों की कहानियों की तलाश में रहते हैं, ताकि हम उनके उस नज़रिए के बारे में जान सकें जिसने उन्हें कामयाब बनाया. और फिर, हम उनके नज़रियों को अपने लाइफ में अप्लाई करने की कोशिश करते हैं और यह उम्मीद रखते हैं कि हम भी उनके ही तरह कामयाब बनेंगे. वैसे, उनका नज़रिया, उनका एट्टीट्यूड रखना हमारे लिए भी फायदेमंद हो सकता हैं, लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि लाइफ में कामयाब होने के लिए और भी ऐसी बातें हैं जिनका ख्याल रखना ज़रूरी हैं. और, वो हैं- तैयारी और खुद को लैस करना.

इसका मतलब हैं कि रास्ते में आने वाले चैलेंजेस को दूर हटाने के लिए ज़रूरी स्किल्स का होना. इसके लिए हमें खुद पर टाइम और मेहनत दोनों लगाना होगा, अपने नॉलेज को बढ़ाना होगा, और अपने एक्सपीरियंस से सीखना होगा. ऐसा करके, हम खुद को आने वाली किसी भी सिचुएशन के लिए तैयार कर सकते हैं और अपने गोल की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ सकते हैं.

जॉन  वानामेकर , अमेरिका के फिलाडेल्फिया में पैदा हुए एक कामयाब बिजनेसमैन थे. अपने पिताजी की तरह ही जॉन बचपन से ही बहुत मेहनती शख्स थे. बहुत कम उम्र से ही वो अपने पिताजी के ईंट-पत्थर के बिज़नस में हेल्प कर पैसा कमाते और बचाते भी थे.

जब जॉन चौदह साल के थे, तो उनके पिताजी गुज़र गए जिसने उनकी ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी. उन्होंने ईंटों का बिज़नस छोड़ दिया और एक बुकस्टोर में एक डॉलर और पच्चीस सेंट हर महीने की सैलरी पर काम किया. उनका सारा पैसा उनकी माँ के लिए उनकी आखिरी दिन तक किताबें खरीदने में खर्च हुए.

जॉन के लिए सब कुछ खत्म हो गया और कुछ नहीं बचा. उनके पास जो बचा था, वो थी उनकी अच्छी आदत, साफ सोच और उनकी मेहनत. कुछ वक्त बाद, उन्होंने एक कपड़े की दुकान में ईमानदारी से काम किया. जॉन के काम करने के तरीकों से सभी उन्हें पसंद करने लगें. जब वो सामान बेचते थे, कस्टमर्स उनके काम को देखकर हैरान होते. वो हमेशा कस्टमर्स की हेल्प के लिए तैयार रहते और उनके ज़रूरतों का ध्यान रखते. इसके अलावा, वो बहुत ही एम्बिशस शख्स थे और कामयाब होना चाहते थे.

जल्दी ही, जॉन, यंग मेन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन (Y.M.C.A) के ऐसे पहले सेक्रेट्री बन गए जिन्हें सैलरी भी दी जाने लगी. उन्होंने वहां सात साल तक काम किया. चौबीस साल की उम्र में, उन्होंने अपने जीजाजी के साथ मिलकर ओक हॉल कपड़ों का स्टोर खोला. बिज़नस करने की अपनी ख़ास काबिलियत की वजह से वो जिस किसी काम में हाथ डालते, वो कामयाब होता था.

जॉन हमेशा कस्टमर्स को हाई क्वालिटी सामान और हाई क्वालिटी सर्विस देने के लिए जाने जाते थे. अपने बेहतरीन मैनेजमेंट की वजह से, वो कपड़ों के बिज़नस को ऊंचाइयों तक ले गए. दस साल बाद, जॉन ने अपना खुद का बिज़नस शुरू करने का फैसला लिया और अपने शहर में एक बड़े बिजनेसमैन बन गए.

जब उनसे उनकी कामयाबी का राज़ पूछा गया, तो जॉन ने जवाब दिया कि लगातार बिना रुके कोशिश करने वाले ही कामयाब हो पाते हैं. उनकी कहानी में देखा जा सकता हैं कि कैसे उन्होंने हमेशा अपनी पूरी एनर्जी अपने काम में लगा दी. वो और ज़्यादा हासिल करने के लिए, खुद की लिमिट से ज़्यादा मेहनत करने से भी नहीं चूके.

इसके अलावा, जॉन वानमेकर ने यह भी कहा कि उन्हें ये लगता था कि उन्हें लगातार खुद में इन्वेस्ट करते रहना चाहिए. इसका मतलब हैं लगातार नॉलेज हासिल करना और अपने एक्सपीरियंस से सीखना. जॉन वानमेकर ने जो कुछ भी सीखा, उसे अपनी ज़िंदगी में उसे अप्लाई किया.

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