(Hindi) TEN-DAY MBA- A Step By Step Guide To Mastering The Skills Taught In America’s Top Schools

(Hindi) TEN-DAY MBA- A Step By Step Guide To Mastering The Skills Taught In America’s Top Schools

इंट्रोडक्शन

एमबीए का मतलब है मास्टर ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन. ये एक डिग्री है जिसे दुनिया भर में मान्यता मिली हुई है. इसमें मुख्य रूप से बिजनेस और मैनेजमेंट के बारे में पढ़ाया जाता है.

स्टीवन सिल्बिगर दुनिया के टॉप एमबीए डिग्री होल्डर में से एक है. वो एमबीए के डिफिकल्ट कॉन्सेप्ट्स को एक सिंपल और क्लियर मेथड के ज़रिए समझाने के लिए जाने जाते है.
उनकी किताब “टेन डे एमबीए” को पढ़कर आपको एमबीए कोर्स से  जुड़ी हर जानकारी मिल जायेगी और अपनी बुक में ऑथर ने बेहद आसान और सिंपल तरीके से एक्जाम्पल देकर सारे कॉन्सेप्ट्स क्लियर किये है. ये किताब आपको मार्केटिंग, एथिक्स, ओर्गेनाईजेशनल बिहेवियर, quantitative एनालिसिस, फाइनेंस और स्ट्रेटेज़ी से  जुड़ी हर जानकारी देगी.

इस किताब में दिए कुछ टॉपिक्स बेशक थोड़े मुश्किल लगते है पर  स्टीवन  ने काफी अच्छे ढंग से रीडर्स को समझाने के लिए कॉम्प्लेक्स टॉपिक्स को बड़े ही सिंपल डेफिनेशन देकर समझाने की कोशिश की है.
अगर आप भी एमबीए कोर्स करने के बारे में सोच रहे है तो ये किताब आपको इस कोर्स की बहुत बढिया जानकारी देने वाली है.

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Marketing

जब हम एमबीए की बात करते है तो सबसे पहले मार्केटिंग आती है जिसके बारे में हर एमबीए स्टूडेंट को पता होना चाहिए. मार्केटिंग एक ऐसा सब्जेक्ट है जो उन सारी स्किल्स को कनेक्ट करता है जो आप किसी भी एमबीए कोर्स के दौरान सीखते है क्योंकि ये सारी थ्योरीज़ रियल लाइफ मार्केट्स में अप्लाई करता है.

मार्केटिंग का मेन गोल है अपने कस्टमर्स को जानना और समझना और एडवरटीज़मेंट्स, सेल्स पिचेस और इसी तरह की दूसरी स्ट्रेटेज़ी के जरिये कस्टमर्स के साथ जुड़ने की कोशिश करना. आप अपनी एक्सीलेंट इंट्यूशन के जरिये और साइंटिफक मेथड्स के थ्रू एक अच्छे मार्केटर बन सकते है.

एक एमबीए होने के नाते एक मार्केटर के तौर पर आपकी ड्यूटी बनती है कि आप ऐसी साइंटिफक और क्रिएटिव मार्केटिंग स्ट्रेटेज़ीज़ क्रिएट करे जो आपकी कंपनी को सक्सेस दिला सके. और अपने मार्केटिंग स्ट्रेटेज़ी बनाने के लिए आपको कुछ स्पेसिफिक स्टेप्स  फॉलो  करने होंगे. ये स्टेप्स लीनियर  नहीं  है और जरूरी  नहीं  है कि आप उन्हें ऑर्डर के हिसाब से ही  फॉलो  करो. आपको सिर्फ अपने क्लाइंट की करंट सिचुएशन को स्टडी करना है, तभी आप डिसाइड कर पाएंगे कि आपको कौन से स्टेप्स लेने है.

इन मार्किंग स्टेप्स का एक एक्क्साम्प्ल है कस्टमर एनालिसिस. इस स्टेप के दौरान आपको अपने कस्टमर्स को स्टडी करना होगा और उन स्पेशल ग्रुप्स को पहचानना होगा जिन्हें आप अपने मार्केटिंग कैम्पेन के लिए टारगेट कर सकते है.

हर कस्टमर कोई भी प्रोडक्ट खरीदने से पहले पांच अलग-अलग स्टेज से गुजरता है, फिर डिसीजन लेता है. और इन स्टेजेस को जानकर आप अपने कस्टमर का बिहेवियर analyze कर सकते हो और वेळीड स्ट्रेटेज़ी पर बेस्ड मार्केटिंग प्लान बना सकते हो.

मान लो किसी आदमी के पास साबुन खत्म हो गया तो वो साबुन लेने जाएगा लेकिन खरीदने से पहले कस्टमर पहले स्टेज से गुजरेगा जो है अवेयरनेस, इस स्टेज में आदमी को एहसास होता है कि उसे साबुन की जरूरत है.

दूसरी स्टेज है इन्फोर्मेशन सर्च करना. जैसे कि ये आदमी अपनी वाइफ से किसी अच्छी क्वालिटी के साबुन का ब्रांड पूछेगा या नेट पर सर्च करेगा.

अब इस आदमी के पास कई सारे ऑप्शन है, तो अब तीसरा स्टेज है: वो सारे ऑप्शन्स को चेक करेगा, अलग-अलग  ब्रांड के साबुनों की क्वालिटी, खुशबू और प्राइस कम्पेयर करने के बाद ही किसी डिसीजन पर पहुंचेगा.

उसके बाद कोई एक ब्रांड पसंद करके वो आदमी साबुन खरीद लेगा. तो एक खास ब्रांड का साबुन खरीदकर वो आदमी चौथे स्टेज पर पहुंचा जो है डिसीजन मेकिंग स्टेज.

पांचवा और अगला स्टेज है इवैल्यूएशन स्टेज. यहाँ कस्टमर घर पर साबुन को इस्तेमाल करता है और उसकी खुशबू, फीलिंग, क्वालिटी या कलर को अपनी रेटिंग देता है.

अब अगर उस आदमी को ये साबुन अच्छा लगा तो ज़ाहिर है अगली बार भी यही साबुन खरीदेगा.

तो इस तरह डिफरेंट स्ट्रेटेज़ीज़ को समझकर जो आप एक मार्केटर के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है, आप अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेज़ी बना सकते है और एडजस्ट कर सकते है जब तक कि आप एक ऐसे क्लियर और प्रैक्टिकल कोर्स ऑफ़ एक्शन पर ना पहुँच जाओ जो आपके क्लाइंट के लिए फायदेमंद साबित हो.

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Ethics

दूसरे  एमबीए कोर्स से हटकर एथिक्स एक न्यू एडिशन है जो कई सारे नए एमबीए टीचिंग प्रोग्राम में शामिल किया गया है. पहले एथिक्स एक ऐसा सब्जेक्ट हुआ करता था जो एमबीए स्टूडेंट्स खुद चूज़ करते थे कि उन्हें स्टडी करना है या  नहीं . लेकिन आजकल कई फेमस यूनिवरसिटी जैसे कि हार्वर्ड ने इस टॉपिक को अपने एमबीए कोर्स का एक इम्पोर्टेन्ट पार्ट बना लिया है.

जब हम एथिक्स की बात करते है तो मन में ये खयाल आता है कि शायद ये कोर्स इसलिए डिजाईन किया गया है ताकि एमबीए स्टूडेंट्स को एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिल सके. लेकिन ये कोर्स स्टूडेंट्स के बारे में  नहीं  है बल्कि उन एथिकल मुद्दों के बारे में है जो वो अपने वर्कप्लेस में फेस कर सकते है.

इन एमबीए स्टूडेंट्स को आमतौर पर role-play और केसवर्क के थ्रू सिखाया जाता है ताकि एथिकल इश्यूज पर उनकी अवेयरनेस बढ़े और वो सीख पाएँ कि फ्यूचर में उन्हें किस तरह से डील करना है.

इन एथिकल मामलों में एनवायरनमेंट के इश्यू जैसे पोल्यूशन, सेक्सुअल हैरसमेंट या रिश्वतखोरी जैसे टॉपिक्स आते है.
अगर आप अपने एमबीए कोर्स में एथिक्स ले रहे है तो आपको इसमें दो मेजर टॉपिक्स पढ़ने को मिलेंगे.  पहला, आप स्टेकहोल्डर एनालिसिस के बारे में सीखेंगे जो उन अनएथिकल डिसीजंस से रिलेटेड है जो अक्सर कंपनीज लेती है.

ये डिसाइड करने से पहले कि कंपनी का डिसीजन एथिकल है या  नहीं , आपको कुछ स्टेप्स  फॉलो  करने होंगे ताकि आप सिचुएशन को एनालाइज कर सके. आपको एक लिस्ट बनानी होगी कि किस पर सिचुएशन का असर पड़ा रहा है और किसे इसका फायदा मिल रहा है, फिर आप हर पार्टी के राईट्स और ड्यूटीज़ साथ इस रीजल्ट को कम्प्येर करो.

इस प्रोसेस को  फॉलो  करके आपको पता चल जाएगा कि वो डिसीजन एथिकल है या उससे किसी को नुकसान पहुँच रहा है.

दूसरी चीज़ : आप रिलेटीविज्म के बारे में पढ़ेंगे. रिलेटीविज्म स्टडी करता है कि आखिर अनएथिकल डिसीजन्स लिए ही क्यों जाते है. कुछ कंपनीज़ ये मानती है कि हर चीज़ रिलेटिव है. जैसे एक्जाम्पल के लिए, अगर कोई कंपनी इस बात पर जोर देती है कि कंपनी के अंदर कंपनी का कल्चर  फॉलो  करना जरूरी है तो वो आपको ये सोचने पर मजबूर कर रही है कि कोई भी उन्हें जज  नहीं  कर सकता, चाहे वो एथिकल डिसीजन ले या अनएथिकल, क्योंकि उनके हिसाब से तो वो जो करेंगे एकदम लीगल है.

अब जैसे रिश्वतखोरी  किसी देश में इललीगल मानी जाती है जबकि किसी  दूसरे  देश में एक एकदम लीगल हो सकती है. तो कुछ कंपनीज क़ानून के चंगुल से बचने के लिए इसे एक लूपहोल की तरह यूज़ करके ऐसी जगह मूव कर सकती है जहाँ अनएथिकल इश्यूज लीगल हो.

कई बार यू.एस, कंपनीज़ के केस में ऐसा होता है कि उनके कुछ बिजनेस होस्ट देश के कल्चरल लॉ के हिसाब से गैरकानूनी होते है, ऐसे में ये कंपनीज़ अगर किसी डेवलपिंग कंट्री में भी बिजनेस करती है तो भी वहां के हिसाब से रिश्वत लेना इललीगल माना जायेगा.

कई बार ऐसा भी होता है कि ये कंपनीज़ अपने होस्ट कंट्री के लॉ के हिसाब से चलती है और रिश्वत देकर उस देश में अपना गैरकानूनी धंधा चलाती रहती है और कानून के चंगुल से भी बची रहती है.

एक एमबीए के तौर पर आपको इन सारे इश्यूज की जानकारी होनी चाहिए और ये भी मालूम होना चाहिए कि इस तरह के इश्यूज से कैसे निपटना है.

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