(Hindi) Self-Development and The Way to Power
इंट्रोडक्शन
क्या आप अपनी मौजूदा ज़िंदगी में खुश है? ऐसा क्या है लाइफ में जो आपको हमें शा परेशान करता है? क्या आप लाइफ में कुछ चीजों से इस कदर परेशान है कि लाइफ की बाकि खुशियों को नजरअंदाज़ कर देते हो?
मेरे साथ रीपीट कीजिये: आपका नैचुरल स्टेट ऑफ़ माइंड हमें शा खुश रहना चाहिए. चाहे जो भी हो हमें ज़िंदगी में हमें शा खुश रहने की आदत डालनी चाहिए. पर हम हर वक्त उदास क्यों रहते है? वो इसलिए क्योंकि हमें खुशियों का असली मतलब नही पता.
इस बुक में आप पढेंगे कि इग्नोरेंस कैसे दूर की जाए और कैसे खुद को डेवलप किया जाए ताकि हम वो बेस्ट पर्सन बन सकें जो हम बन सकते हैं.
तो आइए अपनी ज़िंदगी में एक नया बदलाव लाने के लिए इस बुक को पढ़ते हैं.
आपको लाइफ में खुशियाँ चाहिए, है ना? लेकिन जो लोग खुशियाँ छोडकर उदासी को गले लगाते है, उनसे बड़ा बेवकूफ कोई नही हो सकता. इस बुक के ऑथर एल. डब्ल्यू रॉज़र्स का मानना है कि इंसान स्वभाव से ही एक खुशमिजाज़ प्राणी है. खुश रहना हमारे लिए उतना ही नैचुरल है जितना कि समुंद्र और पहाड़ है. क्या आप जानते है हमें दुःखी क्यों रहते है? अपनी खुद की नासमझी की वजह से? अगर हम ये समझ जाए कि हमारी खुशियाँ हमारे हाथ में है तो हमें दुनिया की कोई ताकत दुःख नही दे सकती. चाहे कितनी ही मुश्किलें क्यों ना आये, हम हमें शा खुश रहेंगे क्योंकि इग्नोरेंस ही सारी मुसीबतों की जड़ है.
ये हमारे अंदर बुराई और लालच का जहर भरती है और हम दुखी रहने लगते है. दरअसल ज़िंदगी में spiritual enlightenment का होना बहुत जरूरी है जो हमें हर चुनौती से लड़ने की ताकत देता है. ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों की लाइफ में spirituality की कमी होती है, वो औरो के मुकाबले ज्यादा परेशान रहते है. जैसे अगर कभी उनकी अपने पार्टनर से लड़ाई हो जाये तो एकदम से ब्रेक-अप के बारे मे सोचने लगते है या जैसे किसी दिन सुबह ऑफिस में सब कुछ बढिया चल रहा हो तो बड़े खुश हो जायेंगे और दोपहर को बॉस ने डांट दिया तो उनकी वही ख़ुशी गम में बदल जाती है.
यानी ऐसे लोग छोटी-छोटी बातो से दुखी हो जाते है. ऐसे लोग पल भर में किसी से भी नाराज़ या खुश हो सकते है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर हमारे दुखो की वजह क्या है. हमने ऐसा क्या किया है कि खुशियाँ हमारे पास नही फटकती. अगर इंसान का बस चले तो वो अपनी ज़िंदगी का हर गम, हर परेशानी मिटा दे. लेकिन भविष्य किसने देखा है. कल क्या होगा ये कोई नहीं जानता. पर आपकी इग्नोरेंस आपको मुश्किल वक्त में और ज्यादा दुःख देती है.
पर spiritual enlightenment हमें चीजों को अलग नजरिये से देखना सिखाती है. ये हमें एहसास कराती है कि हम ऐसा क्या करें कि अगर दुःख आये भी तो हमें तकलीफ ना दे सकें .
असल में हमारी ज़िंदगी उस अँधेरे कमरे की तरह है जिसमे हम रास्ता ढूंढने की कोशिश कर रहे है. और इस कोशिश में हम कई बार चीजों से टकराते है, पर spiritual enlightenment वो स्विच है जिसे दबाते ही नॉलेज की रौशनी हो जाती है और हमें हर चीज़ साफ़-साफ नजर आने लगती है.
क्या कभी आपने सोचा है, मौत हमें दुखी क्यों कर देती है? जवाब सीधा है, मौत हमारे परिवार, दोस्त और उन लोगो को हमसे छीन लेती है जिन्हें हम बहुत प्यार करते है. पर सच तो ये है कि मरने वाले कभी हमसे दूर नही जाते. सुनने में अजीब लगता है ना पर यही सच है. लेकिन ये बात आप तभी समझ पायेंगे जब आपके अंदर spiritual enlightenment होगी. मौत से डरने की एक और वजह ये है कि हम मौत को समझ नही पाते है, मौत हमारे लिए एक मिस्ट्री है. इंसान जब से इस धरती पर आया है, हमें शा मौत से डरता रहा है. लेकिन जो मौत का रहस्य समझ गया फिर उसे मौत भी नही डरा सकती.
कभी आपने सोचा है क्यों हम लोगो से नफरत करते है? इसकी वजह है इंसान की छोटी सोच. हम भूल जाते है कि हम एक दूसरे से जुड़े हुए है. जैसा हम दूसरो से पेश आयेंगे, वो भी हमारे साथ वही व्यवहार करेंगे. प्यार के बदले प्यार और नफरत के बदले नफरत मिलती है. क्योंकि हम इंसान आपस में जुड़े हुए है, एक की सोच दूसरे के दिल तक पहुँच जाती है. जो हम बोयेंगे, वही तो काटेंगे.
क्यों आधी से ज्यादा दुनिया आज भी गरीबी और बिमारी में जी रही है ? इसकी वजह भी इंसान की इग्नोरेसं ही है. इंसान ने गरीबी और बीमारी खुद बनाई है और आज इंसान खुद ही इस दर्द से जूझ रहा है और उसे ये भी नहीं मालूम कि हम इस गरीबी और बीमारी से निजात कैसे पाए. और ना ही हम उसे इवोल्यूशनरी पॉइंट ऑफ़ व्यू से समझने की कोशिश करते है.
अगर इन सवालों के जवाब सच्चे दिल से ढूँढने की कोशिश करें तो ना ये गरीबी रहेगी और ना ही जानलेवा बीमारियाँ.
हमारी ज़िंदगी में spiritual enlightenment का होना बहुत जरूरी है ताकि हमारी ज़िंदगी में जो दुःख है या जिन तकलीफों से हम गुजर रहे है, हम उनसे ऊपर उठ कर सोच सकें . हम दुखी है क्योंकि हमारे अंदर इग्नोरेंस है पर जिस दिन आपको enlightenment मिलेगी, आपकी ज़िंदगी से दुःख खुद-ब-खुद चला जाएगा.
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इंसान के विकास की यात्रा शुरू हुई तो साथ ही उसके अंदर फाइव सेंसेस भी डेवलप हुए. लेकिन इन फाइव सेंसेस के साथ एक सिक्स्थ सेंस भी होती है जो सबके अंदर उतनी डेवलप नही होती. और यही वो सेंस है जो हमें spiritual enlightenment तक लेकर जाती है. और आपकी ये सिक्स्थ सेंस है Clairvoyance यानी टैलीपैथी जिसे हमें दूरद्रष्टि भी बोलते है. बहुत से लोग Clairvoyant होने का दावा करते है पर इ सकें बावजूद बहुत हम लोग इस आर्ट के मास्टर बन पाते है.
Clairvoyance का मतलब है अपने अदंर की कांशसनेस को बढ़ाना.यानी अपने अंदर एक कम्प्लीट न्यू लेवल की नॉलेज को अनलॉक करना. आम लोगो को इस लेवल की नॉलेज एक चमत्कार जैसी लगती है पर Clairvoyance कोई चमत्कार नही है ये बस हमें इस काबिल बना देती है कि हम और भी ज्यादा सेल्फ अवेयर हो जाते है. Clairvoyant होने का मतलब है हमें वो चीज़े भी नजर आने लगती है जो आँखे नहीं देख पाती.
ये एक तरीका है अपने आप को डेवलप करने का. जैसे हमारी फाइव सेंस्सेस इवोल्व हुई है वैसे ही सिक्स्थ सेंस को भी इम्पोर्टेंस दी जानी चाहिए. इस दुनिया में रोज नए बदलाव आते है. इसलिए हमें भी खुद को बदलते रहना चाहिए. अब जैसे कि एक महीने या एक साल पहले हम कुछ और थे, हमारी सोच अलग थी, हालात अलग थे. इसलिए हर बदलाव स्वीकार करें . बदलाव से भागे बल्कि उसे दिल से अपनाए तभी आप spiritual enlightenment की तरफ बढ़ पाएंगे.
लेकिन सवाल ये है कि spiritual enlightenment की ओर बढने की शुरुवात कैसे की जाए? सबसे पहले तो अपने मन से चेंज का डर निकाल दे और दूसरा, खुद को ग्रो होने दे. मान लो आपने एक साल तक अपने लेफ्ट हाथ से कोई काम नही किया, उसे इस्तेमाल करना बंद कर दिया तो क्या होगा? ज़ाहिर है एक साल बाद जब आप बाएं हाथ से कुछ करना चाहेंगे तो कर नही पाएंगे. क्योंकि आपका बायाँ हाथ एकदम कमजोर पड़ गया है. इसलिए ग्रो करते रहिये, आगे बढने का और कुछ सीखने का एक भी मौका मत छोड़ो. तीसरी बात, फिजिकल और मेंटल एक्सरसाईज करना बेह्दं जरूरी है. अपनी बॉडी और माइंड हेल्दी रखो. पोजिटिव सोचो. जो आपके लिए अच्छा है वही मनोरंजन करो. क्योंकि जो हम सोचते है, वही हम बनते है.
जैसा कि हम बार-बार कह रहे है, ज़िंदगी में बदलाव लाना जरूरी है. खाली दिमाग शैतान का घर होता है. जब हम कुछ नही करते तो हमारी बॉडी और माइंड दोनों को जंग लगना शुरू हो जाता है. अव जैसे कि हर्मिट क्रैब (केकड़ा) अपनी बॉडी की बनावट के लिहाज़ से काफी अच्छा है. इसकी बॉडी में एक हार्ड यानी सख्त शेल होता है और इसकी टाँगे भी काफी लंबी होती है. हर्मिट क्रेबस किसी भी परिस्थिति में ढल जाते है पर बाकि केकड़ों के मुकाबले हर्मिट क्रैब आलसी होते है. ये उन शेल्स में जाकर रहते है जिन्हें दूसरे जानवर छोड़ जाते है, जबकि दूसरे केकड़े ऐसा नही करते.
इसलिए हर्मिट क्रैब बड़े आराम की ज़िंदगी जीते है लेकिन किसी दूसरे जानवर के शेल में जाकर रहना उन्हें कमजोर बना देता है, जो मोटा और मजबूत मेम्ब्रेन केकड़ों की बॉडी को कवर करता है, वो हर्मिट क्रैब की बॉडी से गायब होने लगता है. और उनकी बॉडी सिर्फ उन्ही शेल्स के अंदर सर्वाइव कर पाती है जिसमें वो रहते है. तो कहने का मतलब है खाली बैठना हमारे बॉडी और माइंड दोनों के लिए खतरनाक है. इससे हमारा विकास रुक जाता है. ज़िंदगी चलने का नाम है, आगे बढने का नाम है इसलिए चलते रहो.
इसलिए ज़िंदगी के हर फील्ड में चाहे मेंटली हो या फिजिकली या फिर spiritually हमेशा आगे बढने के मौके ढूंढते रहो. अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलना सीखो. जो भी चेंजेस आये उन्हें एक्सेप्ट करना सीखो. बदलाव की आदत डाल लो. और हमारी पूरी लाइफ का मोटो भी यही होना चाहिए. प्रोग्रेस करना है तो ग्रोथ करनी पड़ेगी.
अपनी प्रॉब्लम का सिर उठाकर बिना डरे सामना करना सीखो. मुश्किल वक्त में भी मुस्कुराने से हमारी हिम्मत दोगुना बढ़ जाती है. आप परसिस्टेंट तभी बन पाओगे जब आप अपनी हार स्वीकार करना सीखोगे. अगर आपके सेल्फ रिस्पेक्ट को ठेस पहुँची है तो आप अपने अंदर नम्रता यानी मॉडेस्टी लेकर आओ क्योंकि यही एक तरीका है जिससे हम ग्रो कर सकते है.