(Hindi) Blue Ocean Strategy
इंट्रोडक्शन(Introduction)
ब्लू ओशन एक इफेक्टिव मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है जिसे ख़ास तरह से डिज़ाइन किया गया है औरइसे फॉलो करने से सक्सेस मिलने की guarantee होतीहै. येआज के मॉडर्न मार्केट में बहुत मददगार साबित होगी ख़ासकर जहां इतना ज़बरदस्त competition है.
इस बुक में आप ब्लू ओशन स्ट्रेटेजी बनाने के 4 प्रिसिप्लस के बारे में जानेंगे. आप ऐसे टूल्स और फ्रेमवर्क के बारे में सीखेंगे जिनका इस्तेमाल कर आप मार्केट को जज करने के बाद अपना अगला स्टेप डिसाइड कर सकते हैं.
चाहे आप माने या ना मानें लेकिन ग्रोथ और प्रॉफिट के लिए मार्केट में अनलिमिटेड मौके मौजूद हैं. एक तरीका है जिससे आप हर competition को बेअसर कर सकते हैं.
अगर आप किसी बिज़नेस में नए भी हैं तो भी आप एक कमाल का और बेहद सक्सेसफुल प्रोडक्ट बना सकते हैं और नंबर 1 बन सकते हैं. आपको बस एक ब्लू ओशन की ज़रुरत होगी. तो आइए बिना देर किए इसके बारे में जानते हैं.
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क्रिएटिंग ब्लू ओशन (Creating Blue Ocean)
रेड ओशन ट्रेडिशनल मार्केटिंग के बारे में बताता है.यहाँ हर कंपनी एक दूसरे को बीट करने की कोशिश करती है. वो कम दाम, बेहतर प्रोडक्ट फीचर और attractive मार्केटिंग की मदद से एक दूसरे से मुकाबला करते हैं. हर कंपनी मार्केट का एक बड़ा हिस्सा और ज़्यादा से ज़्यादा कस्टमर्स को अपनी ओर attract करने की कोशिश में लगी रहती है.तो इससे होता ये है कि मार्केट में बहुत ज़्यादा भीड़ हो जाती है और ग्रोथ और प्रॉफिट की opportunity कम होती चली जाती है. competition को बीट करने की कोशिश में कई कंपनी वो प्रोडक्ट बनाने लगती है जो पहले से ही मार्केट में मौजूद है और जिनसे कस्टमर ऊब चुके हैं.
यहाँ एक दूसरे से आगे निकलने की इतनी होड़ लगी हुई है कि इसे रेड ओशन कहा जाता है. अब ब्लू ओशन एक बिलकुल नई तरह की मार्केटिंग है. ये वो स्ट्रेटेजी है जिसे ज़्यादा लोगों ने आज़माया नहीं है.इसमें भरपूर ग्रोथ और प्रॉफिट की opportunity मौजूद है. अगर कोई कंपनी ब्लू ओशन क्रिएट करती है तो वहाँ कोई competition नहीं होगा और प्रोडक्ट के डिमांड की कोई लिमिट नहीं होगी.
competition से जीतने का या उससे ऊपर उठने का एक ही तरीका है कि हमें ट्राय करना बंद करना होगा. ब्लू ओशन इसी लॉजिक पर काम करता है.इसके लिए कंपनी को ज़रुरत है कि वो एक बिलकुल नया ऑफर क्रिएट करे जिसकी लोगों को सच में ज़रुरत है और जिसे वो लंबे समय से खोज रहे हैं. ब्लू ओशन का एक बेहतरीन एक्जाम्पल हैCirque du Soleil.
एक समय था जब सर्कस इंडस्ट्री दिन-ब-दिन छोटी होती जा रही थी. Barnum & Barley और Ringling Bros. जैसे मशहूर नाम अब अतीत की बात हो गए थे.उनका टारगेट मार्केट बच्चे थे, यही कारण थे कि उनका मेन अट्रैक्शन जानवर हुआ करते थे.लेकिन आजकल के बच्चे सर्कस देखना नहीं बल्कि ऑनलाइन गेम्स खेलना पसंद करते हैं. इसलिएCirque du Soleil ने बड़ों और कॉर्पोरेट क्लाइंट्स की पसंद और ज़रुरत के हिसाब से एक नया मार्केट स्पेस बनाया. ये सर्कस के कांसेप्ट को बदलाव के साथ सामने लेकर आए.
जहां बाकि सर्कस ज़्यादा मजाकिया और फेमस जोकर को शो में लाकर मुकाबला कर रहे थे वहीँ Cirque du Soleil को इन सब की परवाह नहीं थी. उन्होंने बिलकुल यूनिक और फ़्रेश कांसेप्ट से शो को रीडिज़ाइन किया. उन्होंने सर्कस और थिएटर को एक दूसरे से जोड़कर अपना शो प्रेजेंट किया. इसमें सर्कस का मज़ा और एडवेंचर भी था और थिएटर का आर्ट भी.
उनके हर शो का एक थीम या कहानी होती थी. इसके साथ ही उनका ओरिजिनल म्यूजिक कम्पोजीशन उनके एक्ट की लाइटिंग और परफॉरमेंस में चार चाँद लगा देता था.उनके शो में अब भी जोकर परफॉर्म करते थे लेकिन वो ज़्यादा हंसी मज़ाक या बेफ़िजूल की कॉमेडी के बजाय आर्ट पर ध्यान देने लगे. उनके यहाँ acrobats भी परफॉर्म करते लेकिन उनके स्टंट्स में सुंदरता और ग्रेस शामिल था जो उन्हें दूसरों से अलग बनाता था.
Cirque du Soleil ने जानवरों का इस्तेमाल करना पूरी तरह बंद कर दिया था. एनिमल ग्रुप्स के विरोध के अलावा, जानवरों की देखभाल, उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, उनकी दवाइयां, उनकी ट्रेनिंग एक बहुत बड़ा चिंता का कारण था. इसके साथ ही उन्होंने फेमस स्टार पेर्फोर्मेर्स के एक्ट को भी पूरी तरह बंद कर दिया था.
अब वहाँ कोई स्टार परफ़ॉर्मर नहीं था. शो की कहानी को उन्होंने क्रिएटिविटी से एंटरटेनिंग बना दिया था. वो अपने वेन्यू को इस तरह बनाते कि लोगों को लगता था कि वो किसी जादुई दुनिया में जा रहे हैं जहां कोई भी चमत्कार हो सकता था. सर्कस और थिएटर को जोड़कर उन्होंने एक नए तरह का लाइव एंटरटेनमेंट लोगों को दिया था. उन्होंने सर्कस के महंगे एक्ट्स पर कम खर्च कर क्रिएटिविटी में ज़्यादा पैसा इन्वेस्ट किया. इस तरह उन्होंने एक ब्लू ओशन क्रिएट कर लोगों को ऐसा एक्सक्लूसिव एक्सपीरियंस दिया जिसके लिए दुनिया भर के एडल्ट पैसा ख़र्च कर उनका शो देखने के लिए तैयार हैं.
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एनालिटिकल टूल्स एंड फ्रेमवर्क (Analytical Tools and Framework)
इस चैप्टर में आप 4 इम्पोर्टेन्ट स्ट्रेटेजी के बारे में जानेंगे. ये टूल्स आपको मार्केट को स्टडी करने में मदद करेंगे ताकि आप डिसाइड कर सकें कि आगे क्या एक्शन लेना चाहिए. इसे अच्छे से समझने के लिए, आइए अमेरिका की वाइन इंडस्ट्री के बारे में बात करते हैं.
ये इंडस्ट्री भी एक रेड ओशन है. कैलिफ़ोर्निया wines का स्पेन, फ्रांस और इटली से इम्पोर्ट की जाने वाली वाइन से ज़बरदस्त competition है. टॉप आठ कंपनियां कामार्केट के 75% पर कब्ज़ा है जिसमें वो एक दूसरे से आगे निकलने की रेस में लगे रहते हैं जबकि 25% के लिए 1600 छोटी कम्पनीज का एक दूसरे से मुकाबला है.
ये स्ट्रेटेजी कुछ इस तरह है. ये एक ग्राफ है जो आपको उन फैक्टर्स को दिखाता है जिसमें brands इन्वेस्ट कर रहे हैं और कितना इन्वेस्ट कर रहे हैं.
अमेरिका की वाइन इंडस्ट्री में 7 main फैक्टर्स होते हैं. पहला है, price per bottle यानी एक bottle की कीमत. दूसरा है, वाइन बनाने के टर्म्स लिखी हुई हाई क्लास पैकेजिंग. तीसरा है, हाई क्लास मार्केटिंग. चौथा है, वाइन की एजिंग क्वालिटी. पांचवा है, vineyard की प्रेस्टीज. छठा है, वाइन का taste. सांतवा है, वाइन की वैरायटी.
प्रीमियम क्वालिटी की वाइन के लिए सभी टॉप कम्पनीज इन सातों फैक्टर्स में लगभग equally इन्वेस्ट करती है. कम दाम की वाइन या बजट वाइन के लिए, छोटी कम्पनीज उसकी प्राइस कम रखती हैं, उसकी पैकेजिंग में ज़्यादा खर्च करती है और बचे हुए फैक्टर्स में equally इन्वेस्ट करती है.
अगर आप भी इन कम्पनीज में से एक हैं तो चाहे आप जिस तरह भी फैक्टर्स को एडजस्ट करने की कोशिश करें, आप सक्सेसफुल नहीं हो सकते. जब तक आप उन घिसे पिटे रूल्स को अपनाकर अपने competitors को बीट करने की कोशिश करेंगे तब तक आप मार्केट पर कब्ज़ा नहीं कर पाएँगे. आइए ऑस्ट्रेलिया के Casella Wines पर एक नज़र डालते हैं और कैसे उनके ब्रैंड [yellow tail] ने ब्लू ओशन क्रिएट किया.
[yellow tail] 2003 में मार्केट में छा गए थे जब उन्होंने एक मज़ेदार,अलग और इजी-टू-ड्रिंक वाइन बनाई जिसे बीयर और कॉकटेल लवर्स भी पीना पसंद करते थे.वो अमेरिका के मार्केट में आए और नंबर वन बन गए. यहाँ तक कि उन्होंने फ्रांस और इटली से इम्पोर्ट की जाने वाली प्रीमियम वाइन को भी पीछे छोड़ दिया था. 2003 में, उनकी annual सेल 4.5 मिलियन case थी. 750 ml की रेड वाइन की bottle बेस्ट सेलर बन गई थी.
ये एक सोशल ड्रिंक थी जिसके स्वाद की वजह से उसे हर कोई पीना पसंद करता था. इसका सॉफ्ट, मीठा फ्रूटी taste सबको पसंद आया था. सिर्फ़ इतना ही नहीं, इसकी bottle और पैकेजिंग भी दूसरों से अलग और यूनिक थी. बाकि सभी brands की वाइन दिखने में एक जैसी थी लेकिन [yellow tail] की वाइन neon colours के साथ काले रंग की थी. ये सिंपल तो था लेकिन सबका ध्यान अपनी ओर खींचने वाला था.
उसकी इमेज के बीच में सिर्फ़ एक kangaroo बना हुआ था. [yellow tail] के कारण रिटेल स्टोर्स में सेल्स क्लर्क को दूसरे वाइन बेचने में मुश्किल होने लगी. जब [yellow tail] को मार्केट में लाया गया तब उसमें दो तरह के वाइन थे,रेड वाइन और white वाइन. Casella Winesने consumer और रिटेलर्स दोनों के लिए प्रोडक्ट को सिलेक्ट करना बहुत आसान बना दिया था.
तो आप competition को ब्रेक करने के लिए और नए रूल्स सेट करने के लिए क्या करेंगे? आप सारे फैक्टर्स को एक नए लेवल पर कैसे ले जा सकते हैं जैसे [yellow tail] ले कर गया? इसका जवाब है फोर एक्शन फ्रेमवर्क के ज़रिए. वो चार एक्शन हैं eliminate, reduce, raise और create.
पहले ये जानना ज़रूरी है कि किन फैक्टर्स को eliminate यानी हटाया जा सकता है. ये फैक्टर कस्टमर के लिए इम्पोर्टेन्ट नहीं होते. दूसरा, ये देखना कि किन फैक्टर्स को कम किया जा सकता है यानी reduce. ये ऐसे फैक्टर्स हैं जिन पर दूसरी कम्पनीज बहुत ज़्यादा इन्वेस्ट करती हैं. तीसरा, ये जानना कि किन फैक्टर्स को बढ़ाना चाहिए यानी raise. ये वो फैक्टर्स हैं जिन पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रुरत है.चौथा, ये जानना कि कौन से फैक्टर्स को बनाया जाना चाहिए यानी क्रिएट. ये ऐसे फैक्टर हैं जिन्हें बाकि कम्पनीज ने कभी ऑफर नहीं किया है या जिसके बारे में कभी सोचा तक नहीं है.
[yellow tail] के केस में उन्होंने हाई क्लास पैकेजिंग, वाइन बनाने के टर्म्स, वाइन की एजिंग क्वालिटी और हाई क्लास मार्केटिंग को eliminate कर दिया था. उन्होंने vineyard की प्रेस्टीज, वाइन की वैरायटी और उसके taste के फैक्टर्स को reduce कर दिया था. उन्होंने रिटेल स्टोर में इन्वोल्वेमेंट और प्राइस versus बजट वाइन को raise किया और नए फैक्टर्स जैसे fun, एडवेंचर, इजी ड्रिंकिंग और सिंपल सिलेक्शन को क्रिएट किया था.
कुछ फैक्टर्स को eliminate और reduce कर Casella Wines ने प्रोडक्शन कॉस्ट में लगने वाले काफ़ी पैसे बचाए थे. कहा जाता है कि वाइन जितनी पुरानी होती है उसकी क्वालिटी उतनी अच्छी होती जाती है. लेकिनCasella Wines को अपने वाइन की अच्छी क्वालिटी के लिए सालों इंतज़ार नहीं करना पड़ा क्योंकि नए फैक्टर्स क्रिएट कर उन्होंने मार्केट को जीत लिया था.
[yellow tail] ने अपने बेहतरीन, मज़ेदार, फ्रेश और टेस्टी वाइन के द्वारा नॉन-ड्रिंकर्स को भी उनकी वाइन पीने पर मजबूर कर दिया था. और सबसे बड़ी बात, Casella Wines ने मार्केटिंग पर ज़्यादा इन्वेस्ट नहीं किया इसके बावजूद उनका प्रोडक्ट एक क्रेज़ बन गया क्योंकि वो इतना यूनिक था कि उसने ख़ुद कस्टमर्स को अपनी ओर attract कर लिया था.