The Gifts of Imperfection: Let Go of Who You Think You’re Supposed to Be and Embrace Who You Are: Library Edition (Hindi)

The Gifts of Imperfection: Let Go of Who You Think You’re Supposed to Be and Embrace Who You Are: Library Edition (Hindi)

इंट्रोडक्शन (Introduction)

इम्पर्फेक्शन एक ऐसा शब्द है जिससे सब डरते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपका यही इम्पर्फेक्शन यानी कमियाँ एक स्पेशल गिफ्ट भी हो सकता है? क्या आप एक परफ़ेक्ट इंसान का रोल निभाते निभाते थक गए हैं? क्या आप लोगों को संतुष्ट करने का बस एक टूल बन कर रह गए हैं? क्या आप हर काम में परफेक्ट बनने की कोशिश में लगे हुए हैं लेकिन बार बार फेल हो जाते हैं? अगर हाँ,तो ये बुक आपको आपके इम्पर्फेक्शन से कैसे परफेक्ट बनना है वो सिखाएगी. आप अपनी कमियों को गले लगाना सीख जाएँगे. आप खुल कर ख़ुद से प्यार करने लगेंगे.

आप अपने डर और इन्सिक्युरिटी को हरा कर अपने इम्पर्फेक्शन को अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करना सीख जाएँगे. किसी कमि के कारण खुद को छुपाने और लोगों से दूर करने की बजाय आप कॉन्फिडेंस के साथ उनसे डील करना सीख जाएँगे. आपको ख़ुद के अंदर गहराई से झाँकना होगा. आपको appreciation और बड़ाई सुनने के लिए लोगों का मुँह देखना बंद करना होगा. सिर्फ़ तब आप खुद की काबिलियत और सच्चाई को समझ पाएँगे. तो आइये इस अनमोल बुक को पढ़ते हैं और समझते हैं कि अपने कमियों को कैसे गले लगाया जा सकता है.

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करेज, कम्पैशन एंड कनेक्शन – द गिफ्ट्स ऑफ़ इम्पर्फेक्शंस  (Courage,Compassion and Connection-The Gifts of Imperfections)

कुछ लोग ख़ुद को किसी काम का नहीं समझते ,तो कुछ लोग समझते हैं कि वो कुछ भी कर सकते हैं, वो खुद से ख़ुश और संतुष्ट होते हैं. इसलिए पहले तो हमें ये समझने की ज़रुरत है कि हम सही मायनों में हैं क्या और फ़िर हम जैसे भी हैं वैसे ही खुद को अपनाकर गले लगाने की ज़रुरत है. ऐसा करने के लिए हमें अपनी कमियों को गिफ्ट्स की तरह देखना होगा. इस बुक की ऑथर ब्रेने ब्राउन ने हिम्मत (करेज), सहानुभूति (compassion) और कनेक्शन को गिफ्ट्स बताएं हैं, लेकिन कैसे?

उनके अनुसार अगर हम अपनी कमियों से दूर भागने की बजाय उसका सामना करते हैं तो इसका मतलब है कि हम बहुत हिम्मत वाले हैं. अगर हम किसी इंसान को हमारी कमियाँ के बारे में बताते हैं या जो प्रॉब्लम हमें परेशान कर रही वो उससे शेयर करते हैं तो इसका मतलब है कि हमें उनसे सहानुभूति मिल रही है. लेकिन ध्यान रखियेगा आपको एक सही इंसान को बताने की ज़रुरत है, उऐसे इंसान को जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं ताकी वो आपकी बातों को जज ना करे बल्कि दिल से उसे समझ सके, ये होता है कनेक्शन.

इसके साथ ही, हमें शर्म की भावना को ख़त्म करना होगा ताकि हम खुद को पूरे दिल से अपना सकें. मान लीजिये, कि आपसे कोई गलती हो जाती है और बाद में आपको शर्म महसूस होने लगती है. उस प्रॉब्लम को समझ कर आपको किसी से उसके बारे में बात करनी चाहिए, हिम्मत जुटा कर किसी ऐसे इंसान से बात कीजिये जिस पर आप भरोसा कर सकते हों. ऐसा इंसान आपको सहानुभूति देता है और आपसे ये कहता है कि उसने भी ऐसी ही सिचुएशन का सामना किया है.

ऐसा करने से आप शर्म की भावना को चूर चूर कर देते हैं क्योंकि आपने अपनी कमियों को अपनाकर किसी से ये बात शेयर की. आप किसी से जुड़े और एक ऐसा कनेक्शन बनाया जहाँ आप दोनों एक दूसरे की स्ट्रगल को समझते हैं. आपको ये एहसास होगा कि आप अकेले नहीं हैं, ना जाने कितने लोग रोज़ किसी ना किसी  प्रोब्लम का और स्ट्रगल का सामना कर रहे हैं.

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एक्सप्लोरिंग द पॉवर ऑफ़ लव, बीलोंगिंग एंड बीइंग एनफ (Exploring the Power of Love, Belongingand Being Enough)

प्यार और अपनापन उन्हें मिलते हैं जो खुद को इसके लायक समझते हैं. ये दूसरों से अपनाए जाने के बारे में नहीं है बल्कि ये उस बारे में है कि आप खुद को कैसे देखते हैं. क्या आप खुद को प्यार के लायक समझते हैं?

लोगों को ऐसा लगता है कि सोसाइटी में काबिल होने के लिए कुछ चीज़ों का होना ज़रूरी है. जैसेलड़कियों को लगता है कि अगर वो समय से शादी कर लेंगी और बच्चे को जन्म देंगी तो लोग उन्हें ज़्यादा प्यार करेंगे, उन्हें ज़्यादा सम्मान देंगे. और लड़कों को लगता है कि अगर उन्हें हाई सैलरी वाली जॉब मिलेगी सिर्फ़ तब उन्हें पसंद किया जाएगा. बच्चों और टीनएजर्स को लगता है कि एग्जाम में उनके अच्छे मार्क्स आएँगे सिर्फ़ तब उन्हें प्यार और अपनापन मिलेगा.

ऐसी सोच का एक ही कारण है – आप समझते ही नहीं कि प्यार में ये चीज़ें मायने नहीं रखती. आप प्यार के काबिल हैं क्योंकि आप सिर्फ़ आप हैं, आप जैसे हैं वैसे ही काफ़ी हैं. हर कोई इस प्यार और अपनेपन का हकदार है.

आपको प्यार तभी मिलेगा जब आप खुद इस बात को स्वीकार करेंगे कि आप इसके लायक हैं. इसमें एक और रुकावट ये है कि हम अपनी कमजोरियों के बारे में बात ही नहीं करना चाहते. हम प्यार और अपनापन तो चाहते हैं लेकिन इसके बारे में discuss नहीं करना चाहते.

कभी कभी लोग कहते हैं कि हम तो सोसाइटी में आसानी से फिट हो जाएँगे और बस मान लेते हैं कि उन्हें अपनाया जा चुका है. लेकिन फिट होना और अपनाया जाना बिलकुल अलग अलग बातें हैं. आप फिट तब होते हैं जब आप खुद को सोसाइटी के रूल्स के अनुसार ढाल लेते हैं, उन्हें अपना लेते हैं. और अपनाया जाने का मतलब है कि आप जैसे हैं वैसे ही आपको एक्सेप्ट किया जाता है, आपको बदलने की कोशिश नहीं की जाती.

एक बार एक परिवार ने दूसरे जगह सेटल होने के लिए अपना घर छोड़ दिया था. वहाँ पहुँचने के बाद उन्होंने आस पास के लोगों की तरह खुद को ढालना शुरू कर दिया जबकि वहाँ का माहौल उनके रहन सहन के तरीके से बिलकुल अलग था. कुछ समय बाद वो उस सोसाइटी में फिट तो हो गए लेकिन इस चक्कर में उन्होंने खुद कोही खो दिया, अपनी असली पहचान को खो दिया. अब वो बस एक शैडो की तरह थे और अपनी लाइफ से बिलकुल संतुष्ट नहीं थे. उनका पूरा जीवन बहुत बेचैनी में बीता,दूसरों की तरह बनते बनते वो ये तक भूल चुके थे कि वो असल में हैं कौन.

अब, यही परिवार जैसे वो हैं बिलकुल वैसे ही रह सकते थे. वो छोटे छोटे स्टेप्स लेकर और दिल से दूसरों की परवाह कर के उस सोसाइटी का हिस्सा बन सकते थे. वो अपने नए सोसाइटी को दिखा सकते थे कि अलग होने के बावजूद वो सब शांति और प्यार से एक साथ घुल मिल कर रह सकते थे. अब यहाँ देखिये सिचुएशन बिलकुल होती. समय के साथ वो सोसाइटी उनकी पर्सनालिटी, उनके तौर तरीकों को दिल खोल कर अपना लेता. वो परिवार एक ख़ुशहाल और संतुष्ट लाइफ जी रहा होता.

तो, ये सब चॉइस की बात है. आप या तो रियल और सच्चा बनना चूज़ कर सकते हैं या फेक और दिखावा करने वाला बन सकते हैं. ऑथर ने हमें अपनी कमजोरियों  से आगे निकलने के लिए और सही डायरेक्शन दिखाने के लिए 10 गाइडपोस्ट बताएँ हैं.

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गाइडपोस्ट #1 : कल्टिवेटिंग ऑथेंटिसिटी  (Cultivating Authenticity)

खुद को एक्सेप्ट करने का सबसे पहला स्टेप है कि बिलकुल रियल और सच्चे रहिये. चाहे कैसी भी सिचुएशन हो, या डेस्टिनी आपसे सामने कैसी भी प्रॉब्लम ला कर रख दे, आप जैसे हैं बिलकुल वैसे ही बने रहिये. सबको ख़ुश करने की कोशिश में खुद को बदलना शुरू मत कर देना क्योंकि चाहे आप कितनी भी कोशिश कर लें आप कभी भी सबको ख़ुश नहीं कर सकते. लोग तब भी आपकी बुराई करने का कोई ना कोई कारण ढूँढ ही लेंगे.
खुद को वैसे ही गले लगाओ जैसे आप सच में हो. बनावटीपन और दिखावे से खुद को बचा कर रखो. और ये कोई स्पेशलक्वालिटी नहीं है जो आप में होनी चाहिए, ये तो बस आपकी चॉइस है. अगर आप सच्चे होंगे तो कोई आपको कुछ नहीं कह पाएगा, आप में कमी नहीं ढूंढ पाएगा. ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप सिर्फ़ कुछ देर के लिए रियल हैं और बाद में बदल गए. आपको हमेशा रियल ही रहना होगा,छोटी छोटी चीज़ों में रियल बनने की कोशिश करते रहना होगा.

चलिए मान लेते हैं कि आपको एक बहुत ज़रूरी प्रेजेंटेशन देना था और आपने उसे अच्छी तरह से तैयार नहीं किया. आपने कोशिश की लेकिन आप चिंता में हैं कि कहीं आप फेल ना हो जाएँ. अब, आपके पास दो चॉइस है.

पहला, आप दिखावा कर सकते हैं कि सब कुछ ठीक है. अपने दोस्तों के सामने डींगमार सकते हैं कि आपने बहुत अच्छा प्रेजेंटेशन दिया. दूसरा, एक्सेप्ट कीजिये कि हाँ आपने इतना बढ़िया काम नहीं किया. आप चिंता कर रहे हैं कि अबक्या करना चाहिए. फ़िर आप हिम्मत कर के किसी दोस्त के साथ ये शेयर करते हैं. अंत में आपको सहानुभूति मिलेगी कि चिंता करने की ज़रुरत नहीं है, ऐसा सबके साथ होता है और ये पूरी तरह नार्मल है.अगर  आप दिखावा करने और छुपने की बजाय रियल होना चूज़ करेंगे तो वो  आपको बहुत सैटिस्फैक्शन देगा,चिंता नहीं. ये attitude आपको हर प्रॉब्लम का solution भी देगा.

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