(hindi) THE FOUR STEPS TO THE EPIPHANY -Successful Strategies for Products That Win
इंट्रोडक्शन
बहुत से लोग कॉरपोरेट दुनिया से नफरत करने लगे हैं, और वे अपना खुद का बिज़नस शुरू करने में अपना लक ट्राई करना चाहते हैं. हालांकि ये बहुत रिस्की है, कुछ एंट्रेप्रेन्योर्स मेहनत करना चाहते हैं और एक ऐसी कंपनी बनाना चाहते हैं जो उन्हें एक ही दिन में अमीर बना दें.
स्टार्ट अप , एक कंपनी से अलग होता है. स्टार्ट अप एक ऐसा वेंचर है जहां शुरू से लेकर आखिर तक सब कुछ नया होता हैं. सिर्फ इसलिए कि आपके पास एक अच्छा आईडिया है, इसका ये मतलब नहीं होता कि आप सक्सेसफुल ज़रूर होंगे. इसलिए ये बुक आपके लिए बहुत ज़रूरी है.
इस बुक में, आप सीखेंगे कि कैसे बिज़नस करने के पुराने तरीके को छोड़कर, एक ऐसे नए बिज़नस मॉडल को लाया जाए जो हर बार आपको कामयाबी दें.
आप Customer Development business model के बारे में जानेंगे. ये एक कस्टमर बेस्ड बिज़नस का तरीका है जो आपको सिखाएगा कि कैसे अपने कस्टमर बेस को ढूंढें, कैसे प्लान को पास करवाएँ, कैसे ज़्यादा से ज़्यादा कस्टमर का ध्यान खींचे, और अपने स्टार्ट अप को बढ़ाकर खुद की कंपनी बनाएँ.
मान लीजिए आप अपना स्टार्ट अप शुरू करने की सोच रहे हैं. ऐसे में, ये बुक आपके दिमाग में बैठे आईडिया को असलियत की दुनिया में एक्सेक्यूट करने में आपका गाइड करेगा.
आइये शुरू करते हैं !
विनाश का रास्ता: प्रोडक्ट डेवलपमेंट मॉडल
क्या आप अपना खुद का बिज़नस शुरू करने के बारे में सोचते रहते हैं? फिर तो, आपको पता ही होगा कि ये एक आसान काम नहीं है. आपको ये मुश्किल, डरावना और महंगा लग सकता है. साथ ही, वो सब प्रॉब्लम्स भी जोड़ लीजिए जो आपको अपना खुद का बिज़नस चलाने के दौरान आ सकती हैं.
पहले, अगर आपके पास कोई नया आईडिया आता था, तो आपको प्रोडक्ट डेवेलपमेंट प्रोसेस को फॉलो करना पड़ता था. इस प्रोसेस में चार स्टेज हुआ करता था.
सबसे पहले, एक कंपनी शुरू करने के लिए, आपको कॉन्सेप्ट और सीड स्टेज से शुरुआत करनी पड़ेगी. ये वो स्टेज है जहाँ आपके आईडियास और कांसेप्ट को स्टेप-बाय-स्टेप प्लान में लिखना और ऑर्गनाइज़ करना पड़ता हैं.
दूसरा, आप इसमें प्रोडक्ट डेवलपमेंट स्टेज से गुजरेंगे. इस स्टेज में, आप अपने बिज़नस प्लान के लिए एक्शन लेना शुरू कर देंगे. इस स्टेज में, कम्पनी के अलग-अलग डिपार्टमेंट्स बनाए जा सकते हैं जैसे कि मार्केटिंग डिपार्टमेंट और सेल्स डिपार्टमेंट.
तीसरा, आपको अल्फा/बीटा टेस्ट स्टेज से गुजरना होगा. यही वो स्टेज है जहां आप कुछ चुने हुए कस्टमर्स के साथ अपने बिज़नस आईडिया या प्रोडक्ट की टेस्टिंग शुरू करेंगे. इस स्टेज के दौरान, आपको अपने प्रोडक्ट की पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट्स को पहचानना हैं.
आखिर में, आप अपने बिज़नस के लास्ट स्टेज में आ पहुंचेंगे: जो हैं प्रोडक्ट लॉन्च और फर्स्ट कस्टमर शिप स्टेज. यही स्टेज प्रोडक्ट डेवलपमेंट मॉडल को पूरा करता हैं. इसी स्टेज में आपके प्रोडक्ट और सर्विस को मार्केट में लॉन्च किया जाता है.
ये पुराना तरीका स्टार्टअप्स के लिए काम नहीं करता है. पहले, कंपनियाँ क्लियर और जाने-माने मार्केट को ही टारगेट करती थीं, लेकिन आजकल, हर स्टेप सिर्फ एक अंदाज़ा ही होता है. एक स्टार्ट अप एक आईडिया से शुरू होता है, और उसे ऐसे कस्टमर्स ढूंढ़ने पड़ते हैं जो उस आईडिया में इंटरेस्ट रखते हैं. और, ये पुराने ट्रेडिशनल मेथड में नहीं होता.
Webvan उन कंपनियों में से एक है जिन्होंने अपने बिज़नस को बनाने के लिए प्रोडक्ट डेवलपमेंट मॉडल का यूज़ किया गया. Webvan को एक बेहतरीन नए स्टार्टअप्स में से एक माना गया, जिसका आईडिया सबसे अलग था और जो शायद हर घर तक पहुंचेगा.
Webvan के पास फाइनेंशियल कैपिटल था और उसका गोल था इस 450 billion डॉलर की रिटेल ग्रोसरी बिज़नस को ऑनलाइन ऑर्डरिंग से बदलना.
ऐसा लग रहा था कि वे सब कुछ ठीक कर रहे थे, लेकिन उनके लॉन्च के 24 महीने बाद Webvan दिवालिया हो गया. तो, आपको क्या लगता है कि पूरी प्लानिंग के साथ काम करने के बावजूद ऐसा क्यों हुआ?
Webvan के फ़ैल होने की वजह थी उसका कस्टमर्स को अनदेखा करना.
हालाँकि इस कंपनी के पास एक अच्छा आईडिया था और उन्होंने इसे अच्छी तरह से एक्सेक्यूट भी किया था, फिर भी वे नाकाम रहे क्योंकि उन्होंने अपने मार्केट की स्टडी नहीं की थी. उन्होंने टेस्ट किए बिना ही एक सर्विस बनाई, बिना जाने ही कि क्या कस्टमर्स इस सर्विस का इस्तेमाल करेंगे या नहीं.
Webvan के प्लान एक्सेक्यूशन में कोई प्रॉब्लम नहीं थी, लेकिन वे कस्टमर को ढूंढ़ने के प्रोसेस में नाकाम रहे थे. वे ये समझने में फ़ैल हुए थे कि क्या उनके कस्टमर्स उनके प्रोडक्ट को पसंद करेंगे, क्या ये प्रोडक्ट बहुत काम की है, और क्या कस्टमर्स के पास इन प्रोडक्ट्स को हासिल करने का कोई दूसरा तरीका भी होगा. Webvan ने सीधे ये मान लिया कि पहले से ही वे इन सवालों के जवाब जानते हैं और सीधे प्रोडक्ट बनाना शुरू कर दिया.
बिज़नस बनाने के शुरुवाती स्टेज में, Webvan ने अपने प्रोग्रेस को देखने-समझने की कोई कोशिश नहीं की. इसके बजाय, उन्होंने अपने प्लान्स को अंजाम देने के लिए ज़ल्दबाज़ी की. अपने प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने के बाद ही उन्हें पता चला कि उनके आईडिया में किसी कस्टमर को दिलचस्पी नहीं थी.
उन्होंने कंपनी की सेल्स में इम्प्रूवमेंट करने के लिए हर स्ट्रेटेजी को अपनाने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे, और इस प्रोसेस में उन्होंने बहुत सारा पैसा खो दिया.
ये कंपनी इस बात का परफेक्ट एग्जाम्पल है कि कैसे प्रोडक्ट डेवलपमेंट मॉडल अब काम नहीं करता है. कामयाब होने के लिए, आपको अपने मार्केट और कस्टमर्स को समझने और अपने आईडिया को टेस्ट करने की जरूरत है. प्रोडक्ट लांच स्टेज तक पहुँचने से पहले ये पक्का करना बहुत ही ज़रूरी हैं कि बाजार में आपके प्रोडक्ट्स की डिमांड हैं और कस्टमर्स आपके प्रोडक्ट्स के लिए पैसे देने को तैयार है. यही हम अगले चैप्टर में डिसकस करेंगे.
एपिफेनी का रास्ता: कस्टमर डेवलपमेंट मॉडल
हमने पिछले चैप्टर में बात की कि प्रोडक्ट डेवलपमेंट मॉडल अब काम नहीं करता है. इसके बजाय, अगर आपके पास कोई बिज़नस आईडिया है, तो आपको कस्टमर बेस्ड नए मॉडल को फॉलो करना चाहिए. इसे इस चैप्टर और आने वाले चैप्टर्स में डिसकस करेंगे.
ये नया मॉडल बिज़नस करने के पहले के तरीके को बदलने के लिए नहीं आया, बल्कि इसमें इम्प्रूवमेंट लाने के लिए है. कस्टमर डेवलपमेंट मॉडल, कस्टमर, टेस्टिंग हाइपोथिसिस और आपके बिज़नस के बारे में सोचता है.
कस्टमर डेवलपमेंट मॉडल के चार स्टेजेस हैं. सबसे पहले, कस्टमर डिस्कवरी स्टेज के दौरान, आपको ये चेक करना होगा कि क्या आपका बिज़नस आईडिया आपके कस्टमर्स के प्रॉब्लम्स को सुलझाएगा? दूसरा, फ्यूचर में फिर से रिपीट करने के लिए आपको एक सेल्स प्लान बनाना होगा जिसे कस्टमर वेलिडेशन स्टेज में काम में लाया जा सकता हैं.
तीसरा, आपको ज़्यादा कस्टमर्स का ध्यान खींचने के लिए कस्टमर क्रिएशन स्टेज में अपने प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग शुरू करनी होगी. आखिरी स्टेज हैं कंपनी बिल्डिंग. यही वो जगह है जहां आप अपने प्रोडक्ट के लिए मार्केट ढूंढ़ने के बाद अपने कंपनी के लिए डिपार्टमेंट्स बनाने के तरफ आगे बढ़ते हैं.
कस्टमर डेवलपमेंट मॉडल एक ट्रायल-एंड-एरर का तरीका है. प्रोडक्ट डेवलपमेंट मॉडल जो सिर्फ फाइनल प्रोडक्ट के बारे में फ़िक्र करता है, उससे ठीक उल्टा, बिज़नस करने का ये नया और बेहतर तरीका ये मानता है कि कामयाबी के लिए, आपको काफी बार नाकाम होना पड़ सकता हैं. ये तब तक है जब तक आप अपने कस्टमर्स को बेहतर और सही ढंग से समझ नहीं लेते हैं और मार्केट में फिट होने वाला प्रोडक्ट नहीं बना लेते.
आइए दो कंपनियों को देखें, जिन्होंने अलग-अलग बिजनेस मॉडल को फॉलो किया और जिनके अलग-अलग रिजल्ट भी निकले.
पहली कंपनी है Furniture.com. इस कंपनी ने सोचा कि वो एक ऑनलाइन सर्विस बनाकर रिटेल स्टोर के फर्नीचर की शॉपिंग को आसान बनाएगी. उनका मानना था कि इस सर्विस से, भीड़-भाड़ वाली जगह पर जहाँ कस्टमर फर्नीचर खरीदने जाते हैं तो बहुत ज़्यादा टाइम लगाने की ज़रूरत पड़ती हैं, उस प्रॉब्लम को सुलझाया जा सकता हैं.
आईडिया बहुत अच्छा था, लेकिन अपने कस्टमर्स पर अपना फोकस करने के बजाय, Furniture.com ने प्रोडक्ट पर फोकस किया. उन्होंने सीधे अपने बिज़नस आईडिया को स्टार्ट करना शुरू कर दिया और एक ऐसी सर्विस बनाने पर बहुत ज़्यादा पैसा और एनर्जी खर्च किया जो पूरी तरह से सिर्फ उनके अंदाज़े पर बना था.
इसलिए, Furniture.com ने एक वेबसाइट बनाई और शिपिंग की फैसिलिटी देनी शुरू की. लेकिन जल्द ही, उन्होंने महसूस किया कि शिपिंग की कॉस्ट बहुत महंगी पड़ रही थी. हालाँकि उन्हें पैसों का नुकसान हो रहा था, इसके बावजूद वे इसके बारे में सोचने के लिए रुके नहीं और वैसे ही चलते रहे.
नतीजा ये हुआ कि ये कंपनी फ़ैल हो गई और बहुत सारा पैसा डूबा दिया.
दूसरी कंपनी- डिज़ाइन विदिन रीच (Design Within Reach) का केस देखते हैं. इस कंपनी के फाउंडर ने अपने बिज़नस प्लान को अंदाज़े पर खड़ा नहीं किया था. इसके बजाय, वे असली दुनिया में गए और कस्टमर्स से उनकी डिमांड को समझने के लिए बात की.
इस कंपनी ने जो भी कदम उठाया वो रिसर्च और फैक्ट्स पर बेस्ड था. जब भी उन्होंने कोई नया प्रोडक्ट या सर्विस शुरू किया, तो उन्होंने अपने नए आईडिया के लिए मार्केट को पक्का किया.
क्योंकि इस कंपनी ने कस्टमर डेवलपमेंट प्रोसेस को अपनाया, इसलिए डिज़ाइन विदिन रीच एक कामयाब कंपनी बन गई थी जबकि दूसरे कई सारे कंपनीज़ नाकाम हुए थे.