(hindi) When: The Scientific Secrets of Perfect Timing
इंट्रोडक्शन
फ़ैसला लेने का सबसे अच्छा समय कब है?
मुझे टेस्ट में सबसे ज्यादा नंबर लाने के लिए कब पढ़ना चाहिए ?
मैथ्स के टेस्ट में सबसे ज्यादा नंबर लाने के लिए जवाब कब देना चाहिए?
मुझे बहुत सारी इंस्पिरेशन हासिल करने के लिए अपनी कहानी कब लिखनी चाहिए?
मैं सबसे ज्यादा productive कब हूं?
मैं सबसे ज्यादा काम के और challenging काम करने के काबिल कब हूं?
हम जानते हैं कि समय कितना मायने रखता है, लेकिन हमें ख़ुद टाइम के बारे में कुछ पता नहीं होता है।
हम सभी बस अपने रोज के “कब ” में फंस जाते हैं, लेकिन असल में कभी भी जवाब ढूंढ़ने की कोशिश नहीं करते |
इस बुक में हम देखेंगे कि कैसे डैनियल पिंक यह साबित करते हैं कि टाइमिंग कोई आर्ट नहीं बल्कि साइंस है।
और ऐसा करने के लिए, हमें समय के साथ शुरुआत करने की जरूरत है। जैसे ही हम अपने हिस्ट्री में वापस जाकर देखते हैं तो हमें पता चलता हैं कि सेकंड, मिनट और घंटे नेचुरल नहीं हैं।
इंसान ने इन सभी चीजों को बनाया, जिसमें हफ़्ते, महीने और साल भी शामिल हैं , सिर्फ़ एक ही बात सही रह गई हैं और वह दिन और रात का कॉन्सेप्ट
इस बुक का पहला पार्ट हमारे रोज के जीवन यानी डेली लाइफ में छुपे हुए पैटर्न को दिखाएगा।
आप अपने हर दिन के एनर्जी लेवल के बारे में जानेंगे और आपको किस वक़्त कौन सा काम या एक्टिविटी करनी चाहिए, यह सब सीखेंगे |
अंत में, आप एक सुंदर शुरुआत, बीच का समय और अंत के बारे में भी जानेंगे यानी beginning, midpoint और ending.
बहुत से लोग ' कब ' से जुड़े सवालों को 'क्या' से जुड़े सवालों जितना important नहीं मानते हैं।
यही कारण है कि हम अपने रोज के जीवन में छिपे हुए पैटर्न का कभी एहसास नहीं पाते हैं।
तो “क्या” से भरी इस दुनिया में आप अपने ‘कब’ का जवाब देने के लिए तैयार हैं?
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THE HIDDEN PART OF EVERYDAY LIFE
हर इंसान के अंदर उसकी अपनी इंटरनल बायोलॉजिकल क्लॉक( internal biological clock) होती है, जो हर किसी के जीवन में बैलेंस बनाए रखने में important role निभाती है।
यह क्लॉक एक छिपे हुए पैटर्न को बनाती है जो कि हमें बताता है कि हम अपने रोज़ की जिंदगी में कैसा महसूस करते हैं और कैसे काम करते हैं।
इंसान पूरे दिन में कभी भी सेम एनर्जी लेवल पर काम नहीं करता, हम सभी ऐसे पैटर्न को बनाते हैं जिसे हम देख नहीं सकते, और हमें इसका एहसास भी नहीं है।
बहुत से लोग यकीन करते हैं कि हमारा दिन सुबह, दोपहर और शाम के हिसाब से चलता है।
पर, डैनियल पिंक ने सभी के लिए दिन के हिसाब से एक नई साइकिल बनायीं जो की हमारे एनर्जी के लेवल से मैच करता है।
इसे morning peaks, दोपहर यानी afternoon troughs और शाम यानी evening rebounds कहते हैं|
Morning Peak में आप में सबसे ज़्यादा एनर्जी होती है। यह वह टाइम होता है जब हम सबसे ज्यादा इंटेलीजेंट, एक्टिव और हर चीज़ को अच्छे से एनालाइज कर सकते हैं। हमारी एनर्जी highest level पर होती हैं,जिसके कारण हम अपने काम पर अच्छे से ध्यान दे पाते है।
दोपहर का समय, morning peaks से बिल्कुल उल्टा होता है। इस टाइम में हमारी एनर्जी सबसे कम होती है इस समय हम important कामों पर ध्यान नहीं दे पाते । यह आमतौर पर जागने के सात घंटे बाद का समय होता है और यह दिन का वह पार्ट है जहां हम अपने काम पर सही तरह से फोकस नहीं कर पाते।
शाम का टाइम एनर्जी लेवल के वापस लौटने का टाइम होता है। पर , हम इस टाइम पर भी सही और ज्यादा ढंग से काम करने लायक नहीं हो पाते । यह हमारे दिन का वह पार्ट है जहाँ हमारा दिमाग हमें भटकने से नहीं बचा पाता ।
पर, यह पैटर्न हर एक इंसान के लिए एक सा नहीं है।
क्योंकि हम सभी का अपना अलग-अलग इंटरनल बायोलॉजिकल क्लॉक हैं, इसलिए हमारे अलग-अलग energy cycle भी होते हैं। इन cycles को तीन हिस्सों में बांटा गया है।
इन हिस्सों को लार्क, owl और थर्ड बर्ड कहा जाता है।
लार्क, उन लोगों को कहा गया है, जो सुबह के टाइम बहुत ही एक्टिव होते हैं। उनके हर दिन का एनर्जी साइकिल इस तरह होता है; morning peaks,दोपहर का midpoint यानी afternoon troughs और शाम के समय energy का वापस आना यानी evening rebounds|
Owl , वे लोग होते हैं जिनकी शुरुआत देर से होती है। ये रात के टाइम सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं और ये लोग लार्क के बिल्कुल opposite होते हैं। इनके पूरे दिन का एनर्जी साइकिल इस तरह होता है:- सुबह इनका एनर्जी लेवल दोबारा बनता हैं, दोपहर में सबसे कम होता हैं और शाम को सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं|
60-80 परसेंट लोग आखरी एनर्जी साइकिल से related है, थर्ड बर्ड, जो midpoint में होता है। ये ना ही लार्क की तरह सुबह जल्दी उठ सकते हैं और ना ही Owl की तरह रातभर जाग सकते है|
यह जानना important है कि आप किस एनर्जी साइकिल से related हैं क्योंकि यह हमें हर दिन हमारे परफॉरमेंस को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
यहाँ एक example है।
लिंडा को रीजनिंग प्रॉब्लम थी जिसे कंजंक्शन फैलेसी (Conjunction Fallacy) कहते हैं|
कंजंक्शन फैलेसी रीजनिंगका एक type होता है जहां एक इंसान सिंपल से जवाब की जगह ज्यादा इनफार्मेशन से भरे जवाब को चुनता है । ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग सोचते हैं कि ज्यादा जानकारी से भरे जवाब किसी भी Question का सबसे अच्छा जवाब होता है।
जवाब देने आए लोगों को लिंडा की प्रॉब्लम दिन के अलग-अलग समय में दी गई, ज्यादातर सुबह के 9 बजे से लेकर रात के बजे 8 तक |
यह रहा Question, आप भी जवाब देने की कोशिश करें |
31 साल की लिंडा एक कॉलेज स्टूडेंट हैं, जो की फिलॉसफी की पढ़ाई कर रही हैं । वह भेदभाव और सोशल जस्टिस पर चर्चा करना पसंद करती है, और वह उन ग्रुप्स में एक्टिव participant है जो इसे बढ़ावा देते हैं।
आपको लिंडा के बारे में क्या लगता हैं?
A. वह एक बैंक टेलर (बैंक में काम करने वाले) है
B. वह एक बैंक टेलर है और फेमिनिस्ट मूवमेंट में एक्टिव participant हैं।
ज्यादातर लोगो ने ऑप्शन B को चुना,क्योंकि हमारा दिमाग शोर्ट कट को बनाने और स्पेसिफिक इनफार्मेशन को जमा करना पसंद करता हैं, ठीक उसी तरह जैसे कंजंक्शन फैलेसी में बताया गया है।
पर असल में, क्योंकि ऑप्शन B ज्यादा इनफार्मेशन से भरा हैं और लिंडा के बारे में जो जानकारी दी गयी हैं उससे related भी है, इसीलिए ज्यादातर लोगों को जवाब B सही लगा|
पर सही जवाब A था क्योंकि लिंडा की प्रॉब्लम ओपिनियन, फैक्ट्स या सच्चाई पर based नहीं थे लिंडा की प्रॉब्लम सिर्फ एक लॉजिकल टेस्ट था. यह कहना कि बैंक टेलर फेमिनिस्ट मूवमेंट का एक एक्टिव participant है, यह कहना बिल्कुल यह कहने जैसा होगा कि एक बैंक टेलर सब्जियों से नफरत करता है।
ये सभी बाते बैंक टेलर का एक छोटा सा हिस्सा हैं यानी subjet ,और ये हिस्से पूरे set से ज़्यादा important नहीं हो सकते.
इस रिसर्च से पता चला कि A जवाब देने वाले ज्यादातर लोग वे हैं, जिनका सुबह सर्वे किया गया था
इस रिजल्ट का क्या मतलब हैं?
यही कि लिंडा की प्रॉब्लम लॉजिकल हैं, इसे पूरे ध्यान यानी एनालिसिस और बारीकी यानी concentration के साथ करने की जरुरत हैं.
उन लोगो के लिए यह एक आसान सवाल है जो अपने पीक स्टेज पर हैं, क्योंकि यहाँ वह सबसे ज्यादा इंटेलीजेंट और ध्यान देने के काबिल होते हैं।
जिन लोगों ने इसका सही जवाब दिया है, उन्होंने इस Question पर ज़्यादा ध्यान दिया न की फालतू की इनफार्मेशन पर, जैसे की “फेमिनिस्ट मूवमेंट में एक्टिव तौर पर भाग लेने वाले लोग”.
अगर हम सभी का एक जैसा फैसला लेने का मेथड और एक जैसा एनर्जी साइकिल होता तो,लिंडा की प्रॉब्लम का सब ने एक ही समय पर सही जवाब दिया होता|
ज्यादातर लोगो ने सुबह के वक़्त सही जवाब दिया, और बाकि कुछ लोगो ने शाम के वक़्त.
यह साबित करते हैं कि दिन के अलग-अलग समय पर हमारी एनर्जी लेवल भी अलग-अलग होती हैं.
सुबह के समय पर लार्क के सही जवाब देने के सबसे ज्यादा चान्सेस होते हैं.
Owl इसका सही जवाब शाम के वक़्त देते हैं.
और थर्ड बर्ड सही जवाब दोपहर के समय में दे पाते हैं
लिंडा कि प्रॉब्लम से पता चलता है कि आपकी इंटरनल क्लॉक और क्रोनोटाइप को जानना कितना importanat है। इसके कारण, हम अपने कुछ मामूली ‘कब’ यानी “when” के सवालों का जवाब दे सकते हैं'|
हम जानेंगे की मैथ्स के सवालों को हल करने का, कहानी लिखने या किसी भी मुश्किल काम को करने का सही समय कब होता हैं.