(hindi) Contagious

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इंट्रोडक्शन

इमेजिन कीजिये कि आप एक dandelion के फूल की पंखुडीयों को हवा में धीरे से उड़ा रहे है. अब ये सोचिये कि आप फनी कैट विडियो को सोशल मीडिया में शेयर करते है. सोचिए कोई नया प्रोडक्ट मार्किट में आया जिसके बारे में आप अपने दोस्तों को बताने से खुद को रोक  नहीं  पा रहे है. ये सब कंटेजियस के एक्जाम्पल है.

ऐसे सिक्स प्रिंसिपल्स है जो किसी आईडिया को इतना वायरल या ट्रेंडिंग बना देते है कि लोग उसके बारे में बात करने से खुद को रोक  नहीं  पाते. जोनाह बर्जर इन्हें सिक्स स्टेप्स बोलते है, और इस बुक में हम एक-एक करके इनके बारे में पढ़ेंगे.

इनमें  से फर्स्ट स्टेप है सोशल करंसी. सेकंड स्टेप है ट्रिगर और थर्ड स्टेप है इमोशन. फोर्थ स्टेप है पब्लिक, और फिफ्थ स्टेप है प्रैक्टिकल वैल्यू और सिक्स्थ स्टेप है स्टोरीज.

इस बुक के खत्म होते-होते आप ये सीख चुके होंगे कि क्यों कुछ आईडिया फटाफट वायरल हो जाते है और आप ये भी सीखेंगे कि कैसे नेक्स्ट ट्रेंड क्रिएट किया जाए. कुल मिलाकर ये बुक आपको कंटेजियस बनना सीखा देगी.

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Social Currency

चलिए, अब कंटेजियस के पहले स्टेप की बात कर लेते है. सोशल करंसी का क्या मतलब है? कोई आईडिया हो सकता है, स्टोरी या कोई नया प्रोडक्ट, या एक थॉट या फिर कोई एक्सपिरिएंस जो कोई  इंसान  दूसरों  से शेयर करना चाहता है. आदमी सोशल एनिमल होता है और जो चीज़ उसे पसंद आती है, उसे  दूसरों  से शेयर करना चाहता है. हम लोग आपस में एक जुड़ाव, एक कनेक्शन महसूस करना चाहते है. और यही वजह है कि हम सोशल करंसी यूज़ करते है.

मान लो आपने ओनलाइन नए शूज़ खरीदे. आपको जूते पसंद आते है, फिटिंग भी बढिया है. आप जूते पहन का रूम के अंदर चलकर देखते है. आपको जूते बड़े आरामदायक लगते है तो आप उसके बारे में अपने दोस्तों को भी बताते है, यानी आप अपना एक्सपीरिएंस शेयर करते है. जो आपको अच्छा लगा, आप चाहते है कि दुसरे भी उसका फायदा उठाये. इसी को सोशल करंसी बोलते है.

बेशक, ऑनलाइन हो या ऑफलाइन आप दूसरों  की नजरों में सक्सेसफुल, इंट्रेस्टिंग, स्मार्ट और कूल बनना चाहते हो. ऑफलाइन आप माउथ पब्लिसिटी करते हो. आप अपनी जान-पहचान वालो के साथ पोजिटिव एक्स्पिर्येंसेस शेयर करते हो. ऑनलाइन आप सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म यूज़ करते हो. आप अपनी बेस्ट फ़ोटोज़ और वीडियोज शेयर करते हो.

इसे कुछ इस तरह से सोचो, हर एक स्टोरी या आईडिया आर्केड के एक टोकन या कॉइन की तरह है. अगर  लोगों  को आपकी स्टोरी अच्छी लगती है तो आप जीत गये और आपका सोशल स्टेटस भी इम्प्रूव हो जाता है.
तो आपके और ज्यादा सोशल करंसी कैसे पा सकते है?

इसके तीन तरीके है. पहला है इनर remarkability. दूसरा है गेम मैकेनिक्स और तीसरा तरीका है  लोगों  को इनसाइडर की तरह फील कराना.

इनर remarkability का रूट वर्ल्ड है remarkable. कोई भी प्रोडक्ट, स्टोरी या आईडिया जो कुछ हटकर हो, कंटेजियस बन जाता है. 2002 में एक बेवरेज कंपनी Snapple  ने एक remarkable मार्केटिंग कैंपेन निकाला.

कंपनी ने हर   Snapple  बोटल की कैप के अंदर फन फैक्ट्स लिखने शुरू किये. तो जब भी आप Snapple  की बोटल खरीदते थे तो आपको एक फन फैक्ट मिलता था. हालाँकि ये रैंडम फैक्ट्स होते थे पर ये बड़े इंट्रेस्टिंग ट्रिविया होते थे जो आप दोस्तों के साथ शेयर कर सकते थे.

एक एक्जाम्पल है फैक्ट#12 कंगारूज़ बैकवर्ड यानी पीछे की तरफ नहीं चल सकते. एक और इंट्रेस्टिंग फैक्ट #37 एक एवरेज  इंसान अपनी लाइफ के दो हफ़्ते ट्रेफिक लाईट के चेंज होने का इंतज़ार करने में बिता देता है.

लोग इन remarkable आईडियाज़ या स्टोरीज़ को उन  लोगों  से शेयर करना चाहते थे जो उनके करीबी होते थे क्योंकि वो अपनी सोशल करंसी बढ़ाना चाहते थे. एक और तरीका है ज्यादा सोशल करंसी हासिल करने का, वो है गेम मैकेनिक्स. हर साल दिसम्बर में स्टारबक्स एक प्रोमो रीलीज़ करता है जिसमे कस्टमर को क्रिसमस सीजन ड्रिंक्स के 12 डिफरेंट वैरराईटीज़ खरीदनी होती है. अगर आपने स्क्रैच कार्ड में सारे ड्रिंक्स कम्प्लीट कर दिए तो मतलब आप खुद का स्टारबक्स प्लानर जीत गए. पर आप इसे कैश के लिए नहीं खरीद सकते थे. आपको गेम मैकेनिक्स  फॉलो  करना होता था ताकि आपको एक्सक्ल्यूसिव स्टारबक्स प्लानर मिल सके.

तो ये है गेम मैकेनिक्स. और ये इसलिए कंटेजियस है क्योंकि इंसान को  हमें शा से ही गेम्स बहुत अट्रेक्ट करते है. चाहे ईनाम छोटा सा ही क्यों ना हो पर जीतने वाले को बड़ी ख़ुशी मिलती है.
ज़रा याद कीजिये वो रीवार्ड्स जो आपको ग्रोसरी स्टोर या गैस स्टेशन पर मिलते है?  और आपकी फेवरेट एयरलाइन या फिटनेस जिम में आपको मिलने वाले मेंबरशिप रिवार्ड्स या पर्क्स ?

सोशल करंसी बढाने का जो लास्ट तरीका है वो है  लोगों  को इनसाइडर फील कराना. क्या आपने कभी किसी रेस्ट्रोरेन्ट में सीक्रेट डोर के बारे में सुना है? वहां ऐसा कोई साईन या पोस्टर  नहीं  दिखेगा जिससे  लोगों  को पता चले कि अंदर कोई रेस्टोरेंट है, पर जो अक्सर वहां आते है, उन्हें मालूम होता है कि किस तरफ से दरवाजा खोलकर अंदर जाना है.

एक्जाम्पल के लिए’ प्लीज़ डोंट टेल” नाम से न्यू यॉर्क में एक सीक्रेट एंट्रेस वाला बार है. इस बार के मालिक है ब्रायन शबाइरो और क्रिस एंटिस्टा. “प्लीज़ डोंट टेल” का एंट्रेस दरवाजा एक फोन बूथ के अंदर से खुलता है. ठीक वैसा ही जैसा सुपरमेन यूज़ किया करता था.

ये फोन बूथ एक हॉट डॉग रेस्टोरेंट’ क्रिफ डॉग्स’ के अंदर है, जो ब्रायन और क्रिस का ही है. जब आप फोन बूथ के अंदर दाखिल होते हो और नंबर डायल करते हो तो आपसे पुछा जायेगा” क्या आपने टेबल बुक कराई है’ क्यों? क्योंकि “पलीज़ डोंट टेल’  हमें शा पूरी तरह से बुक रहता है.
तो देखा आपने ये है  लोगों  को इनसाइडर फील कराने का कमाल.

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Triggers

आपको क्या लगता है कौन से आईडियाज़ ज्यादा वाइरल होते है? इंट्रेस्टिंग या बोरिंग?
तो जवाब है दोनों. एक ट्रिगर, एक साईट, एक स्मेल, एक शब्द यानी कोई भी चीज़  हमें  एक आईडिया से दुसरे आईडिया की याद दिला सकती है.
अब ये जरूरी  नहीं  कि आईडिया इंट्रेस्टिंग हो, पोजिटिव हो या नेगेटिव हो.
कोई भी चीज़ वर्ड ऑफ़ माउथ यानी बात को फ़ैलाने में एक ट्रिगर का रोल प्ले कर सकती है.

और एडवेरटाईजर्स इन्ही ट्रिगर्स का फायदा उठाते है. अब जैसे किटकैट कैंपेन को ही ले लो, जहाँ किटकैट को कॉफ़ी से जोड़ दिया गया है यानी किटकैट खाने से कॉफ़ी पीने जैसी एनर्जी मिलती है. क्योंकि लोग ज्यादा कॉफ़ी पीते है इसलिए किटकैट के एडवरटाईजर्स को यकीन है कि कॉफ़ी देखते ही  लोगों  को किटकैट की याद आ जायेगी.

2007 की बात है, किटकैट का बिजनेस Hershey के पास जा रहा था. Hershey के पास कस्टमर्स को लुभाने के लिए हर प्रोडक्ट था, रीज़ से लेकर किसेस तक सब कुछ. ऐसे में किटकैट को मार्किट में अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए जल्द से जल्द कोई तरीका ढूंढना था.

तब  कॉलीन  चोरक को हायर किया गया, किटकैट को फिर से जिंदा करने के लिए और तब” गिव मी अ ब्रेक” कैम्पेन पास किया गया जिसके लिए उन्हें नए आईडियाज की जरूरत थी.

कॉलीन  को एक ऐसा आईडिया आया जिससे  लोगों  को ज्यादा से ज्यादा किटकैट की याद आये. पर उनका ये आईडिया 80’ के दशक का कोई कैची सोंग  नहीं  था.  कॉलीन  ने किटकैट को कॉफ़ी के साथ जोड़ दिया. एड में कॉफ़ी और किटकैट टेबल में साथ-साथ दिखाए जाते है. इसमें दिखाया गया है कि जब भी आपको ब्रेक की जरूरत महसूस हो आप कॉफ़ी और किटकैट ले सकते है. जैसे दोनों बेस्ट फ्रेंड्स हो.

ये कैंपेन काफी हिट रहा. किटकैट ब्रांड का प्रॉफिट $300 मिलियन से बढ़कर $500 तक पहुँच गया था. अचानक से किटकैट बहुत ज्यादा बिकने लगी. और ये सब इसलिए हुआ क्योंकि कॉफ़ी ने किटकैट के लिए एक ट्रिगर की तरह काम किया.

तो कोई भी चीज़ माउथ पब्लिसिटी से हिट हो सकती है. जो भी चीज़  लोगों  को शेयर करने लायक लगे, लोग उसे  दूसरों  से शेयर करना पसंद करते है.
चाहे कोई स्टोरी इंट्रेस्टिंग हो या बोरिंग चाहे कोई एक्स्पिरिएन्स पोजिटिव हो या नेगेटिव, लोग उसे शेयर जरूर करते है.

तो आखिर वो कौन से ट्रिगर होते है जो एक आईडिया को कन्टेजियस बनाते है? तो जवाब है कि ट्रिगर कुछ भी हो सकता है. वो आईडिया टॉप ऑफ़ द माइंड में होना चाहिए. ऐसी कोई भी चीज़ जो उस वक्त आपको किसी चीज़ की याद दिलाये. यानी ट्रिगर कोई भी चीज़ हो सकती है जो आपके माइंड में उस वक्त आये और आपको एक्शन लेने पर मजबूर करे.

चलिए अब एक और चॉकलेट ब्रांड की बात करते है. इस नटी कैरेमल चॉकलेट बार का नाम है  Mars .

1997 में नासा ने पाथफाइंडर मिशन लांच किया था. इसका गोल था एक ऐसा लैंडर लांच करना जो  Mars  की जमीन से, क्लाइमेट और उसके atmosphere से सैंपल कलेक्ट कर सके. इस मिशन में कई मिलियन डॉलर खर्च किये गए थे और मिशन सक्सेसफुल रहा था. पाथफाइंडर अपना टास्क पूरा करने के बाद सलामत धरती पर लौट आया.

अब  Mars  चॉकलेट बार का नासा के इस मिशन से कोई लेना देना  नहीं  था. बल्कि ये  चॉकलेट  तो  फ्रैंकलिन   Mars  के नाम पर रखी गई थी जोकि कंपनी के फाउंडर थे. लेकिन जैसा कि आप जानते है  Mars  नाम उन दिनों कंटेजियस हो गया था, और इसिलए  Mars  की  चॉकलेट  की सेल्स भी रातो-रात आसमान पर पहुँच गई. हालाँकि कंपनी ने अपनी तरफ से सेल्स इनक्रीज करने की कोई कोशिश  नहीं  की थी. ये सिर्फ एक इत्तेफाक था कि एक ही नाम की वजह से  लोगों  ने  Mars  को  चॉकलेट  से जोड़ लिया था.

उस वक्त  Mars  ने किसी भी तरह की एडवरटाईजिंग या मार्केटिंग में इन्वेस्ट  नहीं  किया था. कंपनी का कोई कैम्पेन भी  नहीं  चल रहा था. पर  Mars  नाम सुनकर ही  लोगों  को  Mars  मिशन की याद आ जाती थी और लोग  Mars   चॉकलेट  बार खरीदने के लिए टेम्पटेड हो जाते थे.

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