(hindi) THE TOP FIVE REGRETS OF THE DYING: A Life Transformed by the Dearly Departing

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इंट्रोडक्शन

अभी आप अपने लाइफ  के बारे में कैसा महसूस करते हैं? अगर आज आप मर जाते, तो क्या आपको पछतावा होगा? आप इस पछतावे से कैसे डील करेंगे ? इस दुनिया से जाने से पहले क्या शान्ति पाना मुमकिन है?

आखिर में सभी को मौत का सामना करना पड़ता है और, इसका सामना करने पर सभी को अलग-अलग एक्सपीरियंस होंगे. जो लोग मौत के इंतज़ार में जी रहे हैं, आप उनके एक्सपीरियंस से बहुत कुछ सीख सकते हैं.
मौत को करीब से देखने वाले लोग, अपनी ज़िंदगी की कई बातों को लेकर पछताते हैं, ऐसे ही पांच पछतावों के बारे में आप इस बुक में जानेंगे. आपको ये भी पता चल जाएगा कि वे इन पछतावे से कैसे निपटते हैं. ऐसे लोगों से सीखने में अभी भी देर नहीं हुई हैं.

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पछतावा नंबर 1: काश मेरे पास खुद के लिए जीने की हिम्मत होती, ऐसे नहीं जैसे दूसरों ने मुझसे उम्मीद की.

सोसाइटी सभी के एक लिए रोल चुनता हैं. एक पिता को अपने फैमिली की सभी ज़रूरतों को पूरा करना होता हैं. दूसरी तरफ, एक माँ बच्चों की देखभाल करती हैं. ये आप पर हैं कि आप इस रोल को निभाते हैं या नहीं. हालाँकि, सबसे पहली बात, आप खुद को सिर्फ इन्हीं रोल्स में बाँध कर क्यों रखना चाहोगे? कोई सिर्फ इसी हद के अंदर क्यों रहना चाहेगा? शायद, एक सुरक्षित लाइफ जीने के लिए. हो सकता हैं कि आप अपनी फैमिली की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहते हैं. या शायद आप लाइफ को जीने का कोई और तरीका जानते ही नहीं हैं.
ऑथर, ब्रॉनी वेयर का कहना हैं कि इन रोल्स को पूरा करना पछतावे का कारण बन सकता हैं. लगातार किसी दूसरे की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करना निराश कर सकता हैं. ब्रॉनी भी खुद इस सिचुएशन से गुज़री थी.

उन्होंने हमेशा वही रोल निभाने की कोशिश की जो उनके फैमिली ने उन्हें दी थी. लेकिन इससे वो दुखी हो गई थी. उन्होंने सोचा कि दूसरों के हिसाब से अपनी लाइफ जीने का क्या मतलब हैं? उनके फैमिली में कड़वाहट थी. उन्हें अपने माँ-बाप के कहने के हिसाब से ही जीने पर मज़बूर किया गया. ब्रॉनी ने इस चक्कर से बाहर निकलने के लिए अपनी सेल्फ-कम्पैशन को ढूंढ निकाला. सेल्फ कम्पैशन का मतलब है- खुद की कदर करना. वो जानती थी कि वो एक खुशियों से भरे लाइफ को जीने की हकदार हैं.
आप जिस माहौल में रहते हैं, आप भी वैसा ही बन कर रह जाएंगे. इसलिए आपको अलर्ट रहना होगा. आपके माहौल में, अगर सब लोग अपना-अपना रोल निभाते हैं, तो आपके पास भी अपना रोल निभाने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचेगा. इससे बाहर निकलने का रास्ता बहुत मुश्किल हैं. लेकिन ये नामुमकिन भी नहीं हैं. ये याद रखिए कि ये आपकी लाइफ हैं. कोई आपको बताए कि अपने लाइफ में आपको क्या करना हैं, कैसे करना हैं, ऐसा होने मत दीजिए.

ब्रॉनी वेयर palliative care के लिए काम करती थी. Palliative care का मतलब है गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए स्पेशल मेडिकल केयर. इस तरह की देखभाल बीमारी के लक्षणों और स्ट्रेस से राहत देने पर फोकस करती है. इसका गोल होता है पेशेंट और उसके परिवार दोनों के लिए जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करना.
उनका काम ऐसे लोगों की देखभाल करना था जो मौत के करीब थे. ग्रेस उनके क्लाइंट में से एक थी. ग्रेस एक अच्छी और दयालु औरत थी. ब्रॉनी को उनकी देखभाल करने में ख़ुशी होती थी. दुःख की बात ये थी कि ग्रेस के पति एक सख्त और emotionless आदमी थे.
वो ढीठ किस्म के और अपनी बात मनवाने वाले आदमी थे. ग्रेस के पति ने पचास सालों से ग्रेस की ज़िंदगी को बेहाल बना रखा था.

शुरुवात में, ग्रेस सोचती थी कि शादी एक खूबसूरत चीज हैं. उन्हें लगता था कि शादी दोनों लोगों को आगे बढ़ा सकता हैं और उन्हें नई चीजें सीखा सकता हैं. लेकिन ग्रेस को ये बात बिलकुल ठीक नहीं लगता था कि चाहे कुछ भी हो जाए शादी को बचाए रखना ज़रूरी होता हैं. यही बात ग्रेस के बाकी की ज़िन्दगी के लिए एक बड़ा पछतावा बना.

उनके पति की आदत दूसरों को कंट्रोल करने की थी, इस वजह से ग्रेस को कभी भी किसी भी तरह की आज़ादी नहीं मिली. वो सिर्फ वही करती थी जैसा उनसे उम्मीद रखा जाता था. ग्रेस को अपने हिसाब से लाइफ जीने का मौका तब मिला जब उनके पति एक नर्सिंग होम में भर्ती हुए. यही एक वक्त था जब ग्रेस ने आज़ाद महसूस किया.

फिर भी, उन्हें अपनी सभी इच्छाओं को पूरा करने का मौका कभी नहीं मिला. उनके पति के नर्सिंग होम में भर्ती होने के बाद, ग्रेस को एक लाइलाज बीमारी हो गई. इसका कारण था उनके पति की सिगरेट पीने की आदत.

ग्रेस ने लगातार अपने पिछले फैसलों पर सवाल उठाए. उन्होंने अपने पति को खुद को कंट्रोल क्यों करने दिया? वो खुद के लिए लड़ने के लिए मजबूत क्यों नहीं थी? इन बातों से ग्रेस खुद से नाराज थी.

उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने सोसाइटी के बताए हुए रास्ते पर चलकर ही अपनी ज़िंदगी काटी हैं. वो एक शांत और नरम स्वभाव वाली पत्नी थी. उस ज़माने में, सोसाइटी हमेशा पत्नियों को अपने पति की बात मानने के लिए कहता था. ग्रेस इस स्टीरियोटाइप को तोड़ने से डरती थी. इससे उन्हें एक असंतुष्ट लाइफ जीना पड़ा.
लेकिन उनकी सिचुएशन बिलकुल होपलेस, निराशाजनक, नहीं थी. अपनी मौत से पहले, ग्रेस ने अपनी फैमिली और ब्रॉनी को अपने एहसासों के बारे में बताया. उन्होंने ब्रॉनी को अपनी ज़िंदगी अपने हिसाब से जीने का वादा लिया. इसके लिए ब्रॉनी को बहुत देर नहीं हुई थी. ब्रोनी ने ग्रेस से वादा किया कि वो ज़रूर खुद के लिए जिएगी.

एंथनी नाम का एक दूसरा क्लाइंट ग्रेस की तरह खुलकर अपने पछतावे के बारे में नहीं बता पाते थे. ब्रॉनी ने एंथोनी को गौर से देखकर उनके पछतावे के बारे में मालूम किया था.  एंथनी अपनी पिछली लाइफस्टाइल में फंसा हुआ था. अब, वो एक नर्सिंग होम में फंस गए थे.

एंथनी की उमर तीस की थी, वो एक बहुत अमीर खानदान से था. उसकी जवानी शानदार कारों, औरतों और परेशानी से भरी थी. इसके लिए उसकी फैमिली ज़िम्मेदार थी. वो जो कुछ भी चाहता था, उसे वो मिल जाती थी. और, इसी वजह से वो हमेशा किसी न किसी परेशानी से घिरा रहता था.

आखिरकार, एंथोनी की लापरवाही के कारण उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. उसे, अंदर और बाहर, दोनों तरफ से बहुत नुकसान हुआ था.  चाहे कितनी भी सर्जरी क्यों न हो जाए, इस नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती थी.

एंथनी को अब हर वक्त किसी के हेल्प की ज़रूरत रहने लगी थी. इसलिए वो एक नर्सिंग होम में भर्ती हो गया.

एंथनी की लापरवाही उसके माहौल की वजह से थी. वो खुद को उस रोल में फिट करने की कोशिश करता रहा. एंथोनी को एक carefree, और लापरवाह नौजवान बनना था.
एक तरफ, उसके माहौल ने उसे आज़ादी दी थी. दूसरी तरफ, एंथोनी अपने नए माहौल में कैद होकर रह गया था.

शुरूवात में, एंथोनी एक मज़ाकिया और हंसमुख नौजवान हुआ करता था. नर्सिंग होम के दूसरे लोगों को हंसाता रहता था. लेकिन जैसे-जैसे टाइम बीतता गया, वो वहां के दूसरे पेशेंट की तरह सुस्त और बेजान होता गया.
उसे नए हुनर सीखने के लिए एनकरेज किया गया. लेकिन एंथोनी ने उनमें कोई फायदा नहीं देखा. वो कोशिशें करके थक गया था. दूसरे पेशेंट्स की भी यही सोच थी.

एंथनी अपने अतीत के कारण खुद को कसूरवार समझता था. वो अपने फैमिली के लिए सिरदर्द था. उसने अपने दोस्तों के साथ भी हद पार कर दी थी. दो साल बाद एंथनी की मौत हो गई. वो इस एहसास के साथ गुज़र गया कि उसने अपने हालात को सुधारने की कोशिश ही नहीं की.

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