(hindi) Foundation stones to happiness and success
इंट्रोडक्शन..
आपकी अब तक की जिंदगी कैसी कटी है? क्या आप जिंदगी से खुश है? क्या आप सुकून से जी रहे हैं? ऐसा क्या है जो आप जिंदगी में बदलना चाहते है? हम सबकी जिंदगी में एक ऐसा वक्त ज़रूर आता है जब हम किसी और जिंदगी जीने की ख्वाहिश रखते हैं. तब हमें ऐसा लगता है जैसे दूसरे लोग हमसे बेहतर जिंदगी जी रहे है..
इस किताब हमें एक खुशहाल और सुकून भरी जिंदगी जीने के तरीके सिखाती है और यकीन मानिए ये उतना मुश्किल भी नहीं है. आपकी कोशिशो से एक अच्छी जिंदगी जीने का सपना हकीकत में बदल सकता है, बस आपको बेसिक सॉलिड फाउंडेशन फॉलो करने है और आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि एक खुशहाल जिंदगी जीना इस दुनिया का सबसे आसान काम है.
इस किताब में दिए गए बेसिक फाउंडेशन हमें अपनी जिंदगी में ख़ुशी और शांति से जीना सिखाते है.
तो क्या आप भी तैयार है एक खूबसूरत और सुकून भरी जिंदगी के लिए?
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1. सही प्रिंसिपल
Right principles
जब आप घर बनाने की शुरुवात करते है, तो सबसे पहले क्या करते है? ज़ाहिर सी बात है हम घर का नक्शा तैयार करते है. हर कोई एक ऐसा घर चाहता है जो अंदर बाहर दोनों जगह से मजबूत हो. लेकिन अगर घर की नींव ही कमजोर है तो घर कैसे मजबूत बन सकता है. आप फाउंडेशन को हल्के में नहीं ले सकते, वर्ना कोई भी हादसा हो सकता है. ऐसा घर लंबे समय तक नहीं टिक सकता. नींव अगर कमज़ोर है तो पूरी बिल्डिंग ही कमज़ोर हो जायेगी.
हमारी जिंदगी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जैसे एक घर को मजबूत नींव की जरूरत होती है वैसे ही जिंदगी की नींव भी मजबूत होनी चाहिए. आप जिंदगी में चाहे जो कुछ हासिल करना चाहते हो, आपको एक सॉलिड फाउंडेशन की जरूरत पड़ती है. कुदरत बहुत बेरहम है, अगर उन्हें आपकी जिंदगी में कोई भी डाउट या कन्फ्यूजन दिख जाए तो ये आपको बर्बाद करने में एक पल नहीं लगाते . फिर आप जिदंगी का कोई भी गोल पूरा नहीं कर पाओगे और ना ही ख़ुशी और सफलता हासिल कर पाओगे.
हर किसी को जिंदगी में कहीं न कहीं से शुरुवात करनी पडती है. जैसे आप रेस में हिस्सा ले रहे हो तो बिना दौड़े आप जीत हासिल नहीं कर सकते. बिल्कुल नहीं, आपको मेहनत करनी पड़ेगी. सुबह जल्दी उठकर एक्सरसाइज़ भी करनी होगी और साथ ही खाने-पीने का भी ध्यान रखना होगा. ठीक यही बात एक स्टूडेंट पर भी लागू होती है, algebra तक पहुँचने से पहले उसे बेसिक अल्फाबेट सीखने पड़ते है.
लाइफ में कभी शोर्ट कट लेने की गलती मत करना. हर शुरुवात से पहले अपने मन को पक्का कर लो, मन ही मन उसकी तैयारी कर लो. खुश रहने के लिए और सफल होने के लिए आपको सही प्रिंसिपल्स पर चलना होगा. अगर शुरुवात ही गलत हुई तो समझ लो बाद में सब गलत ही गलत होगा. और गलत काम और गलत सोच हमें कहीं का नहीं छोड़ती.
जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ, इंसान की जिंदगी और मुश्किल होती गई. कभी सोचा है कैसे हम इंसानों ने सिर्फ 26 alphabet यूज़ करके कैसे हज़ारो-लाखो किताबें लिख डाली? लेकिन हमारे प्रिंसिपल आज भी सिंपल और आसान है. ये प्रिंसिपल हमारी वो फाउंडेशन है जो हमारे केरेक्टर यानी चरित्र को मजबूत बनाते है और हमें सफलता के रास्ते पर लेकर जाते है.
पर आखिर ये प्रिंसिपल्स हैं क्या? आपको जिंदगी में खुश रहने के लिए सिर्फ पांच की जरूरत पड़ेगी. आप शायद बचपन से इनके बारे में सुनते आए होंगे और हर किसी को इनके बारे में पता है पर सच तो ये है कि इन प्रिंसिपल्स पर चलना अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है.
लेकिन अगर आप इन प्रिंसिपल्स को जिंदगी में उतारने में कामयाब रहे तो यकीन मानिए आप लाइफ की बड़ी से बड़ी चुनौती स्वीकार कर सकते है. सफलता आपके कदम चूमेगी और खुशियों से आपका दामन भर जाएगा.
तो हमारा पहला प्रिंसिपल है ड्यूटी यानी फ़र्ज़: यानी हम पूरी तरह से अपना हर फ़र्ज़ निभाए. जो हमारा काम है उसे ईमानदारी से करना ही फ़र्ज़ है. दूसरों की जिंदगी में ताक-झाँक करने के बजाए हमें अपनी जिंदगी से मतलब रखना है. जो हमारा काम है, उसे पूरी जिम्मेदारी से करना जरूरी है. आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप अपने काम को बढ़िया और परफेक्ट ढंग से करे.
हमारा दूसरा प्रिंसिपल है ईमानदारी: ईमानदारी का मतलब है हम किसी से बेवजह झूठ ना बोले, किसी को धोखा ना दे. आपकी जुबान से निकला हर शब्द सही और सच्चा हो. याद रखे, जो ईमानदार होता है, उसी की ईज्जत होती है. और ईज्जत बढ़ने से आपकी गुडविल बढ़ेगी. जब लोग आपको भरोसा करेंगे तो ज़ाहिर है कि आपके बिजनेस में भी तरक्की होगी, एक बढिया बिजनेस आपके लिए सफलता के दरवाजे खोल देगा.
हमारा तीसरा प्रिंसिपल है इकॉनमी: ये प्रिंसिपल सिर्फ पैसे पर अप्लाई नहीं होता. इकॉनमी में आपके फिजिकल और मेंटल resource भी शामिल है. आपको अपने लालच और गुस्से में अपने रिसोर्सेज बर्बाद नहीं करने है. अपनी इकॉनमी पर कंट्रोल होना बेहद जरूरी है, इससे पता चलता है कि आपका केरेक्टर कितना मजबूत है और आप किस हद तक खुद पर कंट्रोल रख सकते है.
हमारा चौथा प्रिंसिपल है Liberality: Liberality इकॉनमी के पीछे ही चलती है. दोनों एक दूसरे से कनेक्टेड है. अपने रिसोर्सेज को अपने मज़े के लिए बर्बाद करना बहुत बड़ी बेवकूफी होगी. लिब्रेटिंग का मतलब है दिल बड़ा रखना या उदारता का गुण. इससे आपके अंदर बडप्पन आता है और दुश्मन भी आपके दोस्त बन जाते है.
हमारा पांचवा और आखिरी प्रिंसिपल है सेल्फ- कंट्रोल : जिनमे सेल्फ कंट्रोल नहीं होता, वो लोग गलत काम करने में ज़रा भी नहीं हिचकते और अक्सर बहुत दुःख भोगते है. इनका कोई भी काम आसानी से नहीं बनता, और ये लोग फिजिकली, मेंटली और फाईनेंशियली भी काफी कमज़ोर होते है. जैसे कि मान लो कोई बिजनेसमेन है जो हमेंशा अपने कस्टमर पर चिल्लाता रहता है. आप समझ सकते है कि वो कभी एक सफल बिजनेसमेन नहीं बन सकता. उसके गुस्से की वजह से उसके कस्टमर दूर होते जायेंगे.
इंसान को चाहिए कि वो बर्दाश्त करना सीखे. हमें सबके प्रति इंसानियत और दया रखनी चाहिए. अगर आपके अंदर ये गुण नहीं है तो आप कभी सफलता की उंचाइयो को नहीं छू सकते, महान वही बनता है जो महान काम करता है. छोटे दिल के लोग कभी बड़ा काम नहीं कर सकते. आप इन शब्दों से वाकिफ है तो इन्हें रियल लाइफ में भी अप्लाई करे. जिन उसूलों की बात हम करते है, अगर आपने उन्हें जिंदगी में अप्लाई नहीं किया तो समझ लीजिए आपकी ख़ुशी और सफलता दांव पर लगी है.
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2. सही मेथड
Sound methods..
आपके राईट प्रिंसिपल्स और आपके एक्शन का आपस में कनेक्शन होना जरूरी है. अगर आप जानते हुए भी उन पर अमल नहीं कर पाए तो उन्हें जानने का फायदा क्या हुआ? उन प्रिंसिपल्स को रियल लाइफ में अप्लाई करने के लिए आप कौन से मेथड यूज करेंगे, ये जानना भी बेहद जरूरी है. मशीन तभी अच्छी और यूज़फुल मानी जाएगी जब वो सही ढंग से काम करे. मशीन का हर पार्ट आपस में मिलकर मशीन को काम करने लायक बनाते है. यही बात जिंदगी पर भी लागू होती है. जब आप अपने प्रिंसिपल्स और अपनी जिंदगी के बीच एडजस्ट करने की कोशिश करोगे, तभी आप ज्यादा पॉवरफुल और एफिशिएंट बन सकोगे. ..
एक खुशहाल जिंदगी जीने के लिए रूल्स और रेगुलेशन जरूरी है. समझदार लोग अपनी जिंदगी की छोटी से छोटी बात पर भी ध्यान देते है. जबकि बेवकूफ लोग एकदम इसका उलटा करते है. एक समझदार आदमी को पता होता है कि छोटी-छोटी बाते ही आगे चलकर बड़ा प्रभाव डालती है. इसलिए समझदार लोग सोच-समझ कर अपना हर काम करते है और बात अगर पैशन की हो तो ऐसे लोग डिसप्लीन फॉलो करते है और कुछ भी बोलने से पहले सौ बार सोचते है.
सबसे सही तरीका है कि हम जिंदगी में डिसप्लीन रखे. अपनी डेली रूटीन की छोटी से छोटी बात पर गहराई से गौर करे. एक स्ट्रिक्ट टाइम टेबल बना ले कि कब सोना है और कब उठना है, कब खाना है और क्या खाना है. क्या आपके खाने-पीने का कोई फिक्स टाइम है या आप बेवक्त खाते-पीते हो ? ये सवाल इसलिए जरूरी है ताकि हमारा हाजमा और सेहत दोनों दुरुस्त रहे. इसके अलावा आउटड़ोर एक्टिविटी जैसे गेम्स और अपने काम का टाइम भी फिक्स रखे. एक शेड्यूल मेंटेन करने से लाइफ में कितनी इम्प्रूवमेंट होती है, ये आप सोच भी नहीं सकते.
छोटी-छोटी बातो का ध्यान रखने से जिंदगी में तालमेल तो बनता ही है साथ ही हमें एक ख़ुशी और सुकून का एहसास भी होता है.
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3. सही एक्शन
True actions
ट्रू एक्शन का मतलब है सही प्रिंसिपल और सही मेथड को फॉलो करना. ट्रू एक्शन का मतलब है दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना. हालाँकि ये बात हमें सुनने और पढने में बड़ी अच्छी लगती है और अक्सर हम इसे रियल लाइफ में फॉलो करना उतना जरूरी नहीं समझते, पर अगर आपको में खुशियाँ और सक्सेस चाहिए तो इस बात को कभी नजरअंदाज मत कीजिए. ज़रा अपने व्यवहार पर गौर कीजिए, आप लोगो से कैसा बर्ताव करते है? क्या आप लोगो के साथ एक हमदर्दी भरा व्यवहार करते है?अगर करते है तो बड़ी अच्छी बात है, क्योंकि इससे आपकी जिंदगी भी शांति से गुजरेगी. ट्रू एक्शन ना सिर्फ आपको बल्कि आपके आस-पास वालो को भी खुश रखता है.
पर हमें कैसे पता चलेगा कि हमारे एक्शन ट्रू हैं या नहीं? तो ये उतना ही आसान है जैसे हम चीजों को अलग-अलग रखते है, जैसे कि हम किताबें बुक शेल्फ में रखते है और कपड़े अलमारी में. जो काम हम अच्छी मंशा यानी इरादे से करते है, वो काम अच्छा है. अगर किसी एक्शन का मकसद आपकी और बाकि लोगो की भलाई है तो उसे हम ट्रू एक्शन मान सकते है.
ट्रू एक्शन करने वाले लोग केयरफुल होते है, ये बगैर सोचे-समझे कोई काम नहीं करते और ऐसा कोई काम हरगिज़ नहीं करते जिससे किसी का बुरा हो या किसी को बुरा लगे. यहाँ सेल्फ कंट्रोल का कांसेप्ट पूरी तरह से अप्लाई होता है, यानी हमारा अपने स्पीच और एक्शन दोनों में कंट्रोल होना जरूरी है. ऐसे लोग कभी किसी की बुराई नहीं करते. यहाँ तक कि गुस्से की हालत में भी ये लोग कुछ भी बोलने से पहले खुद को शांत कर लेते है.
ट्रू एक्शन के लिए ईमानदार और सच्चा होना जरूरी है. एक समझदार इंसान वही है, जिसके अंदर ये दोनों गुण होंगे. कुछ भी कहने या कोई भी वादा करने से पहले अच्छी तरह सोच लो. और हाँ, आपके इरादे भी अच्छे होने चाहिए. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि अच्छे ईरादे होने के बावजूद हमसे गलती हो जाती है, ऐसा कब होता है? जब हम बिना सोचे-समझे एक्शन लेते है. इसलिए पहले ये देख लो कि उस एक्शन का नतीजा क्या निकलेगा? कहीं उसके पीछे कोई और मोटिव तो नहीं है? ऐसे मामलो में हमेंशा अपनी आंखे खुली रखिये, आपकी लापरवाही से कोई बड़ी गलती भी हो सकती है.