(hindi) 50 Positive Habits: Transform you Life

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इंट्रोडक्शन

मैक्स जोन्स नाम के हमारे main character से मिलिए. हम में से ज़्यादातर की तरह, मैक्स अपनी लाइफ में स्ट्रगल कर रहे  हैं. वो कहीं नहीं पहुँच पाए और वो इसी होड़ में स्ट्रगल कर रहे हैं.
मैक्स को एहसास हुआ कि उन्हें बदलने की जरूरत हैं. वो अपनी लाइफ पर कंट्रोल पाना चाहते थे, एक बेहतर इंसान और सक्सेसफुल बनना चाहते थे.
आइए इस में समरी डूब जाएँ और देखें कि मैक्स की लाइफ A से Z तक कैसे बदली.

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मेन्टल हैबिट

न्यू मैक्सिको में बारिश का दिन हैं. बादल ने सूरज को ढक रखा हैं, और बहुत ही डिप्रेसिंग सा सीन हैं.
37 साल के मैक्स डाइनिंग टेबल पर बैठकर सोच रहे हैं कि उनकी लाइफ में आखिर गलती कहाँ हुई हैं. वो आखिर कैसे बर्बाद हुए ? उनकी लाइफ  इतनी बेकार हुई कैसे ? जब वो एक बच्चे थे, तब ये सोचते थे कि बड़े लोगों को सब कुछ पता होता हैं कि उन्हें क्या करना है.

मैक्स ने अपनी लाइफ में पॉजिटिव सोच लाने का फैसला किया. उन्होंने सोचा कि वैसे भी लाइफ इससे ज़्यादा बिगड़ नहीं सकती हैं इसलिए क्यों न कुछ नया करने की कोशिश करें?
उन्होंने इसकी शुरुवात अपने चारों ओर की नेगेटिविटी को ढूंढ़कर किया. उन्होंने अपने नेगेटिव सोच की ओर ध्यान दिया और देखा कि वे उनसे कैसे निपटते हैं. उन्हें एहसास हुआ कि वो कितने नेगेटिव थे.
मैक्स ने उन नेगेटिव सोच को अब अपने ऊपर हावी न होने देने का फैसला किया. उन्होंने सोचा, “अगर मैं इस महीने अपने बिलों को पे नहीं कर पाया तो क्या हुआ ?” मैं अगले महीने और कड़ी मेहनत करूंगा और इन बिलों को पे करूंगा. मैं अगले महीने के कई बिल को भी पे कर सकता हूँ! ”

फ्यूचर कैसा होगा, इस बात के बारे में सोचते हुए मैक्स को काफी साल हो गए हैं. वो बैठ गए और एक ऊँचे मुकाम में पहुँचने के दिन में ही ख्वाब देखने लगे. उन्होंने खुद को टीवी पर एक सक्सेसफुल फाइनेंसियल एनालिस्ट का रिवॉर्ड लेते हुए इमेजिन किया. आखिर, ये उनका एक बड़ा सपना था.

मैक्स ने अपने लाइफ की सभी नेगेटिव चीजों के बारे में सोचकर परेशान होने के बजाय इससे बाहर निकलने के उपाय निकालने शुरू कर दिए. उन्होंने खुद से कहा, “मैं इस काम में खुश नहीं हूं, इसलिए मैं या तो जॉब छोड़ दूंगा और दूसरी जॉब ले लूंगा. या मैं ये पता लगाने की कोशिश करूंगा कि मुझे मेरे इस जॉब से परेशानी क्यों हैं, और मैं इसे बदल दूंगा!”

मैक्स ने कहा, “आज, मैं सुबह उठा और कुछ कपड़े धोए. मैंने अपने जॉब में ऐसा काम पूरा किया हैं, जो कोई नहीं कर पा रहा था. मैंने अपने कमरे को साफ किया और किताबों को रंगों के हिसाब से ऑर्गनाइज़ किया. ” मैक्स जानते थे कि ये सब हासिल करने लायक बड़ी बातें नहीं हैं. लेकिन कम से कम, ये कुछ तो हैं! और कभी-कभी, बस एक और दिन के लिए जीना अपने आप में ही कुछ हासिल करने जैसा ही हैं.

पिछले हफ्ते, मैक्स कंपनी के सर्वर पर फाइलों को ऑर्गनाइज़ करने में फेल हुए थे. ये काम उनके बॉस ने करने को कहा था. मैक्स ने इस बारे में सोचा कि वो इस काम को पूरा करने में फेल क्यों हुए बजाय इसके कि वो अपने बारे में बुरा महसूस करे!

उन्होंने महसूस किया कि उनके बॉस के इंस्ट्रक्शन क्लियर नहीं थे, और मैक्स ज़्यादा सवाल करने से डरते थे. मैक्स को नहीं पता था कि उनके बॉस किस हिसाब से फाइल्स ऑर्गनाइज़ करवाना चाहते थे?

जब मैक्स अगले दिन काम पर गए तो उन्होंने अपनी हिम्मत जुटाई. उन्होंने अपने बॉस से पूछा कि वो कैसे फाइल्स को ऑर्गनाइज़ करवाना चाहते हैं. मैक्स को ये देखकर हैरानी हुई कि बॉस ने आराम से उनके सवालों के जवाब दिए, और इसलिए मैक्स ने एक घंटे से भी कम टाइम में अपना काम खत्म कर दिया.

मैक्स ने यहां जो किया, हम सभी को भी वैसे ही करना चाहिए, हमें नेगेटिव बातों के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए. मैक्स ने इस प्रॉब्लम का सामना करने और उसका हल निकालने का फैसला किया था इसलिए उन्होंने इसे इस प्रॉब्लम को ठीक किया.

मैक्स ने अपने अगले स्टेप में अपने सक्सेस के बारे में इमेजिन किया और अपने मन को पॉजिटिव सोच से भरा. इन पॉजिटिव सोच ने उन्हें सही रास्ते पर ला दिया था!

ये वो हैं जो आपको करना जरूरी हैं. एक बार जब आप सही रास्ते पर होते हैं, तो अपने लाइफ की सभी पॉजिटिव चीजों के बारे में सोचिए. अपनी गलतियों के बारे में सिर्फ तभी सोचिए जब उनका हल निकालना हो, सुधारना हो. अपने आप पर तरस खाना छोड़ दीजिए.

एक पॉजिटिव सोच कई सारे पॉजिटिव सोच के लिए रास्ता बनाती हैं. इसी तरह, एक नेगेटिव सोच कई नेगेटिव सोच को अपनी ओर खींचेगा और आखिर में आप निराशा के खाई में गिर जाएँगे.

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इमोशनल आदतें

मैक्स ने सिर्फ इतना ही नहीं किया. वो यही नहीं रुके. वो इमोशनली बहुत कमज़ोर हो गए थे, क्योंकि उनका अपनी पत्नी से झगड़ा हुआ था. उनका किसी बात पर एक बेकार बहस हुई थी जहां उन्होंने अपनी पत्नी से कुछ ऐसी बातें कही जिससे उन्हें दुख हुआ , फिर वो घर से निकल गईं और एक दोस्त के घर पर रहने लगीं थी.

मैक्स ने अपने जॉब से दो हफ्ते की छुट्टी ली. उन्हें अपनी इमोशंस को जगह पर लाने की जरूरत थी. उन्हें उन पर काम करने की जरूरत थी. सबसे पहले, मैक्स ने समझा कि उनकी पत्नी के साथ झगड़े का कारण क्या था.

उस दिन सुबह जब उनका झगड़ा हुआ था, मैक्स ने सुबह उठकर अपने कमरे के चारों ओर गंदे कपड़े फैला देखा था. ये सब उनकी पत्नी आइरीन के कपड़े थे. मैक्स चिल्लाए और कहा कि वो अब इसे और नहीं झेल सकते. उनकी पत्नी ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया और वो सिर्फ कमरा छोड़कर बाहर निकल गई थी जिसने मैक्स को भी गुस्सा दिला दिया था.

वो अपने पत्नी के पीछे दौड़कर चिल्लाने लगे और इंसल्ट करने लगे. मैक्स ने कितने ही ऐसी बातें कह दी थी जिनको वो दिल से नहीं कहना चाहते थे. आइरीन ने भी गुस्से से जवाब दिया और फिर वो घर से चली गई.

जब मैक्स ये सोचने के लिए बैठे कि क्या हुआ हैं तो उन्होंने महसूस किया कि गंदे कपड़े उनके गुस्से का कारण नहीं था. बल्कि मैक्स अपने जॉब से परेशान थे, और उन्होंने महसूस किया कि अपनी पत्नी को खुश करने के लिए काफी पैसा नहीं कमा पा रहे थे.

इस बीच, आइरीन को पता चला था कि उनकी एक दोस्त बीमार थी जिससे वो बहुत ही दुखी थी. आइरीन और मैक्स दोनों ने अपने इमोशन के बारे में बात नहीं की, जिसके कारण उन दोनों को लड़ाई-झगड़ा करना पड़ा था.

अपनी फीलिंग्स और उनके पीछे के कारणों को समझने के बाद, मैक्स ने बेहतर महसूस किया.

उन्होंने 'Diaphragm Breathing' जो सांस लेने की एक टेक्निक है, उसे शुरू करने में अपना वक्त लगाया. मैक्स बस बैठ गए और गहरी और धीरे-धीरे सांस लेने लगे. इससे उनके ब्रेन में ज़्यादा ऑक्सीजन पहुंची और इसने उन्हें शांत और कंट्रोल में रहने का अहसास कराया.

मैक्स ने दो हफ्ते की छुट्टी क्यों ली? वो अपने घर पर आराम कर सकते थे.

नहीं, मैक्स को बदलाव की ज़रूरत थी. उन्होंने जाना कि बस कुछ मिनट के लिए खुली हवा में बाहर टहलने या बाहर जाने से उन्हें अच्छा महसूस होगा. वो अपने दिमाग को साफ कर उसके रिएक्शन को समझ पाएंगे.

आपको समझ आया? इमोशनल समझदारी सिर्फ एक शब्द नहीं हैं जिसकी सोशल मीडिया में ज़ोर-शोर से बातें होती हैं. ये एक सीरियस और ज़रूरी मामला है।

जब भी आप किसी बात को लेकर दुखी होते हैं, तो कुछ मिनट के लिए बैठकर मैडिटेशन कीजिए. फिर एक बार जब आप शांत महसूस करें, तो अपनी फीलिंग्स  को पहचानें और उनके पीछे के कारणों के बारे में सोचें. ये आपके उन सोच और फीलिंग्स को शेयर करने में भी मदद करता हैं.

मैक्स की तरह बनिए. आपकी इमोशनल ज़रूरतें आपके दूसरे ज़रूरतों की तरह ही ज़रूरी हैं. अगर आपका पैर टूट जाता हैं, तो आप फ़ौरन काम पर वापस जाने के बारे में नहीं सोच सकते, हैं न? तो, अपने दिमाग को ठीक करने के लिए कुछ वक्त निकालना गलत क्यों हैं ? इसके बारे में सोचिए.

अपने इमोशंस को अपने अंदर दबा कर मत रखिए क्योंकि ये आखिर में बाहर आ ही जाएंगे, और जब ऐसा होगा तो बात बहुत ही बिगड़ सकती हैं.

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