(hindi) The Attention Revolution: Unlocking the Power of the Focused Mind

(hindi) The Attention Revolution: Unlocking the Power of the Focused Mind

इंट्रोडक्शन

जब हम अपने माइंड को ज़्यादा अटेंशन देने के लिए कहते हैं तो वो और भी ज़्यादा भटकने लगता है, ये कितना irritating है, है ना? क्या आप चाहते हैं कि आप बिना ब्रेक लिए कम से कम एक घंटे के लिए किसी काम पर फोकस कर सकें?

इस बुक में आप जानेंगे कि लेज़र  फोकस अटेंशन span कैसे डेवलप किया जाए. इसमें जो मेथड बताए गए हैं वो बौद्ध धर्म से इंस्पायर्ड हैं.   उनका मानना है कि अपने माइंड को  अच्छी कंडीशन में बनाए रखने के लिए मैडिटेशन और अटेंशन को साथ जोड़ना बहुत ज़रूरी है.

इस बुक में आप उन stages के बारे में जानेंगे जो आपको एक अचूक और स्टेबल फोकस्ड अटेंशन अचीव करने में मदद करेंगे. आप इस बारे में भी जानेंगे कि मैडिटेशन किस तरह आपको फिजिकली और मेंटली तैयार कर सकता है ताकि आपका अटेंशन लंबे समय तक बना रहे.
तो आइए इसके बारे में जानकार अपनी जिंदगी को एक नई दिशा में ले जाने की ओर बढ़ते हैं.

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Stage 1: Directed Attention

कभी-कभी अटेंशन बनाए रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. आप अपने अटेंशन बनाए रखने के टाइम को बढ़ाने की लाख कोशिश करते हैं फ़िर भी ये impossible सा लगता है. आपकी तरह इस बुक के ऑथर भी कुछ साल पहले तक इसी problem से स्ट्रगल कर रहे थे. उन्होंने इसके बारे में कुछ करने का फ़ैसला किया. उन्होंने बुद्ध धर्म और मैडिटेशन के बारे में सुना. उन्हें पता चला कि मैडिटेशन फोकस्ड अटेंशन के लिए कैसे एक चमत्कार की तरह काम करता है. अपने अटेंशन या ध्यान को improve करने का सफ़र इतना भी आसान नहीं है. इसे प्रैक्टिस करने वाले कई बार फेल भी हुए हैं क्योंकि अपना फोकस बनाए रखना बेहद मुश्किल होता है. इसका कारण है कि हमारा मन बहुत चंचल होता है. वो एक जगह टिक कर नहीं रह सकता. शायद हम जान भी नहीं पाते कि एक ही पल में हमारे मन में हज़ारों थॉट आते जाते रहते हैं.

इस बुक में ऑथर ने कमलाशिला के बारे में बताया है कि आप अपने अटेंशन span को डेवलप करने के लिए क्या कर सकते हैं. कमलाशिला एक भारतीय buddhist थे जिनका मानना था कि अपने अटेंशन को डेवलप करने के प्रोसेस को कई अलग-अलग स्टेज में किया जा सकता है. फाइनल स्टेज में आप में shamatha आ जाती है यानी ये वो डिसिप्लिन है जिसमें आप अपने अटेंशन को successfully तब तक बनाए रख पाएंगे जब तक आप चाहते हैं.

पहला स्टेज है directed  या focused अटेंशन जिसका मतलब है किसी object पर अपने माइंड को फोकस कर meditate करना, भले ही वो कुछ सेकंड के लिए ही क्यों ना हो. पढ़ाई करने जैसे कॉम्प्लेक्स चीज़ों पर अपना फोकस बनाने के लिए पहले आपको सिंपल चीज़ों के साथ शुरुआत करनी होगी. अपने सांस लेने के तरीके को ध्यान में रखते हुए शुरू करना सबसे अच्छा होता है. इसे यहाँ वो object बताया गया है जिस पर आप meditate करेंगे. इसका कारण ये है कि इस पर फोकस करना आसान है और सांस लेने के लिए हमें कोशिश नहीं करनी पड़ती, ये नैचुरली होता है. ये आपको रिलैक्स करने में भी मदद करता है.

क्या आपने कभी रिसर्च पेपर लिखने की कोशिश की है और उस वजह से बेहद स्ट्रेस में आ गए हों? अगर हाँ तो यकीनन आपका अटेंशन उसमें पूरी तरह से नहीं था. रिलैक्स्ड महसूस करना ही फोकस्ड अटेंशन का पहला स्टेप है. इसे कुछ इस तरह से करना है. पहले, एक कम्फ़र्टेबल पोजीशन में बैठें. आप बैठ सकते हैं, लेट सकते हैं या पैरों को मोड़कर बैठ सकते हैं. जिसमें भी आप कम्फ़र्टेबल फील करें उस पोजीशन को चुनें. अपनी पोजीशन सिलेक्ट करने के बाद अपनी पीठ को सीधा करें और रिलैक्स करने की कोशिश करें.

दूसरा, जब आप रेडी हो जाऐं तो धीरे-धीरे अपनी बॉडी में फील होने वाली हर सेंसेशन पर ध्यान देना शुरू करें. अपने पैरों के नीचे की ठोस ज़मीन या हवा जो आपके बालों से होकर गुज़र रही है उसे फील करें. जब आप इसे महसूस करें तो जो टेंशन आप फील कर रहे हैं उसे भी नोटिस करें. अगर आपको लगता है कि आपके कंधें बहुत उठे हुए या सख्त हैं तो उन्हें रिलैक्स करें. यही बात आपके चेहरे के features के लिए भी अप्लाई होती है. आपको इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं है कि आप अनजाने में अपने jaw यानी जबड़े पर कितना प्रेशर डाल देते हैं. अपनी पूरी बॉडी को रिलैक्स करने दें.

तीसरा, इस पूरी प्रैक्टिस के दौरान एक ही पोजीशन में बने रहने की कोशिश करें यानी ज़्यादा हिले डुले नहीं. बिना हिले बैठे रहने से आपके माइंड को रिलैक्स करने में मदद मिलती है.
चौथा, आप कैसे सांस लेते हैं उसे महसूस करें और उसके बारे में अवेयर रहे. जब आप नाक से सांस अंदर लेते हैं तो कैसे आपका पेट बाहर की ओर आता है, वो महसूस करें. इसे ऐसे इमेजिन करें कि सांस लेने का प्रोसेस एक जार में पानी डालने के समान है. जब आप सांस बाहर छोड़ते हैं तो महसूस करें कि आपकी बॉडी कैसा महसूस कर रही है. क्या आप लंबी गहरी सांसें लेते हैं या छोटी सांसें? सांस लेने का कोई सही तरीका नहीं होता  लेकिन इन चीज़ों को नोटिस करना आपको अवेयर बनाए रखती है.

जब आपको लगे कि आपका मन भटक रहा है तो ज़बरदस्ती अपने मन को अपनी सांस पर फोकस करने के लिए मजबूर ना करें क्योंकि आप जितना ज़्यादा उसे force करेंगे उतना ही आपका शरीर और माइंड स्ट्रेस में आने लगेगा. इसके बजाय बस अपने बॉडी को रिलैक्स करने दें. जब आप रेडी हो जाएं तो फ़िर से breathing एक्सरसाइज को रिपीट करें. तब तक प्रैक्टिस करते रहे जब तक 24 मिनट की breathing एक्सरसाइज आपके लिए आसान ना हो जाए.

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Stage 2: Continuous Attention

जब आप पहली बार अपने मैडिटेशन का सफ़र शुरू करेंगे तो आपको बहुत excitement फील होगी. हम जब भी कुछ नया करते हैं तो वो बहुत exciting होता है, है ना? लेकिन ये excitement चैलेंज में बदल जाता है क्योंकि हमारा मन इतनी तेज़ी से भटकता है कि अपनी सांस पर अटेंशन देना बहुत मुश्किल लगने लगता है. सांस पर फोकस करने की ये mindfulness technique आपको रिलैक्स तो करेगी लेकिन कुछ ऐसे पल भी होंगे जब आप अपना ध्यान खो देंगे.

दूसरा स्टेज, continuous अटेंशन, आपको इन छोटे-छोटे टाइम पीरियड को जीतने में मदद करेगा जिसमें आप meditate करने वाले object पर अटेंशन नहीं दे पाते, जो इस केस में आपकी breathing है. लेकिन इस स्टेप का ये मतलब नहीं है कि आप घंटों तक अपनी सांस पर फोकस कर पाएंगे. इस स्टेज में जैसे ही आप मन भटकाने वाले विचारों को नोटिस करते हैं तो अपनी सांस को गिनना शुरू करें. जब आप सांस अंदर लेते हैं तो मेंटली काउंट कीजिए 1. फ़िर इस बात पर ध्यान दें कि आपकी बॉडी को कैसा महसूस हो रहा है.

हर बार सांस लेते और छोड़ते वक़्त जो सेंसेशन आपको महसूस होती है उसे नोटिस करें. जब तक गिनना आपकी मदद कर रहा है तब तक गिनते रहे. काउंट करना एक रिमाइंडर की तरह आपका ध्यान भटकने से रोकेगा. ये एक इशारे की तरह होता है जो आपको अपनी breathing पर फोकस करने में मदद करता है. याद रखें कि यहाँ आपकी breathing इम्पोर्टेन्ट है नाकि कि काउंटिंग. लेकिन ध्यान रखें क्योंकि कभी कभी हमारा फोकस काउंट करने पर लगने लगता है जो ख़ुद ध्यान भटकाने का कारण बन जाता है.

पहले और दूसरे स्टेज का मकसद है आपको रिलैक्स करने में मदद करना. जब आपकी बॉडी और माइंड दोनों रिलैक्स्ड होते हैं तब आप ज़्यादा अटेंशन दे पाते हैं. अगर गिनना आपकी मदद करता है तो गिनें कि आपने कितनी बार सांस अंदर ली और कितनी बार बाहर छोडी़. ऐसा हर दिन 24 मिनट तक करें.

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Stage 3: Resurgent Attention

जब आप तीसरे स्टेज पर पहुँचते हैं तो आपके मैडिटेशन वाले ऑब्जेक्ट पर आपका फोकस ज़्यादा फिक्स्ड होने लगेगा. मैडिटेशन करने का excitement अब भी आप में थोड़ा होगा. हालांकि, अब आप अपना अटेंशन लंबे समय तब स्टेबल रख पाएँगे. यहाँ आप अपने मैडिटेशन का समय बढ़ा भी सकते हैं. लेकिन हमेशा याद रखें कि हर मैडिटेशन सेशन में क्वालिटी मायने रखती है, कितनी देर किया वो नहीं. इस स्टेज में आप फील करेंगे कि आपका अटेंशन span लंबा हो गया है. इस स्टेज में भी ऐसे पल होंगे जब आपका मन भटक सकता है, लेकिन अब आप इसे आसानी से पार कर सकते हैं.

इसमें आपको ऐसा फील होगा कि आपने shamatha अचीव कर ली है लेकिन असल में आपका मन सिर्फ़ आपको बेवक़ूफ़ बना रहा है. इस स्टेज में आप coarse laxity का सामना करेंगे. यह तब होता है जब आप ऐसा महसूस करते हैं कि आप अपना अटेंशन meditative object  पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन असल में आप कुछ नहीं कर रहे होते.

Coarse laxity से आप शांति महसूस करेंगे. इस स्टेज में आपका माइंड रिलैक्स्ड हो जाता है जिसे आप मैडिटेशन समझने की भूल करते हैं. ऑथर ने इस बात को 1970 में हुए एक किस्से के द्वारा समझाया है. असल में एक आदमी ने सोचा कि सिर्फ़ सोचना बंद करना ही मैडिटेशन का गोल होता है. इसलिए वो हर दिन बस यही करता था. कुछ समय बाद उस आदमी की मूवमेंट बंद होने लगी. उसे पैरालिसिस हो गया था जिस वजह से उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा. extreme coarse laxity इतना नुक्सान पहुंचा सकती है.

इससे बचने के लिए आपको अपने अटेंशन की क्वालिटी को इम्प्रूव करना होगा. आगे बताए गए स्टेप्स आपको गाइड करेंगे.

सबसे पहले, बाकी स्टेज की तरह, अपने बॉडी और माइंड को रिलैक्स करने दें. रिलैक्स करें और ध्यान दें कि आप सांस कैसे ले रहे हैं. दूसरा, आप यहाँ भी काउंट करने की technique को यूज़ कर सकते हैं. एक और हेल्पफुल technique है कि आप अपने मैडिटेशन को माइंड में एक क्लियर पिक्चर के ज़रिए इंटरेस्टिंग बना सकते हैं. जब आपका अटेंशन breathing पर हो तो अपना थोड़ा सा अटेंशन एक और object पर लगाएं जैसे अपनी नाक पर या आपके ऊपर के होंठ और नाक के बीच में जो जगह है वहाँ. अपने अटेंशन के फील्ड को बढ़ाना आपके अटेंशन को फोकस करने में बहुत मदद करता है.

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