(hindi) Scrum: The Art of Doing Twice the Work in Half the Time

(hindi) Scrum: The Art of Doing Twice the Work in Half the Time

इंट्रोडक्शन

हर कंपनी का अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का एक सिस्टम होता है। यह सिस्टम अक्सर एक प्रिंटेड टेंपलेट के रूप में होता है जिसे हर टीम को प्रोजेक्ट कामयाबी से पूरा करने के लिए फ़ॉलो करना पड़ता है।

लेकिन इस तरह की सोच गलत है। यह बात साबित करने के लिए इसी बात को देख लीजिए कि कितनी सारी कंपनीज़ दुनिया भर में  कामयाब हैं। सच यह है कि उनकी तादात या संख्या बहुत ही कम है क्योंकि उनका काम करने का तरीका दूसरों से अलग है।

यह बुक आपको कामयाब बिजनेस चलाने के एक नए तरीके से परिचित करवाएगी। इस तरीके का नाम है 'स्क्रम'। इस तरीके ने ऐसी सूपर टीम्स बनाई हैं जिन्हों ने सालों से हिस्टोरिक सक्सेस हासिल है।

इस बुक में आप स्क्रम मेथड और ट्रेडिशनल मेथड्स के बीच के फ़र्क को समझेंगे। आप यह सीखेंगे की किसी भी कंपनी की कामयाबी सिर्फ एक आदमी नहीं बल्कि पूरी टीम पर डिपेंड करती है।

आप यह भी सीखेंगे की एक दमदार टीम कैसे बनाई जाए और कैसे प्रोजेक्ट्स को प्रोडक्टिव रूप से चलाया जाए। आप यह समझेंगे की कैसे अपना समय बढ़ाया जाए जिससे दुगना असर पड़े, और यह भी कि कैसे रियलिस्टिक बिजनेस प्लान बनाएं जाए।

अगर आपके पास इस वक्त कोई प्रोजेक्ट है या आप ऐसा कुछ सोच रहे हैं जो दुनिया बदल देगा तो यह बुक बताएगी कि ऐसा कैसे करना है।

स्क्रम की शुरुआत

क्या आपने कभी सोचा है कि लोग भला कयों एक ही गलती दोहराते हैं? ठीक इसी तरह बिजनेस में भी लोग उन्हीं तरीकों को बार बार फ़ॉलो करते रहते हैं यह जानने के बावजूद की वे काम नहीं करते।

स्क्रम काम करने का एक अलग तरीका है। जो टीम्स स्क्रम मेथड को फॉलो करती हैं वे हाइपर प्रोडक्टिव साबित होती हैं। इसका मतलब उन टीमों में बाकियों से ज़्यादा क्षमता और सफलता देखी जाती है। अगर वे टीम्स स्क्रम को सही तौर पर अप्लाई करें तो उनका प्रोडक्टिविटी रेट 400% तक बढ़ सकता है।

किसी भी और मेथड की तरह ही, स्क्रम मेथड को भी अप्लाई करने में उसके रूल्स की जानकारी और प्रैक्टिस होना ज़रूरी है। एक टीम सिर्फ तब ही ऊपर उठ कर लेवल ऑफ फ्लो में आ सकती है जब वह एक बार इन रूल्स को अच्छी तरह से समझ कर उसकी एक्सपर्ट बन जाए। लेवल ऑफ फ्लो का मतलब है कि वह टीम मिल-जुल कर, बिना किसी रोक-टोक के काम करे।

स्क्रम को बिजनेस में कैसे अप्लाई किया जाए इसकी मिसाल हम एक कहानी से समझते हैं जो कि जेफ़ सदरलैंड और उनके द्वारा उनकी टीम में किए गए सुधारों के बारे में है।
ई.ए.एस.ई.एल. (EASEL) नाम की एक कंपनी में जेफ़ को बतौर वी.पी. एक नई जॉब मिली। उन्हें एक हाई क्वालटी प्रोडक्ट बनाने की जिम्मेदारी मिली, जो कि मार्केट में बाकियों से मुकाबला कर सबसे बेस्ट क्लाइंट्स को बेचा जाएगा। प्रॉब्लम जॉब डिस्क्रिप्शन में नहीं, उसकी डेडलाइन में थी। उनके बॉस ने उन्हें सिर्फ छह महीनों का समय दिया था यह काम पूरा करने के लिए।

जेफ़ ने अपनी टीम को इकट्ठा किया और कहा कि अगर वे पुराने पैटर्न को ही फ़ॉलो करते रहे तो वे किसी भी हाल में छह महीनों में ऐसा प्रोडक्ट नहीं बना पाएंगे। उन्हें कुछ अलग करना होगा।

उन्होंने 'वॉटरफॉल' मेथड को रिजेक्ट कर दिया। वॉटरफॉल मेथड में एक प्रिंटेड डॉक्यूमेंट के रूप में एक प्लान दिया जाता है जिसे प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किया जाता है। इस डॉक्यूमेंट में अलग अलग टास्क दिए जाते हैं जिन्हें घंटों के आधार पर measure किया जाता है, इसके अलावा उसमे हर चीज़ को अलग अलग रंगों से हाईलाइट किया जाता है ताकि वे करने में मज़ेदार दिखाई दे।

जबकि सच तो यह है कि ये डॉक्युमेंट्स ही ज़्यादातर प्रोजेक्ट्स की भूल होते हैं. जेफ़ यह बात जानते थे कि यह मेथड उनके लिए काम नहीं करेगा। इससे सिर्फ उनकी टीम की स्पीड और धीमे पड़ जाएगी।

तो जेफ़ ने अपने सीईओ को कॉन्टैक्ट किया और कहा कि वे वॉटरफॉल मेथड को फ़ॉलो करने की जगह एक, प्रोडक्ट उसी महीने के अंत तक पूरा कर देंगे। उनकी टीम सही दिशा में आगे बढ़ रही थी या नहीं यह जानने के लिए उनके सीईओ को खुद प्रोडक्ट टेस्ट करना होगा । अगर वो  कुछ ग़लत कर रहे होंगे तो वो आगे नहीं बढ़ेंगे और नए सिरे से काम शुरू कर देंगे।

एक दिन जेफ़की टीम के एक मेंबर उनके पास एक आर्टिकल लेकर आए जिसमें यह बताया गया था कि वॉटरफॉल मेथड एक बहुत बड़ी भूल थी। इसके अलावा, टीम्स को ख़ुद के बलबूते पर काम करना चाहिए और हर मेंबर को अपने ख़ुद के फैसले लेने चाहिए। इसके अलावा उन्हें क्रॉस फंक्शनल टास्क भी करना आना चाहिए, यानी उन्हें हर उस स्किल की जानकारी होनी चाहिए जो उनका काम पूरा करने के लिए जरूरी हो।

तब जाकर स्क्रम का जन्म हुआ। जैफ और उनकी टीम ने यह नया अप्रोच फ़ॉलो किया जिसके चलते वे छह महीनों में अपना हाई क्वॉलिटी प्रॉडक्ट पूरा कर पाए।
पुराने तरीकों को फ़ॉलो करना बहुत आसान और लुभावना लगेगा लेकिन वे अब बिल्कुल भी काम नहीं करते। टीम मैनेजमेंट में कुछ चीज़ें बदलने की ज़रूरत है। आगे आने वाले चैप्टर्स में हम स्क्रम के रूल्स को और बारीकियों से बताएंगे।

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

टीम्स

किसी एक तरह की जॉब के लिए सबसे बेस्ट एम्पलाई को ढूंढ़ते वक्त कंपनीज़ हमेशा इंडिविजुअल खूबियों की तलाश करती है। यह एक बहुत बड़ी गलती है क्योंकि उन्हें टीमवर्क जैसी खूबियों को ढूंढ़ना चाहिए। किसी भी कंपनी के प्रोडक्टिविटी रेट को एक टीम ही बना या बिगाड़ सकती है।

स्क्रम टीम परफॉर्मेंस के लिए बना है। इसका असली फ़ोकस यह ढूंढने में है कि सबसे प्रोडक्टिव टीम्स कैसे काम करती हैं, और फिर उसे कॉपी करके उसे अपने काम पर अप्लाई कैसे करें।
सबसे बेस्ट टीम्स ऑटोनॉमस यानी ख़ुद के बलबूते पर काम करने वाली होती हैं। टीम के हर मेंबर को अपना खुद का काम ऑर्गनाइज़ और मैनेज करना आना चाहिए। उन्हें सबसे बेस्ट  होना चाहिए, इसका मतलब है कि उन्हें एक ऐसे मकसद के लिए काम करना चाहिए जो की उनके पे-चेक के परे हो। उन्हें यह यकीन होना चाहिए कि उनकी कोशिश दुनिया को बदलने में मदद कर रही हैं।

अगर आप एक मैनेजर हैं तो आपका दिल यह चाहेगा कि आप ऐसे लोगों को ढूंढ़े जिनके ग्रेड्स अच्छे हो क्योंकि वे चीज़ें जल्दी सीख सकते हैं। यह कुछ कंपनीज़ के लिए काम करता होगा मगर ज़रूरी नहीं कि यह रूल सभी कंपनीज़ के लिए काम करे।

3,000 टीमों की परफॉर्मेंस को परखने के लिए एक स्टडी की गई। ये टीम्स अलग अलग कंपनीज़ और अलग अलग फील्ड्स जैसे कि इकोनोमिक, सॉफ्टवेयर डेवपमेंट से आयी थीं। रिसर्चर्स ने इंडिविजुअल डाटा को नजरंदाज़ कर सिर्फ टीम परफॉर्मेंस पर ध्यान दिया।

उन्होंने कुछ हैरान करने वाली चीज़ देखी। रिसर्चर्स ने यह बताया कि सबसे बेस्ट टीम्स ने एक प्रोजेक्ट एक हफ्ते में पूरा किया और दूसरी तरफ सबसे कम प्रोडक्टिव टीम्स ने लगभ दो हज़ार हफ्ते लिए वह काम पूरा करने के लिए।

यह एक बहुत ही बड़ा फ़र्क है। आप इससे टीम परफॉर्मेंस और पर्सनल परफॉर्मेंस की बीच के फर्क और ताकत को समझ सकते हैं। एक अच्छी टीम कंपनी को बना सकती है और एक बुरी टीम आपको लुटा भी सकती है।

अगर मैनेजर एक अकेले आदमी की प्रोडक्टिविटी सुधारने पर फोकस करें, तो इससे ज़्यादा बदलाव नहीं होगा। अगर वह टीम के एक अकेले मेंबर की एनर्जी बढ़ाने की कोशिश करे तो फिर भी वह ऊंचाइए नहीं छू पाएगा।

इसकी जगह मैनेजर को शुरू से ही एक अच्छी टीम बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उसे टीम मेंबर्स की सिर्फ उस वक्त मदद करनी चाहिए जब उन्हें उसकी ज़रूरत हो। बाकी के समय, हर टीम मेंबर को अपने ख़ुद के फ़ैसले लेना आना चाहिए।

स्क्रम ऐसी ऊंचाइयों तक पहुंचने के बारे में है जो कि सिर्फ टीमवर्क को बढ़ावा देने से, ना की  अकेले आदमी की परफॉर्मेंस पर फोकस करने से हासिल की जा सकती है और आसानी से इस बात को हम इस तरह समझ सकते हैं कि अगर आप एक इंडिविजुअल या अकेले आदमी में इन्वेस्ट करेंगे तो आपको इंडिविजुअल नतीजे मिलेंगे लेकिन अगर आप एक अच्छी टीम में इन्वेस्ट करेंगे तो आपको उससे कई गुना ज़्यादा अच्छे नतीजे मिलेंगे।

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

SHARE
Subscribe
Notify of
Or
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments