(hindi) The Yellow Wallpaper
ये काफी कम होता है कि जॉन और मेरे जैसे नॉर्मल लोग अपने खानदानी घर में गर्मी की छुट्टीयाँ गुज़ारे.
ये खानदानी मकान एक कोलोनियल मेन्शन है, एक तरह से बोलूं तो होंटेड हाउस लगता है, पर यहाँ आकर रोमांस वाली फीलिंग्स भी जाग जाती है-हालाँकि ये कुछ ज्यादा ही हो जायेगा.
बावजूद इसके मै बड़े कांफिडेंस से बोल सकती हूँ कि यहाँ कुछ तो गडबड है.
वर्ना इसकी कीमत इतनी कम क्यों होती? और क्यों ये इतने लंबे वक्त से खाली पड़ा हुआ है?
बेशक मेरी बातो से जॉन मेरा मजाक उडाएगा, पर क्या फर्क पड़ता है, शादी के बाद ये तो होता ही है.
जॉन कुछ ज्यादा ही प्रेक्टिकल है. वो बहुत ज्यादा रिलीजियस नही है और ना ही अंधविश्वासी. और वो ऐसी चीजों पर बिल्कुल यकीन नही करता जिन्हें एक्सप्लेन करना मुश्किल है. वो जो देख्नता है, उसी पर यकीन करता है.
पेशे से जॉन फिजिशियन है और शायद—यही वजह है कि मुझे ठीक होने में इतना वक्त लग रहा है.
दरअसल वो तो मानता ही नहीं है कि मै बीमार हूँ!
अब इसमें मै क्या कर सकती हूँ? अगर कोई हाईली क्वालीफाईड फिजिशियन, जो किसी का पति हो, अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को ये समझाए कि कोई बिमारी नही है सिर्फ टेम्पोरेरी नर्वस डिप्रेशन है-थोड़ी सी हिस्ट्रीकल प्रोब्लम है तो कोई क्या बोल सकता है?
मेरा भाई भी एक टॉप क्वालिटी फिजिशियन है पर वो भी सेम यही चीज़ बोलता है.
तो इसलिए मै फोस्फेट्स या फोस्फाईट्स जो भी इसका नाम है, वो लेती हूँ और साथ में दुसरे टॉनिक भी लेती हूँ, एक्सरसाइज़ करती हूँ, साफ़ हवा में रहती हूँ और जब तक ठीक ना हो जाऊं मुझे काम करना मना है.
पर्सनली मै इन बातो से एग्री नहीं करती. मुझे लगता है कि अगर मै काम करुँगी, बाहर घूमने जाउंगी या अपनी लाइफस्टाइल चेंज करूँ तो शायद मै ठीक हो सकती हूँ.
पर मै क्या काम करूँ? कुछ टाइम पहले मैं सबसे छुपकर कुछ लिखती थी पर लिखने से मुझे काफी थकान होती है. मुझे तो कभी लगता है जैसी मेरी हालत है, इसमें मुझे लोगो का ज्यादा सपोर्ट मिलना चाहिए. पर जॉन को लगता है कि अगर मै रात दिन अपनी बिमारी के बारे में सोचती रहूंगी तो और ज्यादा डिप्रेशन में आ जाउंगी. और मुझे भी काफी हद तक ये बात सही लगती है.
तो अब इस घर के बारे में बताती हूँ. ये जगह बड़ी खूबसूरत है और शांत है. गाँव से तीन मील दूर सडक के किनारे ये अकेला मकान है. ये घर किसी कहानी के पुराने इंग्लिश स्टाइल बंगले जैसा है. बंगले का गेट काफी बड़ा है, ऊँची-ऊँची दीवारे है और नौकरों के लिए अलग से छोटे-छोटे घर भी बने हुए है.
और एक बेहद खूबसूरत गार्डन भी है. ऐसा खूबसूरत गार्डन मैंने आज तक नही देखा. बहुत बड़ा जिसमे खूब सारे फूलो के पेड़-पौधे लगे है और जगह-जगह पर बैठने के लिए शेड्स बने है जिनके ऊपर अंगूल की बेले लिपटी है. यहाँ पर ग्रीनहाउस भी बने है लेकिन उनमे से ज्यादातर टूटे हुए है.
पर मुझे लगता है ये एक डिस्प्यूटेड प्रॉपर्टी है क्योंकि कई सालो ये जगह एकदम खाली पड़ी है.
लेकिन इसके बावजूद मुझे यहाँ डर लगता है, इस घर में कुछ तो अजीब है. मै इसे फील कर सकती हूँ.
एक रात मैंने जॉन को ये बात बोली थी, और उसने बोला कि ये तुम्हारा वहम है, खिड़की बंद रखो. मुझे कभी-कभी जॉन पर बड़ा गुस्सा आता है. मै इतनी सेंसिटिव तो पहले कभी नहीं थी. शायद ये मेरी नर्वस कंडीशन की वजह से है.
पर जॉन कहता है अगर मुझे ये सब फील होगा तो मै प्रॉपर सेल्फ कण्ट्रोल नहीं कर पाउंगी इसलिए मुझे किसी भी तरह खुद को कण्ट्रोल करना होगा, कम से कम उसके सामने तो. और यही चीज़ मुझे और ज्यादा परेशान करती है.
मुझे अपना रूम ज़रा भी पसंद नहीं. मुझे नीचे वाला कमरा चाहिए था जिसका दरवाजा गार्डन की तरफ खुलता है कमरे में पुराने जमाने के फूलो वाले परदे लगे है उसकी खिड़की पर गुलाब ही गुलाब लगे है. लेकिन जॉन मेरी सुनता कहाँ है! .
“इसमें सिर्फ एक विंडो है और डबल बेड की जगह भी नहीं है, ऊपर से इसके साथ कोई दूसरा रूम भी नहीं है जहाँ मै रहूँ” जॉन ने कहा.
वैसे जॉन बहुत लविंग हजबैंड है और मुश्किल से ही कभी डांटता है.
उसने मेरे दिन भर का शेड्यूल बनाया है, कब मुझे क्या खाना है, क्या पीना है, कब दवाई लेनी है, ये सब कुछ वोही देखता है. वो जो भी करता है मेरे भले के लिए करता है.
जॉन कहता है कि वो सिर्फ मेरे लिए ही यहाँ आया है ताकि यहाँ मुझे भरपूर आराम और साफ हवा पानी मिले. “तुम्हारी एक्सरसाइज़ तुम्हारी ताकत पर डिपेंड करती है डियर”
और तुम्हारा खाना तुम्हारी भूख पर पर साफ़ हवा हमे हर वक्त चाहिए” जॉन ने कहा. मेरा रूम बड़ा और काफी हवादार है. जो पहले एक नर्सरी था. इसमें चारो तरफ खिकड़ीयां है.
कपरे में खूब धूप भी आती है. मुझे लगता है यहाँ एक नर्सरी थी और उसके आगे एक प्लेग्राउंड और जिम. खिडकियों पर जालियां भी लगी है और दीवारों पर रिंग्स और कई तरह की चीज़े लगी है. पेंट और पेपर देखकर लगता है जैसे ये लडको का स्कूल रहा हो. वाल पेपर कई जगहों से उखड़ा हुआ है. ऐसा बदसूरत वाल पेपर मैंने आज तक नहीं देखा.
वाल पेपर का पैटर्न् एकदम भद्दा है. इतना डल कलर है कि समझ नही आता कौन सा कलर है.
ये रंग है तो पीला पर सनलाईट में फेड हो चूका है.
कुछ जगहों में वाल पेपर ओरंज कलर का लगता है तो कुछ में एक अजीब सा सल्फर का टिंट नजर आता है.
मुझे पूरा यकीन है जो बच्चे यहाँ आते होंगे उन्हें ये वाल पेपर ज़रा भी पसंद नही होगा! जब ये मुझे ही पंसद नहीं आ रहा तो बच्चो को कैसे पसंद आता होगा.
जॉन आ रहा है, ये छुपा देती हूँ, उसे मेरा लिखना जरा भी पसंद नही.
हम लोग यहाँ दो हफ्तों से है और इससे पहले मुझे कभी लिखने का मन नही किया.
अब मै विंडो के पास बैठी हूँ. मै जब तक जी चाहे लिख सकती हूँ. जॉन पूरा दिन बाहर रहेगा. हो सकता है कुछ रात भी अगर उसके पास कोई सिरियस केस हो.
चलो, अच्छा हुआ मेरा केस सिरियस नहीं है!
लेकिन मेरी नर्वसनेस मुझे डिप्रेशन में डाल रही है.
जॉन को मेरी हालत का अंदाजा नही है. उसे बस यही लगता है कि पैनिक करना का कोई रीजन नहीं है, बस यही उसके लिए बहुत है.
हाँ ये तो बस नर्वसनेस है. पर ये मेरी तबियत और बिगाड़ सकती है इसलिए मुझे कोई लोड नही लेना है. बल्कि मुझे तो जॉन का ख्याल रखना चाहिए था. वो इतनी मेहनत करता है, मुझे उसे थोडा रेस्ट और कम्फर्ट देना चाहिए पर उल्टा मै उस पर बोझ बन गयी हूँ !
कोई नहीं मानेगा कि मुझे छोटी-छोटी चीजों पर भी कितना एफर्ट करना पड़ता है जैसे कि कपडे पहनना, अपने डेली रूटीन के काम करना और बाकि चीज़े.
ये तो मेरी किस्मत अच्छी है कि जो मुझे मैरी ऐसी हेल्पर मिली है जो बच्चे का इतना अच्छे से ध्यान रखती है. मेरे बच्चे का!
मुझे ये बात तकलीफ देती है कि मै अपने बच्चे का खयाल रखने लायक नहीं हूँ.
जॉन शायद ही लाइफ में कभी नर्वस हुआ होगा. मेरे वाल पेपर को देखकर नर्वस होने की बात पर वो बड़ा हंसता है. पहले वो वाल पेपर चेंज करवाने जा रहा था पर फिर उसे लगा कि मै बेवजह इतना तूल दे रही हूँ, ऐसी उलटी-सीधी बाते सोचकर नर्वस पेशेंट की हालत और खराब होती है.
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जॉन ने कहा“ एक बार वाल पेपर चेंज करेंगे फिर तुम बोलोगी बेडशीट से डिप्रेशन हो रहा है, फिर खिडकियों से, फिर गेट से फिर सीढियों से…मतलब कोई ना कोई चीज़ तुम्हे डिप्रेशन देती रहेगी.
“तुम्हे पता है? ये जगह तुम्हारे लिए एकदम सही है, और तीन महीने किराये पर रहने के लिए रेनोवेशन पर पैसा वेस्ट करना बेवकूफी है”
“तो फिर नीचे वाले रूम में रहते है” मैंने कहा” नीचे के कमरे कितने सुंदर है.
उसने मुझे बाजू से पकड़ा और बोला” तुम लकी हो कि मेरे जैसा पति मिला” ठीक है हम नीचे रहेंगे और रूम में व्हाईटवाश करवा लेंगे”
जॉन सही कहता है, अभी मुझे वाल पेपर से प्रोब्लम है फिर बेड से होगी, फिर खिड़कीयों से. ऐसा खुला और हवादार कमरा मिल जाए तो और क्या चाहिए? ऑफ़ कोर्स मै इतनी भी पागल नहीं हूँ कि एक ज़रा सी बात के लिए उसे तंग करूं.
अब मुझे भी ये बड़ा कमरा अच्छा लगने लगा है सिवाए इस वाल पेपर के.
रूम की एक खिड़की से मै गार्डन देख सकती हूँ, वहां लगे अजीब से शेड्स देख सकती हूँ जो बैठने के लिए लगे है. पुराने फैशन के लगे हुए फूल-पौधे देख सकती हूँ और खुरदुरे पेड़ देख सकती हूँ..
खिड़की से दूर सी साइड भी दीखता है और एस्टेट का पूरा हिस्सा भी. मुझे हमेशा गार्डन में कई सारे लोग चलते-फिरते नजर आते है पर जॉन कहता है कि यहाँ हमारे अलावा कोई नहीं रहता इसलिए ये सब मेरा वहम है.
जैसी मेरी इमेजिनेशन पॉवर और स्टोरी बनाने की हैबिट है, मेरे जैसे नर्वस पेशेंट के लिए ठीक नहीं है. मुझे अपनी विलपॉवर से इसे कण्ट्रोल करना होगा. और मै यही कोशिश करती हूँ.
पर कभी-कभार थोडा-बहुत लिखने से मन का बोझ हल्का हो जाता है. पर जैसे ही कुछ लिखने बैठती हूँ बहुत थक जाती हूँ.
ऊपर से यहाँ ऐसा कोई नहीं जो मेरे लिखे हुए पर कुछ एडवाइस दे या तारीफ करे. जॉन कहता है जब मै ठीक हो जाउंगी तो कज़न हेनरी और जूलिया को इनवाईट करेंगे.;
काश मै जल्दी ठीक हो जाऊं.
पर अभी ये सब नहीं सोचूंगी. ये वाल पेपर! ऐसा लगता है मानो इसे पता है कि इसे देखकर मुझे अजीब सी फीलिंग आती है!
वाल पेपर के एक जगह पर पैटर्न ऐसा लगता है जैसे किसी की टूटी हुई गर्दन हो और दो आँखों बाहर निकल आई हो जो आपको घूरे जा रही है.
बार-बार मेरी नजर इसी जगह पर पड़ती है और मेरा खून खौलता है. चाहे मै रूम के किसी भी कोने में रहूँ , ये आँखे मेरा पीछा नहीं छोडती, लगातार मुझे घूरती रहती है, दीवार की एक जगह पर वाल पेपर बराबर नही है, वहां पर एक आँख ऊपर तो दूसरी नीचे चली जाती है.
मैंने किसी बेजान चीज़ में इतना एक्सप्रेशन पहले कभी नहीं देखा. पर ये होता है, बचपन में मैंने कई बार बिस्तर पर लेटे हुए खाली दीवारों और प्लेन फर्नीचर पर अजीब-अजीब से पैटर्न बनते देखे है.
हमारे घर में एक अलमारी थी जिसके नॉब मुझे ऐसा लगता था जैसे आँख मार रहे हो. एक चेयर थी जो मुझे हमेशा एक स्ट्रोंग फ्रेंड जैसी लगती थी, जैसे कि अगर कोई चीज़ मुझे डराए तो मै उस चेयर पर चढ़ जाउं और वो मुझे बचा ले.
इस रूम का फर्नीचर हम नीचे वाले रूम से लेकर आये है क्योंकि इस रूम के फर्नीचर की हालत खस्ता थी. मुझे लगता है कि जब यहाँ प्लेरूम होता होगा तो बच्चो ने यहाँ बड़ी तोड़-फोड़ की होगी.
क्योंकि दीवार का वाल पेपर भी कई सारी जगह से फटा हुआ है, जैसे किसी ने नोच के फाड़ा हो.
फर्श पर जगह-जगह खरोंचे है. कई जगह से प्लास्टर उखड़ा हुआ है. जब हम यहाँ आये थे तो रूम में सिर्फ एक भारी बेड था और वो भी टूटा-फूटा हुआ.
मुझे बाकि चीजों से कोई प्रोब्लम नहीं है बस इस वाल पेपर से है.
आजकल यहाँ जॉन की सिस्टर भी है. बहुत प्यारी लड़की है और मेरा बड़ा ध्यान रखती है! पर मुझे इससे भी छुप कर लिखना होगा.
ये लडकी एकदम परफेक्ट है. हर कम में माहिर, इसके लिए हॉउसकीपिंग से बढ़िया और कोई प्रोफेशन नही हो सकता पर मुझे पता है कि अगर ये मुझे लिखते हुए देख लेगी तो यही बोलेगी कि राइटिंग मेरे लिए सही नहीं है.
जब वो आस-पास नहीं होगी मै तब लिखूंगी और खिड़की से उसे बाहर दूर टहलते हुए देखती रहूंगी.
इस वाल पेपर में एक डिफरेंट शेड का सब-पैटर्न भी है और ये वाला तो और भी इरिटेट करता है, लेकिन ये आपको मुश्किल से नजर आएगा और वो भी एक ख़ास लाईट में.
पर जहाँ वाल पेपर फेड नही हुआ है, जहाँ सनलाईट नही पडती वहां मुझे एक अजीब सा इंसानी फिगर नजर आता है जो फ्रंट डिजाईन के पीछे छुपा हुआ सा लगता है.
ओह! जॉन की सिस्टर आ गयी, राइटिंग बंद करनी पड़ेगी!
वेल, आज जुलाई का चौथा दिन भी गुज़र गया! हमारे मेहमान जा चुके है और मै बहुत थकी हुई हूँ. जॉन ने सोचा कि शायद किसी के आने से मेरा दिल बहल जाएगा तो मेरी माँ और नेली और बच्चे एक हफ्ते के लिए आये थे.
मैंने कोई लोड नही लिया, सब कुछ जेनी ने ही संभाला.
इसके बावजूद मै इतना थका हुआ फील कर रही हूँ.
जॉन बोलता है अगर मै जल्दी ठीक नहीं हुई तो वो मुझे डॉक्टर वीयर मित्चेल्ल के पास भेज देगा.
पर मेरा मन नहीं है वहां जाने का. मेरी एक फ्रेंड है जो एक बार उसके पास गयी थी और उसी ने मुझे बताया कि वो जॉन और मेरे भाई से भी बुरा है बल्कि उनसे कहीं ज्यादा बुरा है! और इसके अलावा इतनी दूर कौन जायेगा!
मै आजकल पता नही क्यों बहुत रोती रहती हूँ.
नहीं, मै जॉन या किसी और के आगे नही रोती, अकेले में रोती हूँ. वैसे भी आजकल मै ज्यादातर अकेले ही होती हूँ, जॉन को अक्सर अपने पेशेंट्स देखने शहर जाना पड़ता है और जेनी को जब भी मै बोलूं वो मुझे रूम में अकेला छोड़ देती है.
मन होता है तो मै गार्डन में वाक कर लेती हूँ या घर के बाहर वाली उस सुंदर सी सडक पर घूमने चली जाती हूँ. या कभी गुलाब के पौधो के नीचे बैठ जाती हूँ या गार्डन की घास पर लेटी रहती हूँ.
इस वालपेपर के बावजूद मुझे ये कमरा अब अच्छा लगने लगा है. शायद इसी वालपेपर की वजह से.
ये मेरे माइंड में छप गया है!
मै इस बड़े से बेड पे लेटी हूँ. मुझे लगता है किसी ने इसे यहाँ गाढ़ दिया है, ये जरा भी हिलता डुलता नहीं. एक घंटे से मै उसी पैटर्न को देखे जा रही हूँ. जैसे कोई जिमनास्ट पहले ऍम करता है फिर पॉइंट पर जम्प करता है.
मुझे डिजाईन्स के बेसिक प्रिंसिपल थोड़े बहुत पता है. और मुझे ये भी पता है कि इस डिजाईन को ना तो अर्रैंज किया गया है और ना ही ये कोई लॉ ऑफ़ रेडीएशन, ऑल्टरनेशन, या रिपीटेशन या सिमिट्री को फोलो करता है
डिजाईन बेशक रीपीट हो रहा है पर चौड़ाई में
वाल पेपर की हर चौड़ी स्ट्रिप अलग है, इसे ध्यान से देखो.
लेकिन वही दूसरी तरफ पैटर्न डायगोनली कनेक्ट हो रहे है, और डिजाईन की आउटलाइन लहरों की तरह लगती है जो आँखों को कंफ्यूज़ करती है, ये एक तरह का ऑप्टिक हॉरर है. जैसे समुन्द्र में सीवीड्स भर गई हो.
पूरा डिजाईन होरीजोंटली भी जाता है, कम से कम मुझे लगता है. मै ढूंढ-ढूंढ के थक गयी हूँ कि आखिर ये किस डायरेक्शन में जा रहा है.
कमरे में एक जगह पर वालपेपर एकदम इंटेक्ट है वहां पर जब क्रोस लाईट फेड होती है और हल्की सनशाईन सीधे उस पर पडती है तो मुझे रेडीएशन लगता है- आपस में उलझी हुई लकीरे एक कॉमन सेंटर के चारो तरफ फैली है और हर तरफ से लंबी और गहरी होती जा रही है .
इसे देख-देख कर मै थक गयी हूँ. अब मुझे कुछ देर सोना चाहिए.